अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के पहले भाषण में ही सख्त रुख दिखाने के बाद यूरोप में बेचैनी है कि व्यापारिक और सामरिक साझीदारी का भविष्य क्या होगा.
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डॉनल्ड ट्रंप के संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल की शुरुआतके साथ, यूरोपीय संघ के नेताओं ने ट्रांस-अटलांटिक संबंधों में असमंजस की स्थिति से निपटने के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. यूरोपीय संघ को अमेरिकी नीतियों में बदलाव का सामना करना पड़ेगा, खासकर चीन के साथ व्यापार और संभावित व्यापार प्रतिबंधों को लेकर. यूरोपीय अधिकारियों ने यह साफ किया है कि यूरोप अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार है और अपने हितों की रक्षा करेगा.
जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने बर्लिन में मर्केटर इंस्टिट्यूट फॉर चाइना स्टडीज के एक कार्यक्रम में यूरोप से एक आत्मविश्वास से भरपूर और एकजुट प्रतिक्रिया की अपील की. बेयरबॉक ने कहा कि यूरोप को अमेरिका-चीन विवाद में ना फंसकर अपनी अलग पहचान बनानी चाहिए.
उन्होंने कहा, "हमें यह स्पष्ट कहना चाहिए कि हम किसके साथ खड़े हैं और किसके साथ काम कर रहे हैं. यह यूरोप को अपने आप को परिभाषित करने का समय है."
डॉनल्ड ट्रंप का ओवल ऑफिस में पहला दिन
अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही डॉनल्ड ट्रंप ने कार्यकारी आदेशों की झड़ी लगा दी. समर्थकों को माफी, सीमा पर और ऊर्जा के लिए आपातकाल, पेरिस समझौते और डब्ल्यूएचओ से निकलना भी इसमें शामिल है. ट्रंप ने पहले दिन क्या किया?
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संघीय कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम नहीं
अमेरिकी में संघीय सरकार के कर्मचारियों को अब रोजाना दफ्तर आना होगा. उनके लिए वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करने की सुविधा खत्म कर दी गई है. इसके साथ ही नए कर्मचारियों की नियुक्ति भी फिलहाल बंद कर दी गई है.
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1500 समर्थकों को माफी
पिछले चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की हार के बाद बड़ी संख्या में उनके समर्थक कैपिटॉल में घुस गए और उधम मचाया. उनकी इस हरकत से अमेरिका शर्मसार हुआ और फिर सैकड़ों लोगों पर इस मामले में मुकदमा चला. डॉनल्ड ट्रंप ने इसमें शामिल 1500 समर्थकों को माफी दे दी है.
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सीमा पर आपातकाल
डॉनल्ड ट्रंप ने सीमा पर आपातकाल की घोषणा की है. उन्होंने वहां सेना की तैनाती और बॉर्डर सील करने का आदेश दिया है, ताकि आप्रवासियों के देश में घुसने पर रोक लगे. मोबाइल ऐप के जरिए अपॉइंटमेंट बुक कर के देश में आने वाली सुविधा बंद हो गई है और अवैध आप्रवासियों के आने के सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं. अमेरिका में दाखिल हो चुके आप्रवासियों के वहीं पैदा हुए बच्चों को भी अब अपने आप नागरिकता नहीं मिलेगी.
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डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी
ट्रंप ने राष्ट्रपति की सलाहकार समिति से अलग डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी नाम से नया दफ्तर बनाने की कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है. टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक इलॉन मस्क को इस विभाग की जिम्मेदारी देने की चर्चा है. विभाग सरकारी खर्च घटाने के बारे में राष्ट्रपति को सलाह देगा. इस बीच पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के सलाहकार रहे विवेक रामास्वामी ने इस्तीफा दे दिया है. वह चुनाव लड़ सकते हैं.
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तीसरे लिंग का दर्जा खत्म
ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका में अब सिर्फ दो ही लिंग होंगे, स्त्रीलिंग और पुल्लिंग. कई दशकों की लड़ाई के बाद ट्रांसजेंडरों को अमेरिका में मान्यता मिली थी. ट्रंप ने उसे खत्म कर दिया है. जाहिर है कि सरकारी नौकरियों में ट्रांसजेंडरों की बहाली पर इसका असर होगा. ट्रंप ने जो बाइडेन के कार्यकारी आदेश से बनाए गए डाइवर्सिटी, इनक्लूजन, इक्वलिटी (डीआईई) कानून को भी खत्म कर दिया है.
