ईरान से डील तोड़ना ट्रंप के हाथ में नहीं: यूरोपीय संघ
१४ अक्टूबर २०१७
यूरोपीय संघ ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ईरान के साथ हुई परमाणु डील को खत्म नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह कोई 'द्विपक्षीय समझौता नहीं है.'
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अटलांटिक के दोनों तरफ यूरोपीय राजनयिक ट्रंप को इस बात के लिए मनाने में नाकाम रहे हैं कि ईरान के साथ हुए समझौते को खत्म न किया जाए. ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के अधिकारी ट्रंप की जिद से परेशान हैं. यूरोपीय नेताओं ने माना है कि ईरान की वजह से कई दिक्कतें हो रही हैं, लेकिन उनके साथ अलग से निपटने की जरूरत है.
2015 में दुनिया की छह बड़ी ताकतों ने ईरान के साथ परमाणु समझौता किया था जिसके तहत ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमत हुआ और इसके बदले उसके खिलाफ लगे प्रतिबंधों में ढील दी गयी थी. यूरोपीय संघ का कहना है कि ईरान समझौते पर अमल कर रहा है और वह उसकी लगातार निगरानी करता रहेगा जबकि ट्रंप की राय इसके विपरीत है.
देखिए : 2015 में ऐसे हुआ था ईरान के साथ परमाणु समझौता
यूं हुआ ईरान समझौता
दस साल चली बातचीत के दौरान ईरान पर एक के बाद एक प्रतिबंध लगे. अब जाकर ईरान ने परमाणु बम का विकास न करने की बात मानी है. बदले में प्रतिबंधों को धीरे धीरे हटाया जाएगा. परमाणु हथियार मुक्त विश्व का सपना अभी दूर है.
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संधि होने तक
18 दिनों की गहमागहम बातचीत के बाद मंगलवार 14 जुलाई को विश्व सत्ताओं और ईरान के बीच परमाणु समझौते की घोषणा हुई. बातचीत में सुरक्षा परिषद के सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के अलावा जर्मन विदेश मंत्री और यूरोपीय संघ की विदेशनैतिक दूत भी मौजूद थे.
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वीकएंड में समझौता बहुत करीब था लेकिन कुछ विवाद बाकी थे. अंतिम फैसला विदेश मंत्रियों को लेना था. पी5 प्लस1 देशों के विदेश मंत्री वियना के एक होटल में वार्ता के दौरान अपना रुख तय करने के लिए मिले.
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वियना में संयुक्त राष्ट्र के दफ्तर में ईयू की विदेशनैतिक दूत फेडेरिका मोगेरिनी और ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने परमाणु विवाद पर समझौते की घोषणा की. इस्राएल ने इस समझौते को ऐतिहासिक समर्पण बताया है.
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वार्ता में जर्मनी और फ्रांस यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. अंतिम क्षण में हुए ग्रीस समझौते के बाद फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्री लौरां फाबिउस और फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ईरान वार्ता के लिए वियना पहुंचे.
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अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी वार्ता के दौरान सारा समय वियना में थे. अंतिम दौर से पहले वार्ता की सफलता के लिए उन्होंने जैसे दैवी मदद के लिए सेंट स्टेफान कैथीड्रल में एक प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया.
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करीब तीन हफ्ते तक चली वार्ता के दौरान हर शब्द पर सौदेबाजी हुई, दोनों और से कई सारी मांगे रखी गई, उन्हें शब्दों में ढाला गया. ईरानी विदेश मंत्री अपने सहयोगियों के साथ दस्तावेजों पर नजर डालते हुए.
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ऐसा भी समय आया जब लगा कि वार्ता टूट जाएगी. ईरान ने पश्चिमी देशों पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया तो अमेरिका ने वार्ता तोड़ने की धमकी दी. ऐसे ही एक मौके पर बालकनी में विचारमग्न ईरानी विदेश मंत्री.
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लंबी वार्ता के दौरान पत्रकारों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं रही. उनके पास रिपोर्ट करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन मीडिया हाउस उनसे हर दिन किसी न किसी नई खबर की उम्मीद कर रहे थे.
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यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी फ्रे़डेरिका मोघेरिनी ने ईरान के साथ हुई डील के मुद्दे पर ट्रंप की कड़ी आलोचना की है. ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस से कहा है कि वह ईरान के खिलाफ फिर प्रतिबंध लगाने के बारे में विचार करे. संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था ने बार बार इस बात की पुष्टि की है कि ईरान उन पाबंदियों पर अमल कर रहा है जो समझौते के तहत उसके सामने रखी गयी थीं. लेकिन ट्रंप का कहना है कि ईरान परमाणु समझौते का "उल्लंघन" कर रहा है.
