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मणिपुर चुनाव में पर्यावरण कैसे बना सबसे अहम मुद्दा?

प्रभाकर मणि तिवारी
५ मार्च २०२२

भारत में राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों में अमूमन पर्यावरण जैसे संवेदनशील मुद्दों को जगह कम ही मिलती है. लेकिन पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर इस मामले में अपवाद साबित हुआ है.

मणिपुर की लोकटक झील
मणिपुर की लोकटक झीलतस्वीर: PRABHAKAR/DW

मणिपुर जैसे छोटे-से पर्वतीय राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी से लेकर कांग्रेस और बाकी तमाम क्षेत्रीय दलों तक ने न सिर्फ पर्यावरण के मुद्दे को अपने घोषणापत्र में जगह दी है बल्कि चुनाव अभियान के दौरान भी जोर-शोर से इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. राज्य के 60 विधानसभा सीटों में पहले दौर में 38 सीटों पर मतदान हो चुका है. दूसरे दौर में बाकी 22 सीटों के लिए पांच मार्च को मतदान हो रहा है.

घोषणापत्रों में छाया लोकटक लेक

पूर्वोत्तर भारत में मीठे पानी की सबसे बड़ी लोकटक लेक में दुनिया का अकेला तैरता हुआ केबुल लामजाओ नेशनल पार्क और लुप्तप्राय संगाई हिरण भी रहते हैं. संगाई हिरण मणिपुर का राजकीय पशु है. अपने किस्म के इस अनूठे लेक में जगह-जगह द्वीप और घर बने हुए हैं. हजारों लोग मछली पालन के जरिए पीढ़ियों से अपनी आजीविका चलाते रहे हैं.

अनूठे इकोसिस्टम से समृद्ध है मणिपुरतस्वीर: PRABHAKAR/DW

मणिपुर में सत्ता के दावेदार तमाम राजनीतिक दलों ने लोकटक लेक के विकास, वहां ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने, पर्यावरण की सुरक्षा और मत्स्य पालन को बढ़ावा देने को अपने घोषणापत्र में प्रमुखता से जगह दी है. केंद्र सरकार भी इनलैंड वॉटरवेज प्रोजेक्ट के लिए लोकटक लेक पर ध्यान दे रही है.

सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में राज्य की लुप्तप्राय प्रजातियों, वनस्पतियों और जीवों की रक्षा के लिए एक ठोस कार्ययोजना बनाने का भरोसा दिया है. पार्टी ने लोकटक लेक को संरक्षण और विकास के जरिए इसे पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे बेहतर बनाने की भी बात कही है. उसने इस झील और इससे जुड़े जलाशयों के बेहतर प्रबंधन के लिए लोकटक विकास प्राधिकरण के पुनर्गठन का भी वादा किया है.

राज्य में सत्ता में रहने के दौरान लोकटक सुरक्षा अधिनियम पारित करने वाली कांग्रेस ने भी राज्य वन विकास निगम और लोकटक लेक रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने की बात कही है. इसी तरह किंगमेकर के तौर पर उभरने का दावा करने वाली मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने अपने घोषणापत्र में वर्ष 2006 के लोकटक सुरक्षा अधिनियम की समीक्षा करने के बाद उसमें जरूरी संशोधन कर उसे और वैज्ञानिक व जनकेंद्रित बनाने का भरोसा दिया है. पार्टी ने भी लोकटक विकास प्राधिकरण को पुनर्गठन की बात कही है.

इसी तरह पहली बार बड़े पैमाने पर चुनाव मैदान में उतरी जनता दल (यू) ने भी स्थानीय प्रजातियों के लिए जीआई टैग हासिल करने की प्रक्रिया तेज करने का भरोसा दिया है.

लोकटक झील के सहारे पलते कई परिवारतस्वीर: PRABHAKAR/DW

स्थानीय लोगों में शंका

लोकटक लेक से आजीविका चलाने वाले मछुआरे राजनीतिक दलों को वादों से खुश नहीं हैं. उन्हें डर है कि विकास परियोजनाओं को लागू करने की स्थिति में जहां उनके सामने विस्थापन का खतरा पैदा हो जाएगा वहीं पारंपरिक मत्स्य पालन उद्योग की भी कमर टूट जाएगी. मछुआरों के संगठन थिनुनगाई फिशरमेन यूनियन के संयोजक वाई रूपचंद्रा कहते हैं, "ईको-टूरिज्म को विकसित करने की योजनाएं मछली पालन पर निर्भर लोगों की आजीविका छीन सकती है.”

वे कहते हैं कि सरकार यहां लेक से वृत्ताकार फुमदी या फुंगी को हटा कर गोल्फ कोर्स और रिजार्ट बनाना चाहती है. इससे मछली पकड़ने का काम बंद हो जाएगा. कुछ लोगों को रोजगार जरूर मिलेगा. लेकिन बाकी हजारों लोगों का क्या होगा?

आल लोकटक फिशरमेन यूनियन के संयोजक ओनियम राजेन कहते हैं, "राजनीतिक दल मछुआरों के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं. यूनियन विकास परियोजनाओं को अदालत में चुनौती देगी.”

लोकटक झील से घिरा बिस्नापुर गांवतस्वीर: PRABHAKAR/DW

लेकिन बीजेपी का आरोप है कि विकास परियोजनाओं के बारे में भ्रामक व गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं. लोगों से बातचीत के बाद उनको भरोसे में लेकर ही परियोजना का काम आगे बढ़ाया जाएगा. मोइरांग के बीजेपी नेता पृथ्वीराज मानते हैं कि सरकार लेक पर आधारित पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है. गोल्फ कोर्स और रिजार्ट के लिए जमीन की शिनाख्त कर ली गई है. देशी-विदेशी पर्यटकों के आने से राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी. लेकिन फिलहाल योजना पर अंतिम फैसला नहीं किया गया है.

नजदीकी मोइरांग सीट से कांग्रेस उम्मीदवार पी. शरतचंद्र कहते हैं, "पर्यावरण स्थानीय लोगों के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा है. स्थानीय लोग पीढ़ियों से पारंपरिक तरीके से मछली पालन के जरिए अपनी आजीविका चलाते रहे हैं. उनको विस्थापन का अंदेशा है.” वह कहते हैं कि स्थानीय लोगों की शंका को दूर करने के बाद ही इस दिशा में कोई पहल की जानी चाहिए.

लोकटक विकास प्राधिकरण का पुनर्गठन भी चुनावी मुद्दा तस्वीर: PRABHAKAR/DW

रामसर कन्वेंशन के तहत लोकटक लेक एक संरक्षित क्षेत्र है. अदालत वर्ष 2017 से ही इस मुद्दे की निगरानी कर रही हैं. उसने वर्ष 2018 से लोकटक इनलैंड वॉटरवेज डेवलपमेंट प्रोजेक्ट और ईको-टूरिज्म प्रोजेक्ट पर रोक लगा रखी है. राज्य सरकार की दलीलों के बाद अक्तूबर 2020 में आंशिक रूप से स्थागनादेश हटा लिया गया था. सरकार की दलील थी कि इनलैंड वॉटरवेज प्रोजेक्ट की मंजूरी केंद्र सरकार ने दी है. इसी तरह एशियाई विकास बैंक ने लोकटक ईको-टूरिज्म परियोजना के लिए वित्तीय सहायता की मंजूरी दे दी है.

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