पिछले साल भौतिकशास्त्री स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल के बारे में एक नई जानकारी से वाकिफ करा कर विज्ञान जगत को चौंका दिया था. उन्होंने बताया कि ब्लैक होल के भीतर से बचकर निकलाना संभव हो सकता है.
अब तक की वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार ब्लैक होल ऐसी खगोलीय चीज है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश तक भी इसके खिंचाव से नहीं बच सकता. इसमें एक तरफ की सतह होती है जिसे इवेंट हॉरिजॉन यानि घटना क्षितिज कहा जाता है.
अब तक माना जाता था कि इसके आगोश में आई वस्तुएं बाहर नहीं निकल सकतीं. लेकिन स्टीफन हॉकिंग ने अपने नए शोध के हवाले से ब्लैक होल के बारे में मौजूदा ज्ञान में यह नई जानकारी जोड़ी है कि इससे निकल पाना संभव है.
इस महीने हॉकिंग का यह शोध प्रपत्र, फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हो गया है. इससे पहले जनवरी में इसका एक शुरुआती परिचय एक वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ था. पिछले साल इस विषय पर एक चर्चा के दौरान डॉ. हॉकिंग ने बताया था, ''...जैसा कि पहले इनके बारे में सोचा गया था कि ये अंतहीन कैदखाने हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर आपको लगे कि आप एक ब्लैक होल में फंस गए हैं तो हार मत मानें. वहां से बच निकलने का रास्ता है.''
हाकिंग की ओर से आई यह नई जानकारी ना केवल ब्लैकहोल की परिभाषा को बदल देगी बल्कि इस बात पर से भी पर्दा हट सकेगा कि ब्लैकहोल द्वारा निगल ली गईं वस्तुओं और जानकारियों का आखिर होता क्या है.
इस शोध से पहले हाकिंग की यह मान्यता थी कि ब्लैकहोल में समा गई सारी जानकारी खो जाती है. लेकिन अपनी समझदारी को विकसित करते हुए उन्होंने इस शोध में बताया है कि ब्लैक होल के भीतर समा गई जानकारियों के बारे में फिर से पता लगना संभव है.
अब तक की मान्यता के अनुसार वैज्ञानिकों का मानना था कि ब्लैक होल सपाट होते हैं. लेकिन हॉकिंग का कहना है कि ब्लैक होल असल में मुलायम बालों सरीखे अभामंडल से घिरे रहते हैं. ये रोएं उन सभी चीजों की जानकारी संजो कर रखते हैं जो भी ब्लैकहोल में जा समाती हैं.
हालांकि हॉकिंग के इस दावे का यह मतलब कतई नहीं है कि आप ब्लैकहोल में गोता लगाएं और दूसरी तरफ से साबुत जिंदा बच कर निकल जाएं. इसका मतलब यह है कि आपके शरीर के बजाय आपकी जानकारी वहां सुरक्षित रहेगी. जिसका बाहर रिसाव संभव है.
ब्लैक होल यानि कृष्ण विवर के बारे में पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है. घनघोर अंधेरे और उच्च द्रव्यमान वाले इन ब्लैक होल्स की तस्वीरें इस गैलेरी में.
तस्वीर: NASAब्लैक होल वास्तव में कोई छेद नहीं है, यह तो मरे हुए तारों के अवशेष हैं. करोड़ों, अरबों सालों के गुजरने के बाद किसी तारे की जिंदगी खत्म होती है और ब्लैक होल का जन्म होता है.
तस्वीर: cc-by-sa 2.0/Ute Krausयह तेज और चमकते सूरज या किसी दूसरे तारे के जीवन का आखिरी पल होता है और तब इसे सुपरनोवा कहा जाता है. तारे में हुआ विशाल धमाका उसे तबाह कर देता है और उसके पदार्थ अंतरिक्ष में फैल जाते हैं. इन पलों की चमक किसी गैलेक्सी जैसी होती है.
