क्या चीन को पश्चिम की तरफ मोड़ सकेगा ईयू-चीन सम्मेलन
१ अप्रैल २०२२
यूरोपीय संघ के कई देश चीन को चेतावनियां दे चुके हैं तो बीजिंग ईयू के कुछ नेताओं को ब्लैकलिस्ट कर चुका है. ब्रसेल्स में ईयू-चीन सम्मेलन इसी कड़वाहट के बीच हो रहा है.
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यूक्रेन पर रूस का हमला और इस हमले पर चीन की चुप्पी, मौजूदा दुनिया की इस तस्वीर में यूरोपीय संघ और बीजिंग के बीच बढ़ती कलह भी छुपी है. चीन ने यूक्रेन युद्ध के और ज्यादा भड़कने की आशंका पर चिंता जताई है. युद्ध की जड़ कहां है, इसे लेकर यूरोपीय संघ और चीन का रुख बिल्कुल उल्टा है. चीन भी रूस का समर्थन करते हुए युद्ध के लिए नाटो की विस्तारवादी नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रहा है. वहीं यूरोपीय संघ और पश्चिमी देश रूस के आक्रामक रवैये को समस्या की जड़ मान रहे हैं.
ईयू-चीन सम्मेलन से ठीक पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने जर्मनी के फ्योनिक्स टीवी चैनल से बात करते हुए कहा, "चीन और रूस के रिश्ते सफलता से आगे बढ़ते जा रहे हैं." लेकिन इस बयान से कुछ ही दिन पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कह चुके है कि उनका देश शांति के साथ खड़ा है और युद्ध का विरोध करता है.
सम्मेलन में यूरोपीय संघ के अधिकारी चीन के साथ यूक्रेन युद्ध पर बातचीत करेंगे. फिनलैंड की प्रधानमंत्री साना मारीन ने तो पहले ही कह दिया है कि, "हमें इस बात की पुष्टि करनी होगी कि चीन इतिहास में सही पक्ष के साथ रहे."
यूरोपीय काउंसिल ने एक बयान जारी कर कहा है कि ईयू, चीन के साथ मानवाधिकारों के मसले पर भी बातचीत जारी रखने की कोशिश करेगा. एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के साथ, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 महामारी जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी.
एंड्रयू स्मॉल, बर्लिन में जर्मन मार्शल फंड ऑफ द यूएस के चीन मामलों के एक्सर्ट हैं. स्मॉल को लगता है कि इस सम्मेलन में यूरोपीय संघ चीन को चेतावनी देने की कोशिश करेगा, "पिछले कुछ हफ्तों में हमने यूरोपीय नेताओं के ऐसे कई बयान देखे हैं जो रूस के साथ चीन की गाढ़ी होती दोस्ती पर चिंता जताते हैं."
डीडब्ल्यू से बात करते हुए स्मॉल ने कहा, "ईयू के नेता इस बात को लेकर जागरुक हो चुके हैं कि चीन के साथ संबंधों को फिर से लंबे समय के मुताबिक साधने की जरूरत है. रूस के हमले ने ईयू देशों को पड़ोसियों के लिए सैन्य खतरा बनने वाले अधिकारवादी देशों पर निर्भरता के जोखिम दिखा दिए हैं."
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप में चीन मामलों की वरिष्ठ समीक्षक अमांडा हसियाओ की राय अलग है. डीडब्ल्यू से बातचीत में वह कहती हैं, "चीन चाहेगा कि यूरोप के साथ इस सम्मेलन के बाद ईयू के नेता यूक्रेन मुद्दे पर उसके रुख को समझें और ईयू-चीन रिश्तों के भविष्य पर असर न पड़े."
यूरोपीय संघ-चीन के रिश्तों के सामने नई चुनौतियां
उईगुर मुसलमानों के प्रति चीन के दमनकारी व्यवहार की आलोचना करने के बाद से ही बीजिंग और यूरोपीय संघ के रिश्तों में खटास है. यूरोपीय संघ चीन की कारोबारी नीतियों की आलोचना कर चुका है. यूरोपीय संघ के देश लिथुएनिया के साथ कारोबार पर चीन प्रतिबंध लगा चुका है. 2021 में चीन ने यूरोपीय संघ के कुछ नेताओं पर भी प्रतिबंध लगाए थे. इन कदमों के बाद दोनों पक्षों के बीच कड़वाहट और बढ़ गई.
जर्मन राजनेता राइनहार्ड ब्यूटिकोफर यूरोपीय संसद के चीनी प्रतिनिधि मंडल के प्रमुख हैं. ब्यूटिकोफर को नहीं लगता कि इस सम्मेलन में चीन और यूरोपीय संघ विवादों को सुलझा सकेंगे. वह कहते हैं, "मुझे उम्मीद है कि यूरोप दो टूक अंदाज में बात करेगा और चीन के साथ सभी मसलों को स्पष्टता से सामने रखेगा, इनमें चीन अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी के तहत हांगकांगवासियों की आजादी का दमन और ताइवान के साथ चीन का व्यवहार भी शामिल है. लेकिन मैं यह उम्मीद नहीं करता कि इस सम्मेलन के आखिर में प्रतिबंधों को वापस लेने जैसे नतीजे सामने आएंगे."
