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यात्राउत्तरी अमेरिका

अंतरिक्ष में शूट होगी टॉम क्रूज की फिल्म, मगर किस कीमत पर

विशाल शुक्ला
२१ जनवरी २०२२

बीते कुछ सालों में पर्यटन के मकसद से अंतरिक्ष में जाने की होड़ शुरू हुई है. यही होड़ अब फिल्म उद्योग में शुरू हो सकती है. इसकी शुरुआत रूस ने की थी, जिसे टॉम क्रूज की फिल्म आगे बढ़ाने जा रही है.

Minority Report Tom Cruise quer
पहले टॉम क्रूज को लेकर अंतरिक्ष में इस फिल्म की शूटिंग अक्टूबर 2021 में होनी थी, जिसकी योजना टाल दी गई.तस्वीर: Imago

हॉलीवुड अभिनेता टॉम क्रूज की अगली स्पेस फिल्म के सह-निर्माता 'स्पेस एंटरटेनमेंट एंटरप्राइस' (SEE) ने धरती से चार सौ किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में एक फिल्म स्टूडियो बनाने का एलान किया है. क्रूज अपनी इस फिल्म की शूटिंग अंतरिक्ष में करेंगे. कंपनी के मुताबिक उनकी योजना इसे दिसंबर 2024 तक तैयार करने की है.

SEE के इस स्टूडियो का नाम SEE-1 होगा, जो अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) की व्यापारिक शाखा एक्सियम स्टेशन पर बनेगा. तैयार होने के बाद अन्य कंपनियां भी शूटिंग के लिए इसका इस्तेमाल कर सकेंगे, लेकिन SEE की योजना अपना कॉन्टेंट तैयार करने की भी है. 2028 में एक्सियम स्टेशन ISS से अलग हो जाएगा. एक्सियम ने इसी महीने व्यापारिक शाखा तैयार करने का ठेका हासिल किया है.

अंतरिक्ष में फिल्म बनाने में भी रेस

एक्सियम की योजना टॉम क्रूज और डायरेक्टर डग लीमन को इस साल फिल्म की शूटिंग करने के लिए ISS पर भेजने की है. ऐसा होता है, तो यह अंतरिक्ष में शूट होने वाली दूसरी फिल्म होगी. वैसे तो योजना यह थी कि यह अंतरिक्ष में शूट होने वाली पहली फिल्म होगी, लेकिन इसकी जानकारी आने के बाद रूसी फिल्म निर्माताओं ने 'द चैलेंज' नाम की एक फिल्म अंतरिक्ष में शूट की, जो यह तमगा हासिल करने वाली पहली फिल्म बन गई.

अक्टूबर 2021 में अंतरिक्ष स्टेशन में पहली फिल्म शूट करने पहुंचा रूसी दल. तस्वीर: Dmitri Lovetsky/Roscosmos Space Agency via AP/picture alliance

हालांकि, पहले टॉम क्रूज फिल्म की शूटिंग के लिए अक्टूबर 2021 में अंतरिक्ष में जाने वाले थे, बाद में यह योजना टल गई. कथित तौर पर इसकी वजह फिल्म का 20 करोड़ डॉलर का बजट बताया गया. रूसी फिल्म 'द चैलेंज' को अक्टूबर 2021 में ही ISS पर शूट किया गया था. इसकी शूटिंग 12 दिनों तक चली थी.

'द चैलेंज' एक सर्जन की कहानी थी, जो अंतरिक्ष में बीमार पड़े एक ऐसे अंतरिक्ष यात्री का ऑपरेशन करता है, जिसके पास बीमारी की वजह से धरती पर लौटकर इलाज कराने की गुंजाइश नहीं होती है. यह फिल्म इस साल के आखिरी में रिलीज होनी है.

नया नहीं है फितूर

वैसे डॉक्युमेंट्री फिल्मों में अंतरिक्ष में शूट हुए वीडियो का इस्तेमाल होना कोई नई बात नहीं है. ऐसी फुटेज ज्यादातर अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा शूट किए हुए होते हैं. वहीं फिल्म निर्माता धरती पर भी जीरो ग्रैविटी और छोटी जगहों पर लंबे समय तक बंद रहने के डर और इससे उपजने वाली झल्लाहट का माहौल बनाकर फिल्में शूट कर चुके हैं.

इसी का एक उदाहरण 10 करोड़ डॉलर में बनी सैंड्रा बुलक और जॉर्ज क्लूनी की फिल्म 'ग्रैविटी' थी. इसने दुनियाभर में 70 करोड़ डॉलर से ज्यादा कमाई की थी और सात ऑस्कर जीते थे. वर्षों के रिसर्च पर आधारित इस फिल्म में दोनों अभिनेताओं ने अपना वजन महसूस न करते हुए शूटिंग की थी. उन्होंने अंतरिक्ष में होने वाले फ्री-फॉल का अनुभव भी किया था.

चिंताएं भी कम नहीं है

यह स्टूडियो तैयार करनेवाली कंपनी एक्सियम स्पेस टूरिज्म के क्षेत्र में भी काम करेगी. बीते कुछ बरसों से पर्यटन के मकसद से अंतरिक्ष में जाने की होड़ नए स्तर पर पहुंच गई है. एमेजॉन के मालिक जेफ बेजोस से लेकर टेस्ला के मुखिया एलन मस्क और वर्जिन गैलेक्टिक के रिचर्ड ब्रैनसन तक इस दिशा में काम कर रहे हैं. हालांकि, इस पर सवाल भी खूब उठते हैं.

आलोचक कहते हैं कि एक ओर दुनिया में तमाम लोग भुखमरी के शिकार हैं, दूसरी ओर कुछ लोग अथाह पैसा खर्च करके अंतरिक्ष में घूमने जा रहे हैं. पर्यावरण भी एक बड़ा मुद्दा है. एक रॉकेट लॉन्च किए जाने पर धरती के ऊपरी वायुमंडल में 300 टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जो वहां बरसों तक रह सकती है. रॉकेट से होने वाला कार्बन उत्सर्जन एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री के मुकाबले कम जरूर है, लेकिन यह लगातार बढ़ रहा है.

रॉकेट से लेकर हवाई जहाज तक में जो ईंधन इस्तेमाल होता है, वह ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचाता है. वहीं विशेषज्ञ बताते हैं कि स्पेस टूरिज्म की एक फ्लाइट से कार्बन डाई ऑक्साइड का जितना उत्सर्जन होता है, उतना कम आय वाला एक आम व्यक्ति पूरे जीवन में नहीं करता है. विशेषज्ञ चिंता जताते हैं कि अभी तो अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता कि स्पेस टूरिज्म इंडस्ट्री कितना बड़ा आकार लेने वाली है.

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