ट्रंप को समर्थन देने के एक साल बाद किस हाल में हैं इलॉन मस्क
१८ जुलाई २०२५
इलॉन मस्क, जो कि आज दुनिया के सबसे अमीर इंसान हैं, पिछले एक साल से अमेरिकी राजनीति में लगातार चर्चा में बने हुए हैं. जिसका एक बड़ा कारण, डॉनल्ड ट्रंप को दोबारा राष्ट्रपति बनने में निभाया गया उनका अहम रोल भी है. साल 2024 के अमेरिकी चुनाव से पहले मस्क खुलकर ट्रंप के समर्थन में नजर आए थे. जिसके एक साल के भीतर ही मस्क अमेरिकी सरकार के गलियारों का एक चर्चित नाम बन गए, दक्षिणपंथी राजनीति के पोस्टर बॉय बन गए और फिर कुछ विवादों के चलते उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट भी देखी गई.
कुछ जानकारों ने पहले ही इस ओर संकेत कर दिया था कि दुनिया के सबसे ताकतवर नेता (ट्रंप) और सबसे अमीर शख्स (मस्क) की यह दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चलेगी. और ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के कुछ ही महीनों के भीतर ही उनके आर्थिक कार्यावली में मतभेद दिखा. जिसके बाद यह टकराव सोशल मीडिया पर खुलकर नजर आया.
हालांकि, मस्क अब ट्रंप के करीबी नहीं हैं, फिर भी उनकी ताकत कम नहीं हुई है. आज भी उनकी गिनती दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोगों में होती है. तकनीक, ऑटोमोबाइल और मीडिया कंपनियों के मालिक होने के अलावा उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और काफी अलग निजी जीवन भी उन्हें लगातार सुर्खियों में बनाए रखता है.
दक्षिण अफ्रीका का सबसे बड़ा निर्यात!
इलॉन मस्क का जन्म दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया प्रांत में हुआ था. उनके पिता, इरोल मस्क एक प्रॉपर्टी डिवेलपर, इंजीनियर और स्थानीय राजनेता थे. जबकि उनकी मां, माए मस्क एक कनाडाई मॉडल और डाइटीशियन थी. मस्क 1990 के दशक में अमेरिका आए और यहीं बस गए.
शुरुआती दौर में उन्होंने इंटरनेट से जुड़ी कंपनियां शुरू कीं, जैसे ऑनलाइन सिटी गाइड जिप2 और फाइनेंशियल सर्विस प्लेटफॉर्म एक्स डॉट कॉम, बाद में जिसका पेपैल के साथ विलय हो गया.
इलॉन मस्क को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि उनकी दो बड़ी कंपनियों, स्पेस एक्स और टेस्ला से मिली है. स्पेस एक्स, निजी अंतरिक्ष यात्रा की ओर काम कर रही है. जबकि टेस्ला, इलेक्ट्रिक कारें बनाती है. मस्क ने टेस्ला को उसके शुरुआती दौर में फंड किया था, जिसके बाद अब उन्हें इसका सह-संस्थापक माना जाता है. वह दोनों ही कंपनियों के चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर (सीईओ) भी हैं.
मस्क ने इनके अलावा भी कई और कंपनियां शुरू की हैं. जैसे द बोरिंग कंपनी, जो जमीन के नीचे सुरंगें बनाने का काम करती है, और न्यूरालिंक, जो इंसानी दिमाग में चिप लगाने वाली तकनीक पर काम कर रही है.
साल 2022 में मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ट्विटर को खरीदा और बाद में उसका नाम बदलकर "एक्स” रख दिया. इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर उन्होंने अपने निजी विचारों को दुनिया भर में तेजी से साझा करना शुरू कर दिया. अब यह प्लेटफॉर्म एक्सएआई नाम की कंपनी का हिस्सा है, जो मस्क की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सोशल मीडिया से जुड़ी परियोजनाओं को संभालती है.
हालांकि, मस्क के नेतृत्व वाले एक्स पर गलत जानकारी फैलाने के काफी आरोप लगे. जिसके बाद उन्होंने कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाला और कई विवादास्पद व पहले से प्रतिबंधित यूजर्स, जिनमें डॉनल्ड ट्रंप भी शामिल हैं, उनको वापस प्लेटफॉर्म पर आने की इजाजत दी. इसके चलते कई विज्ञापनदाता एक्स से दूर हो गए.
