सूखे से निबटने में किसानों की मदद
६ जून २०१९Equipping farmers to deal with drought
इराक: जहां पहले कभी नदी बहती थी
इराक: जहां पहले कभी नदी बहती थी
इराक में अक्सर सूखा पड़ता है लेकिन वर्षा न होने, राजनीतिक विवाद और तुर्की में बांध बनाए जाने के कारण स्थिति और बिगड़ गई है.
झुलसी धरती
दक्षिण इराक में मेसोपोटेमिया का दलदली इलाका रेगिस्तान के सागर में विरला आर्द्र इलाका है. यहां टिगरिस यूफ्रेट्स की नदियों का पानी आता है. इराक में अक्सर सूखा पड़ता है लेकिन वर्षा न होने, राजनीतिक विवाद और तुर्की में बांध बनाए जाने के कारण स्थिति और बिगड़ गई है.
खाद्य की कमी
अल चिबाइश शहर के निकट सूखे खेतों में भैंसों को चारा खोजने में संघर्ष करना पड़ता है. इस इलाके में गर्मियों में तापमान अक्सर 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है. जलवायु परिवर्तन के निशान साफ दिखते हैं. सूखा आम हो गया है और मिट्टी की उर्वरता कम होती जा रही है.
अद्भुत संस्कृति
दलदली इलाकों में रहने वाले अरब मादान कहलाते हैं. यहां विभिन्न कबीले के लोग रहते हैं, उन्होंने एक अद्भुत संस्कृति विकसित की है जो दलदली इलाके की विविधता पर निर्भर करती है. सदियों से वे गुजारा चलाने के लिए भैंस पालने और मछली पकड़ने का काम कर रहे हैं.
स्थानीय अर्थव्यवस्था
ऊम हसन घर पर भैंस के दूध की मलाई बनाती हैं और आस पड़ोस के लोगों को बेचती हैं. इलाके की अर्थव्यवस्था दलदली जमीन के इर्द गिर्द घूमती है. भैंस पालने वाले किसान नावों के सहारे दूध पहुंचाते हैं. भैंस का चारा कम हो रहा है और साथ दूध का उत्पादन भी.
जहरीली धरती
इलाके की सूखी धरती पर रखी एक परंपरागत नाव. बहुत से लोग इस इलाके को बाइबल का इडन गार्डन का इलाका समझते हैं. ये दलदली इलाका कभी 15,000 वर्ग किलोमीटर हुआ करता था. 1991 में शिया विद्रोह के दौरान सद्दाम हुसैन ने इसमें जहर घोल दिया था. लोग इलाका छोड़कर भाग गए.
सूखे के शिकार
सूखे के कारण इलाके के जानवरों की जान जा रही है. सुमेरिया वंश के समय से ही भैंसों को इस दलदली इलाके में रखा जा रहा है. सुमेरिया काल में खेती, पटौनी और जानवरों को पालतू बनाने में हुए विकास के कारण ही मेसोपोटेमिया को मानव सभ्यता का पालना माना जाता है.
लुप्त होती मछलियां
हीबा, जैनब और हसन ने ये मछलियां पकड़ी हैं. पानी के निम्न स्तर के कारण ज्यादा मछलियां पकड़ में नहीं आती. उनका आकार भी छोटा होता जा रहा है. इलाके के लोग कभी मछलियां पकड़ने के लिए भालों का इस्तेमाल करते थे. मछलियों की बहुत सी प्रजातियां इस बीच लुप्त हो गई हैं.
भैंसों की चरवाही
इलाके का एक लड़का परिवार की भैंसों के साथ. परिवार के पास अब 15 भैंसें बची हैं. कई सारी कुपोषण और बीमारी का शिकार हो गई हैं. पुराने जमाने में भैंसे सुबह होने पर चरागाहों की ओर निकल जाती थीं और शाम में घर वापस लौटती थीं. अब चारा मिलना मुश्किल होता जा रहा है.