दुनिया में पहली बार एक विकलांग को अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया है. यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने पांच नए अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की है. एजेंसी का बजट भी इस बार काफी ज्यादा बढ़ गया है.
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यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, ईएसए ने पहली बार एक विकलांग अंतरिक्ष यात्री को चुन कर इतिहास रच दिया है. ब्रिटिश डॉक्टर और पैरालिम्पियन जॉन मैकफॉल पहले विकलांग हैं जिन्हें अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना गया है. उन्हें एक अलग "पैराएस्ट्रोनॉट फिजिबिलिटी प्रोग्रााम" के जरिए प्रशिक्षण दिया जाएगा. 41 साल के मैकफॉल का दाया पैर एक मोटरसाइकिल दुर्घटना के बाद काटना पड़ गया था. तब उनकी उम्र महज 18 साल थी. हालांकि उसके बाद भी वह धावक बने और 2008 के पैरालिंपिक में कांस्य पदक जीतने में सफल हुए. मैकफॉल का कहना है, "यह एक तूफानी अहसास है, पैर कट जाने के बाद मैंने कभी नहीं सोचा था कि अंतरिक्ष यात्री बनने की संभावना होगी."
नये अंतरिक्ष यात्री
पांच नए अंतरिक्ष यात्रियों में दो महिलाएं और तीन पुरुष हैं. पेरिस में एक बैठक के दौरान ईएसए के महानिदेशक जोसेफ आशबाखर ने बताया, "ये लोग तुरंत काम शुरू कर देंगे." ईएसए के पास अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए 22,500 लोगों ने आवेदन भेजा था. इनमें से फ्रांस की सोफी एडेनॉट, स्पेन के पाब्लो अल्वारेज फर्नांडीज, ब्रिटेन की रोजमैरी कूगन, बेल्जियम के राफायल लिजियो और स्विट्जरलैंड के मार्को सीबर को चुना गया है. रोजमैरी कूगन ने इस कहा, "मैं यूरोपीय हूं लेकिन यूके से हूं." ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ छोड़ दिया है लेकिन ईएसए में बना हुआ है.
नए लोगों की ट्रेनिंग अगले साल शुरू होगी और 2026 से पहले इनके अंतरिक्ष में जाने के आसार नहीं हैं. ये लोग ईएसए की 2009 में शुरू हुई क्लास में प्रशिक्षण लेंगे. इनमें ब्रिटेन के टिमोथी पिएके और फ्रांस के थोमा पेस्के शामिल हैं. पिछली क्लास से ही एक अंतरिक्ष यात्री को नासा के आर्टेमिस मिशन में चांद पर जाने के लिए चुना जाएगा. ईएसए ने छह महिलाओं और पांच पुरुषों की एक रिजर्व टीम भी तैयार की है. इन लोगों ने चयन प्रक्रिया को पार कर लिया है और जरूरत पड़ने पर भविष्य में बुलाया जाएगा.
ईएसए के बजट में बड़ा इजाफा
एजेंसी के 22 सदस्य देशों के मंत्रियों की पेरिस में दो दिन तक चली कठिन चर्चा के बाद इन लोगों के नाम चुने गए हैं. इसी दौरान एजेंसी के कोष पर भी लंबी चर्चा हुई. चर्चा के बाद अगले तीन सालों के लिए 16.9 अरब यूरो के बजट पर सहमति बनी है. इससे पहले 2019 में एजेंसी के लिए 14.5 अरब यूरो का बजट तय हुआ था. हालांकि आशबाखर ने 18.5 अरब यूरो के बजट की मांग की थी जिससे यह काफी कम है.
बजट पर चर्चा के दौरान सदस्य देशों के योगदान को लेकर काफी बहस भी हुई. बहरहाल जो सहमति बनी है उसमें जर्मनी ने सबसे ज्यादा 3.5 अरब यूरो दिया है. इसके बाद 3.25 अरब यूरो के साथ फ्रांस और 3.1 अरब यूरो के साथ इटली है.
ईसएस फिलहाल रूस की समस्या से भी जूझ रहा है. रूस ने यूक्रेन पर हमले के कारण लगे प्रतिबंधों के जवाब में अपने सोयूज रॉकेट को वापस ले लिया है. दूसरी तरफ आरियाने 6 रॉकेट के लॉन्च में भी देरी हो रही है. इसे 2020 में ही उड़ान भरना था लेकिन ऐसा लग रहा है कि अगले साल के आखिर से पहले यह उड़ान नहीं कर पाएगा. ईएसए को अपनी दो वैज्ञानिक मिशनों के लॉन्च के लिए प्रतिद्वंद्वी स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग करना पड़ रहा है.
एनआर/वीके (एएफपी)
50 साल बाद चांद की ओर चला नासा
आखिरकार नासा का नया मून रॉकेट अपने सफर पर रवाना हो गया. इसके साथ ही अमेरिका चांद पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ गया है. 50 साल बाद नासा ने चांद की ओर कोई यान भेजा है.
तस्वीर: /AP Photo/picture alliance
तीन हफ्ते की अंतरिक्ष यात्रा
सबकुछ अच्छा रहा तो तीन हफ्ते की उड़ान के दौरान कैप्सूल चांद के चारों ओर एक बड़ी कक्षा में परिक्रमा करने के बाद दिसंबर में पृथ्वी पर प्रशांत महासागर में लौट आयेगा.
