1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

फिर औद्योगीकरण की ओर बढ़ रहे हैं यूरोप और अमेरिकाः रिपोर्ट

१८ अप्रैल २०२४

यूरोप और अमेरिका में औद्योगीकरण फिर से शुरू हो रहा है. कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग में ज्यादा निवेश कर रही हैं. एक ताजा रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

जर्मनी में फोक्सवागन की फैक्ट्री
जर्मनी में फोक्सवागन की फैक्ट्रीतस्वीर: Sean Gallup/Getty Images

कोविड-19 महामारी और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध से यूरोप और अमेरिका को अहसास हो गया है कि वे ज्यादा समय तक विदेशों में माल बनाकर काम नहीं चला सकते अपने घर में निर्माण करना होगा. इसके लिए पुनः औद्योगिककरण के प्रयास शुरू हो चुके हैं.

कंसल्टिंग फर्म कैपजेमिनाई ने एक अध्ययन के बाद रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें बताया गया है कि बड़े पैमाने पर यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियां घरेलू निर्माण में निवेश कर रही हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका और यूरोप के 11 देशों में 12 औद्योगिक क्षेत्रों की कंपनियां अगले तीन साल में घरेलू निर्माण में 34 खरब डॉलर का निवेश करने जा रही हैं.

तीन साल पहले यह निवेश 24 खरब डॉलर था. निर्माण अपने देश में या पड़ोसी देश में किया जाएगा.

 

रिपोर्ट में कहा गया है, "जिस दर से पुनः औद्योगीकरण बढ़ रहा है, वह असाधारण है. इसके पीछे जो मुख्य कारक काम कर रहे हैं उनमें सप्लाई चेन की समस्याओं के प्रति लचीलापन, मैन्युफैक्चरिंग में कुशल कारीगरों के लिए नौकरियां पैदा करना, रणनीतिक क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना और यूरोप और उत्तरी अमेरिका का निर्माण-केंद्र का रुतबा वापस पाना शामिल है.”

कोविड-19 महामारी ने दुनिया की सप्लाई चेन को बुरी तरह प्रभावित किया. किसी भी कंपनी के लिए कच्चा माल और उपकरण हासिल करना और अपना तैयार माल बाजारों को भेजना बहुत मुश्किल हो गया था.

कोविड ने बदल दी सोच

जब दुनिया कोविड महामारी से उबरी तो रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा यूरोप और अमेरिकी देशों के लिए बड़ी चुनौती बन गया. इस कारण इन देशों को अहसास हुआ कि मैन्युफैक्चरिंग का जो काम एशिया और दक्षिण अमेरिका में चला गया था, उसे वापस लाना पड़ेगा.

रिपोर्ट लिखने वालों में से एक एटिएन ग्रास ने कहा, "मैन्युफैक्चरिंग वापस लाने का यह चलन जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसने हमें हैरान किया है.”

ग्रास ने कहा कि उन्होंने जिन कंपनियों पर अध्ययन किया उनके कुल राजस्व का 8.7 फीसदी निवेश किया जा रहा है. वह कहते हैं, "यह बहुत बड़ी रकम है.”

चीनी कारों ने जर्मनी के सामने खड़ी कर दी है मुश्किल

04:02

This browser does not support the video element.

फरवरी में हुए इस सर्वेक्षण में जिन कंपनियों को शामिल किया गया उनका कुल सालाना रेवन्यू एक अरब डॉलर से ज्यादा है. कंपनियों के लगभग 1,300 अधिकारियों से बात की गई. ये कंपनियां ब्रिटेन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, स्पेन, स्वीडन और अमेरिका में हैं.

कंपनियों ने रीइडंस्ट्रियलाइजेशन के जो सबसे बड़े कारण दिए हैं उनमें सप्लाई चेन को मजबूत करना सबसे ऊपर था. उसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए घरेलू ढांचा स्थापित करना कारण बताया गया. तीसरे नंबर पर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी और उसके बाद सरकारों द्वारा निर्माण के लिए दिए जाने वाले लाभ आते हैं.

सबसे आगे जर्मनी

ग्रास ने कहा कि राशि के मामले में अमेरिका का निवेश सबसे ज्यादा है जो 14 खरब डॉलर से अपने यहां निर्माण क्षेत्र को मजबूत कर रहा है. लेकिन जीडीपी के अनुपात में अन्य देशों के मुकाबले यह कम है.

जीडीपी के अनुपात में रीइंडस्ट्रियलाइजेशन पर सबसे ज्यादा खर्च जर्मनी कर रहा है. उसका निवेश जीडीपी का 20 फीसदी है. फ्रांस का निवेश जीडीपी का 13 फीसदी है जबकि अमेरिका का मात्र 5 फीसदी.

निर्माण के काम को घर के पास वापस लाने के पीछे इन कंपनियों का एक मकसद चीन पर निर्भरता घटाना भी है. इसके लिए उभरते बाजारों में निवेश किया जा रहा है. रिपोर्ट ने कहा, "इसके लिए ये कंपनियां भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका और मेक्सिको आदि में अपनी महत्वपूर्ण संपत्तियों का बंटवारा कर रहे हैं. इनमें फैक्ट्रियां, वेयरहाउस और लॉजिस्टिक्स सेंटर शामिल हैं.”

वीके/एए (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें