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यूरो कप 2024: इंतजामों ने खोली जर्मन कार्यकुशलता की पोल

थोमास गेनॉय
२५ जून २०२४

यूरो 2024 फुटबॉल टूर्नामेंट देखने जर्मनी पहुंचे फैंस को स्टेडियम तक पहुंचने और वहां से लौटने में काफी परेशानी हो रही है. कुछ लोग तो इसे किसी ‘बुरे सपने’ जैसा बता रहे हैं.

20 जून को इटली-स्पेन की टक्कर देखकर लौटते फैंस का सामना अव्यवस्था से हुआ
20 जून को इटली-स्पेन की टक्कर देखकर लौटते फैंस का सामना अव्यवस्था से हुआ तस्वीर: Thomas Gennoy/DW

इस साल यूरो 2024 फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन जर्मनी में हुआ है. टूर्नामेंट की शुरुआत से पहले जर्मन अधिकारियों ने दावा किया था कि उन्होंने हर तरह की व्यवस्था कर ली है, ताकि फैंस को कोई परेशानी न हो. लेकिन कई जगहों पर इससे अलग स्थिति भी देखने को मिल रही है. दर्शकों को स्टेडियम पहुंचने और वहां से वापस अपने होटल या शहर तक लौटने में इतनी ज्यादा परेशानी हो रही है कि कुछ लोग इसे ‘बुरे सपना' बता रहे हैं.

जर्मन राज्य राइन वेस्टफेलिया के गेल्जनकिर्शन शहर में स्थित अरेना आउफशाल्के स्टेडियम में हुए स्पेन और इटली के मैच के खत्म होने के बाद बाहर निकलने का वक्त हो चुका था. रात के करीब 12 बजने वाले थे. हजारों की तादाद में दोनों देशों के फैंस अरेना आउफशाल्के ट्राम स्टेशन की ओर एक फुटब्रिज से होते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे. इटली मैच हार गया था, तो उसके फैंस का निराश होना तो लाजमी था, लेकिन हैरानी की बात यह थी कि जीतने वाली स्पेन टीम के फैंस भी खुश नहीं दिख रहे थे. 

फुटब्रिज के नीचे, हर पांच मिनट में एक ट्राम धीरे-धीरे आकर थोड़े से लोगों को चढ़ाकर सिटी सेंटर की तरफ रवाना हो रही थी. ये ट्राम इतनी धीमी थी कि मानो घोंघा रेंग रहा हो. कभी-कभी स्टेशन के नीचे के एक हिस्से में खड़ी एक बस अचानक स्टार्ट हो जाती, धीमी आवाज के साथ दरवाजा खुलता, फैंस उसमें चढ़ते और यह बस ट्रैफिक जाम वाली सड़क की तरफ निकल जाती. बस वाली जगह भी इतनी दूर और मुश्किल से दिखती है कि वहां मौजूद ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चल पाता कि ये भी एक रास्ता है. 

ऐसे ही अनियमित और लंबे अंतराल पर यह भीड़ कुछ मीटर आगे बढ़ती है, फिर वहीं रुक जाती है. भीड़ कम नहीं हो रही है और ऐसा लगता है मानो यह इंतजार कभी खत्म ही नहीं होने वाला है. आखिर इतनी कम गाड़ियां क्यों हैं? इतनी देर क्यों हो रही है? ये सब हो क्यों रहा है?

स्पेन और इटली के मैच को लेकर फैंस में खासा उत्साह था तस्वीर: JESPER ZERMAN/BILDBYRÅN/picture alliance

अव्यवस्था जैसी स्थिति

सबसे पहले ऐसी परेशानी का सामना इंग्लैंड और सर्बिया का मैच देखने गए फैंस को करना पड़ा. यह मैच जर्मनी के इसी स्टेडियम में खेला गया था, जहां यूरो 2024 के चार मैच होने वाले हैं. स्टेडियम से निकलने के लिए बने कुछ फुट ब्रिज पर हजारों की भीड़ जमा हो गई और उन्हें वहां स्टेशन तक पहुंचने के लिए एक घंटे से भी ज्यादा समय इंतजार करना पड़ा. कई लोग तो घंटों इंतजार करने और भीड़ का सामना करने के बजाय मीलों दूर सिटी सेंटर या आस-पास के कस्बों तक पैदल ही चल पड़े.