तस्वीर: /AP Photo/picture alliance
उड़ चला रॉकेट
लगभग एक साल की देरी के बाद बुधवार सुबह स्थानीय समय के अनुसार 1 बजे केनेडी स्पेस सेंटर से रॉकेट ने उड़ान भरी. काले आकाश में नारंगी आग और धुआं छोड़ते रॉकेट ने कुछ ही सेकेंड में 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ ली.
तस्वीर: Joe Skipper/REUTERS
पृथ्वी की कक्षा से बाहर
दो घंटे से भी कम समय में इसने ओरियन कैप्सूल को पृथ्वी की कक्षा से बाहर धकेल दिया. जहां से वह चांद की कक्षा की ओर अपने सफर पर चल निकला. कैप्सूल में तीन मानव पुतले भी भेजे गये हैं. इन पुतलों में कई तरह के सेंसर लगे हैं जो कंपन, झटके, रेडियेशन समेत कई और चीजों के आंकड़े जुटायेंगे.
तस्वीर: Joe Rimkus Jr./REUTERS
कई बार टला लॉन्च
पिछले तीन महीने में कई बार इस रॉकेट की उड़ान का कार्यक्रम बना लेकिन हर बार आखिरी वक्त में तकनीकी दिक्कतों की वजह से इसे टालना पड़ा. ईंधन का रिसाव एक बड़ी समस्या बन गया था. इसके अलावा सितंबर के आखिर में इयान चक्रवात की वजह से भी इसे भेजने का कार्यक्रम टाला गया. मंगलवार को भी रिसाव हुआ लेकिन समय रहते ठीक कर लिया गया.
तस्वीर: Steve Nesius/REUTERS
चांद पर इंसान
नासा ने फिर से चांद पर इंसान भेजने के लिए आर्टेमिस अभियान शुरू किया है. पौराणिक कथाओं में आर्टेमिस अपोलो की जुड़वां बहन का नाम है. नासा चार अंतरिक्षयात्रियों के साथ चांद की अगली यात्रा की तैयारी कर रहा है जो 2024 में होगी. चांद पर इंसान को उतारने की योजना 2025 में पूरी हो सकती है.
तस्वीर: Heritage Images/picture alliance
ताकतवर रॉकेट
322 फुट यानी करीब 98 मीटर लंबा एसएलएस रॉकेट नासा का अब तक का बनाया सबसे ताकतवर रॉकेट है. इसने करीब 32 मंजिली इमारत जितनी ऊंची लॉन्च पैड से उड़ान भरी.
तस्वीर: Joe Skipper/REUTERS
चांद का चक्कर
ओरियन धरती से 370,000 किलोमीटर की यात्रा करके चांद के पास पहुंचेगा और चांद से करीब 130 किलोमीटर की दूरी पर रह कर एक विशाल कक्षा में उसके चक्कर लगायेगा. इस कक्षा का विस्तार करीब 64,000 किलोमीटर में है.
तस्वीर: Ted S. Warren/AP Photo/picture alliance
परीक्षण उड़ान
4.1 अरब डॉलर की लागत से हुई इस परीक्षण उड़ान की अवधि करीब 25 दिनों की है. अगली बार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाते समय भी यह करीब इतने ही दिनों का होगा. इंसानों को चांद के पास ले जाने से पहले नासा रॉकेट और कैप्सूल के मार्ग में आने वाली सारी बाधाओं को समझ लेना चाहती है.
तस्वीर: Jim Watson/AFP/Getty Images
चांद पर नासा का ठिकाना
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी इस परियोजना पर 2025 तक करीब 93 अरब डॉलर खर्च करने वाली है. इस सारी कवायद का मकसद आखिर में चांद पर एक ठिकाना बनाना और वहां से मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजना है. यह काम 2030 के दशक के आखिर से लेकर 2040 के दशक के शुरुआती सालों तक हो सकता है.
तस्वीर: NASA
नासा की दिक्कतें
नासा ने कुछ समस्याएं सुलझा ली हैं लेकिन अभी कई बाधाओं से जूझना है. ओरियन कैप्सूल चांद की परिक्रमा कर सकता है लेकिन चांद पर उतरेगा नहीं. नासा ने इलॉन मस्क की स्पेस एक्स को विशेष यान बनाने के लिए काम पर रखा है. यह यान यात्रियों को ओरियन से चांद की सतह तक लाएगा और वापस लायेगा. 2025 में चांद को उतारने की जिम्मेदारी इसी यान की होगी.
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नये अंतरिक्ष यात्री
परीक्षण उड़ान पूरी हो जाने के बाद नासा उन अंतरिक्ष यात्रियों की जानकारी देगी जो इसकी अगली उड़ान पर चांद के पास जायेंगे और जो उसके बाद की यात्रा में चांद पर उतरेंगे. नासा में फिलहाल जो 42 सक्रिय अंतरिक्ष यात्री हैं. इनमें 10 ऐसे ट्रेनी हैं. वे 50 साल पहले चांद की पहली यात्रा के समय पैदा भी नहीं हुए थे.