अमेरिकी कारोबारी इलॉन मस्क को जर्मनी के चुनाव में धुर दक्षिणपंथी पार्टी का समर्थन करने पर चांसलर पद के उम्मीदवार फ्रीडरिष मैर्त्स की तरफ से कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी है.
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जर्मनी में 23 फरवरी को आम चुनाव होना है. जर्मनी के एक रुढ़िवादी अखबार 'वेल्ट आम सोनटाग' में एक ओपिनियन पीस लिख कर इलॉन मस्क ने अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) का समर्थन किया है. मस्क ने एएफडी को जर्मनी के लिए, "उम्मीद की आखिरी लौ" कहा है. इलॉन मस्क का लेख छपने के बाद अखबार के एक वरिष्ठ संपादक ने विरोध में इस्तीफा दे दिया है.
चुनाव में दखल और मनमानी
क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के नेता और चांसलर पद के उम्मीदवार फ्रीडरिष मैर्त्स ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. मैर्त्स ने अखबार और पत्रिका प्रकाशन समूह फुंके से कहा है, "पश्चिमी लोकतंत्रों के इतिहास में मुझे याद नहीं आता कि किसी दोस्ताना देश के चुनावी अभियान में ऐसी दखल देने की कोई घटना हुई हो जिसकी इससे तुलना की जा सके." मैर्त्स ने फरवरी के चुनाव में एएफडी के लिए समर्थन को "दखल देने वाला और मनमानी" कहा है.
मस्क को जवाब देते हुए मैर्त्स ने कहा है, "एक पल के लिए कल्पना करके देखिए-अगर एक प्रमुख जर्मन कारोबारी न्यू यॉर्क टाइम्स में एक बाहरी व्यक्ति के राष्ट्रपति चुनाव अभियान को समर्थन दे तो अमेरिकी लोगों की प्रतिक्रिया कैसी होगी."
बीते महीनों में इलॉन मस्क अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के करीबी सलाहकार के रूप में उभरे हैं. मस्क ने जर्मन राजनीति में अपने दखल को उचित बताते हुए कहा है कि वे इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के सीईओ हैं, जो बर्लिन के पूर्व में एक बड़ा उत्पादन संयंत्र चलाती है और ऐसे में उनके पास दखल देने की वैध वजहें हैं. उनका कहना है कि उन्होंने इस देश में निवेश किया है इसलिए उनके पास देश की स्थिति पर बोलने का अधिकार है.
इलॉन मस्क स्पेस एक्स और सोशल मीडिया कंपनी एक्स के भी मालिक हैं. बीते सालों में कारोबार के अलग जाकर भी उन्होंने कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी है. इसके लिए कई मौकों पर उन्हें लोगों और नेताओं की आलोचना भी झेलनी पड़ी है. जर्मन राजनीति के बारे में मेहमान लेखक के रूप में लिखे उनके लेख ने जर्मनी में काफी बवाल मचाया है. एक महीने के भीतर यह दूसरा मौका है जब मस्क ने एएफडी के प्रति अपना समर्थन जताया है. मस्क ने अंग्रेजी से जर्मन में अनुवादित इस लेख में यह भी कहा है कि धुर दक्षिणपंथी पार्टी, "देश को एक ऐसे भविष्य में ले जा सकती है जहां समृद्धि, सांस्कृतिक एकता और तकनीकी खोजें, सिर्फ इच्छा नहीं बल्कि वास्तविकता होंगी."
जर्मनी में किन मुद्दों को लेकर चुनाव में उतर रही हैं पार्टियां
जर्मनी में अगले आम चुनाव 23 फरवरी 2025 को आयोजित होंगे. विभिन्न राजनीतिक दलों ने अलग-अलग मुद्दों को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करना शुरू कर दिया है.
तस्वीर: Janine Schmitz/photothek/IMAGO
क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू)
जर्मनी के दो पार्टियों के मध्य-दक्षिणपंथी गुट ने करों को कम करने और अवैध प्रवासियों को रोकने के वादे के साथ चुनाव में उतर रही है. यह गठबंधन आयकर में कमी, वृद्धावस्था पेंशन में कटौती ना करने जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहा है.
