पिता बनने के बाद कोस्ट गार्ड अकैडमी से निकाल दिए गए एक पूर्व कैडेट ने संघीय अदालय में मुकदमा कर स्कूल की नीति को चुनौती दी है. इस कैडेट को 2014 में अकैडमी से निकाला गया था.
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आइजैक ऑलसन अमेरिका की कोस्ट गार्ड अकैडमी में पढ़ रहे थे. वह मैकैनिकल इंजीनियरिंग कर रहे थे और पास होकर सेना में कमीशन पाने से सिर्फ दो महीने दूर थे जब उन्हें अकैडमी से निकाल दिया गया. यह फैसला तब लिया गया जब उन्होंने कुछ महीने पहले अपने पिता बनने का खुलासा किया. अमेरिकी के कनेक्टिकट की जिला अदालत में दायर मुकदमे के मुताबिक उनकी मंगेतर ने एक बच्चे को जन्म दिया था. कुछ महीनों बाद जब यह बात स्कूल के प्रशासन को पता चली तो ऑलसन को कॉलेज से निकाल दिया गया.
अकैडमी ने नियमानुसार ऑलसन को निकाला था. मुकदमे के मुताबिक नियम कहता है कि अगर 14 हफ्ते से ज्यादा का गर्भ हो जाने पर कैडेट को खुद अकैडमी छोड़नी होगी या उन्हें हटा दिया जाएगा.
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कामकाजी मांओं की मुश्किलें
कामकाजी महिलाओं के जीवन में मातृत्व एक निर्णायक मोड़ होता है. कई बार मां की जिम्मेदारियों के चलते पेशवर जिम्मेदारियां पूरी कर पाना असंभव हो जाता है और नौकरी छोड़ने का ही विकल्प रह जाता है. ऐसे कीजिए इस चुनौती को पार.
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जानकारी
गर्भधारण के साथ ही महिलाओं के लिए करियर संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है. वजन बढ़ना, सूजन, उल्टियां और ना जाने कितनी स्वास्थ्य समस्याएं लगी रहती हैं. ऐसे में अपनी संस्था, कंपनी या नौकरी देने वाले को अपनी कठिनाईयों के बारे में जानकारी देनी चाहिए.
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जिम्मेदारी
कंपनी और अपने बॉस को जानकारी देना इसलिए भी जरूरी है ताकि वह समय रहते आपके लिए छुट्टियों की योजना बना सके और यह भी सोच सके कि उस दौरान काम कैसे चलाना है. ध्यान रखें कि जिस तरह कंपनी की आपके प्रति कुछ जिम्मेदारी है, आप की भी उसके हित के प्रति जवाबदेही है.
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रेस में बने रहें
दुनिया की 500 सबसे बड़ी कंपनियों के प्रमुखों में कुछ ही महिलाएं हैं और विश्व के 197 राष्ट्रप्रमुखों में केवल 22 महिलाएं. किसी भी क्षेत्र में टॉप स्तर पर इतनी कम महिलाओं के होने का कारण महिलाओं का इस रेस से बहुत जल्दी बाहर होना है, जो कि सबसे अधिक मां बनने के कारण होता है.
कामकाजी महिलाओं के जीवन में कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवरोध आते हैं. गहरे बसे लैंगिक भेदभाव से लेकर यौन उत्पीड़न तक. ऐसे में घबरा कर रेस छोड़ देने के बजाए इन रोड़ों को बहादुरी से हटाते हुए आगे बढ़ने का रवैया रखें. अमेरिकी रिसर्च दिखाते हैं कि पुरुषों को उनकी क्षमता जबकि महिलाओं को उनकी पूर्व उपलब्धियों के आधार पर प्रमोशन मिलते हैं.
