एलएसी पर भारत और चीन के बीच महीनों से तनाव बना हुआ है. जानकारों की चेतावनी है कि यह कहीं युद्ध का कारण ना बन जाए.
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परमाणु हथियारों से लैस चीन और भारत के बीच पिछले कुछ महीनों से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बना हुआ है. जानकारों की चेतावनी है कि दशकों बाद तीखी झड़प के बाद दोनों देश अनजाने में युद्ध की तरफ फिसल सकते हैं. 45 साल से लिखित और अलिखित समझौतों की श्रृंखला ने कश्मीर के हिमालयी क्षेत्र के पूर्वी छोर पर असहज तनाव बनाए रखा. लेकिन पिछले कुछ महीनों में झड़प और सेना की हलचल ने स्थिति को अप्रत्याशित बना दिया है. यह जोखिम को और बढ़ाने वाला है कि अगर एक गलत कदम दोनों में किसी एक ओर से लिया जाता है, तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं, जो कि ठंडे इलाके से बढ़कर आगे जा सकता है.
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा कहते हैं, ''जमीन पर स्थिति बहुत खतरनाक है और यह नियंत्रण से बाहर हो सकती है.'' 2014 से लेकर 2016 तक सेना का नार्दर्न कमांड का नेतृत्व संभालने वाले हुड्डा कहते हैं, ''बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि क्या दोनों पक्ष अस्थिर स्थिति को नियंत्रित करने में सक्षम हैं या नहीं और यह सुनिश्चित करें कि यह अन्य क्षेत्रों में नहीं फैलता है.''
दोनों एशियाई दिग्गज देशों के बीच कई स्तरों की बातचीत सैन्य कमांडरों की हुई है, हालांकि इसमें कोई सफलता हासिल नहीं हुई है. अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि बातचीत सैन्य से हटकर राजनीतिक छोर पर जाते दिख रही है. दोनों देशों के रक्षा मंत्री पिछले हफ्ते रूस की राजधानी में मुलाकात कर गतिरोध को खत्म करने की कोशिश करते दिखे. चार महीने पहले लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प के बाद यह पहली उच्च स्तरीय बैठक थी. पिछले हफ्ते ही दोनों देशों ने एक दूसरे पर नए सिरे से उकसावे की कार्रवाई का आरोप लगाया था. साथ ही सेना ने एक दूसरे पर एलएसी को पार करने का भी आरोप लगाया था.
जानकारों का कहना है कि तैयारी दोनों ओर से चल रही है.तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Press/I. Abbas
भारत ने इस घटना पर कहा था कि उसकी सेना ने चीन के आक्रामक सैन्य गतिविधि को नाकाम कर दिया था. इसके जवाब में चीनी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय सेना ने एलएसी को पार किया और सीमा पर तनाव बढ़ाने का काम किया. पहली बार मई के महीने में दोनों देशों के बीच तनाव हुआ था, इसके बाद जून के महीने में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी. चीन ने इस झड़प में अपने सैनिकों की मौत की रिपोर्ट जारी नहीं की थी. हुड्डा कहते हैं कि उन्हें नहीं लगता कि दोनों पक्ष पूरे तौर पर युद्ध करेंगे, ''असली विपत्ति'' मौजूदा करार और प्रोटोकॉल का टूटना है.
बीजिंग की पेकिंग यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर वांग लियान कहते हैं कि खुले तौर पर युद्ध की संभावना नहीं है क्योंकि दोनों पक्षों ने हाल की झड़पों में संयम दिखाया है. लेकिन वे साथ ही कहते हैं कि भारत पर चीन विरोधी भावनाओं का दबाव है. वांग कहते हैं, ''मुझे नहीं लगता है (भारत) सैन्य संघर्ष बड़े पैमाने पर बढ़ाने के लिए इतना आगे जाएगा लेकिन मुझे लगता है कि दोनों तरफ से कुछ तैयारियां चल रही हैं.''
करीब साढ़े तीन हजार किलोमीटर की सीमा को दोनों देश साझा करते हैं, जो लद्दाख से होकर सिक्किम तक जाती है. दोनों देश 1962 की जंग भी लड़ चुके हैं जो एक नाजुक युद्धविराम के साथ समाप्त हुई थी. रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी कहते हैं कि जून की झड़प के बाद भारत ने सीमा पर अपने नियमों को बदला. उनके मुताबिक स्थानीय कमांडरों को "चीनी सेना के किसी भी शत्रुतापूर्ण कार्य के लिए पर्याप्त और बराबरी की कार्रवाई शुरू करने की आजादी दे दी गई है."
भारत के रक्षा विश्लेषकों समेत रणनीतिक समुदाय के सदस्यों और सेवानिवृत्त जनरलों का कहना है कि चीन की सेना नए मोर्चे खोल रही है, वह अविश्वास को गहरा कर रही है और सर्दी के पहले तत्काल पीछे नहीं हट रही है. लद्दाख वह इलाका है, जहां सर्दी के मौसम में तापमान -50 डिग्री तक चला जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दी के मौसम में भारतीय सेना की तैनाती अर्थव्यवस्था पर अधिक भार डालेगी.