मौजूदा चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के नेतृत्व में एसपीडी निवेश और सार्वजनिक ऋण में बढ़ोत्तरी जैसे मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में आ रही है. एसपीडी अमीरों पर वेल्थ टैक्स और न्यूनतम वेतन बढ़ाने जैसे मुद्दों पर पहले भी खुलकर बोलती रही है.
तस्वीर: Annegret Hilse/REUTERS
ग्रीन पार्टी
पर्यावरण के मुद्दों को लेकर राजनीति में उतरी ग्रीन पार्टी पिछली सरकार में तीखी आलोचनाओं का सामना कर चुकी है. ग्रीन पार्टी 'डेट ब्रेक' में सुधार, इलेक्ट्रिक कारों के लिए सब्सिडी और पेंशन के लिए एक नया 'नागरिक कोष' बनाने के मुद्दों को भुनाने का प्रयास कर रहे हैं.
तस्वीर: Daniel ROLAND/AFP
फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी)
क्रिस्टियान लिंडनर के नेतृत्व में एफडीपी पेंशन सुधार, शेयर आधारित पेंशन की शुरुआत, ऊर्जा की बढ़ी हुई कीमतों की मार झेल रही कंपनियों के लिए टैक्स कम करना और नौकरशाही को कम करने के मुद्दे इस चुनाव में उठा रही है.
तस्वीर: Nadja Wohlleben/REUTERS
लेफ्ट पार्टी
जर्मनी की लेफ्ट पार्टी अपने चुनावी एजेंडे के तहत अमीर लोगों पर ज्यादा कर लगाने की बात कर रही है. साथ ही न्यूनतम वेतन 15 यूरो, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा और कम दूरी की उड़ानों और रेल यात्रा पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रही है.
तस्वीर: IMAGO
ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी)
एएफडी जर्मनी को यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर निकालने और यूरो को खत्म करने जैसे मुद्दों को लेकर चुनाव में उतर रही है. साथ ही यह पार्टी कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र और परमाणु ऊर्जा स्टेशनों को दोबारा स्थापित करने की वकालत भी करती है.
तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images
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सर्वेक्षणों में एएफडी का समर्थन बढ़ता दिख रहा है हालांकि चांसलर पद के लिए पार्टी की उम्मीदवार एलिस वाइडेल के चांसलर बनने की उम्मीद कम ही है क्योंकि कोई भी दूसरा राजनीतिक दल एएफडी के साथ जुड़ने को तैयार नहीं है. जर्मनी में बीते कई दशकों से गठबंधन की सरकारों का ही दौर चला आ रहा है.
मस्क ने जर्मनी में पार्टी की छवि को गलत ढंग से पेश करने की बात भी कही है. उनका कहना है, "एएफडी को धुर-दक्षिणपंथी चरमपंथी पार्टी के रूप में दिखाना बिल्कुल गलत है."
वेल्ट आम सोनटाग अखबार में वेल्ट समूह के भावी मुख्य संपादक यान फिलिप बुरगार्ड का एक आलोचनात्मक आलेख भी छापा है. इसमें बुरगार्ड ने लिखा है, "मस्क की पड़ताल सही है लेकिन जिस इलाज की तरफ वो गये हैं कि केवल एएफडी जर्मनी को बचा सकती, वह नुकसानदेह तरीके से गलत है."
जर्मन पत्रकार संघ, डीजेवी के प्रमुख मिका बॉइस्टर ने एक जर्मन अखबार में ऐसा "चुनावी प्रचार" छापने का विरोध करते हुए कहा कि "जर्मन मीडिया को ऑटोक्रैट्स और उनके दोस्तों का इस तरह से मुखपत्र नहीं बनना चाहिए." समाचार एजेंसी डीपीए के डी वेल्ट समूह से मस्क के इंटरव्यू पर पूछे सवाल में समूह के वर्तमान और भावी प्रमुख संपादक ने संयुक्त बयान में कहा है कि मस्क के आलेख पर चर्चा, "बहुत गहरी सोच वाली थी, लोकतंत्र और पत्रकारिता अभिव्यक्ति के अधिकार से उन्नति करते हैं."
