यूरोप का आरोप: भारत के कारण डब्ल्यूटीओ में नहीं हुए समझौते
४ मार्च २०२४
यूरोपीय देशों ने आरोप लगाया है कि भारत के कारण विश्व व्यापार संगठन की बैठक में कोई बड़ा समझौता नहीं हो पाया. खासतौर पर कृषि और मछली पकड़ने को लेकर समझौते नाकाम रहे.
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यूरोपीय व्यापार आयुक्त वालदिस डोंब्रोवस्की ने कहा कि मछली उद्योग में ‘हानिकारक सब्सिडी' हटाने को लेकर समझौते में एक देश ने अड़ंगा डाल दिया, जो ‘दुर्भाग्यपूर्ण' है. बाद में बताया गया कि यह देश भारत है.
अबु धाबी में डब्ल्यूटीओ की मंत्री स्तरीय बैठक के बाद डोंब्रोवस्की ने कहा, "आज की बैठक में यह जरूर दिखा कि अगर हम जोर लगाएं तो नतीजों पर पहुंचना संभव है. हां, हमने और ज्यादा प्रगति की उम्मीद की थी, खासकर मछली और कृषि उद्योग को लेकर.”
कई नाकामियां
शनिवार को खत्म हुई बैठक के बाद विशेषज्ञों ने कहा कि इसका बेनतीजा खत्म हो जाना विश्व व्यापार संगठन के लिए खतरे की घंटी है. 164 सदस्य देशों के 13वें मंत्री स्तरीय सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय विवादों को लेकर विभाजन साफ दिखाई दिया.
यूरोपीय संघ के एक सदस्य ने बैठक के बाद कहा, "डब्ल्यूटीओ को एक बड़े संकट की जरूरत थी और शायद अब यह अहसास होगा कि इस तरह काम नहीं चल सकता. हमें सोचना होगा कि बंटवारे को कैसे दूर किया जाए.”
मीडिया से बातचीत के दौरान सम्मेलन के अध्यक्ष संयुक्त अरब अमीरात के विदेश व्यापार मंत्री थानी अल जेयूदी ने नाकामियों को स्वीकारा. उन्होंने कहा, "भरपूर कोशिशों के बावजूद हम कई सदस्य देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण समझौतों पर सहमति बनाने में नाकाम रहे.”
ऑनलाइन शॉपिंग में महिलाओं से आगे हैं पुरुष
आईआईएम-अहमदाबाद के एक शोध के मुताबिक ऑनलाइन शॉपिंग के मामले में पुरुष महिलाओं से आगे हैं.
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36 फीसदी ज्यादा खर्च
आईआईएम-अहमदाबाद के शोध के मुताबिक पुरुषों ने ऑनलाइन शॉपिंग पर औसतन 2,484 रुपये खर्च किए, जो महिलाओं द्वारा खर्च किए गए 1,830 रुपयों की तुलना में 36 फीसदी अधिक है.
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क्या खरीदते हैं पुरुष
सर्वे से पता चला कि 47 प्रतिशत पुरुषों ने फैशन के लिए खरीदारी की, इसके बाद 37 प्रतिशत ने यूटीलिटीज के लिए और 23 प्रतिशत ने इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए खरीदारी की.
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क्या खरीदती हैं महिलाएं
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 58 प्रतिशत महिलाओं ने फैशन के लिए खरीदारी की, उसके बाद 28 प्रतिशत ने इस्तेमाल में आने वाले सामान की शॉपिंग और 16 प्रतिशत महिलाओं ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की शॉपिंग की.
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समय कम खर्च करते हैं मर्द
पुरुषों द्वारा ऑनलाइन शॉपिंग में बिताया जाने वाला समय महिलाओं के मुकाबले कम है. जहां पुरुषों ने ऑनलाइन शॉपिंग पर 34.4 मिनट खर्च किए, वहीं महिलाओं ने 35 मिनट खर्च किए.
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कोविड के बाद बढ़ी ऑनलाइन शॉपिंग
शोध रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी ने 2020 से ऑनलाइन शॉपिंग की लोकप्रियता को काफी बढ़ा दिया है. शोधकर्ताओं ने कहा कि ऑनलाइन खरीदारी के लिए 'पैसा वसूल' की भावना सबसे बड़े कारकों में से एक है. इसके बाद खरीदारी की प्रक्रिया में आसानी है.
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35 हजार लोग सर्वे में शामिल
आईआईएम-अहमदाबाद ने अपने शोध के लिए 25 राज्यों के 35 हजार लोगों को सर्वे में शामिल किया. यह नतीजे आईआईएम अहमदाबाद की 'डिजिटल रिटेल चैनल्स एंड कंज्यूमर्स: द इंडियन पर्सपेक्टिव' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में प्रकाशित किए गए थे.
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डब्ल्यूटीओ की महानिदेशक न्गोजी ओकोंजो-इविएला ने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे समय में हुआ जबकि अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां पहले से कहीं ज्यादा अनिश्चित हैं. उन्होंने कहा, "हमने कुछ लक्ष्य हासिल किए और कुछ को पूरा करने में नाकाम रहे.”