चीन से तनाव के बीच भारत ने मशहूर गेमिंग ऐप पबजी समेत 118 चीनी मोबाइल ऐप्स को बैन कर दिया है. पबजी बैन को लेकर कहीं खुशी तो कहीं गम वाला माहौल है. जानिए पबजी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य.
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भारत में बैन पबजी
भारत सरकार ने अपनी ताजा कार्रवाई में 118 चीनी मोबाइल ऐप्स को बैन कर दिया है. पबजी एक मोबाइल गेमिंग ऐप है जो कि भारत में काफी लोकप्रिय है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 5 करोड़ सक्रिय पबजी यूजर्स हैं. इस गेम से जुड़े आंकड़ों के मुताबिक हर रोज 13 लाख लोग इसे खेलते हैं. सिर्फ भारत में पबजी को 17.5 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है.
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पबजी क्यों बैन
भारत सरकार का कहना है कि पबजी समेत 118 चीनी ऐप्स को इसलिए बैन किया गया है क्योंकि ये देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा है. पबजी के अलावा जिन गेमिंग ऐप्स को बैन किया गया है वे हैं-लूडो वर्ल्ड, चेस रश, राइज ऑफ किंगडम्स, साइबर हंटर, वॉर पाथ, डांक टैंक्स और गेम ऑफ सुल्तान्स. भारत में अब तक 224 चीनी ऐप्स को बैन किया जा चुका है.
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पबजी की लोकप्रियता
भारत ही नहीं दुनिया भर में पबजी के चाहने वालों और उसे खेलने वालों की कोई कमी नहीं है. चीनी कंपनी टेनसेंट के हाथों में पबजी का कंट्रोल है. सिर्फ सात महीनों में पबजी ने 3 अरब डॉलर की वैश्विक आय कर ली है. चीन और अमेरिका में भी यह काफी लोकप्रिय है.
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पबजी बैन, लगा सदमा!
पबजी खेलने वाले युवाओं को इसके बैन होने से झटका तो लगा ही है लेकिन उनका कहना है कि देश के आगे कुछ नहीं है. कुछ बच्चों ने लॉकडाउन के दौरान समय बिताने के लिए पबजी डाउनलोड किए थे लेकिन गेम में दिलचस्पी बढ़ने के साथ उनका इस प्लेटफॉर्म पर समय ज्यादा बीतने लगा, जिससे माता-पिता भी परेशान हो गए थे. बैन होने से माता-पिता को खुशी तो हुई है लेकिन गेम खेलने वालों में मायूसी है.
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प्रोफेशनल गेमर्स
पबजी पर लोग केवल समय काटने के लिए गेम नहीं खेलते हैं बल्कि इस पर प्रोफेशनल गेमर्स पैसे भी कमाते हैं. भारत में कुछ प्रोफेशनल गेमर्स लाखों रुपये तक कमा लेते हैं. भारत में पबजी के पोस्टर ब्वॉय नमन 'मॉर्टल' माथुर गेम को यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम करते आए हैं और उनके यूट्यूब पर 60 लाख से अधिक फालोअर्स हैं. उनकी तरह कई और प्रोफेशनल खिलाड़ी हैं जो पबजी पर गेम खेलने के साथ साथ पैसे कमाते आए हैं.
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पबजी से कमाई
एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेशनल खिलाड़ी गेमिंग कंपनी के साथ करार कर एक लाख रुपये तक महीना कमा सकते हैं. यही नहीं कोई खिलाड़ी अपने गेम की लाइव स्ट्रीमिंग कर विज्ञापन के जरिए भी महीने के 25 से 30 हजार रुपये कमा सकता है.
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पबजी टूर्नामेंट
पिछले साल भारत में पहली बार पबजी टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था. विजेता टीम ने इनाम के तौर पर 30 लाख रुपये जीता था. पबजी टूर्नामेंट्स भी खिलाड़ियों के लिए अच्छी खासी कमाई का जरिया रहा है.
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'पहले से था अंदेशा'
पबजी के प्रोफेशनल खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें पहले से ही पबजी के बैन होने का अंदेशा था. उनके मुताबिक जब से वीडियो शेयरिंग ऐप टिक टॉक बैन हुआ है उन्हें लग ही रहा था कि अब पबजी की बारी आने वाली है. प्रोफेशनल खिलाड़ी इस बैन को झटके के तौर पर ले रहे हैं. उनका कहना है कि यह उनकी आय का जरिया था.
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देसी ऐप्स के लिए मौका
भारत में कई ऐसी तकनीक कंपनियां हैं जो गेमिंग ऐप पर काम करती हैं लेकिन अब तक उन्हें पबजी जितनी लोकप्रियता हासिल नहीं हुई है. कुछ देसी मोबाइल ऐप के लिए पबजी का बैन होना एक अवसर के तौर पर आया है. आने वाले दिनों में वे टूर्नामेंट के जरिए अपनी लोकप्रियता बढ़ा सकती हैं.
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मां-बाप को लाखों की चपत
कुछ महीने पहले पंजाब में एक लड़के ने इन-ऐप पर्चेजेस और ऐप अपग्रेडिंग के लिए 16 लाख रुपये उड़ा दिए थे. इस लड़के के पास अपने माता-पिता के तीन बैंक खातों की जानकारी थी और उसने पबजी मोबाइल ऐप में पैसे खर्च करने के लिए इन बैंक खातों का इस्तेमाल कर डाला.