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सपोर्ट नेटवर्क
एक ओर बाहर के रोड़ हैं तो दूसरी ओर कई महिलाएं अपने मन की बेड़ियों में कैद होती हैं. समाज की उनसे अपेक्षाओं का बोझ इतना बढ़ जाता है कि वे अपनी उम्मीदें और महात्वाकांक्षाएं कम कर लेती हैं. आंतरिक प्रेरणा के अलावा अपने आस पास ऐसे प्रेरणादायी लोगों का एक सपोर्ट नेटवर्क बनाएं जो मातृत्व, परिवार और करियर की तिहरी जिम्मेदारी को निभाने में आपका संबल बनें.
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पार्टनर की भूमिका
कामकाजी मांओं के साथ साथ उनके पति या पार्टनर को भी घर के कामकाज में बराबर का योगदान देना चाहिए. परिवार को समझना चाहिए कि महिला के लंबे समय तक वर्कफोर्स में बने रहने से पूरा परिवार लाभान्वित होता है. अपनी पूरी क्षमता और समर्पण भाव के साथ किया गया काम हर महिला की सफलता सुनिश्चित कर सकता है. जरूरत है बस रेस पूरी करने की.
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ऑलसन की वकील इलाना बिल्डनर ने बताया कि पिता बनने का फैसला निजी होता है. उन्होंने कहा, "माता या पिता बनने का फैसला बेहद निजी होता है और कोई स्कूल या नौकरी उसके रास्ते में नहीं आनी चाहिए. यूएस कोस्ट गार्ड अकैडमी का यह प्राचीन नियम, जो कि छात्रों को पितृत्व या डिग्री में से कोई एक चुनने का विकल्प देता है, नैतिक रूप से गलत और असंवैधानिक है.”
‘महिला विरोधी है नियम'
इस बारे में यूएस कोस्ट गार्ड या स्कूल ने सवालों के जवाब नहीं दिए. बिल्डनर ने बताया कि यह नियम 1970 के दशक में तब लागू किया गया था जब अकैडमी में महिलाओं को दाखिला मिलना शुरू हुआ था. उन्होंने कहा, "यह कोई हादसा नहीं है कि अकैडमी ने मातृत्व पर यह प्रतिबंध महिलाओं को दाखिला देना शुरू करने के फौरन बाद लागू किया. कनेक्टिकट या कहीं और इस नीति के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. इसे खत्म हो जाना चाहिए.”
अदालत में दायर हलफनामे के मुताबिक ऑलसन को अपने जूनियर ईयर में अप्रैल महीने में पता चला कि उनकी मंगेतर गर्भवती हैं. उन्होंने गर्भ ना गिराकर बच्चे को जन्म देने का फैसला किया. तब ऑलसन ने फैसला किया कि वह अकैडमी नहीं छोड़ेंगे क्योंकि ऐसा करने पर स्कलू को उनकी करीब पांच लाख डॉलर फीस जब्त करने का अधिकार मिल जाएगा.
2013 के अगस्त में ऑलसन की मंगेतर ने बच्चे को जन्म दिया. इसेक बाद मार्च 2014 में एक फॉर्म में ऑलसन ने बताया कि वह एक बच्चे के पिता हैं. ऑलसन के मुताबिक यह पहली बार था जब किसी फॉर्म में उनसे यह जानकारी मांगी गई थी.
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वापस चाहिए कमीशन
अपनी डिग्री पूरी करने के लिए ऑलसन ने अपने पितृत्व अधिकार कानून छोड़ भी दिए. लेकिन स्कूल ने उन्हें निकाल दिया. बिल्डनर बताती हैं कि लंबी प्रशासनिक प्रक्रिया के बाद अब ऑलसन ने मुकदमा करने का फैसला किया है.
ऑलसन और उनकी मंगेतर अब शादीशुदा हैं. अब वह कोस्ट गार्ड में एविएशन टेक्निशियन के तौर पर काम कर रहे हैं और अलास्का में तैनात हैं. अगर वह कमीशन पा जाते तो उन्हें प्रतिमाह लगभग 3,000 डॉलर ज्यादा मिलते. ऑलसन अपना कमीशन वापस चाहते हैं.
