कौन हैं नावाल्नी, क्यों दिया गया उन्हें जहर, कौन से जहर से किया गया वार और क्यों इससे पड़ा है जर्मनी और रूस के रिश्तों में खलल, जानिए इन सब सवालों के जवाब.
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रूस के विपक्षी नेता अलेक्सी नावाल्नी होश में आ गए हैं और एक बार फिर जर्मनी के अखबारों, टीवी चैनलों और रेडियो पर सुर्खियों में छाए हुए हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने साफ साफ कहा है कि इन्हें नर्व एजेंट दे कर हत्या की कोशिश की गई थी और रूस इस पर जवाब दे, जबकि रूस पहले ही कह चुका है कि कोई जहर नहीं दिया गया था. तो आइए जानते हैं कि मैर्केल और पुतिन - दुनिया के दो इतने बड़े नेताओं के बीच तनातनी कराने वाला यह शख्स आखिर है कौन.
इसे समझने के लिए कहानी को शुरू से शुरू करते हैं. 1975 में सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में एक शख्स शामिल हुआ जिसका नाम था व्लादिमीर पुतिन. 80 के दशक में उन्हें जर्मनी में एजेंट के तौर पर भेजा गया. कुछ साल बाद यहां बर्लिन की दीवार गिरी और वहां सोवियत संघ टूटा और रूस बन गया. तो इनकी हुई वतन वापसी और देश लौटने के कुछ दिन बाद ये घुस गए राजनीति में.
यहां उन्होंने सबसे जरूरी लोगों के साथ कॉन्टैक्स बनाए और राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते गए. 1997 में रूस के राष्ट्रपति थे बोरिस येल्तसिन. पहले तो उन्होंने पुतिन को अपना डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ बनाया, फिर अगले साल वहां की खुफिया एजेंसी एफएसबी का अध्यक्ष बना दिया और उसके अगले साल इन्हें देश का प्रधानमंत्री बना दिया. रूस के इस असली House Of Cards में कहानी इसके बाद अभी और मजदार बनती है.
जब पुतिन बने राष्ट्रपति
1999 में येल्तसिन ने अचानक ही राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया. और पुतिन जो कि प्राइम मिनिस्टर थे, वो बन गए एक्टिंग प्रेजिडेंट. फिर ये इलेक्शंस में खड़े हुए और साल 2000 में प्रेजिडेंट भी बन गए. वो दिन था और ये दिन है.. ये आज तक प्रेजिडेंट ही बने हुए हैं. हां, बीच में दिमित्री मेद्वेदेव भी कुछ समय के लिए आए थे, और उसकी वजह यह है कि रूस में दो टर्म से जदा आप राष्ट्रपति बन कर नहीं रह सकते हैं. तो मेद्वेदेव को बनाया गया प्रेजिडेंट, पुतिन बने प्राइम मिनिस्टर. लेकिन उस वक्त भी देश की कमान सही मायनों में पुतिन के हाथ में ही थी. उस वक्त प्रेजिडेंट का टर्म होता था चार साल का.
2000 से 2008 तक पुतिन रहे प्रेजिडेंट. 2008 से 2012 वो बन गए प्राइम मिनिस्टर. और फिर 2012 में जब वो फिर से प्रेजिडेंट बने, तो उन्होंने एक स्मार्ट मूव चली. उन्होंने संविदान में कुछ बदलाव किए और इस टर्म को चार की जगह बना दिया छह साल का. यानी छह छह साल कर के अब वो 12 साल तक प्रेजिडेंट बने रह सकते हैं. तो 2024 तक तो उन्होंने अपनी जगह पक्की कर रखी है.
अब 2000 से 2020 बीस साल हो गए हैं. न उन्होंने गद्दी छोड़ी है और न कोई उनके सामने टिक पाया है. इतने सालों में कई लोगों ने उनके खिलाफ बोलने की कोशिश की है लेकिन किसी ना किसी तरह उन्हें चुप करा दिया गया. और इसी पुतिन विरोधियों की लिस्ट में सबसे ताज हैं अलेक्सी नावाल्नी. दुनिया की नजरों में ये भले ही अभी इस घटना के बाद आए हैं लेकिन नावाल्नी 2008 से पुतिन के खिलाफ लिखते रहे हैं.
पुतिन को डराने वाला यह शख्स कौन है?
रूस के विपक्षी नेता अलेक्सी नावाल्नी पुतिन विरोधी मुहिम का सबसे प्रमुख चेहरा हैं. लेकिन इस वक्त वह आईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. शक है कि उन्हें जहर दिया गया है.
