पाकिस्तान में टिड्डियों के झुंड अनाज और सब्जियों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे में पाकिस्तान की सरकार ने टिड्डियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की है.
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पाकिस्तान में ही नहीं भारत के भी कुछ राज्य टिड्डी दल के निशाने पर हैं. हजारों की संख्या में आ रही टिड्डियां करोड़ों रुपये की फसल को कुछ घंटों में ही बर्बाद कर देती हैं. भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने टिड्डी दल के हमले के कारण राष्ट्रीय आपातकाल का ऐलान किया है. टिड्डी दल बड़े पैमाने पर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं जिससे खाद्य असुरक्षा की आशंका बढ़ जाती है. पाकिस्तान के सूचना मंत्री फिरदौस आशिक आवान के मुताबिक, "पिछले दो दशकों में हम टिड्डी दल के गंभीर हमलों का सामना कर रहे हैं. हमने इस खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने का फैसला किया है." पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने टिड्डी दल के हमले से निपटने को लेकर नेशनल एक्शन प्लान को मंजूरी दी है. समाचार एजेंसी डीपीए से सिंध कृषि मंडल के सदस्य और किसान निसार खासखली ने कहा, "हमें आशंका है कि इस साल हम गेंहू पैदावार के 2.7 करोड़ टन के लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे."
दूसरी तरफ पाकिस्तान की संसद में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मंत्री मखदूम खुसरो बख्तियार ने कहा, "टिड्डियों का हमला अभूतपूर्व और चिंताजनक है." उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों की वजह से अधिकारियों को टिड्डियों से निपटने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है. ईरान से उड़कर जून में पाकिस्तान आई टिड्डियों ने भारी पैमाने पर कृषि क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया है.
पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम जिलों में कपास, गेहूं, मक्का समेत अन्य फसलों को टिड्डी नुकसान पहुंचा चुकी है. टिड्डी दल सिंध से उड़कर खैबर पख्तूनख्वाह तक पहुंच गया है. अधिकारियों की सुस्त प्रतिक्रिया और अनुकूल मौसम ने टिड्डियों को प्रजनन का मौका दे दिया है जिसके कारण है कि वे रेगिस्तानी इलाकों से फसलों और आस-पास के शहरों पर हमला कर रही हैं.
भारत में कैसा असर?
पाकिस्तान से आ रहे टिड्डी दल भारतीय राज्य राजस्थान, पंजाब और गुजरात के कुछ जिलों में भी फसलों को नुकसान पहुंचा चुके हैं. राजस्थान के पश्चिमी जिलों में इन टिड्डी दलों के कारण करोड़ों रुपये की फसल के नुकसान के बाद अब राजस्थान सरकार ने नुकसान की रिपोर्ट कृषि विभाग से मांगी है. राजस्थान में ही टिड्डी दल का हमला एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से इस पर मदद मांगी है.
दूसरी ओर पंजाब में भी टिड्डी दल को लेकर सतर्कता बरती जा रही है. पंजाब के फाजिल्का में टिड्डियों के आने के बाद कृषि विभाग ने इन्हें स्प्रे कर भगाने की कोशिश की. गुजरात में भी दिसंबर महीने में टिड्डियों का हमला हुआ था जिसमें दो जिलों के 25 हजार हेक्टेयर की फसल तबाह हो गई थी. गुजरात सरकार ने प्रभावित किसानों को 31 करोड़ रुपये मुआवजे का ऐलान भी किया है. टिड्डी एक दिन में 150 किलोमीटर तक उड़ने की क्षमता रखती है. ये एक दिन में अपने वजन के बराबर अनाज खा सकती है. हालांकि भारत ने एहतियाती कदम उठाते हुए सही समय पर दवा का छिड़काव किया जिससे नुकसान को कम से कम किया जा सके.
कैसे टिड्डियां मिनटों में कर देती हैं करोड़ों की खेती चौपट?
कैसे टिड्डियां मिनटों में कर देती हैं करोड़ों की खेती चौपट?
टिड्डियों के हमले की वजह से अफ्रीका और दक्षिण एशिया बुरी तरह परेशान हैं. पाकिस्तान ने टिड्डी हमले के चलते आपातकाल लगा दिया है. वहीं राजस्थान में कई मंत्रियों और सांसदों ने केंद्र सरकार से मदद मांगी है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Curtis
क्या होती है टिड्डी?
