भारत के दो राज्यों असम और मिजोरम के बीच सीमाओं को लेकर हिंसक विवाद हो रहा है. इस विवाद के कारण सोमवार को भड़की हिंसा में असम पुलिस के पांच जवानों की जान जा चुकी है. इस विवाद की जड़ 146 साल गहरी है.
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असम-मिजोरम सीमा विवाद ने एक बार फिर हिंसक रूप ले लिया और असम पुलिस के पांच जवानों की मौत हो गई. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इन दो राज्यों के बीच सीमा विवाद भड़का है.
पिछले साल अक्टूबर में भी असम और मिजोरम के लोगों के बीच झड़पें हुई थीं. एक ही हफ्ते के अंदर दो बार झड़पों में तब कई लोग घायल हुए थे और झोपड़ियां व दुकानें जला दी गई थीं.
क्या है विवाद?
असम और मिजोरम की सीमाओं पर विवाद कुछ क्षेत्र को लेकर है जिसे दोनों तरफ के लोग अपना बताते हैं. असम और मिजोरम की सीमा लगभग 165 किलोमीटर लंबी है. लेकिन ब्रिटिश युग में मिजोरम का नाम लुशाई हिल्स हुआ करता था और यह असम का एक जिला था.
विवाद की जड़ में 146 साल पुराना एक नोटिफिकेशन है. 1873 के बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्युलेशन एक्ट के तहत 1875 में एक नोटिफिकेशन जारी हुआ. इस नोटिफिकेशन में लुशाई हिल्स को कछार के मैदान से अलग किया गया. फिर 1933 में एक और नोटिफिकेशन जारी कर लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच की सीमा भी अंकित की गई.
लेकिन दोनों नोटिस सीमा को अलग-अलग दिखाते हैं. मिजोरम के लोगों का मानना है कि सीमाओं को 1875 के नोटिफिकेशन के आधार पर तय किया जाना चाहिए. मिजो नेता यह तर्क देते रहे हैं कि 1933 का नोटिफिकेशन मान्य नहीं है क्योंकि उसके लिए मिजो समुदाय से विचार-विमर्श नहीं किया गया था.
उधर असम सरकार 1933 का नोटिफिकेशन मानती है. इस कारण विवाद है. और यह विवाद यदा-कदा उबलता रहता है. फरवरी 2018 में भी इस सीमा को लेकर हिंसा हो चुकी है. तब मिजोरम के प्रभावशाली छात्र संगठन मिजो जिरला पॉल (MZP) ने किसानों के लिए जंगल में एक विश्राम घर बना दिया था.
असम के अधिकारियों ने कहा कि विश्राम घर असम की जमीन पर बना था. इसलिए पुलिस और वन विभाग ने उसे तोड़ दिया. तब मिजो छात्र संगठन और असम के कर्मचारियों के बीच हिंसक झड़पें भी हुईं.
अब क्या हुआ?
मिजोरम के कोलासिब जिले के तत्कालीन उपायुक्त एच लालथंगलियाना ने 2020 में इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया था कि कुछ साल पहले दोनों राज्यों के बीच एक समझौता हुआ था जिसमें साझा क्षेत्र यानी नो मैन्स लैंड पर यथास्थिति बनाए रखने पर सहमति बनी थी. लेकिन असम के अधिकारी दावा करते हैं कि जिस इलाके को लेकर विवाद है वह असम की सीमा में है न कि नो मैन्स लैंड में.
तस्वीरों मेंः ये हैं भारत के सबसे विवादित इलाके
ये हैं भारत के सबसे विवादित इलाके
वैश्विक मंच पर भारत को विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता है. आर्थिक तरक्की के बावजूद देश में अब भी कुछ ऐसे हिस्से हैं जिन पर पड़ोसी देशों के साथ विवाद बरकरार हैं. एक नजर देश के विवादित इलाकों पर.
