यूरोपीय संघ इस्राएल के साथ अपने राजनीतिक और आर्थिक संबंधों की समीक्षा करने जा रहा है. इस बात की जानकारी यूरोपीय संघ की विदेश मामलों की प्रमुख काया कल्लास ने दी है.
यूरोपीय संघ की विदेश मामलों की प्रमुख काया कल्लास ने कहा है कि इस्राएल की ओर से गाजा में जिस मदद को जाने दिया गया है, वो समुद्र में एक बूंद के बराबर हैतस्वीर: Virginia Mayo/dpa/picture alliance
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यूरोपीय देशों ने इस्राएल से अपने राजनीतिक और आर्थिक संबंधों की समीक्षा की बात कही है. यह फैसला यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की मंगलवार को हुई बैठक के बाद लिया गया है. इस बात की जानकारी यूरोपीय संघ की विदेश मामलों की प्रमुख राजनयिक काया कल्लास ने दी. जानकार इसे छोटा लेकिन अहम कदम बता रहे हैं. इसके अलावा बुधवार को यूरोपीय संघ ने गाजा और वेस्ट बैंक के लिए 5 करोड़ यूरो की अतिरिक्त मदद की घोषणा भी की है. गाजा में जारी मानवीय संकट के बीच, इस्राएल पर दबाव बनाने के लिए कदम उठाए जाने की बढ़ती मांगों के बीच यूरोपीय संघ का इस्राएल के साथ राजनीतिक-आर्थिक संबंधों की समीक्षा का कदम, इस्राएल की सैन्य कार्रवाई को लेकर पहला औपचारिक कदम होगा.
असल में, इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू की गाजा में नए सिरे से सैन्य कार्रवाई की घोषणा के बाद वहां पैदा हुए मानवीय संकट के बीच यूरोपीय संघ पर भी इस्राएल के खिलाफ कदम उठाने का दबाव बढ़ा हुआ था.क्या सिर्फ कारोबारी सौदा है गाजा पर ट्रंप का प्रस्ताव
फलीस्तीनी न्यूज एजेंसी वफा के मुताबिक बुधवार सुबह से अब तक गाजा पट्टी इलाके में इस्राएल के हमलों से कम से कम 45 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में कई बच्चे भी हैं. एजेंसी ने गाजा के मेडिकल सूत्रों के हवाले से बताया है कि गाजा के उत्तर में जबालिया में, मध्य गाजा के दैर अल-बालाह में और दक्षिण गाजा के खान यूनुस में की गई एयरस्ट्राइक में ये मौतें हुई हैं. इस संबंध में अभी इस्राएल की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है. हालांकि पिछले हफ्ते इस्राएल की सेना की ओर से शुरू किए गए बड़े हमले में रोज ही कई लोगों की मौत हो रही है.
गाजा में हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा हैतस्वीर: Hatem Khaled/REUTERS
कई देशों और संस्थाओं ने की सैन्य कार्रवाई की आलोचना
इन नए हमलों के लिए इस्राएल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई है. आलोचना करने वाले देशों में इस्राएल के सहयोगी देश भी शामिल हैं. ब्रिटेन ने मंगलवार को इस्राएल के साथ व्यापार को लेकर चल रही बातचीत को रोक दिया है. ब्रिटेन ने इस्राएल के राजदूत को भी इस मामले में समन किया.
इसी क्रम में यूरोपीय संघ की ओर से इस्राएल के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा करने की बात कही गई. हालांकि काया कल्लास ने 11 हफ्ते लंबी घेराबंदी के बाद गाजा में मानवीय मदद पहुंचाने की अनुमति देने की खबर का स्वागत भी किया. लेकिन उन्होंने कहा कि यह मदद समुद्र में एक बूंद के बराबर है. साथ ही उन्होंने स्थिति को एक त्रासदी भी बताया. वहीं डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने सिर्फ बेहद कम मदद को गाजा तक पहुंचने देने के लिए इस्राएली प्रशासन की आलोचना की है. संगठन ने इसे एक दिखावा बताया है.
पोप लियो 14वें की पहली प्रार्थना सभा में गाजा, म्यांमार और यूक्रेन का जिक्र
कैथोलिक चर्च के प्रमुख के तौर पर पोप लियो 14वें ने रविवार को अपनी पहली प्रार्थना सभा में भाग लिया. दुनिया भर से कई राष्ट्राध्यक्षों और नामचीन हस्तियों समेत करीब दो लाख लोग इस मौके पर वैटिकन सिटी में जुटे.
