जर्मन चांसलर पद के एसपीडी उम्मीदवार ओलाफ शॉल्त्स
१५ सितम्बर २०२१जब एसपीडी ने आम चुनाव से एक साल से भी ज्यादा पहले चांसलर पद के उम्मीदवार के तौर पर ओलाफ शॉल्त्स के नाम की घोषणा की तो लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ. यह और भी ज्यादा चौंकाने वाला था कि पार्टी ने शॉल्त्स को चुना, जबकि वह कुछ महीने पहले ही पार्टी के नेतृत्व की दौड़ हार गए थे.
लेकिन ओलाफ शॉल्त्स ने अडिग आत्मविश्वास दिखाया है और अपने लंबे राजनीतिक करियर में कई तूफानों का सामना किया है.
कोरोना वायरस संकट के दौरान उन्हें चमकने का एक अच्छा मौका मिला, जब वित्त मंत्री के रूप में उनके पास अर्थव्यवस्था और देश के नागरिकों की तूफान का सामना करने में मदद के लिए इमरजेंसी फंड से अरबों यूरो की मदद बांटने का जिम्मा रहा.
शॉल्त्स ने शांत दक्षता और अत्यधिक आत्मविश्वास के साथ वादा किया, "यह वह बजूका (एक हथियार) है, जो काम पूरा करने के लिए जरूरी था. हम यह दिखाने के लिए अपने सभी हथियार सामने रख रहे हैं कि हम ऐसी समस्या की ओर से खड़ी की जाने वाली किसी भी आर्थिक चुनौती से उबरने के लिए पर्याप्त मजबूत हैं."
संकट के समय व्यावहारिकता, करिश्मे को हरा देती है, जो इस 62 वर्षीय के शख्स हाथों में आ गई है.
एक रोबोट का खिंचाव
समय 2003 के मुकाबले बहुत दूर निकल आया है, जब जर्मन साप्ताहिक डी त्साइट ने उन्हें 'शॉल्त्सोमेट' उपनाम दे दिया था. यह उपनाम उनके नाम में ऑटोमेट शब्द लगाकर बनाया गया था. जर्मन में इसका मतलब मशीन होता है और यह शब्द सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) के राष्ट्रीय महासचिव की रोबोट जैसी क्षमता की ओर इशारा करता था.
कहा जाता था इस मशीन का काम एसपीडी की नीतियों को बेचते जाना है. इसकी शुरुआत एक विवादित लेबर मार्केट रिफॉर्म प्रोग्राम से हुई थी, जिसे 2010 नाम दिया गया था. इसमें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पाने वाले कुछ लोगों के लाभ में बड़ी कटौती की जानी थी. शॉल्त्स को उस दौरान पार्टी के भीतर और बाहर दोनों ही जगह पर इस योजना का बचाव करना पड़ा था.
बाद में शॉल्त्स ने कहा था, "मैं वो आदमी था जिसे इस संदेश को फैलाने का काम सौंपा गया था. ऐसे में मुझे कुछ हद तक कठोरता का परिचय देना था." उन्होंने यह भी जोड़ा कि "मुझे वाकई एक अफसर जैसा महसूस हुआ था. मेरे पास कोई स्वतंत्रता नहीं थी."
उन्होंने कहा कि उनकी पहली चिंता उनकी अपनी समझ नहीं बल्कि तत्कालीन चांसलर और एसपीडी नेता जेराल्ड श्रोएडर और पार्टी के प्रति पूर्ण निष्ठा का प्रदर्शन करना था. वह कहते हैं, "मैं खुद का नहीं बल्कि पार्टी का बचाव करने की कोशिश कर रहा था."
व्यर्थ का काम
अंत में बचाव की कोशिशें व्यर्थ रहीं. न सिर्फ एसपीडी की चांसलरी सीडीयू को चली गई बल्कि ओलाफ शॉल्त्स की ऐसी छवि बन गई, जिसे बदलने में अब भी समय लगेगा. यह छवि है एक उबाऊ नौकरशाह और खुशी का अंत कर देने वाले की.