टिड्डी एक 6-8 सेंटीमीटर आकार का एक कीड़ा होता है जो हमेशा समूह में चलता है. ये समूह फसलों को चट करता चलता है. टिड्डी हर दिन अपने वजन के बराबर खाना खा सकता है. इसलिए जब हजारों टिड्डियों का एक दल आगे बढ़ता है तो वह फसल के लिए बड़ा खतरा बन जाता है.
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कितने टिड्डी?
संयुक्त राष्ट्र के संगठन फूड एंड एग्रिकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक एक वर्ग किलोमीटर इलाके में 8 करोड़ टिड्डी हो सकते हैं. एक साथ चलने वाला टिड्डियों का एक झुंड एक वर्ग किलोमीटर से लेकर कई हजार वर्ग किलोमीटर तक फैला हो सकता है. एक टिड्डी पांच महीने तक जी सकता है. इनके अंडों से दो सप्ताह में बच्चे निकल सकते हैं. दो से चार महीनों का समय इनकी जवानी का समय होता है.
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कितने बुरे हैं टिड्डी?
टिड्डी चुनकर खाना नहीं खाते. वे अपने रास्ते में आने वाली हर खाने वाली चीज को खा सकते हैं. टिड्डों का एक औसत झुंड एक दिन में 19.2 करोड़ किलोग्राम पौधों और फसलों को चट कर सकता है. टिड्डी दल एक दिन में 5 से 130 किलोमीटर का इलाका कवर कर सकते हैं. केन्या, इथियोपिया और सोमालिया में तो टिड्डी दल इतने घने हैं कि उनके पार कुछ नहीं दिख रहा.
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कौन-कौन प्रभावित?
टिड्डी दल का प्रभाव एक महाद्वीप से निकल दूसरे महाद्वीप तक पहुंचने लगा है. अफ्रीका के इथियोपिया, युगांडा, केन्या, दक्षिणी सूडान से आगे निकलकर ये टिड्डी यमन और ओमान होते हुए पाकिस्तान और भारत तक पहुंच गए हैं. पाकिस्तान में टिड्डियों के चलते आपातकाल लगाया गया है. भारत में राजस्थान और गुजरात के किसानों के हालात टिड्डी के चलते बुरे हुए हैं.
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कैसे आए इतने टिड्डी?
इस इलाके में सालों तक पड़े सूखे और उसके बाद आई भारी बारिश और बढ़ते तापमान ने टिड्डियों के जनन के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा की. अच्छी बारिश की वजह से इन इलाकों में हरियाली भी बढ़ी है. हरियाली बढ़ना भी टिड्डियों के प्रजनन में बढ़ोत्तरी में एक बड़ी वजह है. इन देशों में टिड्डियों को रोकने के सही इंतजाम भी नहीं हैं. इसके चलते इनमें तेज बढ़ोत्तरी हुई है.
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रोकने के लिए क्या हो रहा है?
टिड्डियों को रोकने के लिए एक आम तरीका तेज आवाज का इस्तेमाल है. लेकिन जरूरी नहीं कि इससे टिड्डी आगे ना बढ़ें . कई बार तेज आवाज से टिड्डी तेजी से आगे बढ़ते हैं. दूसरा तरीका इन्हें खाने का है. दुनिया के कई इलाकों में इन्हें खाया भी जाता है. लेकिन उससे इनकी संख्या पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. यूएन ने टिड्डी मारक कीटनाशकों के छिड़काव के लिए 10 मिलियन डॉलर दिए हैं. लेकिन अभी भी 70 मिलियन डॉलर की जरूरत है.
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आतंकवाद भी एक मुश्किल
केन्या में पांच हवाई जहाजों को कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए लगाया गया है. ये कीटनाशक इंसानों के लिए खतरा नहीं हैं. इथियोपिया में चार विमान कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं. सोमालिया में भी इस तरह के कदम उठाए गए हैं. लेकिन कई जगह अल कायदा से जुड़े आतंकी संगठन जैसे अल शबाब राहत पहुंचाने के काम में अड़ंगा डाल रहे हैं.