मस्क का ट्रंप 2.0 को समर्थन
टेस्ला और स्पेस एक्स जैसी बड़ी कंपनियों के प्रमुख के रूप में पहले से ही लोगों के बीच मशहूर रहने वाले इलॉन मस्क के चर्चे 2024 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान में एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया.
हालांकि, मस्क ने पहले खुद को केवल एक "मध्यमार्गी” के रूप में दर्शाया था और दोनों ही प्रमुख दलों के उम्मीदवारों को चंदा दिया था. लेकिन 2024 में वह खुलकर डॉनल्ड ट्रंप के समर्थन में सामने आए. उन्होंने ट्रंप के चुनाव अभियान का हर तरह से समर्थन दिया चाहे वह उनकी लोकप्रियता हो या उनका बेशुमार पैसा.
मस्क ने "अमेरिका पीएसी” नाम से एक राजनीतिक कार्रवाई समिति भी बनाई, जिसमें उन्होंने 119 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा की रकम डाली. चुनाव से कुछ हफ्ते पहले तक भी वह प्रमुख स्विंग स्टेट्स में मतदाताओं को वोट देने के लिए प्रेरित करते नजर आ रहे थे. यहां तक कि उन्होंने कुछ मामलों में तो मिलियन-डॉलर इनाम तक की पेशकश भी कर दी थी.
2023–24 के चुनावी में मस्क ने सभी रिपब्लिकन उम्मीदवारों को कुल मिलाकर 290 मिलियन डॉलर से भी अधिक का योगदान दिया था.
दक्षिणपंथी राजनीति की ओर झुकाव
खुद को अमेरिका की दक्षिणपंथी राजनीति का बड़ा चेहरा बना चुके मस्क की नजरें अब सिर्फ अमेरिका तक ही सीमित नहीं है. जैसे-जैसे जर्मनी में चुनावी माहौल गर्म हो रहा था, मस्क की दिलचस्पी यूरोप की राजनीति में भी बढ़ती नजर आई. जर्मनी के अखबार, दी वेल्ट में छपे एक लेख में उन्होंने कट्टर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी का समर्थन किया. फिर उसी पार्टी की नेता, एलिस वाइडल के साथ एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक इंटरव्यू और पार्टी के चुनावी अभियान के लॉन्च के समय एक वीडियो संदेश भी सामने आया.
एएफडी के लिए मस्क के समर्थन के बीच जनवरी में ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मस्क ने अपने समर्थकों के बीच ऐसे इशारे में हाथ उठाया, जिसे कई लोगों ने नाजी सलामी से मिलता-जुलता बताया. हालांकि, कुछ ने इसे "रोमन सलाम” भी कहा, लेकिन ज्यादातर लोगों ने इसे यूरोपीय फासीवाद से जोड़कर देखा.
इस घटना के बाद पूरे यूरोप में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. कई जगहों पर टेस्ला कारों और डीलरशिप्स को भी नुकसान पहुंचाया गया, पोस्टरों को फाड़ दिया गया और सार्वजनिक तौर पर मस्क के इस व्यवहार की कड़ी आलोचना की गई.
डोजे का पतन और टेस्ला की बिक्री कम
चुनावी दौर में अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को बढ़ावा देने के साथ-साथ इलॉन मस्क, ट्रंप के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक बन गए. उन्हें राष्ट्रपति के विशेष सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया और उन्होंने एक खास टास्क फोर्स की भी योजना बनाई, डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डोजे). यह विभाग औपचारिक रूप से सरकार का हिस्सा नहीं था, लेकिन ट्रंप और मस्क के अनुसार इसका उद्देश्य सरकारी विभागों में "बर्बादी, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार” को खत्म करना था.
इस योजना के तहत कई बड़े विभागों को निशाना बनाया गया. जैसे विदेशी सहायता देने वाली संस्था (यूएसएड), स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग (एचएचएस), शिक्षा विभाग और सामान्य सेवा प्रशासन (जीएसए) व सोशल सिक्योरिटी एजेंसी जैसी संस्थाएं.
लेकिन जैसे-जैसे ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में किए मस्क के विवादास्पद बर्ताव की खबरें फैलने लगी, टेस्ला की बिक्री में तेज गिरावट देखी गई, खासकर यूरोप में. जिसके तुरंत बाद ट्रंप व्हाइट हाउस में प्रेस के सामने एक टेस्ला कार का सार्वजनिक रूप से प्रचार करते दिखाई दिए. हालांकि, पहले भी ट्रंप पारंपरिक पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों के बड़े समर्थक रहे हैं.
