ब्राजील अब उन देशों में शामिल हो गया है जहां नेशनल टीम में खेलने वाली महिला फुटबॉलरों को पुरुषों के बराबर वेतन मिलेगा. खेलों में लैंगिक आधार पर भेदभाव का इतिहास रहा है लेकिन हाल के सालों में इसमें थोड़ा सुधार दिखा है.
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महिला और पुरुषों की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के सभी खिलाड़ियों को बराबर वेतन दिए जाने की घोषणा कर ब्राजील विश्व के कुछ गिने चुने देशों में शामिल हो गया है. अब तक केवल ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे और न्यूजीलैंड में ही ऐसा हुआ था. ब्राजील के राष्ट्रीय फुटबॉल एसोसिएशन, सीबीएफ के अध्यक्ष रोजेरियो काबोक्लो ने यह घोषणा करते हुए कहा, "सीबीएफ ने महिला और पुरुष फुटबॉल टीमों के लिए इनाम की राशि और दूसरे भत्ते बराबर कर दिए हैं, इसका मतलब हुआ कि महिला खिलाड़ी भी पुरुष खिलाड़ियों जितना ही कमाएंगी.” इस बराबरी की नीति पर जोर देते हुए काबोक्लो ने कहा, "लिंग के आधार पर कोई अंतर नहीं है, क्योंकि सीबीएफ पुरुषों और महिलाओं के साथ बराबरी का व्यवहार करता है.”
इन बदलावों के बाद अब ब्राजील की महिला टीम की कम मशहूर खिलाड़ी भी देश की राष्ट्रीय टीम में खेलने वाले और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नेमार जूनियर, थिएगो सिल्वा, रोबेर्तो फर्मिंगो के बराबर वेतना पा सकेंगी. ब्राजील की पुरुष टीम देश को रिकॉर्ड पांच बार फुटबॉल का विश्व कप जिता चुकी है. वहीं महिला टीम भी खेल में बेहतरीन मानी जाती है लेकिन महिलाओं के कई दूसरे खेलों की तरह इन्हें ना तो उतने विज्ञापन मिलते हैं, ना ही प्रायोजक और ना ही इनके खेलों को उतने दर्शक. सन 2007 में ब्राजील की महिला टीम ने विश्व कप का फाइनल खेला था और उसके पहले 2004 और 2008 में ओलंपिक खेलों के फाइनल में भी पहुंची थी. अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलंपिक मुकाबले और उसके बाद विश्व कप मुकाबले में ब्राजील की महिला फुटबॉल टीम खेलने वाली है और इस नए फैसले का मतलब हुआ कि इन सब मुकाबलों में वे पुरुष समकक्षों के बराबर ही पैसे भी कमाएंगी.
बाकी दुनिया और भारत के हालात
ब्राजील का यह फैसला एक अमेरिकी अदालत के उस निर्णय के कुछ ही महीने बाद आया है, जिसमें जज ने अमेरिकी महिला टीम के बराबर कमाई वाले मुकदमे को खारिज कर दिया था. मौजूदा विश्व चैंपियन, अमेरिकी महिला टीम ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है. इधर, यूरोप के सबसे मशहूर 16 फुटबॉल क्लबों के पास इस समय पुरुषों के अलावा महिला फुटबॉल टीम भी हैं. हाल ही में रियाल मैड्रिड भी एक छोटे से क्लब ‘डेपोर्टिवो टाकोन' को खरीद कर इस सूची में जुड़ गया है. बड़े यूरोपीय क्लबों में अब केवल बोरूसिया डॉर्टमुंड ही रह गया है जिसकी कोई महिला टीम नहीं है.
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ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन, एआईएफएफ के महासचिव कुशाल दास ने भारत में फुटबॉल खिलाड़ियों के भुगतान के बारे में डीडब्ल्यू को बताया कि "फेडरेशन पुरुष या महिला राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों को कोई वेतन नहीं देता है. सैलरी वे क्लब देते हैं जिनके लिए वे खेलते हैं.” उन्होंने कहा कि भारत में अभी ऐसी व्यवस्था है कि "जब भी कोई कैंप आयोजित हो या टूर्नामेंट कराया जाए, तब एआईएफएफ विमान के खर्च से लेकर, रहने, खाने और मेडिकल तक का पूरा खर्च उठाता है." दास ने जानकारी दी कि इसके ऊपर से सभी खिलाड़ियों को दैनिक भत्ता मिलता है और "सुविधाओं और दैनिक भत्ते के हिसाब से पुरुषों और महिलाओं में कोई फर्क नहीं है.” मुकाबला जीतने पर मिलने वाला विनिंग बोनस खिलाड़ियों के प्रदर्शन और टूर्नामेंट के स्तर के हिसाब से होता है और इसमें भी महिला और पुरुष खिलाड़ियों में कोई भेदभाव नहीं किया जाता.
ब्राजील का नाम आते ही जेहन में फुटबॉल और कार्निवाल घुमड़ने लगता है. लेकिन ब्राजील के कई और रंग हैं. जानिए विदेशी पत्रकारों की नजर से ब्राजील को.
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ब्राजीलियाई जुगाड़
मुश्किलों या बाधाओं को बड़े ही रोचक ढंग से सुलझा लेना, ब्राजील में ऐसा अकसर होता है. जब किसी को यह लगता है कि उसने सब कुछ करके देख लिया लेकिन उपाय नहीं मिल रहा है, तब ब्राजीलियाई जुगाड़ काम आता है. लेकिन ऐसा हमेशा अच्छे काम के लिए ही नहीं होता.