तस्वीर: NASAमरने वाले तारे में इतना आकर्षण होता है कि उसका सारा पदार्थ आपस में बहुत गहनता से सिमट जाता है और एक छोटे काले बॉल की आकृति ले लेता है. इसके बाद इसका कोई आयतन नहीं होता लेकिन घनत्व अनंत रहता है. यह घनत्व इतना ज्यादा है कि इसकी कल्पना नहीं की जा सकती. सिर्फ सापेक्षता के सिद्धांत से ही इसकी व्याख्या हो सकती है.
तस्वीर: NASA and M. Weiss (Chandra X -ray Center)यह ब्लैक होल इसके बाद ग्रह, चांद, सूरज समेत सभी अंतरिक्षीय पिंडों को अपनी ओर खींचता है. जितने ज्यादा पदार्थ इसके अंदर आते हैं इसका आकर्षण बढ़ता जाता है. यहां तक कि यह प्रकाश को भी सोख लेता है.
तस्वीर: X-ray: NASA/CXC/MIT/C.Canizares, M.Nowak; Optical: NASA/STScIसभी तारे मरने के बाद ब्लैक होल नहीं बनते. पृथ्वी जितने छोटे तारे तो बस सफेद छोटे छोटे कण बन कर ही रह जाते हैं. इस मिल्की वे में दिख रहे बड़े तारे न्यूट्रॉन तारे हैं जो बहुत ज्यादा द्रव्यमान वाले पिंड हैं.
तस्वीर: NASA and H. Richer (University of British Columbia)अंतरिक्ष विज्ञानी ब्लैक होल को उनके आकार के आधार पर अलग करते हैं. छोटे ब्लैक होल स्टेलर ब्लैक होल कहे जाते हैं जबकि बड़े वालों को सुपरमैसिव ब्लैक होल कहा जाता है. इनका भार इतना ज्यादा होता है कि एक एक ब्लैक होल लाखों करोड़ों सूरज के बराबर हो जाए.
तस्वीर: NASA/CXC/MIT/F.K. Baganoff et alब्लैक होल देखे नहीं जा सकते, इनका कोई आयतन नही होता और यह कोई पिंड नहीं होते. इनकी सिर्फ कल्पना की जाती है कि अंतरिक्ष में कोई जगह कैसी है. रहस्यमय ब्लैक होल को सिर्फ उसके आस पास चक्कर लगाते भंवर जैसी चीजों से पहचाना जाता है.
तस्वीर: X-ray: NASA/CXC/Wisconsin/D.Pooley & CfA/A.Zezas; Optical: NASA/ESA/CfA/A.Zezas; UV: NASA/JPL-Caltech/CfA/J.Huchra et al.; IR: NASA/JPL-Caltech/CfA1972 में एक्स रे बाइनरी स्टार सिग्नस एक्स-1 के हिस्से के रूप मे सामने आया ब्लैक होल सबसे पहला था जिसकी पुष्टि हुई. शुरुआत में तो रिसर्चर इस पर एकमत ही नहीं थे कि यह कोई ब्लैक होल है या फिर बहुत ज्यादा द्रव्यमान वाला कोई न्यूट्रॉन स्टार.
तस्वीर: NASA/CXCसिग्नस एक्स-1 के बी स्टार की ब्लैक होल के रूप में पहचान हुई. पहले तो इसका द्रव्यमान न्यूट्रॉन स्टार के द्रव्यमान से ज्यादा निकला. दूसरे अंतरिक्ष में अचानक कोई चीज गायब हो जाती. यहां भौतिकी के रोजमर्रा के सिद्धांत लागू नहीं होते.
तस्वीर: NASA/CXC/M.Weissयूरोपीय दक्षिणी वेधशाला के वैज्ञानिको ने हाल ही में अब तक का सबसे विशाल ब्लैक होल ढूंढ निकाला है. यह अपने मेजबान गैलेक्सी एडीसी 1277 का 14 फीसदी द्रव्यमान अपने अंदर लेता है.
तस्वीर: ESO/L. Calçadaब्लैक होल के पार देखना कभी खत्म नहीं होता. ये अंतरिक्ष विज्ञानियों को हमेशा नई पहेलियां देते रहते हैं.
तस्वीर: NASA/CXC/SAO/A.Prestwich et al