यूक्रेन को सदस्यता के लिए प्रक्रिया तेज नहीं होगीः ईयू
११ मार्च २०२२
फ्रांस में गुरुवार को हुई यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की बैठक में यूक्रेन के प्रति समर्थन तो जताया गया लेकिन उसकी संघ की सदस्यता के लिए प्रक्रिया को तेज करने की संभावना नकार दी गई.
विज्ञापन
यूरोपीय संघ ने गुरुवार को हुई बैठक में कहा कि यूक्रेन को फास्ट ट्रैक सदस्यता नहीं दी जाएगी. सदस्य देशों ने इस बात पर विचार किया कि और किस तरह से यूक्रेन की मदद की जा सकती है. यूरोपीय देशों ने यूक्रेन की मदद के लिए एकमत से साथ आने और रूस के खिलाफ सख्त प्रतिबंध लगाने की बात कही. लेकिन यूक्रेन को जल्द से जल्द सदस्यता देने के मसले पर 27 देश एकमत नहीं थे. रूस से ऊर्जा संबंध काटने के मुद्दे पर भी कोई सहमति नजर नहीं आई.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने यूरोपीय संघ के समर्थन के रूप में अपने देश के लिए त्वरित सदस्यता की मांग की है. लेकिन दो दिवसीय बैठक में इस बात को लेकर कोई नतीजा निकलता नहीं दिखा. पहले दिन नौ घंटे तक चली बैठक में यूक्रेन की सदस्यता की इच्छा को माना तो सही लेकिन इससे आगे नहीं बढ़े.
ईयू परिषद अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कहा, "यह यूक्रेन के प्रति एक मजबूत समर्थन दिखाने का मौका था. यानी वित्तीय और साधनों के रूप में हर तरह का समर्थन. यह स्पष्ट है कि यूक्रेन यूरोपीय परिवार का सदस्य है और हम हर तरह से उसके साथ संबंध मजबूत बनाने को प्रयास करना चाहते हैं.”
रूस से जंग के बीच क्या कर रहे हैं यूक्रेन के बच्चे
युद्ध के शुरुआती दो हफ्ते में ही 20 लाख से ज्यादा यूक्रेनी रिफ्यूजी बन गए हैं. शरणार्थियों में मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे ही हैं क्योंकि यूक्रेन में अभी 18 से 60 की उम्र के पुरुषों के देश से जाने पर रोक है.
तस्वीर: Stringer/AA/picture alliance
कितना प्यारा दिल...
8 मार्च तक 12 लाख से ज्यादा शरणार्थी पोलैंड आ चुके थे. इसके अलावा हंगरी, रोमानिया, स्लोवाकिया, चेक रिपब्लिक, मोलदोवा, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, आयरलैंड में भी यूक्रेनी शरणार्थी पहुंच रहे हैं. इस तस्वीर में यूक्रेन से भागकर आया एक रिफ्यूजी बच्चा बुडापेस्ट के युगाति रेलवे स्टेशन पर ट्रांसपोर्ट का इंतजार करते हुए कांच पर अपने हाथ जोड़कर दिल बना रहा है.
तस्वीर: Marton Monus/REUTERS
हर हाल में हंस पड़ना...
यूक्रेन के पड़ोसी देशों ने वहां से आ रहे शरणार्थियों के लिए बड़े स्तर पर इंतजाम किए हैं. रोमानिया ने कहा कि उसकी सीमाएं जरूरतमंदों के लिए खुली हैं. शरणार्थियों को सुरक्षित महसूस करवाने के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश करेगी. इस तस्वीर में एक शरणार्थी बच्ची रोमानिया के अपने कैंप के पास खड़ी होकर मुस्कुरा रही है. कैसे भी हालात में हंस पड़ना, खुश हो जाना...बचपन सच में कितना निर्दोष होता है.
तस्वीर: Cristian Ștefănescu/DW
मदद के नन्हे हाथ
पोलैंड की सरकार ने यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए एक अलग फंड बनाने का फैसला किया है. इसके तहत हर एक रिफ्यूजी को एक बार के लिए एक रकम भी दी जाएगी. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यह यूरोप का सबसे तेजी से बढ़ रहा शरणार्थी संकट है. तस्वीर में एक शरणार्थी बच्चा ट्रॉली के साथ.