मोघेरिनी ने साफ किया, "यह कोई दोतरफा समझौता नहीं है, यह कोई एक अंतरराष्ट्रीय संधि नहीं है," बल्कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का हिस्सा है, "इसलिए साफ तौर पर यह दुनिया के किसी देश के किसी राष्ट्रपति के हाथों में नहीं है कि वह इस तरह के समझौते को खत्म कर दे." उन्होंने साफ कहा, "अमेरिकी राष्ट्रपति के पास बहुत शक्तियां होती हैं, लेकिन यह शक्ति नहीं है."
ईरान ने खोला रॉकेटों का खजाना
लंबे विवाद के बाद ईरान की संसद और अभिभावक परिषद ने ऐतिहासिक परमाणु संधि का अनुमोदन कर दिया है तो दूसरी ओर उसने सुरंगों में छुपे मध्यम दूरी के मिसाइलों का प्रदर्शन. ईरान का कहना है कि सारे रॉकेट तैनाती के लिए तैयार हैं.
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ईरान ने पहली बार जमीन के 500 मीटर नीचे बने बंकर में जमा अपने मिसाइलों और नेशनल रिवोल्यूशनरी गार्ड की टुकड़ी को दिखाया है.
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ईरान के रिवोल्यूशन गार्ड के जनरल अमीर अली हाजीसादे ने सुरंग में रॉकेट दिखाते हुए कहा है कि देश भर में सैकड़ों ऐसे अड्डे हैं. ये रॉकेट 1,700 किलोमीटर से 2,000 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकते हैं.
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ईरान ने पिछले हफ्ते एक नए रॉकेट का सफल परीक्षण किया था जो 'शहाब 3' का उत्तराधिकारी मॉडल है. 'एमाद' प्रकार का जमीन से जमीन पर मार करने वाला रॉकेट पिछले रॉकेटों के मुकाबले ज्यादा सटीक है.
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हथियारों की क्वालिटी और उसके परीक्षण के बारे में ईरान में स्वतंत्र रूप से जानकारी की पुष्टि करना संभव नहीं है. ईरान में होने वाले सारे टेस्ट तटस्थ पर्यवेक्षकों के बिना किए जाते हैं और बाद में उसकी जानकारी दी जाती है.
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ईरान ने अपने हथियारों का प्रदर्शन ऐसे दिन किया जब ईरानी सैनिकों को सीरिया भेजने की खबर आई. प्रमुख ईरानी सांसद अलादीन बुरूजर्दी ने कहा है कि अगर सीरिया आग्रह करे तो ईरान अपने सैनिक भेजने को तैयार है.
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पश्चिमी देशों में चिंता रही है कि ईरान शहाब 3 रॉकेट से इस्राएल पर हमला कर सकता है. इस साल जुलाई में हुई परमाणु संधि के बाद इस तरह की चिंता कम हुई है.
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अभिभावक परिषद द्वारा परमाणु समझौते का अनुमोदन. धार्मिक नेताओं और न्यायविदों वाला अनुदारवादी अभिभावक परिषद संसद द्वारा पास कानून की संवैधानिकता और इस्लाम से अनुकूलता की जांच करता है.
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वहीं ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी ने भी एक लाइव टीवी संबोधन में मोघेरिनी के शब्दों को दोहराया और कहा, "कोई भी राष्ट्रपति एक अंतरराष्ट्रीय समझौते को रद्द नहीं कर सकता. ईरान ने इस डील के तहत जो प्रतिबद्धताएं दी हैं, वह उन पर अमल करता रहेगा." ईरानी राष्ट्रपति ने यह भी चेतावनी दी कि "अगर किसी दिन हमारे हित पूरे नहीं होंगे तो हम एक पल के लिए भी नहीं हिचकेंगे और जबाव देंगे."
वहीं जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने एक साझा बयान में कहा है कि अमेरिकी कांग्रेस को ईरान के साथ हुई डील को कमजोर करने वाला कोई भी कदम उठाने से पहले अमेरिका और उसके सहयोगियों की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विचार करना चाहिए. इन कदमों से उनका इशारा ईरान के खिलाफ डील के तहत हटाने जाने वाले प्रतिबंधों को दोबारा लगाने की तरफ था.