तस्वीर: Alberto Pizzoli/AFP/Getty Images
कार्यकाल की शुरूआत
हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में पोप लियो 14वें को भेड़ की ऊन से बना लबादा और फिशरमेन रिंग (मछुआरे की अंगूठी) पहनाई गई. यह दोनों पोप के प्रतीक चिह्न हैं. फिशरमेन रिंग, पहले पोप सेंट पीटर की निशानी मानी जाती है जो पेशे से एक मछुआरे थे.
तस्वीर: Guglielmo Mangiapane/REUTERS
पहले अमेरिकी पोप
शिकागो में पैदा हुए और लंबे समय तक लैटिन अमेरिकी देश पेरू में मिशनरी रहे लियो 14वें अमेरिका से आने वाले पहले पोप हैं. उनका जन्म का नाम रॉबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट है और पोप की जिम्मेदारियां संभालते वक्त उनकी उम्र 69 साल है.
तस्वीर: Yara Nardi/REUTERS
पोप-मोबाइल पर सेंट पीटर स्क्वायर तक सवारी
पोप लियो 14वें ने पोप की खास गाड़ी 'पोप-मोबाइल' पर बैसिलिका से सेंट पीटर स्क्वायर तक का सफर किया और वहां दुनिया भर से आए मौजूद श्रद्धालुओं का अभिवादन स्वीकार किया.
तस्वीर: Matteo Ciambelli/REUTERS
चर्च की एकजुटता पर जोर
बतौर पोप अपनी पहली प्रार्थना सभा में लियो 14वें ने चर्च की एकजुटता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "प्यारे भाइयो और बहनो, मैं चाहता हूं कि यह हमारी सबसे पहली बड़ी ख्वाहिश हो: एकजुट चर्च, एकता और मेलजोल की एक निशानी जो मेल-मिलाप वाली दुनिया का जरिया बने."
तस्वीर: Tiziana Fabi/AFP/Getty Images
वैश्विक शांति का संदेश
पोप लियो 14वें ने कहा, "आस्था और मेलजोल की खुशी के बीच, हमें उन भाइयों और बहनों को नहीं भूलना चाहिए जो युद्ध के कारण पीड़ित हैं.
तस्वीर: Yara Nardi/REUTERS
आर्थिक लूट और गरीबी
पोप ने कहा,"हमारे समय में नफरत, हिंसा, पक्षपात, दूसरों से डर और पृथ्वी के संसाधनों को लूटने और गरीबों को किनारे धकेल देने वाले आर्थिक ढांचे के कारण हम बहुत ज्यादा फूट, बहुत सारे जख्म देख रहे हैं."
तस्वीर: Guglielmo Mangiapane/REUTERS
गाजा, म्यांमार और यूक्रेन का जिक्र
लियो 14वें ने कहा, "गाजा में बच्चे, परिवार और बुजुर्ग, जो बच गए हैं, वे भूख से परेशान हैं. म्यांमार में नई दुश्मनियों ने बेगुनाह जिंदगियां छीन ली हैं. यूक्रेन बेसब्री से एक इंसाफ और टिकाऊ शांति के लिए बातचीत का इंतजार कर रहा है."
तस्वीर: Domenico Stinellis/AP/picture alliance
विनम्रता और सेवा भाव
प्रार्थना सभा में मौजूद लोगों से लियो 14वें ने कहा, "मुझे बिना किसी योग्यता के चुना गया, और मैं आप तक डर कर और कांपते हुए आता हूं, एक भाई की तरह जो आपकी आस्था और खुशी का सेवक बनना चाहता है. और, ईश्वर के प्रेम के रास्ते पर आपके साथ चलना चाहता है, जो चाहता है कि हम सब एक परिवार हो जाएं"
तस्वीर: Remo Casilli/REUTERS
यूक्रेन और रूस के प्रतिनिधि वैटिकन में
लियो 14वें की पहली प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की वैटिकन पहुंचे हैं. रूस की तरफ से देश की संस्कृति मंत्री ओल्गा ल्यूबीमोवा वैटिकन पहुंची हैं.
