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कानून और न्याययूरोप

गूगल पर यूरोप में 4.12 अरब यूरो का जुर्माना

१४ सितम्बर २०२२

प्रतिस्पर्धा के नियमों का उल्लंघन करने के मामले में यूरोपीय संघ की एक शीर्ष अदालत ने दिग्गज अमेरिकी टेक कंपनी गूगल को बस जरा सी राहत दी है.

गूगल बनाम यूरोपीय आयोग
तस्वीर: Metin Aktas/AA/picture alliance

यूरोपीय संघ की दूसरी बड़ी अदालत ईयू जनरल कोर्ट ने बुधवार को अमेरिकी टेक कंपनी गूगल और उसकी पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के मुकदमे में फैसला सुना दिया. कोर्ट ने गूगल और अल्फाबेट पर लगाये 4.34 अरब यूरो के जुर्माने में जरा सा कमी करते हुए इसे 4.125 अरब यूरो कर दिया.

करीब एक दशक पुराने इस मामले में यूरोपीय आयोग ने गूगल पर अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल करते हुए प्रतिस्पर्धा को खत्म करने का आरोप लगाया था. लंबी जांच के बाद आयोग ने गूगल को प्रतिस्पर्धा के नियमों का उल्लंघन करने का दोषी करार दिया और उस पर 4.34 अरब यूरो का एंटीट्र्स्ट फाइन ठोका. इस जुर्माने के खिलाफ 2018 में गूगल ने ईयू जनरल कोर्ट ने मुकदमा दायर किया. लेकिन अब लक्जमबर्ग स्थित ईयू जनरल कोर्ट से भी अमेरिकी कंपनी को राहत नहीं मिली है.

2009 में शुरू हुई गूगल के खिलाफ यूरोपीय आयोग में शिकायतेंतस्वीर: Andrew Kelly/REUTERS

क्या है पूरा मामला

2009 में एक पीआर फर्म  ने यूरोपीय आयोग से गूगल की शिकायत की. शिकायत में कहा गया कि गूगल अपने प्रभुत्व का गलत इस्तेमाल कर यूरोपीय संघ के प्रतिस्पर्धा संबंधी नियमों को तोड़ रहा है. दो साल के भीतर माइक्रोसॉफ्ट समेत कुछ और कंपनियां भी आयोग से गूगल के खिलाफ ऐसी ही शिकायतें करने लगीं. शिकायतों में यह भी कहा गया कि गूगल अपने सर्च इंजन के जरिए अपने ही प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देता है. जांच के दौरान यूरोपीय आयोग ने यह भी कहा कि दूसरे स्मार्टफोन निर्माताओं को गूगल सर्च का ऑप्शन तभी दिया जाता है, जब वे गूगल के और ऐप्स भी अपनी डिवाइसेस में शामिल करें. यूरोपीय आयोग के मुताबिक, स्मार्टफोन पर सिर्फ गूगल सर्च को प्रीइंस्टॉल करने के लिए गूगल ने पैसे भी दिए. आयोग का दावा है कि इन कदमों के जरिए दूसरे प्रतिस्पर्धी ऐप्स के विकास में बाधा डाली गई.

गूगल ने इन आरोपों से इनकार करते हुए यूरोपीय आयोग के जुर्माने के खिलाफ ईयू जनरल कोर्ट में मुकदमा दायर किया. बुधवार को जनरल कोर्ट ने अपने बयान में कहा वह, "अधिकांश रूप से आयोग के इस फैसले से सहमत है कि गूगल ने एंड्रॉयड मोबाइल डिवासेज निर्माताओं और मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर्स पर अपने सर्च इंजन के प्रभुत्व को मजबूत करने के लिए अवैध पाबंदियां लगाईं."

बड़ी टेक कंपनियों पर नकेल कसने की कवायद

जुर्माने की रकम को जरा सा कम करते हुए कोर्ट ने कहा, "उल्लंघन की गंभीरता और अवधि के लिहाज से, जनरल कोर्ट को लगता है कि गूगल पर 4.125 अरब यूरो का जुर्माना सही है, कुछ बिंदुओं पर कोर्ट आयोग से अलग राय रखता है."

गूगल चाहे तो जनरल कोर्ट के फैसले के खिलाफ, यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी अदालत कोर्ट ऑफ जस्टिस ऑफ द यूरोपियन यूनियन (सीजेईयू) में अपील कर सकता है. वह आखिरी अपील होगी.

गूगल, एमेजॉन, फेसबुक, एप्पल और माइक्रोसाफ्ट भी एंटीट्रस्ट कानून के लपेटे मेंतस्वीर: Hans Lucas/Imago Images

एकाधिकार और एंटीट्रस्ट कानून

अमेरिका, यूरोपीय संघ, भारत और चीन समेत कई देशों में इकोनॉमी को बेहतर बनाए रखने और दुरुपयोग को रोकने के लिए एंटीट्र्स्ट कानून हैं. मोटे तौर पर इन कानूनों के तहत बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जाता है. मार्केट इकोनॉमी का समर्थन करने वाले अर्थशास्री मानते हैं कि प्रतिस्पर्धा जितनी ज्यादा होगी, उतना ही ज्यादा फायदा ग्राहकों और नए आविष्कारों का मिलेगा.

इस प्रतिस्पर्धी माहौल को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि कोई ताकतवर कंपनी अपने प्रभुत्व का गलत इस्तेमाल ना करे. प्रतिस्पर्धी छोटी कंपनियों को दबाने या खरीदने, अनैतिक तरीकों से बाजार से प्रतिस्पर्धा को खत्म करने, दूसरी कंपनियों के साथ अवैध तरीके से कीमतें तय करने, किसी दूसरी कंपनी पर दवाब बनाने या अपनी ही सेवाओं को बढ़ावा देने जैसी तिकड़में एंटीट्र्स्ट कानूनों का उल्लंघन मानी जाती हैं.

गूगल ऐसी पहली कंपनी नहीं है जो एंटीट्रस्ट कानूनों के उल्लंघन की दोषी पाई गई है, माइक्रोसॉफ्ट, एमेजॉन, एप्पल, फेसबुक जैसी दिग्गज टेक कंपनियां भी इस कानून के लपेटे में आ चुकी हैं. अमेरिका और यूरोपीय संघ में इन कानूनों का सख्ती से पालन किया जाता है, कई देशों में यह कानून बस दिखावे के लिए हैं.

ओएसजे/एनआर (डीपीए, एपी, एएफपी)

 

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