तस्वीर: Cristian Ștefănescu/DW
बच्ची और बिल्ली
संयुक्त राष्ट्र ने चेताया है कि शरणार्थियों की दूसरी खेप ज्यादा दयनीय स्थिति में हो सकती है. यूएनएचसीआर ने कहा कि अगर युद्ध जारी रहता है, तो बड़ी संख्या में ऐसे शरणार्थी आते रहेंगे जिनके पास ना कोई संसाधन होगा, ना अपना कोई संपर्क. ऐसे में यूरोपीय देशों के लिए जटिल स्थिति होगी. तस्वीर में मरियोपोल से आई एक शरणार्थी बच्ची अपनी बिल्ली के साथ.
तस्वीर: AA/picture alliance
इंतजार
दी इंटरनेशनल रेस्क्यू कमिटी (आईआरसी) ने कहा है कि शरणार्थियों के लिए लंबे समय तक मानवीय सहायता का इंतजाम करना होगा. लोगों के रोजगार का इंतजाम करना होगा. वे किराया दे सकें, सामान्य जीवन जी सकें, अपने पैरों पर खड़े हो सकें, इसके लिए उन्हें मदद देनी होगी. इस तस्वीर में मरियोपोल से आया एक शरणार्थी बच्चा स्कूल की इमारत के भीतर सुरक्षित निकाले जाने का इंतजार कर रहा है.
तस्वीर: Stringer/AA/picture alliance
बदलाव
शरणार्थियों पर हंगरी का रवैया बेहद सख्त रहा है. सात साल पहले उसने शरणार्थियों को अपनी सीमा में घुसने से रोकने के लिए कंटीली बाड़ लगवाई थी और कु्त्ते तैनात किए थे. उसी हंगरी ने अब तक करीब दो लाख यूक्रेनी शरणार्थियों को अपने यहां जगह दी है. तस्वीर में हंगरी का एक अस्थायी शरणार्थी शिविर, जिसे म्यूनिसिपल्टी और बैप्टिस्ट चैरिटी मिलकर चला रहे हैं.
तस्वीर: Anna Szilagyi/AP Photo/picture alliance
आम आबादी भी कर रही है मदद
हंगरी के एक अस्थायी शेल्टर के भीतर स्ट्रोलर में बैठी बच्ची. यूक्रेनी शरणार्थियों की मदद के लिए सरकारी इंतजामों के अलावा आम आबादी भी सामने आ रही है. पड़ोसी देशों में स्थानीय लोग खाने-पीने की चीजों के अलावा बच्चों के लिए जरूरत पड़ने वाली चीजें भी डोनेट कर रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग शेल्टर होम्स में वॉलंटियर सर्विस भी दे रहे हैं.
तस्वीर: Anna Szilagyi/AP/picture alliance
जर्मनी में भी शरणार्थियों का स्वागत
यूक्रेनी शरणार्थी बस और ट्रेन से जर्मनी भी आ रहे हैं. बर्लिन में शरणार्थियों को लेने के लिए रेलवे स्टेशन पर आए आम लोगों की तस्वीरें खूब वायरल हुईं. लोग शरणार्थियों को अपने घर में जगह दे रहे हैं. इस तस्वीर में दिख रही बस शरणार्थियों को लेकर पोलैंड के एक रेलवे स्टेशन जा रही है, जहां से उन्हें जर्मनी ले जाया जाएगा.
तस्वीर: Markus Schreiber/AP Photo/picture alliance
8 तस्वीरें1 | 8
फिलहाल यूक्रेन का ईयू के साथ सिर्फ ‘एसोसिएशन अग्रीमेंट' है जिसका मकसद यूक्रेन के बाजारों को खोलना और उसके यूरोप के नजदीक लाना है. इसमें मुक्त व्यापार समझौता और देश की अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने जैसी बातें भी शामिल हैं.