चीन ने बीते साल यूरोपीय संघ के जिन पांच नेताओं को ब्लैकलिस्ट किया, उनमें ब्यूटिकोफर भी शामिल हैं. यह कदम ईयू द्वारा मानवाधिकारों को लेकर चीन की आलोचना करने के बाद उठाया गया. ब्यूटिकोफर कहते हैं, "उन प्रतिबंधों को लागू करने के बाद जो भी वार्ताएं हुई हैं, उनमें चीनियों ने कभी इस बात को स्वीकार ही नहीं किया कि अगल कदम उन्हें उठाना है."
हेग सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक स्ट्डीज (HCSS) में चीन मामलों के समीक्षक जोरिस टीर, इस मामले को कहीं ज्यादा संवेदनशील बता रहे हैं. उनके मुताबिक, चीन का रूस के प्रति झुकाव यूरोपीय संघ के लिए नई चुनौती बन रहा है. टीस कहते हैं, "चीन के पास निर्यात के लिए ईयू जैसा अहम बाजार है, चीन इसका इस्तेमाल जारी रखना चाहेगा. इस सम्मेलन से पता चलेगा कि चीन इस दिशा में संतुलन साधने के लिए क्या करता है, वह कैसे यूरोपीय संघ को अमेरिका से अलग करने की कोशिश करता है."
ईयू और नाटो के नेता साफ चेतावनी दे चुके हैं कि अगर चीन ने प्रतिबंधों से बचने में रूस की मदद की तो उसे नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं. टीर कहते हैं, "2022 में चीन, अमेरिका को साफ रूप से अपना प्रमुख शत्रु मानता है. अमेरिका चीन के अहम हितों को नुकसान पहुंचा रहा है, एक के बाद एक आए अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने कह दिया है कि उदारवादी लोकतंत्र ही अकेली कानूनसम्मत शासन प्रणाली है. ऐसे में ईयू की चीन को पश्चिम की तरफ झुकने की उम्मीद अधूरी रहेगी."
वहीं दूसरी तरफ रूस कई मामलों में चीन का पक्ष लेता रहा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन न तो चीन का मानवाधिकार रिकॉर्ड देखते हैं, ना ही व ताइवान या हांगकांग का जिक्र करते हैं. इसके ऊपर से रूस, ऊर्जा के भूखे चीन को सस्ता ईंधन भी मुहैया कराता है. साम्यवादी समाजवाद का नाता भी उन्हें एक दूसरे के करीब लाता है.
चीन मामलों के एक्सपर्ट एंड्र्यू स्मॉल कहते हैं कि चीन आर्थिक और सामरिक कारणों से यूरोप की अहमियत समझता है. लेकिन चीन चाहता है कि यूरोपीय संघ अमेरिका से अलग अपनी नीतियां बनाए.
रिपोर्ट: प्रिया शंकर
रूस-यूक्रेन युद्ध में कौन सा देश किसके साथ है
रूस कई फ्रंट से यूक्रेन पर हमला कर रहा है. हवाई बमबारियों के अलावा यूक्रेन पर क्रूज और बलिस्टिक मिसाइल भी दागे जाने की खबर है. पुतिन ने यूक्रेन की सेना से समर्पण करने को कहा है.
तस्वीर: Anatolii Stepanov/AFP
अमेरिका
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि दुनिया की प्रार्थना यूक्रेनी जनता के साथ है. उन्होंने रूस को चेताया, "राष्ट्रपति पुतिन ने जानबूझकर युद्ध शुरू किया है. इसके चलते होने वाली मौतों और बर्बादी का जिम्मेदार केवल रूस होगा. अमेरिका और साथी देश संगठित होकर मजबूती से इसका जवाब देंगे. पूरी दुनिया रूस को जिम्मेदार मानेगी."
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जर्मनी
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा, "24 फरवरी की यह तारीख यूक्रेन के लिए भीषण और यूरोप के लिए मायूस करने वाली है. हम रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाएंगे, ताकि रूसी नेतृत्व के आगे साफ हो जाए कि उन्हें इस हमले की बड़ी कीमत चुकानी होगी. पुतिन ने यह युद्ध शुरू करके गंभीर चूक की है. जर्मनी नाटो की प्रतिबद्धताओं के साथ खड़ा है."
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ब्रिटेन
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, "यूक्रेन में हो रही भीषण घटनाओं से मैं स्तब्ध हूं. आगे क्या करना है, इसपर मैंने राष्ट्रपति जेलेन्स्की से बात की है. बिना किसी उकसावे के यूक्रेन पर हमला करके राष्ट्रपति पुतिन ने खूनखराबे और बर्बादी का रास्ता चुना है. ब्रिटेन और हमारे सहयोगी डटकर इसका जवाब देंगे."