जैसे-जैसे डोजे योजना का असर सरकारी विभागों पर बढ़ा और टेस्ला की बिक्री और गिरती गई, वैसे-वैसे इलॉन मस्क की लोकप्रियता भी घटने लगी. सिल्वर बुलेटिन (एक प्रसिद्ध आंकड़ा विशेषज्ञ, नेट सिल्वर द्वारा चलाया जाता है) के अनुसार जब मस्क ने 2024 में ट्रंप का समर्थन किया, तब उनकी लोकप्रियता संतुलित (शून्य फीसदी) थी, चुनाव वाले दिन यह घटकर -2 फीसदी हो गई, शपथ ग्रहण के दिन यह और गिरकर -5.2 फीसदी रही और 14 जुलाई को, यानी ट्रंप का समर्थन करने के एक साल बाद, मस्क की लोकप्रियता -23 फीसदी तक गिर चुकी थी.
ट्रंप के साथ टकराव
मई के अंत तक ट्रंप और मस्क की साझेदारी लगभग खत्म हो गई. 29 मई को मस्क ने विशेष सलाहकार के पद से इस्तीफा दे दिया. और उसी दिन एक टेलीविजन कार्यक्रम में ट्रंप ने उन्हें "सोने की चाबी” भेंट की, जो कि एक तरह का प्रतीकात्मक विदाई सम्मान है.
इसके बाद से दोनों के रिश्ते में काफी कड़वाहट आ गई. अब वे एक-दूसरे के बारे में शायद ही कुछ अच्छा कहते नजर आते हैं.जब ट्रंप ने प्रवासी वीजा में बदलाव किया, प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर नए टैरिफ (शुल्क) की घोसना की और एक बड़ा टैक्स और खर्च बिल पेश किया तो इनके संबंध और बिगड़ गए. मस्क का कहना था कि इससे डीओजीई योजना के तहत सरकार के खर्चे कम करने के सारे प्रयास बेकार हो गए.
नीतियों को लेकर मस्क इतने नाराज हो गए कि 5 जून को उन्होंने एक्स (ट्विटर) के पुराने पोस्ट फिर से साझा करने शुरू कर दिए, जिनमें ट्रंप और रिपब्लिकन नेता सरकारी कर्ज के विरोध में बयान दे रहे थे. उन्होंने लिखा कि अगर ये नीतियां पहले से साफ होती, तो शायद ट्रंप चुनाव ही हार जाते. इतना ही नहीं, मस्क ने कुछ पोस्ट में (जो बाद में हटा दिए गए) यह भी संकेत था कि ट्रंप का नाम "एप्स्टीन फाइल्स” में हो सकता है. यह उस विवादास्पद लिस्ट का नाम है, जिसमें बाल यौन शोषण के दोषी जेफरी एप्स्टीन से जुड़े प्रभावशाली लोगों के नाम हैं.
इलॉन मस्क खुद राजनीति में उतरेंगे?
फिलहाल यह साफ नहीं है कि एलन मस्क की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं क्या हैं. हालांकि, ट्रंप का टैक्स और खर्च बिल पास होने के बाद मस्क ने "अमेरिका पार्टी” नाम की एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की है. अगर यह पार्टी सफल होती है, तो यह अमेरिका में 100 साल से चली आ रही दो प्रमुख पार्टियों (डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स) के वर्चस्व को चुनौती देगी.
मस्क का जन्म दक्षिण अफ्रीका में हुआ है, इसलिए वे अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. लेकिन वे अमेरिकी नागरिक हैं, इसलिए निचले स्तर के चुनावों (जैसे कांग्रेस या सीनेट) में जरूर हिस्सा ले सकते हैं. इसके अलावा, मस्क अपनी दौलत के जरिए भी सरकारी नीतियों को प्रभावित करने का रास्ता चुन सकते हैं. जिसका उन्होंने पहले ही संकेत दिया है कि वे रिपब्लिकन सांसद, थॉमस मैसी के चुनाव अभियान को फंड करेंगे. क्योंकि मैसी उन कुछ गिने-चुने रिपब्लिकन नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने ट्रंप के खर्च बिल के खिलाफ वोट दिया था.