पेगासस: अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाने की मांग
१६ सितम्बर २०२१
यूरोपीय संघ के न्याय आयुक्त ने कहा है कि पेगासस स्पाईवेयर जासूसी विवाद के बाद कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और राजनेताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए तेजी से कानून बनाना चाहिए.
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यूरोपीय संघ के न्याय आयुक्त डिडियर रेयंडर्स ने यूरोपीय संसद से कहा है कि पेगासस स्पाईवेयर जासूसी विवाद के बाद कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और नेताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए तेजी से कानून बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अवैध फोन हैकिंग के अपराधियों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
रेयंडर्स ने यूरोपीय संसद के सदस्यों को बताया कि यूरोपीय आयोग ने राष्ट्रीय सुरक्षा सेवाओं द्वारा अपने फोन के माध्यम से राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ अवैध रूप से जानकारी जुटाने के कथित प्रयासों की "पूरी तरह से निंदा" की है.
रेयंडर्स ने कहा, "कोई भी संकेत है कि गोपनीयता की इस तरह की घुसपैठ वास्तव में हुई है तो इसकी पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए और संभावित उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए. यह निश्चित रूप से, यूरोपीय संघ के प्रत्येक सदस्य देश की जिम्मेदारी है." उन्होंने आगे कहा, "मुझे उम्मीद है कि पेगासस के मामले में सक्षम अधिकारी आरोपों की पूरी तरह से जांच करेंगे और भरोसा कायम करेंगे."
उन्होंने साथ ही कहा कि ईयू की कार्यकारी शाखा हंगरी के डेटा संरक्षण प्राधिकरण की जांच का बारीकी से पालन कर रही है, जिसमें दावा किया गया था कि प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की सरकार पत्रकारों, मीडिया मालिकों और विपक्षी नेताओं की पेगासस सॉफ्टवेयर के साथ निशाना बनाने वालों में शामिल थी.
पेगासस एक स्पाईवेयर है जिसके जरिए स्मार्टफोन्स हैक करके लोगों की जासूसी की जा सकती है. यह पहली बार नहीं है जब पेगासस का नाम जासूसी संबंधी विवादों में आया हो. 2016 में भी कुछ शोधकर्ताओं ने कहा था कि इस स्पाईवेयर के जरिए युनाइटेड अरब अमीरात में सरकार से असहमत एक कार्यकर्ता की जासूसी की गई.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थाओं जैसे वॉशिंगटन पोस्ट, गार्डियन और ला मोंड व जर्मनी में ज्यूडडॉयचे त्साइटुंग ने पेगासस जासूसी कांड की जांच में हिस्सा लिया था. जांच के बाद दावा किया गया है कि 50 हजार फोन नंबरों को जासूसी के लिए चुना गया था. इनमें दुनियाभर के 180 से ज्यादा पत्रकारों के फोन नंबर शामिल हैं.
इस बीच भारतीय सुप्रीम कोर्ट में पेगासस विवाद पर सुनवाई चल रही है. कोर्ट विभिन्न दिशा-निर्देशों की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. अगले कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट इस मामले में एक अहम आदेश जारी कर सकती है.
एए/सीके (एएफपी, एपी)
युद्ध के पक्के साथी जानवर
जीवन के दूसरे कई पहलुओं की ही तरह इंसान का जानवरों से युद्ध के मैदान में भी गहरा रिश्ता रहा है. कभी संदेश भेजने में तो कभी बम गिराने में, जानवरों ने इंसान के इशारे पर युद्धों में भी अहम भूमिका निभाई है.
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डॉल्फिन
सिटेशियन प्रजाति के डॉल्फिनों का इस्तेमाल दुनिया भर की नौसेनाएं समुद्रों की निगरानी के लिए करती आई हैं. उनकी सोनार शक्ति यानि ध्वनि तरंगें पैदा करने और उससे परिवर्तित कंपनों से किसी चीज का पता लगाने की क्षमता का इस्तेमाल पानी के नीचे मौजूद बारूदी सुरंगों का पता लगाने के लिए होता है, जिसे एकोलोकेशन कहते हैं.
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मधुमक्खी
नाराज होकर डंक मारने वाली मधुमक्खियां दुश्मनों के खिलाफ बहुत प्रभावी हथियार का काम करती है. प्राचीन काल में ग्रीक और रोमन योद्धा भी इनका इस्तेमाल करते थे. आधुनिक युद्धक हथियारों में इनकी काफी शांतिपूर्ण भूमिका है, जिसमें वे बारूदी सुरंगों का पता लगाती हैं.
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सी लायन
कैलिफोर्नियन सी लायन अमेरिकी नौसेना के उसी कार्यक्रम का हिस्सा हैं जिसमें डॉल्फिनों को रखा गया है. ये समुद्री स्तनधारी पानी के नीचे काम करने वाले जासूसों के तौर पर ट्रेन किए जाते हैं. ये माइनस्वीपर और स्काउट का काम भी करते हैं.
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चमगादड़
अमेरिकी नेवी में निशाचर प्राणियों को लेकर खास कार्यक्रम बना था, जिनमें से एक था बम बरसाने के लिए प्रशिक्षित चमगादड़ों का कार्यक्रम. लेकिन ट्रेनिंग में चमगादड़ों ने साथ नहीं दिया और विश्व युद्ध के समय अमेरिका की जापान पर चमगादड़ों से बम गिरवाने की योजना नहीं चल सकी.
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हाथी
धरती पर रहने वाले ये विशालकाय स्तनधारी हजारों सालों से सेना का हिस्सा रहे हैं. इसका सबसे पुराना प्रमाण आल्प्स में ईसापूर्व 218 में हानिबल मार्च में मिलता है. सेना में हाथियों का सबसे पहले इस्तेमाल भारत में हुआ माना जाता है.
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कुत्ते
इंसान का वफादार दोस्त कहलाने वाला कुत्ता सेना में भी कई तरह के काम करता है. बड़े आकार वाले खूंखार कुत्तों को तो दुश्मनों पर छोड़ा जा सकता है और वे अपनी सीमा की रक्षा भी करते हैं. आजकल इनका इस्तेमाल बमों का पता लगाने से लेकर संदेशवाहक, स्काउट और ट्रैकर के रूप में भी होता है.
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घोड़े
युद्ध के मैदान के जानवरों की सूची घोड़ों के बिना पूरी नहीं हो सकती. सैनिक संघर्षों में घोड़े बहुत पहले से शामिल रहे हैं. दुनिया की हर सभ्यता में घोड़ों का इस्तेमाल हुआ है. आधुनिक समय में उनकी जगह काफी हद तक टैंकों ने ले ली है.