तस्वीर: Guglielmo Mangiapane/REUTERS
यूक्रेन-रूस वार्ता के लिए वैटिकन की पेशकश
पोप ने यूक्रेन और रूस के बीच शांति वार्ता की जगह के तौर पर वैटिकन की पेशकश की है. प्रार्थना सभा के बाद पोप ने जेलेंस्की से निजी मुलाकात भी की. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद की पहली सीधी बैठक 16 मई को तुर्की के इस्तांबुल में हुई थी
जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स, अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वैंस, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, पेरू की राष्ट्रपति दीना बोलुआर्ते समेत कई देशों के राजपरिवार नए पोप की पहली प्रार्थना सभा के लिए वैटिकन पहुंचे.
तस्वीर: Remo Casilli/REUTERS
कैथोलिक चर्च के 267वें पोप
लियो 14वें, एक अरब से ज्यादा अनुयायियों वाले कैथोलिक चर्च के 267वें पोप हैं. कैथोलिक मत के शीर्ष धार्मिक नेता बनने के लिए लियो 14वें का चुनाव 8 मई 2025 को हुआ था. उनसे पहले पोप रहे फ्रांसिस का निधन 21 अप्रैल को ईस्टर मंडे के दिन हुआ था.
तस्वीर: Remo Casilli/REUTERS
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सच्चाई को लेकर यूरोपीय संघ की समझ गलत: इस्राएल
यूरोपीय संघ की ओर से इस्राएल के साथ संबंधों की समीक्षा की खबर के बाद इस्राएल ने काया कल्लास के बयान को नकारा है. इस्राएली विदेश मंत्री ने मंगलवार रात एक्स पर लिखा, "हम इस बयान में किए गए इशारे को पूरी तरह से खारिज करते हैं. यह दिखाता है कि इस्राएल जिस जटिल सच्चाई का सामना कर रहा है, उसे पूरी तरह से गलत समझा गया."
कथित तौर पर यूरोपीय संघ के दस देशों ने यूरोपीय संघ की इस समीक्षा का समर्थन नहीं किया है. इस्राएली विदेश मंत्री ने उनके प्रति आभार भी जताया.
गाजा में नहीं पहुंच रही पर्याप्त मदद
संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा गया था कि उसे गाजा में 100 ट्रक मदद भेजने की अनुमति मिल चुकी है. और धीरे-धीरे मानवीय मदद इलाके में पहुंच रही है. हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा था कि इलाके को रोज करीब 500 ट्रक मदद की जरूरत है. मार्च में इस्राएल ने गाजा स्थित आतंकवादी संगठन हमास के साथ अस्थाई सीजफायर को खत्म कर दिया था और इलाके में पहुंच रही मानवीय मदद रोकने के लिए प्रतिबंधों को बढ़ा दिया था.
गाजा के बॉर्डर पर मानवीय मदद पहुंचाने के लिए लगी हुई ट्रकों की कतारेंतस्वीर: REUTERS
अप्रैल में यूरोपीय संघ की ओर से गाजा और वेस्ट बैंक में फलीस्तीनियों की मदद के लिए 1.6 अरब यूरो के तीन साल के वित्तीय मदद पैकेज की घोषणा की गई थी. कल्लास ने कहा है कि इस मदद को रास्ता दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "यूरोपीय पैसे से यह मदद की जा रही है, और यह लोगों तक जरूर पहुंचनी चाहिए."
फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा ने जारी किया बयान
ब्रसेल्स में हुई इस बैठक से पहले फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा की ओर से गाजा में इस्राएल के नए हमलों को लेकर एक संयुक्त आलोचनात्मक बयान जारी किया गया था. इस आलोचना में इस्राएल की ओर से गाजा में मदद ना पहुंचने देने को पूरी तरह से असंगत बताया गया. बयान में यह भी कहा गया था कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का संभावित उल्लंघन भी है. बयान में चेतावनी दी गई थी कि अगर गाजा में मानवीय मदद पहुंचने की अनुमति नहीं दी गई तो आगे और भी मजबूत कदम उठाए जाएंगे. हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि वो कदम क्या होंगे.
पिछले 18 महीनों से इस्राएल लगातार कहता आया है कि गाजा में जारी सैन्य कार्रवाई 7 अक्टूबर, 2023 को हमास की ओर से इस्राएल पर किए गए हमले का उचित जवाब है. इस्राएल पर हुए इस हमले में 1,200 लोग मारे गए थे और 200 लोगों को बंधक बनाया गया था. इस्राएल अपनी कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत आत्मरक्षा की कार्रवाई कहता रहा है.