एकदम ना भी नहीं
रूस द्वारा हमले के बाद यूक्रेन की सदस्यता की प्रक्रिया तेज करने की मांग को खासा समर्थन मिला है लेकिन ईयू नेता इस बात को जोर देकर कहते हैं कि यह प्रक्रिया सालों तक चल सकती है क्योंकि मौजूदा सदस्य देशों में सहमति ही नए सदस्य का रास्ता खोल सकती है.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कहा कि यूरोपीय संघ को यूक्रेन के समर्थन में ‘मजबूत संकेत' भेजने चाहिए. लेकिन उन्होंने भी निकट भविष्य में यूक्रेन की सदस्यता की संभावना को खारिज कर दिया. माक्रों ने कहा, "क्या हम एक ऐसे देश के लिए सदस्यता की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं, जिसमें युद्ध चल रहा हो? मेरे ख्याल से तो नहीं. तो क्या हम दरवाजे बंद कर दें और यूक्रेन को हमेशा के लिए ना कह दें? यह तो अन्याय होगा.”
यूक्रेन युद्ध के बीच खूब याद किया जा रहा है शांति के प्रतीक कबूतर को
प्राचीन काल से कबूतर को शांति के प्रतीक के रूप में माना गया है. यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के बाद यह चिड़िया एक बार फिर मित्रता और एकता की अहमियत की याद दिलाने वाला एक जरिया बन गई है. देखिए लोग कैसे इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
तस्वीर: Rolf Vennenbernd/dpa/picture alliance
यूक्रेन के लिए शांति की कामना
जर्मन कलाकार जस्टस बेकर ने फ्रैंकफर्ट में एक इमारत की बाहरी दीवार पर जैतून की एक शाख लिए एक कबूतर का विशाल चित्र बनाया है. जैतून की शाख को यूक्रेन के राष्ट्रीय रंगों नीले और पीले रंग में रंगा गया है. बेकर को यह म्यूरल बनाने में तीन दिन लगे. वो इसके जरिए यूक्रेन के साथ एकजुटता और शांति के लिए उम्मीद का संदेश देना चाहते हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa
सफेद और शुद्ध
प्राचीन काल से ऐसी मान्यताएं रही हैं कि कबूतरों में खास शक्तियां होती हैं. लोगों का मानना था कि इस चिड़िया के शरीर में पित्ताशय या गॉल ब्लैडर नहीं होता है इसलिए इसके व्यवहार में ना कटुता होती है और न दुष्टता. सफेद कबूतर यूनान में प्रेम की देवी एफ्रोडाइटी का साथी माना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/Leemage
बाइबल में उम्मीद का प्रतीक
बाइबल के अनुसार महाप्रलय के बाद अपनी नाव में 40 दिन बिताने के बाद नोआ ने पानी के बीच जमीन खोजने के लिए सबसे पहले कबूतरों को भेजा. जैतून की शाख लिए ये कबूतर न सिर्फ प्रलय के अंत का बल्कि भगवान के साथ फिर से शांति की स्थापना का प्रतीक थे.
तस्वीर: picture alliance / imageBROKER
शांति का आइकॉन
पिकासो द्वारा बनाया कबूतर का चित्र 1950 के दशक में शांति आंदोलन का प्रतीक बन गया था और उसने विश्व इतिहास में अपनी जगह बना ली थी. उसके बाद पिकासो ने कई बार अपने चित्रों में कबूतर को दर्शाया और अपनी बेटी का नाम भी "पालोमा" रखा, जिसका स्पेनिश भाषा में अर्थ कबूतर होता है.
तस्वीर: picture alliance/dpa
भारत में भी कबूतर
पिकासो के चित्र ने जिन कलाकारों को प्रेरणा दी उनमें भारतीय शहर चंडीगढ़ का डिजाइन बनाने वाले आर्किटेक्ट ल कोर्बूजिए भी थे. उन्होंने शहर में यह कलाकृति बनाई, जिसमें एक खुली हथेली को एक कबूतर के आकार में दिखाया गया है. यह कलाकृति अंग्रेजी हुकूमत से भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक थी.
तस्वीर: picture alliance / Photononstop
शांति आंदोलन का प्रतीक
शांति प्रदर्शनों में इस्तेमाल होने वाले इस लोगो को 1970 के दशक में फिन्निश ग्राफिक डिजाइनर मीका लौनीस द्वारा ली गई एक कबूतर की तस्वीर से बनाया गया था. अब हर शांति प्रदर्शन में नीले झंडे दिखाए जाते हैं जिन पर यह लोगो बना होता है.