तस्वीर: Matt Dunham/AP Photo/picture alliance
फ्रांस
राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद एक आपातकालीन बैठक बुलाई. इस मुद्दे पर राष्ट्र के नाम उनका एक संदेश टीवी पर भी प्रसारित हुआ. इसमें माक्रों ने कहा, "फ्रांस, यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा." फ्रेंच विदेश मंत्री जॉं ईव लु द्रियॉं ने भी कहा कि फ्रांस, हर तरह से यूक्रेन को समर्थन देगा.
तस्वीर: John Thys/AP/picture alliance
चीन
चीन ने यूक्रेन पर किए गए रूसी हमले को 'आक्रमण' कहे जाने का विरोध किया है. विदेश मंत्री वांग यी ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को फोन भी किया. इसमें उन्होंने कहा कि चीन समझता है कि यूक्रेन मामले का अपना एक जटिल इतिहास है. उन्होंने लावरोव से यह भी कहा कि चीन सुरक्षा से जुड़ी रूस की जायज चिंताओं को भी समझता है.
तस्वीर: Keith Tsuji/ZUMA/picture alliance
कनाडा
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने रूसी हमले की निंदा की. उन्होंने कहा कि रूस को इस आक्रामकता की सजा मिलेगी. ट्रूडो बोले, "बिना किसी उकसावे के किया गया यह हमला यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है. हम रूस से अपील करते हैं कि वह अपनी सेना और प्रॉक्सी फोर्स को यूक्रेन से निकाल ले."
तस्वीर: Adrian Wyld/empics/picture alliance
तुर्की
राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ने हमले की निंदा की. टीवी पर प्रसारित अपने भाषण में एर्दोआन ने कहा, "हम यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करना जारी रखेंगे." एर्दोआन ने यह भी कहा कि रूस और यूक्रेन, दोनों से तुर्की के करीबी संबंध हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच संघर्ष देखकर उन्हें बहुत निराशा हो रही है.
तस्वीर: Irina Yakovleva/ITAR-TASS/imago images
भारत
इस मामले पर अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान नहीं आया है. मगर यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने यूएनएससी में भारत का रुख स्पष्ट किया. उन्होंने मौजूदा घटनाक्रम पर दुख जताते हुए तनाव को तत्काल घटाने की अपील की. यह भी कहा कि सभी संबंधित पक्षों की जायज सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
दक्षिण कोरिया
राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा कि उनका देश रूस पर लगाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों का साथ देगा. राष्ट्रपति आवास ने एक बयान जारी कर कहा, "यूक्रेन की आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रहनी चाहिए. ताकत का इस्तेमाल करके निर्दोषों को नुकसान पहुंचाने का किसी हाल में समर्थन नहीं किया जा सकता है."
तस्वीर: Yonhap/REUTERS
ईरान
विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दोल्लाहियां ने एक ट्वीट में लिखा कि ईरान समस्या सुलझाने के लिए युद्ध का सहारा लेने में यकीन नहीं करता है. ईरान ने नाटो के उकसावे को यूक्रेन संकट की जड़ बताते हुए राजनैतिक और कूटनीतिक समाधान की अपील की.
तस्वीर: Michael Gruber/AP Photo/picture alliance
इटली
इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी ने कहा कि सारे सहयोगी एकजुट हैं. यूक्रेन की संप्रभुता, यूरोपीय सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और साझा मूल्य बनाए रखने के लिए जो भी करना पड़े, वे साथ मिलकर करेंगे. पीएम द्रागी ने यह भी कहा कि समय आ गया है कि यूरोपीय संघ रूस पर बेहद सख्त प्रतिबंध लगाए.
तस्वीर: ALBERTO PIZZOLI/AFP
हंगरी
प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने कहा कि यूरोपीय संघ और नाटो के अपने साथियों के साथ मिलकर हंगरी भी रूस के हमले की निंदा करता है. उन्होंने यह भी कहा कि हंगरी के लिए अपने लोगों की सुरक्षा सबसे जरूरी है. इसीलिए इस सैन्य संघर्ष से बाहर रहते हुए वह यूक्रेन को मानवीय सहायता देने के लिए तैयार है.
तस्वीर: Tamas Kovacs/MTI via AP/picture alliance
ग्रीस
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद ग्रीस ने अपनी सेना और एनर्जी स्टाफ की आपातकालीन बैठक बुलाई. इसमें प्रधानमंत्री किरयेकोस मित्सोताइकिस ने रूसी हमले की निंदा की. राष्ट्रपति कैटरीना सैकलारापुलू ने भी कहा कि एक आजाद देश पर किए गए रूसी हमले की वह कड़ी निंदा करती हैं.
तस्वीर: Ludovic Marin/AFP/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने रूसी हमले को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का उल्लंघन बताया. विदेश मंत्री याइर लैपिड ने रूस की निंदा करते हुए यह भी कहा कि इस्राएल के रूस और यूक्रेन, दोनों के साथ अच्छे रिश्ते हैं. उन्होंने दोनों देशों में रहने वाले यहूदियों की भी बात की. कहा कि उनकी सुरक्षा इस्राएल के लिए अहम है.