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चीन में कोरोना संकट का मिलकर सामना करेंगे यूरोपीय देश

४ जनवरी २०२३

यूरोपीय देशों की सबसे बड़ी समस्या है चीन के प्रति किसी सहमति पर पहुंच पाना. लेकिन चीन में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यूरोपीय संघ के देश उसका सामना करने के लिए साझा नीति पर सहमति की ओर बढ़ रहे हैं.

Südkorea I Covid-Testzentrum für chinesische Reisende
तस्वीर: Jung Yeon-je/AFP

चीन के कोरोना संकट का मुकाबला करने के लिए यूरोपीय संघ के देश चीन से यात्राओं पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं. इस कदम ने चीन और वैश्विक पर्यटन उद्योग को पशोपेश में डाल दिया है. चीन ने कुछ देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों को मानने से इंकार कर दिया है और जवाबी कदमों की चेतावनी दी है. फिर भी यूरोपीय संघ के अंदर चीन से आनेवाले यात्रियों की कोविड जांच पर सहमति बन रही है. यूरोपीय आयोग के प्रवक्ता टिम मैकफी ने कहा है कि बहुमत देश इस पक्ष में हैं कि यात्रा से पहले चीन में यात्रियों का कोरोना टेस्ट हो.

चीन सरकार और यूरोप के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि यात्रा पर पूरी तरह रोक लगाए जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि चीन में जो कोविड वेरिएंट सामने आ रहे हैं, वे यूरोप में पहले से ही मौजूद हैं. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने भी यात्राओं पर प्रतिबंधों का विरोध किया है. संगठन में विश्व की 300 एयरलाइंस शामिल हैं. आईएटीए के महासचिव विली वॉल्श ने कहा है कि ओमिक्रॉन के सामने आने के समय किए गए रिसर्च दिखाते हैं कि यात्राओं पर प्रतिबंधों का मामलों के पीक पर असर नहीं हुआ.

शंघाई के अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजतस्वीर: Hector Retamal/AFP/Getty Images

चीन की चेतावनी के बाद अपील

चीन भी यात्राओं पर प्रतिबंध की संभावना से चिंतित है. चीन की कठोर कोविड विरोधी नीति का वहां कामकाज पर असर पड़ा है और लोगों में काफी असंतोष है. इसलिए पहले तो चीन ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी लेकिन बाद में अपील करते हुए कहा कि चीन को उम्मीद है कि सभी पक्ष महामारी से लड़ने पर ध्यान केंद्रित करेंगे और कोविड के राजनीतिकरण से बचेंगे. फिर भी यूरोपीय संघ ऐसे कदम उठाने को तत्पर है ताकि यूरोप में चीन से नए वेरिएंट न आएं.

इस चिंता की वजह भी है. कोरोना महामारी की शुरुआत में काफी आलोचना झेलने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि चीन में कोरोना के हालिया प्रसार के दौरान वायरस का कोई नया वैरिएंट सामने नहीं आया है. चीनी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चीन के महामारी केंद्र के विश्लेषण में पता चला है कि बहुतायत ओमिक्रॉन वैरिएंट की ही रही है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अधानोम गेब्रेयसुस ने चीन में महामारी के प्रसार को चिंताजनक बताया है. उन्होंने मांग की है कि "चीन मरीजों की अस्पतालों में भर्ती, मौतों और वायरस के सीक्वेंसिंग पर फौरन तेज, नियमित और विश्वसनीय डाटा दे."

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के इमरजेंसी मामलों के प्रमुख डॉ. माइकल रायन का कहना है कि कुछ देशों द्वारा निगेटिव टेस्ट रिजल्ट की मांग यात्राओं पर प्रतिबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में चीन में कोविड 19 के खिलाफ दुनिया के कुछ अत्यंत सख्त कदम लागू किए गए हैं, लेकिन हकीकत ये है कि "बहुत से देश ये महसूस करते हैं कि उनके पास जोखिम का आकलन करने के लिए चीन से पर्याप्त डाटा नहीं है." 

जर्मनी की मांग, साझा यूरोपीय कदम

जर्मनी, चीन में कोरोना वायरस के प्रसार के खिलाफ यूरोपीय संघ के साझा कदमों की मांग कर रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, "हम वायरस वैरिएंट की मॉनिटरिंग के लिए एक सिस्टम बनाना चाहते हैं." इसके लिए चीन से आने वाले विमानों पर मौजूद पानी की जांच एक मुद्दा है. जर्मनी के फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर पहले से ही पानी के परीक्षण की व्यवस्था है. इससे पता चल सकेगा कि क्या किसी खास विमान से आया यात्री संक्रमित था.

भारत में भी कोरोना की आशंका से अस्पतालों में मॉक ड्रिलतस्वीर: Ajit Solanki/AP/picture alliance

ऑस्ट्रिया ने भी कहा है कि वह अगले हफ्ते से चीन से आने वाले सभी विमानों में गंदे पानी की जांच शुरू करेगा. भारत की ही तरह कुछ दूसरे देश चीन से आने वाले यात्रियों से निगेटिव कोरोना टेस्ट की मांग कर रहे हैं. जर्मनी के महामारी विशेषज्ञ क्लाउस स्टोएर का कहना है यात्रियों को टेस्ट करना महामारी को रोकने का प्रभावकारी समाधान नहीं है. वे कहते हैं, "व्यवहार में हमें ये देखना होगा कि वायरस कैसा व्यवहार करता है."

इस बीच डच एयरलाइंल केएलएम चीन से आने वाली अपनी उड़ानों में सुरक्षा के अतिरिक्त कदम उठा रहा है. क्रू को एफएफपी2 मास्क और सेफ्टी ग्लासेस दिए जा रहे हैं. यात्रा के दौरान सर्विस के नियम बदले जा रहे हैं ताकि क्रू का यात्रियों के साथ कम से कम संपर्क हो. ट्रेड यूनियनों ने केएलएम कर्मचारियों की सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की थी.

रिपोर्ट: महेश झा (एपी, डीपीए)

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