तस्वीर: Imago Images/TASS/S. Bobylev
रूसी विरोध का चेहरा
रूस में विरोध करने वालों के बीच एक बुलंद आवाज और मजबूत छवि अलेक्सेई नावाल्नी की है. नावाल्नी ने 2008 में एक ब्लॉग लिख कर रूसी राजनीति और सरकारी कंपनियों के कथित गंदे कामों की ओर लोगों का ध्यान खींचा. उनके ब्लॉग में लिखी बातें अकसर इस्तीफों की वजह बनती हैं जो रूस की राजनीति में दुर्लभ बात है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/TASS/V. Sharifulin
विवादित संसदीय चुनाव
2011 में नावाल्नी को पहली बार गिरफ्तार किया गया. मॉस्को में डूमा के बाहर हुई रैली में उनकी भूमिका के लिए उन्हें 15 दिन की सजा हुई. संसदीय चुनाव में पुतिन की यूनाइटे़ड रसिया जरूर जीती लेकिन सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारियों की तरफ से डाली तस्वीरों ने चुनाव के दौरान हुई धांधलियों को उजागर किया. बाहर निकलने पर नावाल्नी ने विरोध प्रदर्शनों के लिए "असाधारण कोशिशों" को जारी रखने की शपथ ली.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Stenin
दूसरी बार जेल
2012 में दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन ने रूस की जांच कमेटी को नावाल्नी के अतीत की आपराधिक जांच का आदेश दिया. इसके अगले साल नावाल्नी पर आरोप लगे और उन्हें सजा दी गई. इस बार उन्हें किरोव शहर में हुई कथित आगजनी के लिए पांच साल की सजा मिली. हालांकि उन्हें अगले ही दिन रिहा कर दिया गया क्योंकि उच्च अदालत से सजा की पुष्टि नहीं हो सकी. बाद में उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया.
तस्वीर: Reuters
क्रेमलिन का विरोध बढ़ा
कानूनी पचड़ों में फंसने के बावजूद नावाल्नी को 2013 में मॉस्को के मेयर का चुनाव लड़ने की इजाजत मिल गई. पुतिन के सहयोगी सर्गेई सोब्यानिन से मुकाबले में दूसरे नंबर पर आकर नावाल्नी पुतिन विरोध की मुहिम को आगे बढ़ाने में कामयाब हो गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सोशल मीडिया पर नावाल्नी की लड़ाई
राष्ट्रपति के विरोध में गढ़े नारों के कारण नावाल्नी को रूस के सरकारी टेलिविजन पर दिखाने की रोक लग गई. मजबूर हो कर नावाल्नी ने अपना राजनीतिक संदेश सोशल मीडिया और ब्लॉग के जरिए लोगों तक पहुंचाने लगे. अच्छा भाषण देने, पुतिन और उनके सहयोगियों पर तीखे व्यंग्य और हास्य के जरिए उनका मजाक बना कर नावाल्नी ने युवा प्रशंसकों की एक फौज खड़ी कर ली है.
तस्वीर: Alexei Navalny/Youtube
राष्ट्रपति बनने की महत्वाकांक्षा
दिसंबर 2016 में विपक्षी नेता ने मार्च 2018 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी के अभियान की औपचारिक शुरूआत की. हालांकि लगातार लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई. उनके समर्थकों का कहना है कि उन पर लगे सारे आरोप राजनीति से प्रेरित थे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/K. Kudryavtsev
भ्रष्टाचार के दोषी
2016 में यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने फैसला दिया कि किरोव मामले में रूस की सरकार ने नावाल्नी की उचित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन किया. रूस की सर्वोच्च अदालत ने पांच साल कैद की सजा उलट दी लेकिन इस फैसले को किरोव की अदालत में वापस भेज दिया गया. 2017 में फिर उन्हें पांच साल के निलंबित कैद की सजा सुनाई गई. नावाल्नी ने फैसले को चुनौती दी और इस पर सुनवाई जारी है.
