रेगिस्तान से फूटा ऊर्जा का झरना
मोरक्को के रेगिस्तान में बनने वाले दुनिया के सबसे बड़े केंद्रित सौर ऊर्जा संयंत्र का पहला चरण शुरु हो गया. अब तक अपनी जरूरत की लगभग सारी ऊर्जा बाहर से आयात करने वाला देश मोरक्को भविष्य में आत्मनिर्भर हो जाएगा.
घर घर में बिजली
इस सोलर प्लांट को साल 2018 तक पूरा करने की योजना है. इसे बनाने वाले विश्व बैंक और मोरक्को सोलर एनर्जी एजेंसी (मासेन) का मानना है कि यह प्रोजेक्ट मोरक्को के 11 लाख घरों के लिए पर्याप्त ऊर्जा पैदा कर सकेगा.
विशाल सहारा मरूस्थल
इस अफ्रीकी देश के रेगिस्तान में स्थापित सोलर संयत्र से मिलने वाली सोलर ऊर्जा से शुरुआत में करीब 6,50,000 स्थानीय लोगों की जरूरत पूरी की जा सकेगी. यह भोर से लेकर शाम को सूरज ढलने के तीन घंटे बाद तक इतने लोगों के काम की ऊर्जा दे सकता है.
राजधानी जितना बड़ा
इसके सौर पैनल लगभग उतने क्षेत्र में फैले हैं जितनी बड़ी मोरक्को की राजधानी राबात है. नूर-1 नामके इस प्रोजेक्ट के पहले सेक्शन से 160 मेगावॉट की ऊर्जा पैदा हो रही है और इसकी अधिकतम क्षमता 580 मेगावॉट तक जाएगी. इससे मोरक्को अपने भारी कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी लाएगा.
ग्रीन डेजर्ट
केंद्रित सौर संयत्र सामान्य फोटोवोल्टेइक सोलर से इस मायने में अलग होता है कि इसमें शीशों के खास विन्यास से सूरज की ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा पैनलों पर डाली जाती है. इस गर्मी से पैनल का एक द्रव्य गर्म होता है और फिर भाप पैदा होती है. इस भाप से जनरेटर चलता है और बिजली मिलती है.
सीएसपी का होगा बोलबाला
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने बताया है कि 2050 तक दुनिया की कुल बिजली का करीब 11 फीसदी ऐसे ही केंद्रित सौर ऊर्जा पैनलों यानि सीएसपी से आएगा. इस रास्ते पर आगे बढ़कर अफ्रीका और मध्यपूर्व आने वाले समय के सबसे बड़े पावरहाउस बन सकते हैं.
नवंबर में यूएन सम्मेलन
उत्तर अफ्रीका का देश मोरक्को 2010 तक ही अपनी जरूरत की 42 प्रतिशत ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से हासिल करना चाहती है. इसका एक तिहाई हिस्सा सोलर, विंड और हाइड्रोपावर स्रोतों से होगा. इसी साल नवंबर में अगली संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन बैठक मोरक्को में होने वाली है.
बहुत दूरगामी असर
कुल 3.9 अरब डॉलर के निवेश से बने उआरजाजाटे सोलर कॉम्प्लेक्स में जर्मन निवेश बैंक के एक अरब डॉलर भी लगे हैं. यूरोपीय निवेश बैंक ने इसमें करीब 60 करोड़ डॉलर और विश्व बैंक ने 40 करोड़ डॉलर का निवेश किया है. भविष्य में यहां पैदा हुई ऊर्जा को यूरोप भेजने की भी योजना है.