मां बनने का सपना
एक ओर करियर की ऊंचाईयां छूने के सपने देखने वाली महिलाएं हैं, जो कुछ समय के लिए मातृत्व को टालना बिलकुल ठीक समझती हैं. दूसरी ओर ऐसी महिलाएं भी हैं जिनके लिए मां बन पाना किसी सपने के सच होने जैसा है.
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मार्केट रिसर्च एजेंसी, प्यू रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में संतानहीन महिलाओं की संख्या के मामले में सिंगापुर टॉप पर है. जो महिलाएं किसी शारीरिक कमी की वजह से ऐसा नहीं कर पा रही हों, उनके लिए आईवीएफ तकनीक बहुत कारगर साबित हुई है.
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हाल ही में स्वीडन में एक महिला प्रत्यारोपित किए गए गर्भाशय की मदद से अपने बच्चे को जन्म दे पाई है. इससे उन संतानहीन महिलाओं को उम्मीद जगी है जो या तो जन्म से ही बिना गर्भाशय के थीं या फिर कैंसर या किसी दूसरी बीमारी के कारण उनका गर्भाशय निकाला जा चुका है.
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2013 में ब्रिटेन वह पहला देश बना जहां तीन लोगों के डीएनए का इस्तेमाल कर आईवीएफ तकनीक से बच्चे पैदा करने की इजाजत है. ऐसा उन मामलों में किया जाता है जहां केवल माता पिता के डीएनए से बच्चे में आनुवंशिक बीमारियों के आने का खतरा बहुत ज्यादा होता है.
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जर्मनी में महिलाएं कम बच्चे पैदा कर रही हैं. 2011 में प्रति महिला यह औसत 1.36 था जबकि 2010 में 1.39. साल दर साल इसमें कमी दर्ज की जा रही है.
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गर्भधारण और प्रसव का महिला की शारीरिक और मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ता है. मेडिकल साइंस में बताया गया कि मां बनने से महिला को कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा कुछ कम हो जाता है.
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संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक बच्चे को जन्म के छह महीने तक केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए. अगर मां बच्चे के जन्म के बाद इससे भी पहले दफ्तर जाने लगे तो बच्चों को या तो बाहरी दूध दिया जाता है या फिर मां अपना दूध बच्चे के लिए बोतल में बंद कर के जाती है.
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मां बनने वाली महिलाएं कई बार ऐसे करियर में होती हैं जहां नौकरी के साथ बच्चे की देखभाल कर पाना बहुत कठिन हो जाता है. ऐसे में कार्यस्थल और परिवार का पूरा सहयोग ही काम आ सकता है.
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मातृत्व एक महिला या उसके परिवार की इच्छा से जुड़ा मामला नहीं है. मोटे तौर पर इसका हर समाज, देश और पृथ्वी पर इंसान के अस्तित्व से सीधा संबंध है. तो मातृत्व को सबके लिए एक सुखद अनुभव बनाने की कोशिश की जानी चाहिए.
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बिल्डनर के मुताबिक इस मुकदमे के नतीजे का असर और कई संस्थानों पर भी पड़ेगा जहां इसी तरह के नियम हैं. एएलसीयू विमिंस राइट्स प्रोजेक्ट की लिंडा मॉरिस बताती हैं, "हम मानते हैं कि हर सैन्य अकादमी के लिए इस तरह के प्रतिबंध गलत हैं और अकादमियों को इन्हें अपनी नियमावली से हटा देना चाहिए.”
अमेरिकी सांसदों रिपब्लिकन सेनेटर टेड क्रूज और डेमोक्रैट सेनेटर कर्स्टन गिलीब्रैंड ने सेनेटर में एक बिल पेश किया है जिसके तहत इस तरह के नियमों को सभी अकादमियों के लिए खत्म करने का प्रस्ताव है. क्रूज ने बिल पेश करते हुए कहा, "यह नीति पक्षपात, पुरातन और अस्वीकार्य है.”