रूस पर लगाए गए तमाम आर्थिक प्रतिबंधों के पूरी दुनिया पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं. इसकी मुख्य वजह है विमानन, समुद्री और कार उद्योगों में इस्तेमाल किया जाने वाला रूसी कच्चा माल.
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यूक्रेन पर हमला करने के बाद अमेरिका और यूरोप ने रूसी बैंकों, रूसी रईसों और अन्य संस्थाओं पर वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं. हालांकि रूसी कमोडिटी निर्यातक वीएसएमपीओ-एवीआईएसएमए (VSMPO-Avisma) पर अभी तक कोई प्रतिबंध नहीं लगा है, जो विमान निर्माता कंपनी बोइंग और एयरबस को टाइटेनियम की आपूर्ति करता है.
एयरबस ने कहा है कि वह अपनी आधी टाइटेनियम मांग के लिए रूस पर निर्भर है, जबकि एक अमेरिकी उद्योग सूत्र ने कहा कि वीएसएमपीओ-एवीआईएसएमए बोइंग की जरूरतों का एक तिहाई मुहैया कराता है. इस बीच कुछ रूसी बैंकों को वैश्विक वित्तीय प्रणाली स्विफ्ट से भी अलग कर दिया है. यह कदम टाइटेनियम सहित कई रूसी निर्यातों की आपूर्ति को भी प्रभावित कर सकता है.
टाइटेनियम स्पंज कीमती धातु टाइटेनियम खनिज कणों से बनता है और इसका इस्तेमाल कई उद्योगों में किया जाता है. चीन इस समय दुनिया में टाइटेनियम स्पंज का सबसे बड़ा उत्पादक है. यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक पिछले साल वैश्विक टाइटेनियम उत्पादन 2,10,000 टन था, जिसमें चीन का 57 प्रतिशत हिस्सा था. जापान 17 फीसदी के साथ दूसरे और रूस 13 फीसदी के साथ तीसरे स्थान पर था. पिछले साल कजाखस्तान ने 16,000 टन और यूक्रेन ने 3,700 टन का उत्पादन किया था.
ये आंकड़े बताते हैं कि रूस का टाइटेनियम भंडार बहुत बड़ा नहीं है. लेकिन वह इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यूएसजीएस का कहना है, "2021 में यूक्रेन टाइटेनियम खनिज का प्रमुख स्रोत था, जिसे रूस में आयात किया गया था." वियतनाम और मोजाम्बिक समेत कुछ अन्य देशों में भी यह खनिज संपदा है.
यूएसजीएस का अनुमान है कि यूक्रेन ने पिछले साल 5,25,000 टन टाइटेनियम खनिज सांद्र का उत्पादन किया था.
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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टाइटेनियम के प्रमुख आयातक
आयात और निर्यात कंसल्टेंसी सीआरयू का कहना है कि चीन टाइटेनियम का दुनिया का सबसे बड़ा खरीदार है, जिसने पिछले साल 16,000 टन से अधिक टाइटेनियम स्पंज खरीदा. अमेरिका ने 2020 में 19,000 टन ऐसे स्पंज का आयात किया, लेकिन एक साल बाद यह आयात घटकर 16,000 टन हो गया.
जापान, चीन और अमेरिका को सबसे अधिक टाइटेनियम स्पंज निर्यात करता है. सीआरयू के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद निर्माण और विमानन उद्योगों में हालिया सुधार ने टाइटेनियम स्पंज की कीमत बढ़ा दी है.
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इस धातु का इस्तेमाल मुख्य रूप से एयरोस्पेस उद्योग में किया जाता है. विमान के लैंडिंग गियर और विमान के ब्लेड के अलावा, इसका उपयोग टर्बाइनों के निर्माण में भी किया जाता है. समुद्री उद्योग में टाइटेनियम शीट का इस्तेमाल जहाज और पनडुब्बियां बनाने के लिए किया जाता है और ऑटो क्षेत्र में इसे इंटरनल कंबशन इंजन के पुर्जे तैयार करने के लिए किया जाता है.
धातु की रक्षा के अलावा यह तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करता है. इसका इस्तेमाल मानव जोड़ों के लिए कृत्रिम विकल्प के निर्माण और दंत प्रत्यारोपण में भी किया जाता है.
