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समाज

काबुल से लौटकर बोला व्यक्तिः भारत स्वर्ग है

१९ अगस्त २०२१

अफगानिस्तान से भारत पहुंचने के बाद एक व्यक्ति के पहले शब्द थेः वहां से लौटकर मैं बहुत खुश हूं. भारत तो स्वर्ग है.

तस्वीर: AFP/Getty Images

काबुल में भारतीय दूतावास के लोहे के बने मुख्य गेट के बाहर तालिबान के लड़ाकों का एक दस्ता इंतजार कर रहा था. उनके हाथों में मशीन गन, रॉकेट लॉन्चर और ग्रेनेड लॉन्चर जैसे हथियार थे.

अंदर लगभग 150 लोग थे जिनकी चिंता और घबराहट बढ़ती जा रही थी. इनें भारत के कूटनीतिक कर्मचारी और कुछ अन्य नागरिक थे. वे टीवी पर तालिबान के बढ़ते नियंत्रण की खबरें देख रहे थे. भारतीय कर्मचारियों और अन्य नागरिकों के लिए हालात आसान नहीं थे.

तालिबान से आग्रह

पाकिस्तान काफी लंबे समय से तालिबान का समर्थक रहा है जबकि भारत ने पूरी ताकत से अफगानिस्तान की लोकतांत्रिक सरकारों का समर्थन किया था. इस कारण भारत के बारे में तालिबान की राय को लेकर संदेह था.

लेकिन दूतावास के बाहर खड़े तालिबानी लड़ाके भारत के प्रति किसी तरह का गुस्सा जाहिर करने नहीं आए थे. वे भारतीयों को काबुल एयरपोर्ट तक सुरक्षित छोड़ने के लिए आए थे. एयरपोर्ट पर एक सैन्य विमान इन लोगों का इंतजार कर रहा था.

सबसे पहले जत्थे के रूप में लगभग एक दर्जन वाहन सोमवार देर शाम दूतावास से बाहर निकले. इनमें से एक में एएफपी का एक संवाददाता भी था. तालिबानी लड़ाकों ने इन वाहनों में सवार लोगों की ओर मुस्कुराकर हाथ हिलाए. एक लड़ाके ने एयरपोर्ट की ओर जाने वाली सड़क की तरफ इशारा कर वाहनों को उधर जाने के लिए कहा.

दूतावास ने तालिबान से एयरपोर्ट तक ले जाने में मदद मांगने का फैसला तब किया था जब शहर के उस इलाके को तालिबानी लड़ाकों ने घेर लिया था, जहां विभिन्न देशों के दूतावास हैं. ग्रीन जोन कहे जाने वाले इस इलाके में आने-जाने पर पाबंदी लगा दी गई थी.

जान हलक में

अफगानिस्तान का तालिबान पर पूरी तरह नियंत्रण होने से पहले ही करीब 50 लोग भारत के लिए निकल गए थे. सोमवार को जो जत्था निकला, उसमें शामिल एक कर्मचारी ने बताया, "जब हम दूसरे ग्रुप को निकाल रहे थे तो तालिबान ने हमें रोक लिया. उन्होंने हमें ग्रीन जोन से बाहर नहीं जाने दिया. उसके बाद हमने तालिबान से संपर्क कर उन्हें हमें एयरपोर्ट छोड़ आने के लिए कहने का फैसला किया.”

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पहले दिन दो अलग-अलग दस्तों को निकाल पाना संभव नहीं हो पाया, इसलिए बड़ी संख्या में लोग दूतावास में जमा हो गए. आखिरकार सोमवार शाम को तालिबान के हथियारबंद लड़ाकों के साथ ये लोग दूतावास से एयरपोर्ट की पांच किलोमीटर लंबी यात्रा पर निकल पाए.

यह यात्रा बहुत धीमी थी और इसमें पांच घंटे लगे. एयरपोर्ट की ओर जाने वाली सड़क पर कारों का रेला था जिसने उसे जाम कर दिया था. वाहन लगभग रेंग रहे थे. और हर पल के साथ वाहनों में सवार लोगों की बेचैनी बढ़ रही थी.

बीच-बीच में भारतीय वाहनों के साथ चल रहे तालिबान अपनी गाड़ियों से उतरकर भीड़ की ओर बंदूकें तान देते और उन्हें पीछे हटने को कहते. उनके कमांडर जैसे लग रहे एक लड़ाके ने तो हवा में कुछ गोलियां भी दागीं.

एयरपोर्ट से भारत तक

एयरपोर्ट पहुंचने के बाद तालिबान लड़ाके वापस चले गए. वहां अमेरिकी सैनिकों ने एयरपोर्ट की जिम्मेदारी संभाल रखी थी और वही लोगों को उनके विमानों की ओर भेज रहे थे.

भारतीय जत्थे को हवाई अड्डे पर लगभग दो घंटे इंतजार करना पड़ा. इसके बाद वे भारतीय सेना के एक मालवाहक जहाज सी-7 पर पर सवार हुए जिसने मंगलवार सुबह उड़ान भरी और गुजरात में एक सैनिक हवाई अड्डे पर उतरा.

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विमान से उतकर एयर इंडिया के एक कर्मचारी शिरीन पथारे ने कहा, "लौटकर मैं बहुत खुश हूं. भारत स्वर्ग है.”

अपनी दो साल की बच्ची को गोद में लिए एक अन्य व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "यहां के लिए निकलने से कुछ घंटे पहले ही तालिबान मेरे दफ्तर आए थे. वे बड़े आराम से बात कर रहे थे. लेकिन जब वे गए तो हमारी दो गाड़ियां ले गए. मैं तभी समझ गया था कि मेरे और मेरे परिवार के लिए यहां से निकलने का वक्त आ गया है.”

वीके/एए (एएफपी)

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