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देरी से आना जाना आम बात
अगर आप किसी ब्राजीलियाई शख्स से मिलने वाले हैं तो बहुत संभव है कि वह कुछ मिनट देर से ही आएगा, कभी कभी कुछ घंटे की देरी भी हो सकती है. ब्राजील में ऐसा होना आम बात है.
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भंयकर ठंडी बीयर
ब्राजील में अगर बीयर बहुत ही ज्यादा ठंडी न हो तो लोग भौंहे सिकोड़ सकते हैं. वहां बीयर भी बड़ी बोतल में मिलती है और गिलास में उड़ेलकर बांटी जाती है.
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चावल और बीन की दीवानगी
ब्राजील में मेहमानों की आवभगत के दौरान आप भले ही कितने ही प्रकार का भोजन परोसें, इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. लेकिन चावल और बीन्स आपको परोसने ही होंगे. ब्राजील के लोगों को चावल और बीन्स बहुत पंसद है.
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सांबा
ब्राजील में सिर्फ सांबा ही नहीं होता. देश में कई तरह के डांस लोकप्रिय हैं. लेकिन विदेशों में सांबा ही सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं. हालांकि सारे ब्राजीलियाई सांबा करते होंगे, ये समझना गलत है.
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कार्निवाल का देश
ब्राजील का जिक्र आते ही जेहन में कार्निवाल भी आता है. दुनिया भर का मीडिया इसे कवर करता है. लेकिन आधे से ज्यादा ब्राजीलियाई कहते हैं कि कार्निवाल से उनका कोई लेना देना नहीं.
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धैर्य और उम्मीद
निराशा हाथ लगने पर ब्राजील के लोग आम तौर पर चिंता में नहीं डूब जाते. उन्हें लगता है कि "अंत में सब ठीक हो जाएगा" और इसी उम्मीद में वे इंतजार करते हैं. गैलप ने 138 देशों में सर्वे करने के बाद ब्राजील के लोगों को सबसे ज्यादा आशावादी करार दिया.
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बातचीत और मस्तमौला
ब्राजील के लोग जीवन का आनंद लेना जानते हैं, उन्हें बातचीत करना, मुलाकातें करना और साथ में खाने पीने का शौक होता है. हालांकि यह कह देना कि सारे ब्राजीलियाई ऐसे ही होते हैं, गलत होगा.
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शर्म या झिझक
ब्राजीलियाई विवाद या मतभेद की स्थिति में साफ साफ बात नहीं करते. वो शांत रहकर स्थिति को टालने की कोशिश करते हैं. विनम्र होना अच्छा है लेकिन सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस होना चाहिए.
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सोशल नेटवर्किंग का खुमार
व्हाट्सऐप, फेसबुक, स्नैपचैट या इंस्टाग्राम आप जो नाम लेंगे आपको ब्राजील के लोग वहां दिखाई पड़ेंगे. जर्मनी में लोग सोशल मीडिया पर बहुत ही पर्सनल जानकारी देने से बचते हैं, लेकिन ब्राजीलियाई सब कुछ बताते हैं. 2012 के शोध के मुताबिक फेसबुक की सबसे ज्यादा लत ब्राजील के लोगों को ही लगी है.
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पुरुष प्रधान समाज
ब्राजीलियाई पुरुष प्यार का इजहार करने से चूकते नहीं है. पार्टी में अगर कोई सिंगल महिला हो तो कोई न कोई उससे फ्लर्ट करने की कोशिश जरूर करेगा. ब्राजील के समाज में पुरुष प्रधानता साफ झलकती है. महिला अगर इनकार कर दे तो मर्द बड़ी मुश्किल से इस बात को हजम कर पाते हैं.
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रंग बिरंगा लोकतंत्र
इतालवी, जर्मन, जापानी, अफ्रीकी, पुर्तगीज या ब्राजीलियाई मूल के लोग, ब्राजील इन्हीं से मिलकर बना है. यूरोपीय देशों को भले ही आप्रवासियों का समाज में समेकन मुश्किल लगे लेकिन ब्राजील में यह बड़े आराम से दिखाई पड़ता है. लेकिन इसके बावजूद अश्वेत लोगों के साथ वहां भी भेदभाव की शिकायतें आती रहती हैं.
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खूबसूरती की जंग
परफेक्ट नाखून, हफ्ते में एक बार ब्यूटी पार्लर का चक्कर लगाना और फिर दर्पण के सामने घंटों बिताना. ब्राजील की महिलाओं को खुद को संवारना बेहद पंसद है. कॉस्मेटिक कंपनी एवोन के अंतरराष्ट्रीय शोध के मुताबिक दुनिया भर में ब्राजील की महिलाएं ही अपनी सुंदरता की सबसे ज्यादा परवाह करती हैं.
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गर्व और शर्म एक साथ
ब्राजील के लोगों को अपनी राष्ट्रीयता पर गर्व भी होता है और शर्म भी आती है. एक तरफ लोग जहां ब्राजील की संस्कृति और हर चीज से प्यार करते हैं. वहीं दूसरी तरफ उन लोगों को अपने देश पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं है. लेखक नेलसन रोड्रिगेज इसे ब्राजीलियाई लोगों का "मट कॉम्पेक्स" कहते हैं.