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ऊर्जा आपातकाल
ट्रंप ने राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा आपातकाल लगाने की भी घोषणा की है. ऊर्जा की कीमत घटाने के लिए वह और ज्यादा जीवाश्म ईंधन के उत्पादन पर जोर दे रहे हैं. उन्होंने तेल निकालने वाली कंपनियों को "ड्रिल बेबी ड्रिल" का नारा भी दिया है.
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पेरिस समझौता से अमेरिका बाहर
अमेरिका पेरिस समझौते से बाहर हो गया है. जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए कई देशों ने पृथ्वी का औसत तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखे पर सहमति बनाई थी. ट्रंप ने पहले कार्यकाल में ही अमेरिका को इससे बाहर कर दिया था. बाइडेन के दौर में हुई समझौते में वापसी को ट्रंप ने फिर से खत्म कर दिया है.
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ड्रग कार्टेल बने आतंकवादी संगठन
डॉनल्ड ट्रंप ने मेक्सिको के ड्रग कार्टेल को आतंकवादी संगठन घोषित किया है. ये ड्रग कार्टेल दुनिया भर में नशीली दवाओं के व्यापार में जुटे हैं और मेक्सिको में इनकी अक्सर आपस में या फिर पुलिस से मुठभेड़ होती है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका बाहर
डॉनल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ से भी अमेरिका को बाहर निकाल लिया है. कोविड की महामारी को नियंत्रित करने और उससे निपटने में संगठन के तौर तरीकों से ट्रंप नाराज थे और उन्होंने डब्ल्यूएचओ की तीखी आलोचना भी की थी.
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माउंट डेनाली नहीं माउंट मैकिनले
डॉनल्ड ट्रंप ने माउंट डेनाली का नाम माउंट मैकिनले कर दिया है. पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्थानीय लोगों में प्रचलित नाम को ही इसका असल नाम घोषित किया था. ट्रंप ने इसे पूर्व अमेरिकी राष्टपति के नाम पर रखा दिया है. मैकिनले के दौर में लागू की गई नीतियों ट्रंप बहुत प्रेरित हैं.
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राष्ट्रपति के एग्जिक्यूटिव ऑर्डर
अमेरिका में राष्ट्रपति कार्यकारी आदेश देकर कोई भी कानून तुरंत लागू करवा सकते हैं, इन्हें संसद की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं पड़ती. हालांकि इन आदेशों को भविष्य में आने वाले राष्ट्रपति खत्म कर सकते हैं और इन्हें अदालत में चुनौती भी दी जा सकती है. डॉनल्ड ट्रंप के कई आदेशों को भी अदालत में चुनौती दिए जाने की उम्मीद की जा रही है.
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हजारों लोगों को बर्खास्तगी
डॉनल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद सोशल मीडिया ट्रूथसोशल पर पहले पोस्ट में बाइडेन प्रशासन में नियुक्त हुए हजारों लोगों को बर्खास्त करने की योजना की जानकारी दी है. ट्रंप ने सोमवार मध्यरात्रि को तारीख बदलने के तुरंत बाद लिखा, "मेरा राष्ट्रपति कार्यलाय पिछले प्रशासन में नियुक्त हुए हजारों लोगों की पहचान कर हटाने में जुटा है, जो हमारे अमेरिका को दोबारा महान बनाने के विचार से नहीं जुड़े हैं."
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मेक्सिको और कनाडा पर शुल्क
डॉनल्ड ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा पर एक फरवरी 2025 से 25 फीसदी शुल्क लगाने के संकेत दिए हैं. इसके बाद मेक्सिकन पेसो की डॉलर के मुकाबले कीमत एक फीसदी गिर गई, जबकि कनाडाई डॉलर पांच साल के सबसे निचले स्तर 1.4515 पर पहुंच गया है.
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उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप को ट्विटर जैसी कंपनियों की तेजी से बदलती नीतियों से विचलित नहीं होना चाहिए, जो सीधे तौर पर ट्रंप के रुख को जाहिर करता है. उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ अपने एकजुट बाजार और 45 करोड़ नागरिकों के साथ हमेशा यह साबित करता रहा है कि वह किसी की धमकी से नहीं डरता. उन्होंने कहा, "हम खुद को धमकाए जाने या ब्लैकमेल नहीं होने देंगे."