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स्पेन ने की प्रतिबंधों की मांग
यूरोपीय संघ के कुछ सदस्य देश, खासकर स्पेन, आयरलैंड, नीदरलैंड्स और फ्रांस ने इस्राएल से ईयू के रिश्तों की औपचारिक समीक्षा की मांग की है. ये रिश्ते ईयू-इस्राएल एसोसिएशन एग्रीमेंट के तहत आते हैं. संधि का अनुच्छेद 2 कहता है कि मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर मामलों में इसे निरस्त किया जा सकता है. फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां नोएल बारो ने मानवाधिकार उल्लंघन स्थापित हो जाने के मामले में इस अनुच्छेद को लागू किए जाने की संभावना जताई. वहीं स्पेन भी इस्राएल पर प्रतिबंधों की मांग कर चुका है.
यूरोपीय संघ के देशों जैसे जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी और चेकिया ने इस्राएल के आत्मरक्षा के अधिकार का अक्टूबर, 2023 से ही मजबूती से समर्थन किया है. ये देश इस्राएल के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से बचते रहे हैं.
दुनिया की दिक्कतें दिखाती वर्ल्ड प्रेस फोटो कॉन्टेस्ट की विजेता तस्वीरें
इस्राएली हमले में हाथ गंवाने वाले किशोर से लेकर थाईलैंड के उत्पाती बंदर तक वर्ल्ड प्रेस फोटो कॉन्टेस्ट के विजेता अपने कैमरे के लेंस से दुनिया का हाल बताते हैं. देखिये इस साल के विजेताओं की तस्वीर कौन-सी रही?
तस्वीर: Samar Abu Elouf/The New York Times
महमूद अजजूर, उम्र 9 साल — वेस्ट, सेंट्रल और साउथ एशिया, समर अबू एलौफ, द न्यूयॉर्क टाइम्स
गाजा के रहने वाले नौ साल के महमूद अजजूर की तस्वीर को सर्वश्रेष्ठ चुना गया. गाजा पर इस्राएली हमले में में महमूद का एक हाथ कट गया और दूसरा हाथ बुरी तरह घायल हो गया. अब वह अपने पैरों से खेलना, लिखना, दरवाजा खोलना और मोबाइल चलाना सीख रहे हैं.जूरी का कहना है, “इस फलीस्तीनी बच्चे की तस्वीर युद्ध के बाद लम्बे समय तक रहने वाले असर को दिखाती है और उन खामोशियों को उजागर करती है जो हिंसा को बढ़ावा देते हैं.”
यह तस्वीर दो फाइनलिस्ट तस्वीरों में एक है. एक नौजवान युवक ब्राजील के छोटे से गांव में अपनी मां के लिए खाना जुटाने सूखी पड़ी नदी के किनारे दो किलोमीटर पैदल चल कर जाता है. अमेजन क्षेत्र में सूखा पड़ने के कारण अब वहां नाव चलाना मुमकिन नहीं है. जूरी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट साफ तौर पर दिखाता है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा असर “कमजोर समुदायों पर पड़ता है, जो प्रकृति से बहुत गहराई से जुड़े होते हैं.”
तस्वीर: Musuk Nolte/Panos Pictures/Bertha Foundation
रात में पार- नॉर्थ और सेंट्रल अमेरिका, जॉन मूरे, गेट्टी इमेजेज
यह तस्वीर भी फाइनलिस्ट तस्वीर में से एक है. यह तस्वीर चीन से अमेरिका की ओर बढ़ते प्रवास को दिखाती है, जो कोविड-19 महामारी के बाद चीन को हुए भारी आर्थिक नुकसान के बाद तेजी से बढ़ा है. तस्वीर में लोग मेक्सिको-अमेरिका सीमा पर दिख रहे है, जिसमें एक मां अपने बच्चे को गले लगा रही है. जूरी ने कहा, “यह तस्वीर अनिश्चित भविष्य को लेकर सवाल उठाती है, जो इन लोगों के सामने है.”
