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यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए यूरोप में बना 'मानवीय गलियारा'

२ मार्च २०२२

पिछले हफ्ते से जारी रूसी आक्रमण के कारण करीब 500,000 लोग यूक्रेन से पोलैंड पहुंच चुके हैं. यूरोप में पोलैंड के अलावा रोमेनिया समेत कई देशों ने यूक्रेन से पहुंच रहे शरणार्थियों के लिए सीमा, दिल और दरवाजे खोल दिए हैं.

Grenze Ungarn-Ukraine | Studenten aus Indien fliehen
युद्ध के माहौल में यूक्रेन से निकल कर हंगरी की सीमा में प्रवेश करते भारतीय स्टूडेंट तस्वीर: ATTILA KISBENEDEK/AFP/Getty Images

पोलैंड के वॉरसॉ में अधिकारियों ने बताया है कि बीते कुछ ही दिनों में यूक्रेन की ओर से उनकी सीमा में लाखों लोग पहुंच रहे हैं. पोलैंड के प्रधानमंत्री माटेउस मोरावीस्की ने कहा है, "हम अपने पड़ोसियों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम ऐसा कर रहे हैं. हमने एक मानवीय गलियारा बनाया है और हमारी तरफ से जो कुछ भी हो सकता है हम वो सब कुछ तेजी से कर रहे हैं." प्रेस को यह बयान देने के बाद पोलिश प्रधानमंत्री यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स माइकल के साथ कॉर्सोवा बॉर्डर क्रॉसिंग का दौरा करने गए.

यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स माइकल के साथ पोलिश प्रधानमंत्रीतस्वीर: Sean Gallup/Getty Images

उनके इस रवैये की रोम से पोप फ्रांसिस ने प्रशंसा की है. पोप ने कहा, "यूक्रेन का साथ देने वाले आप पहले थे. युद्ध से भाग रहे यूक्रेनी लोगों के लिए आपने अपनी सीमाएं, दिल और दरवाजे सब खोल दिए."

चार्ल्स माइकल ने कहा कि ईयू के सभी सदस्य देशों के लिए इस मौके पर एकजुटता दिखाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन में जिस तरह के हालात बन रहे हैं और संकट गहराता जा रहा है, ऐसे में रूसी हमले से जान बचा कर सुरक्षा की आस में वहां से भागते यूक्रेनियों की मदद करनी ही चाहिए.

बीते कई महीनों से रूस हमले की ऐसी किसी भी संभावना से इनकार करता आया था. अमेरिका समेत कुछ देशों से लगातार ऐसी सूचनाएं और चेतावनियां मिल रही थीं कि यूक्रेनी सीमा पर रूसी जमावड़ा बढ़ रहा है. पहले से अपने कहे पर पलटते हुए पिछले हफ्ते रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. तभी से हजारों, लाखों की संख्या में आम शहरियों का हमले वाली जगहों से निकल कर भागना जारी है.

पोलिश प्रधानमंत्री ने कहा, "जो लोग भी युद्ध से भाग रहे हैं, चाहे वे किसी भी राष्ट्रीयता के हों, पोलैंड उन लोगों की मदद कर रहा है." उन्होंने लोगों से रूसी प्रोपेगैंडा पर विश्वास ना करने की अपील भी कि जिसमें यूक्रेनी लोगों को डराया जा रहा है कि पोलैंड सीमा पर उनके साथ बुरा सुलूक किया जाएगा. हाल ही में सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी तस्वीरें शेयर की गईं जिनमें अफ्रीकी मूल के कुछ लोगों को शिकायत करते दिखाया गया. वीडियो में यह लोग कहते दिखे थे कि सीमा पर यूरोपीय मूल के लोगों को जाने दिया जा रहा है जबकि उन्हें रोक दिया गया.

यूरोप में केवल पोलैंड ही शरणार्थियों का ठिकाना नहीं है. करीब 120,000 लोग रोमेनिया पहुंचे जिनमें से आधे से भी अधिक लोग रोमेनिया से भी आगे दूसरे यूरोपीय देशों की ओर बढ़ चुके हैं. समाचार एजेंसी मीडियाफैक्स ने लिखा है कि रोमेनिया के प्रधानमंत्री निकोला सियूका के अनुसार अब केवल 46,000 यूक्रेनी शरणार्थी ही रोमेनिया में बचे हैं.

यूरोप के चेक रिपब्लिक जैसे देशों में युद्ध शुरू होते ही लोग पहुंचने लगे. प्रशासन ने जानकारी दी है कि अब तक उन्होंने यूक्रेन से आए करीब 20,000 लोगों का रजिस्ट्रेशन किया है. चेक प्रधानमंत्री पेटर फियाला ने इसे "शरणार्थियों की बढ़ती लहर" बताया है. पीएम फियाला ने कहा कि देश में इमरजेंसी फोन लाइनें चलाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों के लिए चेक गणराज्य उनका "गंतव्य देश" है इसलिए उन्होंने हर प्रशासनिक ईकाई को शरण केंद्र तैयार करने को कहा है.

इस बीच, डॉयचे बान ने बताया है कि कई और यूरोपीय रेल ऑपरेटरों ने साथ मिल कर 40 अंतरराष्ट्रीय बाई स्पीड ट्रेनें चलाई गई हैं जो कि शरणार्थियों को ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक और पोलैंड से जर्मनी ले कर आएंगी. इनकी यात्रा मुफ्त होगी. अगर यूक्रेन से आए लोग आगे बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, लक्जेमबर्ग, नीदरलैंड या स्विट्जरलैंड जाना चाहेंगे, तो उन्हें भी यह तेज रफ्तार ट्रेनें मुफ्त में वहां पहुंचाएंगी.

आरपी/एनआर (डीपीए)

फास्ट ट्रेनों का नेटवर्क शरणार्थियों को सुरक्षित उनके ठिकाने पर पहुंचाने को समर्पिततस्वीर: Maciej Luczniewski/NurPhoto/picture alliance
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