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विवादयूरोप

यूक्रेन के चिकन-अंडे पर इमरजेंसी ब्रेक

२१ मार्च २०२४

यूरोपीय संघ ने यूक्रेन से आने वाले ओट्स, पोल्ट्री प्रोडक्ट्स और चीनी पर पांबदी लगा दी. यूरोपीय नेताओं को डर है कि यूक्रेन का सस्ता सामान, उनकी कुर्सी छीन लेगा.

यूक्रेन के पोल्ट्री प्रोडक्ट
तस्वीर: G. Lacz/imagebroker/IMAGO

यूरोपीय संसद ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उसमें यूक्रेन से आयात की जाने वाली कुछ चीजों पर रोक लगाने की जानकारी दी है. इसमें कहा गया है कि नियामक "पोल्ट्री, अंडे और चीनी के साथ साथ ओट्स, मक्का, दलिया और मक्का के लिए भी इमरजेंसी ब्रेक मुहैया कराएगा." इसका सीधा मतलब है कि एक खास संख्या को छूते ही इन यूक्रेनी प्रोडक्ट्स का आयात बंद कर दिया जाएगा.

युद्ध के दौर में रूस में अनाज की रिकॉर्ड उपज

27 देशों वाले यूरोपीय संघ ने यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए 2022 में कई यूक्रेनी कृषि उत्पादों को टैक्स में रियायत देना शुरु किया था. उस रियायत को अब एक और साल के लिए बढ़ाया जरूर गया है, लेकिन लिस्ट में से कई चीजें बाहर कर दी गई है. हालांकि गेंहू और बाजरा अब भी छूट के दायरे में रखे गए हैं.

युद्ध के कारण प्रभावित हुआ यूक्रेन का कृषि उत्पाद एक्सपोर्टतस्वीर: Andriy Dubchak/AP/picture alliance

किसानों के गुस्से से सहमे यूरोपीय नेता

यूरोपीय संसद की अधिकारी सांड्रा कालनिटे के मुताबिक, "यूक्रेनी आयात के अचानक उछाल से यूरोपीय संघ के किसान भयभीत न हों, इसीलिए इस तरह के दबाव को कम किया जा रहा है."

असल में इस छूट के कारण 2023 में यूरोप के बाजार में सस्ते यूक्रेनी सामान की भरमार होने लगी. यूरोपीय संघ के किसानों ने शिकायत करते हुए कहा कि, ईयू के भीतर पशु कल्याण का नारा देते हुए उन पर कई पाबंदियां लगाई जाती हैं, वहीं दूसरी तरफ ऐसे नियमों की बिल्कुल परवाह न करने वाले यूक्रेनी उत्पादों को बेरोकटोक आने दिया जा रहा है. यूक्रेन के कई उत्पादों ने ईयू में गेंहू, मक्का और शहद के दाम भी बहुत गिरा दिए. इसके चलते यूरोप के किसान प्रतिस्पर्धा करने लायक ही नहीं बचे.

पोलैंड के मेडेका बॉर्डर पर यूक्रेन से आते ट्रकतस्वीर: Dominika Zarzycka/NurPhoto/picture alliance

असल में कीव की आर्थिक मदद के लिए यूक्रेन का अनाज पिछले साल से पोलैंड के रास्ते भी विदेशों तक भेजा जा रहा था. इस दौरान अनाज का बड़ा हिस्सा पोलैंड समेत अन्य यूरोपीय बाजारों तक पहुंचने लगा. इससे यूरोप के किसानों को भारी घाटा होने लगा. तमाम शिकायतों और आपत्तियों के बावजूद किसानों को राजनेताओं के रवैये से निराशा हुई.

इसके बाद धीरे-धीरे संघ के अहम सदस्य, पोलैंड, जर्मनी, नीदरलैंड्स, फ्रांस, हंगरी, स्लोवाकिया और बेल्जियम में किसानों ने बड़े प्रदर्शन होने लगे. किसानों की नाराजगी ने नीदरलैंड्स और पोलैंड में हुए सत्ता परिवर्तन में अहम भूमिका निभाई. पोलैंड में तो अब भी प्रदर्शन हो रहे हैं. यूरोपीय देशों की अलग-अलग धुर दक्षिणपंथी पार्टियां, इस मुद्दे के सहारे किसानों और ग्रामीण आबादी को अपने पक्ष में झुकाने की कोशिशें भी कर रही हैं.

पोलैंड समेत यूरोप के कई देशों में किसानों का प्रदर्शनतस्वीर: Lukasz Glowala/REUTERS

केवल तीन महीने दूर हैं यूरोपीय संसद के चुनाव

तीन महीने बाद यूरोपीय संसद के चुनाव हैं. माना जा रहा है कि इन चुनावों में सदस्य देशों की धुर दक्षिणपंथी पार्टियां अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं. जनमत सर्वेक्षणों के ऐसे रुझान से मुख्यधारा की पार्टियों के तोते उड़े हैं. यही वजह है कि अब किसानों की चिताओं को दूर करने के लिए यूरोपीय संघ के आला अधिकारी और कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं. यूरोपीय संघ का कहना है कि खाद्य पदार्थों के आयात से जुड़ी शिकायतों को अब 21 दिन के बजाए 14 दिन में सुलझाया जाएगा.

फ्रांस सरकार का कहना है कि वह यूक्रेनी सामान को उसके असली अफ्रीकी और मध्य पूर्व एशियाई बाजार तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है. यूक्रेन युद्ध के बाद से ही काले सागर का जलमार्ग बंद पड़़ा है, इसके चलते यूक्रेन जहाजों के जरिए अपना सामान बाहर नहीं भेज पा रहा है. यही वजह है कि यूक्रेन के सामने रेल और नदीमार्गों से यूरोपीय बाजार तक पहुंचना एक मात्र विकल्प है.

ओएसजे/आरपी (एएफपी, रॉयटर्स)

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