तस्वीर: picture-alliance/Sputnik/A. Kudenko
6 साल में मॉस्को का सबसे बड़ा प्रदर्शन
फरवरी 2017 में भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्जनों शहरों में हुई रैलियों के कारण देश भर में नावाल्नी समेत 1000 से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार हुए. 2012 के बाद यह विरोध प्रदर्शन सबसे ज्यादा बड़े थे. नावाल्नी ने अपनी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री दिमित्री मेद्वेद्वेव को एक अरब यूरो के एक इम्पायर से संबंधित बताया. 15 दिन बाद नावाल्नी को रिहा कर दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Evgeny Feldman for Alexey Navalny's campaign
शारीरिक हमला
नावाल्नी पर शारीरिक हमले भी हुए. अप्रैल 2017 में उनकी एक आंख में किसी ने केमिकल डाइ फेंक दिया इसकी वजह से उनके दक्षिणी कॉर्निया को भारी क्षति हुई. नावल्नी ने रूसी अधिकारियों पर आरोप लगाया कि किरोव मामले की आड़ लेकर उन्हें इलाज के लिए बाहर नहीं जाने दिया जा रहा. हालांकि रूसी राष्ट्रपति दफ्तर से जुड़े मानवाधिकार परिषद की दखल के बाद उन्हें स्पेन जा कर आंख का ऑपरेशन कराने की अनुमति मिली.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Feldman
जहर दिया गया?
20 अगस्त 2020 को नावाल्नी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. वह मॉस्को जा रहे थे कि विमान की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई और उन्हों तुरंत आईसीयू में दाखिल कराया गया. डॉक्टर उनकी हालत को गंभीर बता रहे हैं. नावाल्नी की प्रवक्ता का कहना है कि शायद चाय के जरिए उन्हें जहर देने की कोशिश की गई है.
तस्वीर: Imago Images/TASS/S. Bobylev
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2008 में ली नावाल्नी ने टक्कर
पहले ये सिर्फ ब्लॉग लिख रहे थे, एक्टिविज कर रहे थे लेकिन जब इन्हें बार बार जेल भेजा जाने लगा, जब इनपर लगातार अलग अलग आरोपों में मुक़दमे चलने लगे तो इन्होंने राजनीति में उतर कर पुतिन का सामना करने का फैसला किया. पहले मेयर का चुनाव लड़ा, ऑपोजशन पार्टी बनाई, दस साल तक लगातार पुतिन के खिलाफ आवाज उठाते रहे और फिर 2018 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा भी कर दी. लेकिन पुतिन के आगे खड़ा होना तो मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है.. इन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए और चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई.
मामला यहां खत्म हो सकता था लेकिन नावाल्नी रुकने को राज नहीं थे. एक के बाद एक प्रोटेस्ट्स को उन्होंने लीड किया और फिर अचानक ही खबर आई कि उनकी तबियत खराब हो गई है. वो तोम्स्क नाम के शहर से फ्लाइट ले कर मॉस्को जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही उनकी तबियत बिगड़ने की वजह से ओम्स्क शहर में एमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी. उनकी मैनेजर ने कहा.. उन्होंने सुबह से सिर्फ चाय पी है, और कुछ नहीं यानी चाय में जहर डाला गया. ओम्स्क में उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि बात सही है, उन्होंने सुबह से सिर्फ चाय पी थी, और कुछ नहीं, इसलिए उनका ब्लड शुगर लेवल डाउन हो गया और वो बेहोश हो गए.
अब डॉक्टर की बात मानी जाए या फिर मैनेजर की? मैनेजर की बात में जदा दम लगा क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब रूस में सरकार के किसी विरोधी को जहर देने का मामला सामने आया हो. इससे पहले 2018 में पुसी रायट ग्रुप से जुड़े Pyotr Verzilov को जहर दिया गया, उसी साल डबल एजेंट सर्गेई स्क्रिपाल को भी जहर दिया गया. इसी तरह आलेक्सांडर लित्विनेंकों, विक्टोर कलाश्निकोव.. लिस्ट काफी लंबी है. बहरहाल नावाल्नी को इलाज के लिए बर्लिन लाया गया.
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बर्लिन में ही क्यों होता है इलाज?
यहां के शारिटे अस्पताल में पहले भी पॉलिटिकल पॉइजनिंग के दूसरे विक्टिम्स का इलाज किया जा चुका है, इसलिए यहां के डॉक्टरों को इसका तजुर्बा है. यहां आपको ये भी बता दें कि ये जहर जो इस्तेमाल किया जाता है, वो कोई आसानी से मिल जाने वाला चूहे या छिपकली मारने टाइप का जहर नहीं होता है, बल्कि जदातर मामलों में ये खास किस्म का नर्व एजेंट होता है. ये एक ऐसा केमिकल है जो सीधे नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है. नर्व एजेंट के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को फौरन ही सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. आंखों की पुतलियां सफेद हो जाती हैं, हाथ-पैर चलना बंद कर देते हैं और व्यक्ति कोमा में पहुंच जाता है. कई बार इन्हें खाने में या किसी ड्रिंक में मिला कर दिया जाता है. लेकिन ऐसे में असर देर से शुरू होता है. लेकिन अगर इसे सीधे किसी पर स्प्रे कर दिया जाए तो ये फौरन त्वचा के अंदर पहुंच जाता है.
