ईयू: दो ट्रिलियन डॉलर के कोरोना राहत पैकेज पर सहमति
२१ जुलाई २०२०यह यूरोपीय संघ की सबसे लंबी शिखर वार्ताओं में से एक थी. बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में शुक्रवार को शुरू हुई इस बातचीत को यूं तो शनिवार को ही खत्म हो जाना था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. पहले रविवार और फिर सोमवार रात-रात भर बैठक चली और आखिरकार मंगलवार सुबह समझौते पर हस्ताक्षर हुए. यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने जर्मन समय सुबह 5.30 बजे एक शब्द का ट्वीट किया, "डील!"
हस्ताक्षर दो ट्रिलियन डॉलर यानी 1800 अरब यूरो के राहत पैकेज पर हुए हैं जो अगले सात साल तक यूरोपीय संघ के देशों की मदद के लिए तैयार किया गया है. इसमें से 750 अरब यूरो को लोन और ग्रांट के रूप में दिया जाएगा. बैठक खत्म होने के बाद यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कहा, "हमने कर दिखाया. यूरोप मजबूत है, यूरोप एकजुट है. यह एक अच्छी डील है, मजबूत डील है और सबसे बढ़ कर यह मौजूदा दौर के यूरोप के लिए सही डील है." उन्होंने यूरोप के लिए इसे एक अहम पल बताया. 90 घंटों तक चली बैठक के बारे में उन्होंने कहा, "जाहिर है ये सभी यूरोपीय देशों के लिए मुश्किल वक्त है और इस मुश्किल दौर में हम बेहद मुश्किल बातचीत कर रहे थे."
"किफायती चार" बनाम मैर्केल-माक्रों
वहीं, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने इस बातचीत में "मार्गदर्शन" के लिए जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा, "पूरे यूरोप के लिए यह एक बड़ा बदलाव है, हमें इस संकट से और मजबूत बन कर बाहर निकलना है. आज हमने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है और हम सब को इस पर गर्व होना चाहिए. आज हम बेहतर भविष्य की ओर एक बड़ा कदम लेने जा रहे हैं."
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा कि समझौता हो जाने के बाद अब वे राहत की सांस ले पा रही हैं. उन्होंने इसे "यूरोपीय संघ के इतिहास का सबसे बड़ा संकट" बताया और कहा कि वे खुश हैं कि "अंत में सब मिल कर एक फैसला ले पाए." इस पूरी बैठक के दौरान मैर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों एकजुट नजर आए. उन्होंने भी इसे "यूरोप के लिए ऐतिहासिक दिन" बताया. हालांकि वे बहुत संतुष्ट नजर नहीं आए. बैठक खत्म होने के बाद उन्होंने कहा, "इस दुनिया में परफेक्ट कुछ भी नहीं होता लेकिन हम आगे तो बढे हैं."
दरअसल 27 देशों वाला यूरोपीय संघ इस शिखर वार्ता में दो हिस्सों में बंटा हुआ दिखा. एक तरफ थे नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और स्वीडन, जिन्हें "फ्रूगल फोर" या किफायती चार के नाम से जाना जाता है. फिनलैंड ने भी इनका साथ दिया. ये पांचों देश कम ग्रांट और ज्यादा लोन देने के हक में दिखे. साथ ही ये ऐसी शर्तें भी जोड़ना चाहते थे जिनसे देशों के लिए लोन लेना मुश्किल हो जाए. ऐसे में हंगरी और पोलैंड जैसे देशों के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती थी.
यूरोप का मार्शल प्लान
स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज ने इसे "यूरोप के लिए मार्शल प्लान" बताया और कहा कि अगले छह वर्षों में इससे स्पेन की अर्थव्यवस्था को 140 अरब यूरो का फायदा पहुंचेगा. यूरोप में स्पेन और इटली पर कोरोना की सबसे ज्यादा मार पड़ी है. ऐसे में इन दोनों देशों को मदद की जरूरत तो है लेकिन ये कर्ज में डूबे ग्रीस, पुर्तगाल और आयरलैंड जैसे बेलआउट पैकेज नहीं चाहते थे. फ्रूगल फोर की शर्तें इनके लिए काफी भारी पड़ती. लेकिन देशों ने बीच का रास्ता निकाला जिस पर सबकी सहमति बन सकी.
कोरोना महामारी के कारण यूरोप में 1,35,000 लोगों की जान जा चुकी है और यूरोपीय संघ के लगभग हर देश में दो महीने तक चले लॉकडाउन के बाद इस साल अर्थव्यवस्था के 8.3 फीसदी सिकुड़ने की आशंका है. ऐसे में सभी देश इस राहत पैकेज का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे.
आईबी/एए (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)
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