एसपीडी के अंदर बहुत से लोगों को इस इंट्रोवर्ट और हैम्बर्ग से आने वाली व्यावहारिक शख्स को खुशनुमा बनाने में बहुत समस्या हुई है जो सिर्फ उतना ही बोलता है, जितना एकदम जरूरी हो.
हालांकि शॉल्त्स ने धीरे-धीरे राजनीतिक सीढ़ियां चढ़ते हुए अपना मोर्चा खोले रखा है. वह एसपीडी के महासचिव, राज्य के गृह मंत्री और हैम्बर्ग के मेयर रहे और फिलहाल जर्मनी के वित्त मंत्री और डिप्टी चांसलर हैं.
ओलाफ शॉल्त्स को पार्टी के कंजरवेटिव धड़े का सदस्य माना जाता है लेकिन उन्हें वामपंथी या दक्षिणपंथी जैसी राजनीतिक श्रेणियों में रखना भी बहुत मुश्किल है. एसपीडी के युवा संगठन जुसोस के उप प्रमुख के तौर पर उनके कई विचार सामाजिक तौर पर कट्टरपंथी और पूंजीवाद के कटु आलोचना वाले थे.
दिखावा सीखना
लेकिन शॉल्त्स को एसपीडी ज्वाइन किए एक लंबा समय बीत चुका है. वह 1975 में इसमें एक स्टूडेंट के तौर पर शामिल हुए थे और बुंडेसटाग के लिए उन्होंने 1998 में चुनाव लड़ा था. उस दौरान, शॉल्त्स ने हैम्बर्ग में अपनी वकालत शुरू की. व्यापार कानूनों में उनकी विशेषज्ञता थी. इस दौरान उन्होंने अर्थव्यवस्था और उद्यमिता के बारे में बहुत कुछ सीखा. जिसने उन पर अपनी छाप छोड़ी.
ओलाफ शॉल्त्स को यह स्वीकार करने में बहुत समय लगा कि राजनीति अपने विचार सुनाने और अपनी नीतियां बेचने का काम है. लेकिन जब 2019 के आखिरी में एसपीडी के उम्मीदवार एक-दूसरे से बहस करते हुए देश का दौरा कर रहे थे तो वित्त मंत्री बदले हुए लगे.
उनका व्यवहार ज्यादा भावुक, ज्यादा सुलभ और इन सबसे आगे मित्रवत था. इसी समय उन्होंने इस बात को भी कोई रहस्य नहीं रहने दिया था कि वे चांसलर पद के उम्मीदवारों की लाइन में हैं. लेकिन उन्हें सास्किया एसकेन और नोरबर्ट वॉल्टर बोरजंस की वामपंथी जोड़ी से करारी हार का सामना करना पड़ा.
लेकिन पार्टी के पुराने सैनिक रहे शॉल्त्स ने अपना मोर्चा बचाया. उन्होंने अपने काम पर अपना फोकस बनाए रखा और नए एसपीडी नेताओं को इसके साथ आगे बढ़ने दिया. वह वफादार बने रहे और कभी कटाक्ष नहीं किए. वे इस विचार के साथ सुरक्षित महसूस करते रहे कि पार्टी का नया नेतृत्व, जो उनके हिसाब से अनुभवहीन था, वह खुद ही गलतियां करेगा.
आने वाले महीनों में शीर्ष उम्मीदवार के तौर पर अपने नामांकन के बाद भी वे बड़ी गड़बड़ियों से बचे रहे. लेकिन उनकी लोकप्रियता की रेटिंग कम है और ग्रीन पार्टी के उभार के बाद बहुत कम लोग ही ऐसे हैं जो यह मानते हैं कि एसपीडी के पास अगली जर्मन सरकार का नेतृत्व करने का कोई भी मौका है.
रिपोर्टः सबीन किनकार्त्स