तस्वीर: John Moore/Getty Images
जीवन और मृत्यु एक ऐसे देश में जहां संवैधानिक अधिकार नहीं - नॉर्थ और सेंट्रल अमेरिका, कार्लोस बैरेरा, एल फारो, एनपीआर
यह तस्वीर अल सल्वाडोर के सैंटा टेक्ला शहर में ली गई है. इसमें एक व्यक्ति को गिरफ्तार होते देखा जा सकता है. यह वही दिन था जब 2022 में अल सल्वाडोर ने "आपातकाल" की घोषणा की थी. इसके बाद लोगों के कई संवैधानिक अधिकार छीन लिए गए. बकौल सरकार यह कदम गैंगवार को रोकने के लिए उठाया गया लेकिन इसके बाद बड़ी संख्या में लोग जेल में डाले गए. फोटोग्राफर कार्लोस बैरेरा, इस कानून से प्रभावित लोगों की खबर रखते है.
तस्वीर: Carlos Barrera/El Faro/NPR
हौसलों को पूरा समर्थन- अफ्रीका, तेमिलोलुवा जॉनसन
नाइजीरिया में एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों से भेदभाव होता है और देश के "सेम-सेक्स मैरिज (प्रोहिबिशन) एक्ट" और "पीनल कोड" के तहत, समलैंगिक रिश्तों को दिखाने या लैंगिक पहचान से अलग व्यवहार करने पर 14 साल तक की सजा हो सकती है. फिर भी, कुछ लोग अपने आप को व्यक्त करने के रास्ते खोज ही लेते हैं. यह तस्वीर लागोस में हुए "अंडरग्राउंड बॉलरूम और ड्रैग इवेंट" की है, जो 2024 की प्राइड सेलिब्रेशन का हिस्सा था.
तस्वीर: Temiloluwa Johnson
तमाले सफालु- अफ्रीका, मारिजन फिडर
यह तस्वीर युगांडा के कंपाला शहर में रहने वाले बॉडीबिल्डर तमाले सफालु की है. 2020 में एक हादसे में उन्होंने अपना एक पैर खो दिया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करते हुए, वह युगांडा के पहले विकलांग खिलाड़ी बने जिन्होंने सामान्य बॉडीबिल्डरों के साथ मुकाबला किया. तमाले ने कहा, “मैं विकलांग लोगों को प्रेरणा देना चाहता हूं कि वह अपनी प्रतिभा को पहचानें.”
तस्वीर: Marijn Fidder
थाई टाउन में बंदरो का आतंक अब और नहीं- एशिया-पैसिफिक और ओशेनिया, चालिनी थिरासुपा, रॉयटर्स
थाईलैंड के लोपबुरी को "मंकी सिटी" ने नाम से भी जाना जाता है. यहां लंबी-पूंछ वाले मकाक बंदरों की बहुत बड़ी आबादी है. माना जाता है कि ये बंदर सौभाग्य लाते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इनकी संख्या बहु बढ़ गई है और यह पहले से ज्यादा आक्रामक हो गए हैं. कुछ लोग तो डर के मारे अपने घर से बाहर नहीं निकलते. इस तस्वीर में एक व्यक्ति बंदरों को सामान चुराने से रोकने के लिए उन पर अल्कोहल स्प्रे कर रहा है.
तस्वीर: Chalinee Thirasupa/Reuters
बारह दिन में चार तूफान- एशिया-पैसिफिक और ओशिनिया, नोएल सेलिस, एसोसिएटेड प्रेस
अक्टूबर और नवंबर 2024 में फिलीपींस में लगातार चार चक्रवात आए, जिनमें से कुछ भीषण तूफान में बदल गए. इन तूफानों ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली और कई संपत्ति नष्ट कर दी और लाखों लोगों को उनके घरों से बेघर कर दिया. फिलीपींस में 2012 के बाद से तूफान की संख्या में 210 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. कुछ अध्ययनों का मानना है कि यह जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है.
तस्वीर: Noel Celis/Associated Press
मुश्किलों के पार- यूरोप, फ्लोरियन बाखमायर
यूक्रेन की छह साल की अन्हेलिना को तब से पैनिक अटैक आने लगे हैं जब से उसके परिवार को रूसी हमले की वजह से अपना घर छोड़कर भागना पड़ा. जब जूरी ने अन्हेलिना को एक घायल सैनिक की तस्वीर के साथ जोड़ा, तो कई लोगों ने नाराजगी जताई. इसके अलावा, जूरी के उस फैसले की भी आलोचना हुई, जब उन्होंने रूस की सरकारी मीडिया एजेंसी के लिए काम करने वाले एक फोटोग्राफर को पुरस्कार दिया.