नावाल्नी के मामले में नोविचोक नाम का नर्व एजेंट दिया गया जो कि रूस की खुफिया एजेंसी के ही पास है. इसीलिए जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने साफ साफ शब्दों में इसे "अटेम्पट टू मर्डर"कहा. इसके बाद से जर्मनी और रूस के संबंधों में तनाव आता दिख रहा है और दोनों देशों को जोड़ने वाली गैस पाइपलाइन नॉर्ड स्ट्रीम 2 पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
बर्लिन के इस अस्पताल में हो रहा है अलेक्सी नावाल्नी का इलाज
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक अलेक्सी नावाल्नी को कथित रूप से जहर दिए जाने के बाद इलाज के लिए जर्मन राजधानी बर्लिन लाया गया. यहां के शारिटे अस्पताल में पहले भी इस तरह के कई हाई प्रोफाइल मामले आ चुके हैं.
तस्वीर: Reuters/C. Mang
देश का नंबर 1
जर्मनी के लिए यह अस्पताल उतना ही महत्वपूर्ण है जितना भारत में दिल्ली का एम्स. जर्मनी के चिकित्सा क्षेत्र के आधे से ज्यादा नोबेल पुरस्कार विजेता इस अस्पताल में काम कर चुके हैं.
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300 साल पुराना
शारिटे अस्पताल की स्थापना साल 1710 में प्लेग के मरीजों का इलाज करने के लिए की गई थी. कुछ 100 साल बाद यहां मेडिकल कॉलेज भी बना और धीरे धीरे यह रिसर्च के लिहाज से अहम जगह बन गई.
तस्वीर: picture-alliance/K. H. Spremberg
काला अध्याय
नाजी काल में इस अस्पताल की छवि खराब हुई. तब यहां यहूदियों के शवों पर कई तरह के शोध किए जा रहे थे. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब जर्मनी बंटा, तो यह पूर्वी जर्मनी का हिस्सा बन गया.
तस्वीर: Imago Images
हाई प्रोफाइल मामले
यह अस्पताल यूरोप के कई हाई प्रोफाइल लोगों का इलाज कर चुका है. मार्च 2014 में यूक्रेन की विपक्षी नेता और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार यूलिया टीमोशेंको को इलाज के लिए यहां लाया गया. वे ढाई साल कैद में रही थीं जहां उन्हें तीन स्लिप डिस्क हुई थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
नावाल्नी का इलाज
जैसे ही अलेक्सी नावाल्नी को कथित रूप से जहर दिए जाने की बात सामने आई, तो तुरंत ही माना जाने लगा कि उनकी जान नहीं बच पाएगी. रूसी डॉक्टरों ने शुरू में कहा कि वे यात्रा करने की हालत में नहीं हैं. लेकिन शारिटे के डॉक्टरों ने दावा किया कि वे उनका इलाज कर सकते हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Malgavko
पहला मामला नहीं
व्लादिमीर पुतिन के किसी विपक्षी के यहां इलाज का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले 2018 में पुतिन के कट्टर विरोधी पुसी रायट बैंड के पियोत्र वेरजिलोव को भी मॉस्को से यहां लाया गया. उन्हें भी जहर दिया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
इबोला के दौर में भी
2015 में जब अफ्रीका में इबोला फैला, तब भी यह अस्पताल चर्चा में रहा. सिएरा लिओन में मरीजों का इलाज कर रहे एक दक्षिण कोरियाई डॉक्टर खुद जब इबोला से संक्रमित हो गए, तो उन्हें यहीं लाया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Brakemeier
जर्मनी का कोरोना एक्सपर्ट
शारिटे जर्मनी का पहला अस्पताल था जहां लोकल ट्रांसमिशन के मामले की पुष्टि की गई. यहां के वायरस एक्सपर्ट क्रिस्टियान ड्रोस्टेन महामारी के दौरान सरकार के सलाहकार और कोरोना से निपटने की नीति का मुख्य चेहरा हैं.