गेल्जनकिर्शन शहर के मुख्य स्टेशन पर भी हालात कुछ बेहतर नहीं थे. वहां भी प्लैटफॉर्म पर बहुत ज्यादा भीड़ थी और स्टेशन के कर्मचारियों की तरफ से सही जानकारी न मिलने से स्थिति और भी खराब हो गई. कुल मिलाकर, स्टेडियम से निकलने के पूरे इंतजाम में बहुत गड़बड़ी थी.

डीडब्ल्यू ने स्थानीय परिवहन कंपनी बोगेस्ट्रा के कर्मचारियों से बात की. इन कर्मचारियों का कहना था कि रविवार के बाद से हालात काफी बेहतर हुए हैं. डीडब्ल्यू ने फैंस से भी बात की. फैंस को यह जानकर काफी गुस्सा आया कि आयोजकों को लगता है कि गुरुवार को हालात में सुधार हुआ है.

फिन नाम के एक स्कॉटिश फैन ने पूछा, "क्या बेहतर हुआ है?” वह मैच खत्म होने के दो घंटे बाद गेल्जनकिर्शन के सेंट्रल स्टेशन पर रात 1 बजे पहुंचे थे. उन्होंने आगे कहा, "वहां फुटब्रिज पर काफी कम जगह थी. हम सब लोग एक दूसरे से चिपके हुए थे. ऐसा लग रहा था जैसे किसी डिब्बे में मछली को बंद कर दिया गया हो.”

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खाली कार पार्किंग

मैच खत्म होने के दो घंटे पहले, कुछ फैंस गलत रास्ते से निकल पड़े थे. नतीजा, उन्हें कीचड़ भरे खड़े रास्तों पर चढ़ना पड़ा ताकि वे फुट ओवरब्रिज तक पहुंच सकें. फिर उन्हें उस फुट ओवरब्रिज पर जाने के लिए रेलिंग पर चढ़ना पड़ा. इस फुट ओवरब्रिज से एक बहुत बड़ी मल्टीस्टोरी कार पार्किंग दिखती है. गौर करने वाली बात ये है कि यह कार पार्किंग रविवार और गुरुवार दोनों दिन लगभग खाली ही पड़ी रही.

रविवार को एक पुलिस अधिकारी ने डीडब्ल्यू को बताया, "जब शाल्के (स्थानीय फुटबॉल क्लब) का मैच होता है, तो काफी सारे लोग अपनी कार से आते हैं.” आसपास के शहर, जैसे कि वाटेनशाइड या हेर्ने से आने वाले फैंस के लिए कार शायद सही विकल्प है, लेकिन मिलान या मैड्रिड जैसे दूर के शहरों से आने वाले फैंस के लिए कार से आना मुश्किल है और सही भी नहीं है.

अतिरिक्त ट्राम से फैंस को थोड़ी राहत

गेल्जनकिर्शन शहर के एक प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू को बताया कि शाल्के के घरेलू मैच की तुलना में, सार्बिया और इंग्लैड के मैच वाले दिन दोगुनी ट्रामें चलाई गई थी. हालांकि, ट्रैफिक जाम में फंसे इंग्लैंड और सर्बिया के फैंस को इस बात से शायद ही कोई राहत मिली होगी.