तस्वीर: Daniel Naupold/picture alliance/dpa
एक पुराना संदेश
यूक्रेन युद्ध के खिलाफ प्रतिक्रिया के रूप में जर्मन थिएटर कंपनी बर्लिनर औंसौम्ब्ल ने पिकासो के मशहूर चित्र के साथ इस झंडे को दर्शाया. इस झंडे को सबसे पहले 1950 के दशक में जर्मन थिएटर जगत के दिग्गज बेर्टोल्ट ब्रेक्ट ने स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में लगाया था. बर्लिनर औंसौम्ब्ल ब्रेक्ट की शांति की अपील को फिर से जीवित करना चाहता है और यूक्रेन के साथ एकजुटता दिखाना चाहता है.
तस्वीर: Jens Kalaene/dpa/picture alliance
युद्ध की क्रूरता
इस साल जर्मनी के शहर कोलोन में पारंपरिक रोज मंडे परेड को एक शांति रैली में बदल दिया गया, जिसमें 25,000 लोगों ने हिस्सा लिया. एक झांकी में खून से लथपथ एक कबूतर को और रूस के झंडे को उस कबूतर के आर पार दिखाया गया. (किम-आइलीन स्टरजेल, लैला अब्दल्ला)
तस्वीर: Rolf Vennenbernd/dpa/picture alliance
8 तस्वीरें1 | 8
नीदरलैंड्स के प्रधामंत्री मार्क रुटे ने यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से कहा कि संघ की सदस्यता की प्रक्रिया तेज नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा, "फास्ट-ट्रैक जैसा कुछ होता नहीं है. ऐसी कोई त्वरित प्रक्रिया नहीं है. हमें पश्चिमी बाल्कन देशों के बारे में भी सोचना होगा जो महज सदस्यता की उम्मीवारी पाने के लिए दसियों साल से काम कर रहे हैं. अल्बानिया और मैसिडोनिया के बारे में सोचिए. तो हमें सोचना है कि व्यवहारिकता में क्या किया जा सकता है.”
एक अन्य बाधा जो यूरोपीय संघ को यूक्रेन को सदस्यता देने से रोक रही है, वह ईयू की संधि है, जिसके तहत यदि किसी सदस्य देश पर हमला होता है तो सभी सदस्यों को अपनी पूरी ताकत से उसकी मदद करनी होगी.
सोवियत रूस में रह चुके देश लातविया के प्रधानमंत्री कृश्चानिस कारिन्स कहते हैं, "यह बहुत जरूरी है कि हम दिखाएं कि यूक्रेन के लिए दरवाजे खुले हैं, सदस्यता के लिए उनका रास्ता खुला है और लोकतांत्रिक देशों के परिवार के रूप में हम उन्हें चाहते हैं. यूक्रेन के लोगों के लिए यह बहुत-बहुत जरूरी संकेत होगा.”
विज्ञापन
रूस पर निर्भरता
ईयू के नेताओं ने रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता पर भी चर्चा की. रूस और उसके सहयोगी बेलारूस पर नए प्रतिबंधों और उन्हें स्विफ्ट सिस्टम से बाहर करने के मुद्दे भी बातचीत में शामिल थे. सभी नेता इस बात सहमत थे कि यूरोप को रूस पर निर्भरता कम करनी चाहिए.
कारिन्स ने बताया, "ऊर्जा क्षेत्र क्रेमलिन का मुख्य आय स्रोत है. इससे उन्हें रोजाना के लगभग 60 करोड़ यूरो यानी लगभग 50 अरब रुपये मिलते हैं. अगर हम रूस की ऊर्जा खरीना बंद कर देंगे तो उसकी सेना की फंडिंग बंद हो जाएगी.”
कौन खरीदता है रूस का सामान
अमेरिका ने रूस से तेल आयात बंद कर दिया है. लेकिन रूस के बड़े आयातक तो दूसरे देश हैं, जो उससे तेल ही नहीं और भी बहुत कुछ खरीदते हैं. देखिए रूस के 10 सबसे बड़े आयात साझेदार...