ट्रंप की आर्थिक नीतियों का जवाब
जर्मन अर्थव्यवस्था मंत्री रॉबर्ट हाबेक ने भी यूरोपीय संघ से ट्रंप प्रशासन के संभावित व्यापार प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार रहने की बात की. हाबेक ने बर्लिन में आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि ट्रंप ने अपने उद्घाटन भाषण में आयातों पर नए शुल्क लगाने की बात की थी. हाबेक का कहना था कि यूरोप को अमेरिका के साथ संवाद जारी रखना चाहिए, लेकिन यह स्वीकार नहीं करना चाहिए कि ट्रंप के तहत यूरोप पर व्यापार प्रतिबंध लगाए जाएं.
हाबेक ने कहा, "यूरोपीय देशों को ट्रंप प्रशासन के साथ हाथ बढ़ाना चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमें दबाया ना जाए. हमें यह नहीं चाहिए. यह लोगों के लिए बुरा है, हमारे रिश्तों के लिए बुरा है." हाबेक ने यह स्पष्ट किया कि यूरोप को प्रतिबंधों पर अपनी प्रतिक्रिया में लचीलापन बनाए रखना चाहिए.
जर्मनी की विपक्षी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने भी ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के बारे में चिंता जताई और यूरोपीय देशों से एकजुट होने की अपील की. मैर्त्स ने कहा कि यूरोप को जल्दी से एकजुट होकर दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए: अपनी सुरक्षा और अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करना. नाटो को लेकर ट्रंप का रुख सख्त रहा है, जिसके बाद यूरोप में चिंता बढ़ी हैबढ़ी है कि इस चुनौती से संगठन कैसे निपटेगा.
मैर्त्स ने कहा, "यूरोप को अब जल्दी से बैठकर यह तय करना चाहिए कि अपनी सुरक्षा के लिए क्या करना है. इसके अलावा, हमें अमेरिका के साथ व्यापार के मामले में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहिए." मैर्त्स ने यह भी कहा कि यूरोप को अपनी सैन्य खरीदारी को लेकर और अधिक समन्वय करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "यूरोप के पास बहुत मौके हैं, जिन्हें हम अभी नहीं पहचान रहे हैं."
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समय पर संवाद की जरूरत
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला उर्सुला फॉन डेर लाएन ने भी स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच में अपनी बात रखी और ट्रंप के संभावित व्यापार संघर्षों के बारे में चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि यूरोपीय और अमेरिकी अर्थव्यवस्थाएं आपस में गहरे जुड़ी हुई हैं. उन्होंने कहा, "हमारी जैसी जुड़ी हुई अर्थव्यवस्थाएं दुनिया में कहीं नहीं हैं."
उन्होंने बताया कि यूरोपीय कंपनियां अमेरिका में 35 लाख अमेरिकियों को रोजगार देती हैं और दस लाख नौकरियां सीधे यूरोपीय संघ के साथ व्यापार पर निर्भर हैं. फॉन डेर लाएन ने कहा, "दोनों पक्षों के लिए बहुत कुछ दांव पर है. व्यापार युद्ध से दोनों क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है, लेकिन यूरोपीय संघ का उद्देश्य जल्द से जल्द अमेरिका के साथ संवाद स्थापित करना है.”
फॉन डेर लाएन ने यूरोप को बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सुधारों और निवेश आकर्षित करने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा, "यूरोप को गियर बदलने की जरूरत है."
चीन और भारत के साथ सहयोग का महत्व
फॉन डेयर लाएन ने यह भी कहा कि यूरोप को चीन के साथ संतुलित और न्यायपूर्ण व्यापार संबंधों पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने जोड़ा, "चीन के साथ हमारे रिश्ते को और अधिक गहरा करना और जहां संभव हो, व्यापार और निवेश बढ़ाना एक अवसर है." इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने लैटिन अमेरिका और भारत जैसे देशों के साथ अपने साझेदारियों को मजबूत करने पर जोर दिया.
बतौर राष्ट्रपति पहले दिन क्या करेंगे डॉनल्ड ट्रंप?
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ट्रंप के दूसरे कार्यकाल से पैदा होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए यूरोपीय नेताओं ने अपनी एकजुटता और प्रभाव को बनाए रखने का संकल्प लिया है. जब दुनिया में उथल-पुथल बढ़ रही है और अमेरिका अपने व्यापार और सुरक्षा नीतियों में सख्त रवैया अपना रहा है, यूरोप यह स्पष्ट कर रहा है कि वह अपनी पहचान बनाए रखेगा और अपने हितों की रक्षा करेगा.