ट्राम की संख्या सीमित है और यूरो टूर्नामेंट देखने आए ज्यादातर फैंस को सार्वजनिक परिवहन पर ही निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे में इस स्टेडियम में रात 9 बजे मैच शुरू करना एक बड़ी समस्या बन गई है. दो बार मैच खत्म होने के बाद, एक साथ करीब 50,000 फैंस के स्टेडियम से बाहर निकलने से यह बात साफ तौर पर जाहिर हो गई कि ट्राम सिस्टम के लिए इतनी भीड़ संभाल पाना मुश्किल है. इससे थके हुए फैंस को काफी परेशानी और बेचैनी हुई है. 

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इस अव्यवस्था के बाद अब यह सवाल उठ सकता है कि आखिर गेल्जनकिर्शन में मैच का आयोजन कराने का फैसला क्यों लिया गया. इसकी जगह न्यूरेमबर्ग, ब्रेमेन या हनोवर जैसे शहरों को चुना जा सकता था जहां बड़े और आधुनिक स्टेडियम हैं, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया.

हालांकि, अव्यवस्था का आलम इस गेल्जनकिर्शन शहर तक ही सीमित नहीं है. फैंस को अन्य जगहों पर भी समस्या का सामना करना पड़ा है.

डीडब्ल्यू ने स्कॉटलैंड के फैंस से बात की, तो पता चला कि जर्मनी पहुंचने के बाद से स्कॉटलैंड के फैंस ने म्यूनिख, कोलोन और दूसरे शहरों में यात्रा के दौरान काफी परेशानी झेली. रेलगाड़ियों में अचानक और बिना बताए देरी होना उनकी सबसे बड़ी परेशानी है.

डेवी नियमित रूप से पूरे यूरोप में स्कॉटलैंड के बाहर होने वाले मैच देखने जाते हैं. उन्होंने कहा, "मैदान में माहौल तो शानदार रहा, लेकिन ट्रांसपोर्ट सिस्टम एक बुरा सपना बन गया. ऐसा लग रहा है कि हर ट्रेन लेट चल रही है.”

बेहतर व्यवस्था करने में असफल रहा जर्मनी

पिछले हफ्ते की अव्यवस्था के बाद जर्मनी की छवि थोड़ी धूमिल हुई है. यूरो टूर्नामेंट देखने आए फैंस काफी निराश हुए हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स सहित विदेशी अखबारों ने भी जर्मनी की कमियों की तरफ ध्यान दिलाया है, जिससे लोगों के मन में जर्मनी को लेकर बने पुराने ख्याल बदल रहे हैं. अगर इस यूरो 2024 में इतने शानदार फुटबॉल मैच और जोश से भरा माहौल न होता, तो ट्रांसपोर्ट सिस्टम से जुड़ी अव्यवस्था और खराब इंतजाम टूर्नामेंट की छवि को और भी ज्यादा खराब कर सकते थे. 

हालांकि, गेल्जनकिर्शन शहर में अब तक कोई खास मैच नहीं हुआ है. इंग्लैंड की सर्बिया पर मुश्किल से मिली जीत के सिर्फ कुछ नजारे टूर्नामेंट के हाइलाइट्स में दिखाई देंगे. स्पेन और इटली का मुकाबला भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका. अगर पुर्तगाल और जॉर्जिया की टीम काफी मेहनत करती है, तो ग्रुप स्टेज पूरा होने से पहले अरेना आउफशाल्के स्टेडियम किसी यादगार मैच का गवाह बनेगा. ग्रुप स्टेज के बाद यहां सिर्फ एक ही राउंड-ऑफ-16 मैच खेला जाएगा. यह बात फैंस और आयोजकों दोनों के लिए राहत की बात हो सकती है.

जर्मनी के कई शहरों में परेशानियां आईं, लेकिन जितनी अव्यवस्था यहां देखने को मिली, उतनी कहीं नहीं रही. यहां यह बात साफ तौर पर जाहिर हो गई है कि इस टूर्नामेंट की व्यवस्था संभालने में जर्मनी को कितनी कार्यकुशलता हासिल करने की जरूरत है.

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