डब्ल्यूटीओ का संकट
दुनियाभर के देशों के बीच व्यापार के नियम बनाने वाले इस संगठन में कोई भी समझौता तभी पारित हो सकता है जबकि सभी सदस्यों के बीच सर्वसम्मति हो.
2022 में जिनीवा में हुई बैठक को बेहद सफल माना गया था जब मछली उद्योग को लेकर समझौता हुआ था और सदस्य देश इस बात पर भी सहमत हुए थे कि विवाद सुलझाने की निष्क्रिय हो चुकी व्यवस्था को ठीक किया जाएगा. लेकिन अबु धाबी में ऐसा नहीं हो पाया.
कनाडा की लावाल यूनिवर्सिटी के रिचर्ड ऊलेट कहते हैं, "सर्वसम्मति इस संगठन की नींव हुआ करती थी, जो अब एक कीचड़ बन गई है, जिसमें सबके हाथ गंदे हो रहे हैं.”
2022 में जिनीवा में मछली उद्योग को लेकर जो समझौता हुआ था उसमें अवैध, अघोषित और अनियमित रूप से मछली पकड़ने पर प्रतिबंध पर सहमति बनी थी. उसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि अबु धाबी में सब्सिडी हटाने को लेकर समझौता होगा.
इन सात देशों में भारतीय इस्तेमाल कर सकते हैं यूपीआई
ऐसे समय में जब भारत हर महीने यूपीआई से अरबों रुपयों का लेनदेन कर रहा है, डिजिटल क्रांति की लोकप्रियता विदेश में भी दिन-ब-दिन बढ़ रही है. जानते हैं, किन-किन देशों में यूपीआई से लेनदेन संभव है.
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विदेश में यूपीआई
12 फरवरी को भारत ने श्रीलंका और मॉरीशस में अपनी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सर्विस की शुरूआत की. श्रीलंका जाने वाले भारतीय डिजिटल भुगतान कर पाएंगे, इसके लिए उन्हें यूपीआई ऐप का इस्तेमाल करते हुए क्यूआर कोड को स्कैन कर पेमेंट करना होगा.
तस्वीर: Imago-Images/AFLO
मॉरीशस में भी डिजिटल भुगतान
मॉरीशस यूपीआई भुगतान सक्षम करने वाला एक और देश बन गया है. इस देश में लोग स्थानीय भुगतान के लिए यूपीआई का इस्तेमाल कर सकते हैं. यही नहीं मॉरीशस के बैंक रुपे कार्ड भी जारी कर पाएंगे.
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नेपाल में यूपीआई
यूपीआई का इस्तेमाल नेपाल में भी संभव है और नेपाल जाने वाले भारतीय यूपीआई ऐप के जरिए भुगतान कर सकते हैं. इसके अलावा वे यूपीआई आईडी के साथ भारत में पैसे भी भेज सकते हैं.
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यूपीआई से पेमेंट कर देखिए आइफिल टावर
फ्रांस के मशहूर आइफिल टावर को देखने के लिए आप जा रहे हैं तो वहां भी भुगतान आप यूपीआई के जरिए कर सकते हैं. आइफिल टावर फ्रांस में यूपीआई भुगतान की पेशकश करने वाला पहला मर्चेंट है. और यह सर्विस जल्द ही फ्रांस और यूरोप में पर्यटन और रिटेल मर्चेंट क्षेत्र के अन्य व्यापारियों तक विस्तारित की जाएगी.
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संयुक्त अरब अमीरात
एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (एनआईपीएल) ने अगस्त 2021 में यूएई में यूपीआई की मंजूरी की पेशकश करने के लिए यूएई के प्रमुख वित्तीय संस्थानों में से एक, मशरेक के साथ साझेदारी की थी. यहां भी आप यूपीआई से डिजिटल भुगतान कर सकते हैं.
तस्वीर: Thomas Mukoya/REUTERS
भूटान
भूटान 2021 में यूपीआई अपनाने वाला पहला देश था. एशिया में सिंगापुर में भी यूपीआई से पेमेंट संभव है.
तस्वीर: Valerio Rosati/Zoonar/picture alliance
दक्षिणपूर्व एशिया के देश
एनआईपीएल ने मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर, कंबोडिया, दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान और हांग कांग समेत 10 देशों में क्यूआर-आधारित यूपीआई भुगतान को सक्षम करने के लिए लिक्विड ग्रुप के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
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क्या है यूपीआई
यूपीआई भारत की मोबाइल-आधारित तेज भुगतान प्रणाली है, जो ग्राहकों को वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (वीपीए) का इस्तेमाल करके चौबीसों घंटे तुरंत भुगतान करने की अनुमति देती है. भारत में रिटेल डिजिटल पेमेंट्स के लिए इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है.
