यूरो जोन में विकास की दर पिछले साल 2017 में एक दशक की सबसे तेज दर से बढ़ी है. आरंभिक आंकड़ों के अनुसार 2018 की शुरुआत में आर्थिक विकास को लेकर उत्साह है, हालांकि उसमें 17 साल के रिकॉर्ड से कुछ कमी आई है.
दुनिया के सभी देश विकास का दावा करते हैं, लेकिन ये दावे कितने सही हैं. वैश्विक असमानता रिपोर्ट की मानें तो आर्थिक असंतुलन अब भी कायम है और भारत में तो यह अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया है.
क्यों नहीं बढ़ी रही आम लोगों की आमदनी?
दुनिया के सभी देश विकास का दावा करते हैं, लेकिन ये दावे कितने सही हैं. वैश्विक असमानता रिपोर्ट की मानें तो आर्थिक असंतुलन अब भी कायम है और भारत में तो यह अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया है.
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पहली घटी, अब बढ़ी
वर्ल्ड इनेक्वलिटी लैब की रिपोर्ट मे कहा गया है कि भारत में साल 1947 के 30 साल बाद तक आर्थिक असमानता तेजी से घटी. साथ ही निम्न आय वर्ग के लगभग 50 फीसदी लोगों की आय, राष्ट्रीय औसत से तेज दर पर भी बढ़ी, लेकिन साल 1980 के बाद इसमें बड़ा बदलाव नजर आया.
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उच्च स्तर पर
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में निजीकरण, उदारीकरण और विनिवेश प्रक्रिया शुरू किये जाने के बाद से आर्थिक माहौल तेजी से बदला. नतीजतन, भारत में आज आर्थिक असमानता साल 1922 के बाद से अपने उच्च स्तर पर हो सकती है.
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अमीर और हो रहे अमीर
रिपोर्ट की माने तो भारत में अमीर, अमीर होते जा रहे हैं. इसमें कहा गया है कि देश में महज 0.1 फीसदी लोगों की कमाई निम्न आय वर्ग के 50 फीसदी लोगों से ज्यादा थी. साल 2014 के दौरान भारत में उच्च आय वाले एक फीसदी लोगों की राष्ट्रीय आय में 22 फीसदी की हिस्सेदारी थी. वहीं उच्च आय वाले 10 फीसदी लोगों की हिस्सेदारी महज 56 फीसदी थी.
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अलग-अलग ट्रेंड
आर्थिक असमानता का ट्रेंड दुनिया भर में अलग-अलग है. ऐसे देश जो विकास प्रक्रिया के समान ढांचे पर काम कर रहै हैं वहां भी असमानता अलग-अलग स्तर पर नजर आती है. मसलन साल 1980 के बाद भारत और चीन दोनों ने विकास प्रक्रिया में तेजी दिखाई. लेकिन चीन में उच्च विकास दर के बावजूद, आर्थिक असमानता का स्तर भारत के मुकाबले कम रहा.
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पूरी दुनिया की समस्या
आय असमानता की समस्या सिर्फ भारत की ही नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक असमानता उत्तर अमेरिका, चीन, भारत, रूस में तेजी से बढ़ रही है, वहीं यूरोप में यह धीरे-धीरे फैल रही है. वहीं इससे इतर मध्य पूर्व, अफ्रीकी देश और ब्राजील जैसे देशों में आर्थिक असमानता उच्च स्तर पर स्थिर हो गयी है.
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सरकारों की घटी आमदनी
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले एक दशक के दौरान दुनिया भर में सरकारों की कुल संपत्ति घटी है. यह गिरावट आर्थिक असमानता से निपटने में एक बड़ी चुनौती है. रिपोर्ट ने आय और संपत्ति की इस असमानता को दूर करने के लिए आर्थिक डाटा की पारदर्शिता पर जोर दिया है.