तस्वीर: AP
अक्साई चिन
अक्साई चिन, उत्तर पश्चिम में भारत-चीन सीमा पर स्थित तिब्बती पठार का विवादित क्षेत्र है. वर्तमान में यह चीन के कब्जे में हैं. साल 2017 में चीन ने, भारत-चीन विवाद समझौते के मद्देनजर कहा था कि अगर भारत, अरुणाचल प्रदेश का तवांग क्षेत्र चीन को देता है तो वह अक्साई चिन के अपने कब्जे वाला एक हिस्सा भारत को दे सकता है. चीन तवांग को दक्षिणी तिब्बत कहता है. (तस्वीर में तवांग की मॉर्डन टाउनशिप)
तस्वीर: DW
देपसांग घाटी
भारत-चीन की वास्तविक सीमा रेखा के निकट स्थित यह देपसांग घाटी दोनों देशों को अलग करती है. साल 2014 में पहली बार चीन ने लद्दाख क्षेत्र की देपसांग घाटी में अतिक्रमण करने की बात कबूली थी और कहा था कि ऐसी घटनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में अलग-अलग धारणाओं की वजह से हुईं थी.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/A. Wong
अरुणाचल प्रदेश
भारत के पूर्वोत्तर में स्थित अरुणाचल प्रदेश भी भारत-चीन विवाद में अहम स्थान रखता है. चीन दावा करता रहा है कि अरुणाचल, दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है. साल 2018 की शुरुआत में चीनी फौजों की प्रदेश में घुसपैठ करने जैसे खबरें आईं थी. वहीं पिछले साल चीन ने दलाई लामा का अरुणाचल प्रदेश जाने का विरोध किया था. चीन दलाई लामा को अलगाववादी नेता मानता है.
तस्वीर: Prabhakar Mani
सर क्रीक
सर क्रीक पर भी भारत और पाकिस्तान के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है. यह भारत के गुजरात के कच्छ जिले और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच स्थित 96 किलोमीटर लंबी पट्टी है. आजादी से पहले यह क्षेत्र भारत के बॉम्बे प्रेसिडेंसी का भाग था. लेकिन आजादी के बाद इसके हिस्से हो गए लेकिन इसका मालिकाना हक स्पष्ट नहीं हो सका. यह क्षेत्र मछुआरों के लिए बेहद ही अहम है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Naveed
भारत और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर
भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद की जड़ यह क्षेत्र है. पाकिस्तान, भारत नियंत्रित कश्मीर पर अपना दावा करता है. वहीं भारत, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित बल्तिस्तान पर. गिलगित बल्तिस्तान, पाकिस्तान प्रशासित सबसे उत्तरी इलाका है जिसकी सीमा दक्षिण में पाकिस्तान और भारत के नियंत्रण वाले कश्मीरी इलाकों से मिलती है.
हिमालय के काराकोरम पर्वतमाला में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास स्थित सियाचिन ग्लेशियर पर भारत का नियंत्रण है. लेकिन पाकिस्तान इस पर अपना दावा करता है. इस क्षेत्र में कमर तक बर्फ जमी होती है. साल 2016 में हिमस्खलन के चलते यहां भारतीय सेना के 10 जवानों की बर्फ के नीचे दब जाने से मौत हो गई थी.
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इस साल जून में कुछ लोगों ने सीमांत इलाके में दो खाली पड़े घर फूंक दिए. इसके बाद तनाव बढ़ गया. जुलाई की शुरुआत में दोनों राज्यों ने एक दूसरे पर कोलासिब जिले में सीमा लांघने का आरोप लगाया. असम ने कहा कि मिजोरम के लोग असम की सीमा के 10 किलोमीटर अंदर आकर हेलाकांडी में खेती कर रहे हैं. असम के कछार जिले की पुलिस ने वैरेंगटे गांव के आसपास अपने जवान तैनात कर दिए और 29 जून को वहां से मिजो लोगों को हटाकर इलाके पर कब्जा कर लिया.
मिजोरम के कोलासिब जिले के पुलिस अधीक्षक वनलालफाका राल्टे ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि यह हमला है. उन्होंने कहा, "यह पड़ोसी राज्य द्वारा सीधा हमला है क्योंकि वह इलाका मिजोरम का है. स्थानीय किसानों को वहां से भगाया गया.”
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राजनीतिक बयानबाजी
वैरेंगटे में अब भी असम पुलिस तैनात है. असम और मिजोरम के मुख्यमंत्रियों की ट्विटर पर बहस भी हो रही है जिसमें दोनों ने गृह मंत्री अमित शाह को टैग करते हुए अपने अपने दावे किए हैं. मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले पर संज्ञान लेने का आग्रह किया.
उन्होंने लिखा, "कछार होते हुए मिजोरम आ रहे एक निर्दोष दंपती के साथ गुंडों ने मार-पिटाई की. आप इस व्यवहार को कैसे सही ठहराएंगे?”