तस्वीर: Payel Samanta/DW
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हाल के महीनों में जिनीवा में इस मुद्दे पर लगातार चर्चा हुई और एक मसौदा तैयार किया गया, जिसमें विकासशील देशों को अतिरिक्त लाभ और लचीलापन मुहैया कराया गया. लेकिन कुछ देशों, खासतौर पर भारत, ने और ज्यादा छूट मांगी थी. इसमें समझौता लागू करने के लिए अधिक समय भी एक मांग थी, जिसे अन्य देशों ने बहुत लंबी अवधि बताया.
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भारत की आपत्तियां
सम्मेलन के दौरान मछली उद्योग को लेकर एक नया मसौदा भी पेश किया गया, जिसका भारत ने सख्त विरोध किया. वालदिस ने कहा, "असल में एक ही देश था जो समझौते को राजी नहीं था.”
इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के महानिदेशक जॉन डेंटन ने एक बयान में कहा, "पूरे नतीजों की अप्रत्याशित कमजोरी एक खतरे की घंटी है. घरेलू राजनीतिक ने अबु धाबी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को पूरी तरह ढक लिया.”
जबकि भारत और यूरोप में हो रहे किसान आंदोलन जारी हैं, तब कृषि समझौतों को लेकर भी तीखी बहस देखने को मिली. सदस्य देश उन मुद्दों की सूची बनाने की कोशिश कर रहे थे, जिन पर भविष्य में चर्चा होनी चाहिए.
सबसे ज्यादा प्रतिबंधों वाले देश
यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर एक के बाद एक प्रतिबंध लगाए जाते रहे हैं और वह दुनिया में सबसे ज्यादा प्रतिबंधों वाला देश है. लेकिन और बहुत से देश हैं, जिन पर बड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं.
रूस पर इस वक्त 18,772 प्रतिबंध हैं. हालांकि 2022 में यूक्रेन पर उसके हमले की तुलना में यह छह गुना बढ़ चुके हैं. फरवरी 2022 के बाद से ही उस पर या उसके नागरिकों पर 16,000 से ज्यादा प्रतिबंध लगाए गए हैं. इनमें से 11,462 तो व्यक्तियों पर हैं.
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के पहले ईरान दुनिया का सबसे अधिक प्रतिबंधों वाला देश था. यूएन, अमेरिका, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, भारत व इस्राएल जैसे देशों ने उस पर 3,616 प्रतिबंध लगाए हुए थे जो अब बढ़कर 4,953 हो चुके हैं.
तस्वीर: Rouzbeh Fouladi/ZUMA/picture alliance
सीरिया, तीसरे नंबर पर
सीरिया पर 2,811 प्रतिबंध हैं. हालांकि इनमें से अधिकतर 2011 के गृह युद्ध के बाद लगाए गए. अब वह प्रतिबंधों की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है.
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उत्तर कोरिया
प्रतिबंधों के मामले में उत्तर कोरिया दशकों से अंतरराष्ट्रीय संगठनों और पश्चिमी देशों की सूची में ऊपर रहा है. फिलहाल उसके ऊपर 2,171 प्रतिबंध लगे हैं.
तस्वीर: Lee Jin-man/AP Photo/picture alliance
बेलारूस
रूस का बेहद करीबी और पड़ोसी बेलारूस प्रतिबंधों की सूची में पांचवें नंबर पर है. उस पर कुल 1,454 प्रतिबंध हैं. इनमें से एक तिहाई से ज्यादा फरवरी 2022 के बाद लगाए गए हैं.
तस्वीर: Sergei Supinsky/Getty Images/AFP
म्यांमार
2021 में सेना द्वारा लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट किए जाने से पहले भी म्यांमार बड़ी संख्या में प्रतिबंध झेल रहा था. लेकिन अब उसके प्रतिबंधों की संख्या 988 हो चुकी है.
लेकिन कृषि समझौते को लेकर भारत ने एक ऐसी मांग रख दी, जिससे समझौता खटाई में पड़ गया. भारत चाहता है कि सरकारों द्वारा कृषि उत्पादों के भंडारण को लेकर बने अस्थायी नियमों की जगह स्थायी नियम लागू किए जाएं. डोंब्रोवस्किस ने कहा कि भारत की स्थायी नियमों की मांग एक ऐसा पुल था, "जिसे पार करना असंभव था.”
कुछ सफलताएं भी
इन नाकामियों के बीच अबु धाबी में जो सफलताएं हासिल हुईं, उसमें डिजिटल ट्रांसमिशन पर कस्टम ड्यूटी पर लगे प्रतिबंधों को और दो साल तक जारी रखना शामिल है.
ये प्रतिबंध 1998 से ही लगातार जारी हैं, जिनके तहत डिजिटल प्रॉडक्ट्स के इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर कोई कस्टम ड्यूटी ना लगाने का प्रावधान है. हालांकि इस बार भारत और दक्षिण अफ्रीका ने इसका विरोध यह कहते हुए किया कि इससे उनकी टैक्स से होने वाली कमाई प्रभावित हो रही है.
हालांकि बाद में यह प्रस्ताव पारित हो गया लेकिन भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने यह सिर्फ अपने "अच्छे दोस्त, सम्मेलन के अध्यक्ष अमीरात के सम्मान के कारण” पारित होने दिया.