तेजी लाएगा ईयू ऊर्जा ट्रांजीशन में
१७ अप्रैल २०१८
EU wants to accelerate energy transition
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अक्षय ऊर्जा के लिए अच्छे बाजार
अक्षय ऊर्जा के लिए अच्छे बाजार
जर्मनी में होने वाली कॉप23 में अक्षय ऊर्जा पर होने वाली हर बातचीत भारत के लिए अहम रहेगी. इसकी वजह है कि दुनिया भर के अक्षय ऊर्जा निवेशकों को भारत इन दिनों खूब लुभा रहा है.
एनर्जी कंट्री अट्रैक्टिव इंडेक्स
कारोबारी पत्रिका एन्सर्ट एंड यंग की ओर से जारी रिन्यूएबल एनर्जी कंट्री अट्रैक्टिव इंडेक्स उन कारकों से बनता है जो अक्षय ऊर्जा के बाजार को आकर्षक बनाते हैं. इस इंडेक्स में खासतौर पर उन देशों को जगह मिलती है जहां अक्षय ऊर्जा सब्सिडी की निर्भरता से आगे बढ़ अब एक बाजार के रूप में सामने आ रहा है. हाल के वर्षों में कई देशों ने इस दिशा में कदम बढ़ाये हैं.
क्यों हैं अहम
इंडेक्स भविष्य के उन उभरते हुए बाजारों की ओर भी इशारा करता है जो स्वच्छ ऊर्जा से जुड़ी नीतियों को अपना रहे हैं. अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा के वे स्रोत हैं जो प्रकृति में मुक्त रूप से असीमित मात्रा में मौजूद हैं और जिन्हें उत्पन्न या इस्तेमाल करने में प्रदूषण ना के बराबर होता है. इन्हें स्वच्छ या नवीनीकरणीय ऊर्जा भी कहा जाता है
भारत की जगह
साल 2017 के लिए जारी की गयी 40 देशों की इस सूची में भारत, चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. भारत ने साल 2022 तक 175 गेगावाट नवीनीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है. सरकार के इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य ने बाजार को आकर्षक बना दिया है.
अमेरिका खिसका
स्वच्छ ऊर्जा पर अमेरिकी नीति में आये बदलावों ने इंडेक्स में अमेरिका को चीन और भारत से पीछे कर दिया है. अमेरिकी नीतियों ने निवेशकों में घबराहट पैदा कर दी है और अब निवेशक, निवेश पर संभावित कटौती को लेकर चितिंत हैं.
जर्मनी ने किया सुधार
जर्मनी के सरकारी बैंक केएफडब्ल्यू ने परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल को कम करने और अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के जो निवेश लक्ष्य पेश किये थे उसने बाजार की सरगर्मी को अब तक बनाये रखा है. केएफडब्ल्यू की इस प्रतिबद्धता ने दूसरे यूरोपीय देशों के मुकाबले जर्मनी के बाजार को काफी आकर्षक बना दिया है.
ऑस्ट्रेलिया
अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में एक साल के रिकॉर्ड निवेश और कोयले पर निर्भरता घटाने वाला ऑस्ट्रेलिया, दुनिया का पांचवां आकर्षक बाजार बना हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया को अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने के साथ-साथ ऊर्जा के वितरण पर भी काम करना होगा.
इनके बाद
इसके बाद चिली, जापान, फ्रांस और मेक्सिको का स्थान आता है. चिली में निवेश के मजबूत स्तर के लिए देश का फीड-इन-टैरिफ भी जिम्मेदार हैं. फीड-इन-टैरिफ, वह दर होती है जिसके तहत उन संस्थाओं और घरों को भुगतान किया जाता है जो प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाये बिना अपने इस्तेमाल के लिए ऊर्जा पैदा करते हैं. फीड-इन-टैरिफ नीति को पवन ऊर्जा के लिए साल 2019 तक बढ़ा दिया गया है लेकिन सौर ऊर्जा में कमी आयी है.
ब्रिटेन
लंबे तक सब्सिडी पर निर्भर रहा ब्रिटेन का अक्षय ऊर्जा बाजार, पिछले कुछ वर्षों से स्थिर नजर आ रहा है. लेकिन रिपोर्ट में ब्रिटेन को दसवें स्थान पर रखा गया है क्योंकि यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद से देश की ऊर्जा नीति अब भी अनिश्चित है.
उभरते बाजार
रिपोर्ट में पहली बार कजाखस्तान, पनामा जैसे देशों को भी जगह दी गयी है. इससे साफ है कि भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाले देशों की संख्या में इजाफा होगा और अक्षय ऊर्जा का बाजार और भी आकर्षक बनेगा.