उधर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने जोरामथांगा को जवाब देते हुए लिखा, "कोलासिब एसपी हमसे कह रहे हैं कि जब तक हम अपनी पोस्ट से नहीं हटेंगे, उनके नागरिक बात नहीं सुनेंगे और हिंसा नहीं रुकेगी. ऐसे हालत में कैसे प्रशासन किया जा सकता है? अमित शाह, प्रधानमंत्री कार्यालय, उम्मीद है आप जल्दी ही दखलअंदाजी करेंगे.”
हालांकि बाद में सरमा ने कहा कि उन्होंने जोरामथांगा से बात की है. उन्होंने लिखा, "अभी मुख्यमंत्री जोरामथांगा से बात हुई है. मैंने दोहराया कि असम यथास्थिति और सीमा पर शांति बनाए रखेगा. मैंने जरूरत पड़ने पर आइजोल आकर बातचीत करने की इच्छा भी जताई है.”
पर इस ट्वीट के कुछ ही देर बाद जोरामथांगा ने जवाब दिया, "जैसा कि बात हुई है, मैं आग्रह करता हूं कि नागरिकों की सुरक्षा की खातिर असम पुलिस को वैरेंगटे से हटने का निर्देश दिया जाए.”
असम के ऐसे ही सीमा विवाद अरुणाचल और मेघालय के साथ भी हैं.
देखिएः आकाश से लद्दाख
आकाश से लद्दाख
भारत-चीन सीमा पर कई दशक बाद हुई हिंसा के चलते पूरी दुनिया की नजर अब लद्दाख पर है. आइए जानते हैं कि इसके दुर्गम पहाड़ों पर जमीन को लेकर कितना संघर्ष है.
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बर्फ ही बर्फ
दिल्ली से लेह की उड़ान के 15 मिनट के भीतर ही हिमालय पर्वत श्रृंखला दिखनी शुरू हो जाती है.अपने अनछुए पहाड़ी सौंदर्य, खास संस्कृति और भौगोलिक स्थिति के कारण रणनीतिक महत्व वाले लद्दाख को 31 अक्टूबर 2019 को भारत के एक केंद्र शासित क्षेत्र का दर्जा मिला.
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शिवालिक और पीरपंजाल
सबसे पहले दिखाई देते हैं शिवालिक और पीरपंजाल पर्वत. इस तस्वीर में आप जहां तक देख सकते हैं, यह सब भारतीय हिमालय का हिस्सा है.
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हिमालय का दृश्य
यहां विमान दुनिया के कुछ सबसे ऊंचे पहाड़ों के ऊपर से उड़ता है. जहां तक दिखता है एक के बाद एक कई ज्ञात और अज्ञात चोटियां दिखती हैं.
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जितना दुर्गम, उतना ही संवेदनशील
हिमालय के इस सुदूर क्षेत्र को लेकर पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष रहा है. इस घाटी के तमाम हिस्सों में भारत, चीन और पाकिस्तान की सीमाएं हैं.
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युद्ध वहीं है, जहां लोग नहीं हैं
यहां दिख रहे काराकोरम रेंज में स्थित है सियाचिन ग्लेशियर. यहीं से नुब्रा नदी निकलती है जो आगे चलकर सिंधु नदी से मिलती है. चीन और पाकिस्तान दोनों तरफ से कश्मीर में सियाचिन के रास्ते घुसा जा सकता है.
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नीली झील
करीब 15,000 फीट पर खारे पानी की झील, जिसे लद्दाखी में मुरारी कहते हैं. इसके आगे पैंगोंग सो झील दिखती है, जो 1962 के भारत-चीन युद्ध की धुरी बनी थी.
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लद्दाख-तिब्बत का पठार
लद्दाख-तिब्बत के ठंडे रेगिस्तान में प्रवेश करते हुए ऐसा नजारा दिखता है. चारों ओर स्लेटी रंग है. कहीं-कहीं थोड़ा हरा भी दिख जाता है. इन्हीं हिस्सों में लोग रहते हैं.
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केवल सेना है
इस निर्जन इलाके में कोई पेड़ नहीं हैं, बहुत कम ऑक्सीजन है. लेकिन इलाके की अहमियत इतनी है कि यहां जिस देश की जितनी अधिक सेना होगी, युद्ध की स्थिति में उसे उतना ही फायदा होगा.
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लद्दाख का अर्थ है शांति
विमान लेह के आकाश में प्रवेश कर चुका है. तनाव के समय में यहां के आकाश में लड़ाकू विमान घंटों उड़ान भर रहे हैं. लेकिन यह लेह की आम तस्वीर नहीं है. लेह का अर्थ है शांति और सभी धर्मों का सह-अस्तित्व.