एए/ओएसजे (रॉयटर्स)
सोने की चमक के पीछे छुपे 7 राज
चाहे सोना इकट्ठा करना आपका शौक हो या केवल इस महंगी चमकदार धातु के प्रति आपको आकर्षण हो, सोने के जुड़ी ये सात दिलचस्प बातें शायद आपको भी ना पता हों.
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सोने से इलाज
गहने बनाने के लिए सदियों से पहली पसंद रहा सोना कई बीमारियों के इलाज में भी उपयोगी है. रुमेटॉइड आर्थराइटिस को ठीक करने के एक तरीके में जोड़ों में सीधे सोने के कण इंजेक्ट किए जाते हैं. सोने के नैनो कणों का इस्तेमाल प्रोस्टेट कैंसर, एचआईवी और मलेरिया की टेस्टिंग के अलावा कुछ खास कैंसर को सोने के रेडियोएक्टिव आइसोटोप की मदद से नष्ट करने में भी होता है. सोने के नकली दांत भी लगते हैं.
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बाहरी दुनिया से आया
माना जाता है कि सोना और इसके जैसी कुछ अन्य कीमती धातुएं करीब 4 अरब साल पहले एक उल्का पिंड के धरती से टकराने से पैदा हुईं. इंग्लैंड की ब्रिस्टल युनिवर्सिटी की एक टीम ने अपनी स्टडी में पाया कि धरती के ठंडा होने के बाद उससे टकराने वाले क्षुद्रग्रहों के साथ आई चीजें धरती पर रह गईं. मिट्टी के साथ मिली ये चीजें बारिश के पानी के कारण धरती की भीतरी सतहों तक पहुंच गईं, जिन्हें अब खनन करके निकाला जाता है.
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खाने की चीज
आपको जान कर हैरानी होगी कि शुद्ध सोना शरीर के अंदर जाने पर भी जहरीला नहीं होता. सोने जैसी बेशकीमती धातुएं ऑक्सिडाइज नहीं होतीं, उन पर जंग नहीं लगती और कई रासायनिक पदार्थों से प्रतिक्रिया भी नहीं करती. शुद्ध सोने के लच्छे खाए भी जा सकते हैं, हालांकि उनसे कोई पोषण नहीं मिलेगा. इस चॉकलेट पर सोना छिड़का हुआ है.
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बड़े काम का सोना
करीब अठहत्तर प्रतिशत सोने का इस्तेमाल गहने बनाने में ही होता है. इसके अलावा बिजली का एक बहुत अच्छा सुचालक होने के कारण इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में भी इसकी खूब उपयोगिता है. इस पर जंग नहीं लगती और इसे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है. हर तरह के निर्माण कार्य में इसका ये गुण बाकी धातुओं के मुकाबले इसे खास बनाता है.
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मोबाइल में सोना
दुनिया भर जितनी तेजी से मोबाइल फोनों की संख्या बढ़ी है उतना ही उनका कचरा भी. पुराना होने पर फेंक दिए जाने वाले ये मोबाइल सेट असल में कीमती सोने का स्रोत हैं. यूएनईपी की 2009 की रिपोर्ट में बताया गया था कि मोबाइल फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक कचरे के प्रति एक टन में कम से कम 340 ग्राम सोना होता है. क्या आप भी कोशिश करना चाहेंगे, घर पर पड़े पुराने मोबाइल फोन से सोना निकाल कर अमीर बनने की.
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सोना निकालना खतरनाक
सोने के अयस्क को खोद कर निकाला जाता है और फिर सायनाइड से धोकर उसकी फोर्जिंग होती है. सोना तो मिल जाता है लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान निकले जहरीले पदार्थों का भी रेडियोएक्टिव कचरे की ही तरह निपटारा किया जाना चाहिए. बड़े स्तर पर इसे निकालने की प्रक्रिया में सायनाइड के प्रदूषण का भी खतरा है, जो अत्यंत जहरीला है.
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एक आउंस सोने से ढका कमरा
अगर एक आउंस सोने की जाली जैसी पतली झिल्ली बना दी जाए तो उससे एक छोटे कमरे की पूरी चौड़ाई को ढका जा सकता है. सोने का इतना पतला तार बनाया जा सकता है जिसकी चौड़ाई इंसान के बाल की भी एक तिहाई हो. एक आउंस सोने से करीब आठ किलोमीटर लंबा धागा बनाया जा सकता है.