तस्वीर: Florian Bachmeier
मारिया- यूरोप, मारिया अब्रांचेस
"मारिया" अना मारिया जेरेमियस के जीवन पर आधारित है, जो पुर्तगाल में घरों में काम करती हैं, और उनकी कहानी वहां की दूसरी महिलाओं के जैसी ही है. 9 साल की उम्र में, अना मारिया को शिक्षा का झांसा देकर अंगोला से पुर्तगाल तस्करी से लाया गया. उन्हें पहचान बदलने पर मजबूर किया गया और घरों में काम कराया गया, जब तक कि वह आजाद ना हो जाए. वह पुर्तगाल में अब भी हजारों औरतों की तरह ही घरों में काम करती हैं.
तस्वीर: Maria Abranches
गोलियों का कोई सगा नहीं- वेस्ट, सेंट्रल और साउथ एशिया, इब्राहीम अलीपोर
फोटोग्राफर इब्राहीम अलीपोर ने कोलबरों के खतरनाक कामों को तस्वीरों में दर्ज किया है. कोलबर, वे लोग होते हैं जो तुर्की और इराक से ईरान के कुर्द क्षेत्रों में सामान जैसे घरेलू उपकरण, मोबाइल फोन और कपड़े अपनी पीठ पर ढोकर ले जाते हैं. ईरान के कुर्द इलाकों में फैली गरीबी और इन सामानों के आयात पर लगे प्रतिबंधों के कारण, बहुत से लोग मजबूरी में यह खतरनाक काम करते हैं.
तस्वीर: Ebrahim Alipoor
जाइडे — साउथ अमेरिका, सैंटियागो मेसा
यह फोटो सीरीज कोलंबिया के खानाबदोश आदिवासी एमबेरा डोबिदा समुदाय के कठिन जीवन को दिखाती है. तीन महिलाएं अपनी 16 साल की बहन की कब्र के पास खड़ी हैं. उन्होंने वही शॉल पहनी है जो उनकी बहन ने आत्महत्या करने से पहले छोड़ी थी. यह प्रोजेक्ट बोजाया, चोको क्षेत्र में इस समुदाय के बीच बढ़ती आत्महत्याओं की समस्या को उजागर करता है. बीते वर्षो में गरीबी के कारण यहां आत्महत्या के मामलों में तेजी से बढ़े हैं.
तस्वीर: Santiago Mesa
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लगातार जारी है इस्राएल के कदमों की समीक्षा
जर्मनी ने बार-बार इस्राएल के प्रति अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी पर जोर दिया है. जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने इसी महीने की शुरुआत में इस्राएल का दौरा किया था. उनका यह दौरा दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष पूरे होने पर हुआ था. अपने दौरे के दौरान फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू से मुलाकात भी की थी.
इस दौरे के बाद भी यूरोपीय संघ के देशों के बीच इस्राएल को लेकर एक जैसी नीति ना होने का मुद्दा खड़ा हो गया था. बहुत से यूरोपीय देशों के इस्राएल से गहरे रिश्ते हैं.
हाल ही में जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफूल और इस्राएल के राष्ट्रपति बेन्यामिन नेतन्याहू के बीच मुलाकात हुई थीतस्वीर: Thomas Imo/AA/IMAGO
'गाजा मुद्दे पर प्रभावहीन यूरोपीय संघ'
यूरोपीय संघ के कई अन्य देश, जैसे आयरलैंड, बेल्जियम और स्पेन के साथ ही हाल में फ्रांस ने भी गाजा में जारी इस्राएल की सैन्य कार्रवाई पर अपनी नाराजगी का इजहार किया है.
मध्य-पूर्व में यूरोपीय संघ के पूर्व राजनयिक रहे जेम्स मोरान कहते हैं कि यूरोपीय संघ के देशों के बीच इन आंतरिक मतभेदों ने यूरोपीय संघ को प्रभावी रूप से हाशिये पर पहुंचा दिया है. उनके मुताबिक, यूरोपीय संघ राजनीतिक रूप से प्रभावहीन हो चुका है. एकता के बिना वो ज्यादा से ज्यादा यही कर सकते हैं कि मानवीय मदद दें और अन्य लोगों की ओर से चलाए जा रही राजनयिक पहलों का समर्थन करें.