एनआर/आरपी (डीपीए, एपी)
जर्मनी: 2025 के आम चुनावों में ये प्रमुख चेहरे होंगे चांसलर पद के उम्मीदवार
राष्ट्रपति ने संसद को भंग करने के साथ ही जर्मनी में 23 फरवरी को चुनाव कराने की पुष्टि कर दी है. सभी बड़े राजनीतिक दल चांसलर के पद के लिए अपने मुख्य उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर चुके हैं.
तस्वीर: Annegret Hilse/REUTERS
ओलाफ शॉल्त्स (एसपीडी)
जर्मनी के प्रमुख राजनीतिक दल सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) ने एक बार फिर से मौजूदा चांसलर ओलाफ शॉल्त्स को अपना उम्मीदवार बनाया है. 1958 में जन्मे शॉल्त्स हमेशा से डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े रहे. चांसलर बनने से पहले वे बतौर श्रम और वित्त मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं.
तस्वीर: Carsten Koall/dpa/picture alliance
फ्रीडरिष मैर्त्स
जर्मनी की रूढ़िवादी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) ने फ्रीडरिष मैर्त्स को चांसलर पद का उम्मीदवार घोषित किया है. 69 साल के मैर्त्स जनवरी 2022 से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और अगले चांसलर के प्रबल उम्मीदवार हैं.
तस्वीर: Ruffer/Caro/picture alliance
रॉबर्ट हाबेक (ग्रीन पार्टी)
जर्मनी की मौजूदा गठबंधन सरकार के सहयोगी दल ग्रीन पार्टी ने रॉबर्ट हाबेक को अपना चांसलर उम्मीदवार बनाया है. 1980 में पर्यावरण बचाने की मुहिम के साथ इस पार्टी की नींव पश्चिमी जर्मनी में रखी गई थी. 2021 में इस पार्टी ने मौजूदा सरकार को अपना सहयोग देते हुए गठबंधन में सरकार बनाई थी, जिसमें हाबेक को मंत्री बनाया गया.
तस्वीर: Sebastian Gollnow/dpa/picture alliance
आलीस वायडेल (एएफडी)
जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने आलीस वायडेल को अपना चांसलर उम्मीदवार बनाया है. 45 साल की वायडेल अप्रवासियों के खिलाफ अपने भड़काऊ बयानों के लिए चर्चा में रहती हैं. एएफडी जर्मनी में आप्रवासन का कड़ा विरोध करती है.
जर्मनी के मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल के जिम्मेदार और पूर्व वित्त मंत्री क्रिश्चियान लिंडनर फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी) के चांसलर उम्मीदवार हैं. 1948 में स्थापित एफडीपी के वो 34 साल की उम्र में ही अध्यक्ष बन गए थे. लिंडनर सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं.
तस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance/dpa
सारा वागनक्नेष्ट (बीएसडब्ल्यू)
जर्मनी की प्रमुख वामपंथी पार्टी बुंडनिस्ट सारा वागनक्नेष्ट (बीएसडब्ल्यू) ने साहरा वागनक्नेष्ट को अपना चांसलर उम्मीदवार बनाया है. 55 वर्षीय साहरा नाटो की आलोचक हैं और वामपंथी विचारधारा की समर्थक हैं. 2009 से वह संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग की सदस्य हैं.
तस्वीर: Bernd von Jutrczenka/dpa/picture alliance
यान फान आकेन (लेफ्ट पार्टी)
साल 2009 से 2017 तक लेफ्ट पार्टी के सांसद रह चुके यान फान आकेन को चांसलर पद का उम्मीदवार बनाया गया है. 2007 में स्थापित यह पार्टी वामपंथी विचारधारा का समर्थन करती है. आकेन संयुक्त राष्ट्र में बतौर जैविक हथियार निरीक्षक के रूप में काम कर चुके हैं.