तस्वीर: Vasily Fedosenko/ITAR-TASS/imago images
रूसी सामान का सबसे बड़ा खरीददार
चीन रूस का सबसे बड़ा आयातक है. 2021 में रूस के कुल निर्यात का सबसे ज्यादा (13.4 प्रतिशत) चीन को था, जिसकी कुल कीमत 57.3 अरब अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 4,442 अरब भारतीय रुपये थी.
तस्वीर: Costfoto/picture alliance
नंबर 2, नीदरलैंड्स
स्टैटिस्टा वेबसाइट के मुताबिक 2021 में रूस ने यूरोपीय देश नीदरलैंड्स को 44.8 अरब डॉलर का निर्यात किया था जो उसके कुल निर्यात का 10.5 फीसदी था.
तस्वीर: picture alliance/dpa
नंबर 3, जर्मनी
रूस की प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा खरीददार जर्मनी दरअसल उसका तीसरा सबसे बड़ा निर्यात साझेदार है. 2021 में जर्मनी ने रूस से 28 अरब डॉलर का सामान खरीदा, यानी कुल व्यापार का 6.6 प्रतिशत.
तस्वीर: Fabrizio Bensch/REUTERS
नंबर 4, बेलारूस
यूक्रेन युद्ध में खुलकर रूस का साथ दे रहे बेलारूस ने पिछले साल 21.7 अरब डॉलर का आयात रूस से किया था, जो रूस के कुल निर्यात का 5.1 प्रतिशत था.
तस्वीर: Mindaugas Kulbis/AP/picture alliance
नंबर 5, तुर्की
रूस से सामान खरीदने में तुर्की भी पीछे नहीं है. उसने पिछले साल 21.1 अरब डॉलर का सामान खरीदा जो रूस के कुल निर्यात का 5 प्रतिशत था.
दक्षिण कोरिया को रूस ने 2021 में 16.4 अरब डॉलर का सामान बेचा जो उसकी कुल बिक्री का 3.8 प्रतिशत था.
तस्वीर: Ahn Young-joon/AP/picture alliance
नंबर 7, इटली और कजाखस्तान
नंबर 7, इटली और कजाखस्तान रूस के कुल निर्यात का 3.4 प्रतिशत यानी लगभग 14.3 अरब डॉलर इटली को जाता है. इतना ही निर्यात कजाखस्तान को भी हुआ.
तस्वीर: Guglielmo Mangiapane/REUTERS
नंबर 8, ब्रिटेन
रूसी निर्यात में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 3.1 प्रतिशत की है. पिछले साल उसने रूस से 13.3 अरब डॉलर का सामान खरीदा.
तस्वीर: empics/picture alliance
नंबर 9,अमेरिका
अमेरिका ने बीते साल रूस से 13.2 अरब डॉलर का आयात किया, जो रूस के कुल निर्यात का 3.1 प्रतिशत था.
तस्वीर: Kena Betancur/AFP/Getty Images
9 तस्वीरें1 | 9
सदस्य देशों ने निर्भरता कम करने के लिए अक्षय ऊर्जा की ओर ज्यादा तेजी से बढ़ने की बात कही. यूरोपीय संघ में बिजली बनाने, घरों को गर्म रखने और उद्योगों को सप्लाई के लिए जरूरी प्राकृतिक गैस की 90 प्रतिशत पूर्ति रूस से होती है. इसके अलावा संघ की 40 प्रतिशत गैस और एक चौथाई तेल भी वहीं से आता है.
वैसे अमेरिका ने रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है और ब्रिटेन ने भी कहा है कि इस साल के आखिर तक चरणबद्ध तरीके से तेल आयात बंद कर दिया जाएगा. लेकिन फिलहाल यूरोपीय संघ इस रास्ते पर चलता नजर नहीं आता.
इसी हफ्ते की शुरुआत में यूरोपीय आयोग ने सप्लाई के लिए अलग स्रोत खोजने और रूसी गैस की मांग साल के आखिर तक दो तिहाई घटाने का प्रस्ताव पेश किया था. लेकिन आयात एकदम बंद करने के प्रस्ताव का जर्मनी और फ्रांस पहले ही विरोध कर चुके हैं.