पाकिस्तान: नए सेना प्रमुख का भारत पर क्या होगा असर
१८ नवम्बर २०२२
पाकिस्तान की परमाणु हथियारों से लैस सेना का नेतृत्व अगले महीने से एक नए प्रमुख के हाथों में होगा. जनरल कमर जावेद बाजवा का सेनाध्यक्ष के रूप में कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है.
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पाकिस्तान में सेना देश की सबसे शक्तिशाली संस्था है और देश शायद ही कभी अपने अगले संकट से दूर हो. जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पाकिस्तान को एक नया सेना प्रमुख नियुक्त करना है. इस नियुक्ति का पाकिस्तान के नाजुक लोकतंत्र के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है, लेकिन यह पड़ोसी देश भारत के साथ संबंधों को सुधारने की अनुमति देगा या नहीं यह भी इस नियुक्ति पर निर्भर करता है.
बंटवारे के बाद और पाकिस्तान के अस्तित्व के 75 वर्षों के दौरान सेना ने तीन बार सत्ता हथिया ली और तीन दशकों से अधिक समय तक सीधे इस्लामी गणराज्य पर शासन किया है. इस दौरान भारत के साथ तीन युद्ध भी लड़े गए.
पाकिस्तान में सेना का प्रभाव
हाल यह है कि पाकिस्तान में जब एक चुनी हुई सरकार सत्ता में आती है, तब भी सैन्य नेतृत्व सुरक्षा मामलों और विदेशी मामलों पर प्रभाव बनाए रखता है. यानी नया सैन्य प्रमुख तय करेगा कि भारत में हिंदू राष्ट्रवादी सरकार और अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार के साथ संबंध कैसे बनाए रखें और क्या पाकिस्तान चीन या अमेरिका की ओर अधिक झुकेगा.
बाजवा की विरासत
जनरल बाजवा को 2016 में सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था, उस दौरान उन्होंने चीन और अमेरिका के साथ संबंधों को संतुलित करने की कोशिश की. इस बीच जैसे-जैसे इस्लामाबाद बीजिंग के करीब जाता गया जनरल बाजवा ने भी वॉशिंगटन के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए काम किया. उन्होंने पिछले साल अफगानिस्तान से पश्चिमी बलों की वापसी के दौरान अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ मिलकर काम किया.
जनरल बाजवा ने देश के आर्थिक मामलों में भी सक्रिय भूमिका निभाई, देश के बजट का कितना हिस्सा सेना को दिया जाएगा इस बारे में वह निर्णय लेने में रुचि लेते दिखे.
यही नहीं बाजवा ने बीजिंग और मध्य पूर्वी देशों का महत्वपूर्ण दौरा किया और पाकिस्तान के लिए सुरक्षित वित्तीय सहायता हासिल करने में मदद की. जनरल बाजवा ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ एक समझौते पर पहुंचने में मदद के लिए वॉशिंगटन में पैरवी भी की.
यहां तक कि उन्होंने पाकिस्तान के प्रमुख उद्योगपतियों को अधिक करों का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सेना मुख्यालय में एक बैठक में आमंत्रित किया.
उनके कार्यकाल के दौरान 2019 में भारत और पाकिस्तान के बीच हवाई झड़पें हुई थीं. हालांकि, उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारत के साथ बेहतर संबंधों का समर्थन करना जारी रखा और बढ़ते तनाव से बचते हुए दिखाई दिए. उदाहरण के लिए इस साल जब एक भारतीय मिसाइल गलती से पाकिस्तान के क्षेत्र में जा गिरी, उसके बाद पाकिस्तान ने संयम दिखाया.
इससे पहले 2021 की शुरुआत में जनरल बाजवा ने विवादित कश्मीर क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पर दिल्ली के साथ संघर्ष विराम समझौते के नवीनीकरण को मंजूरी दी थी.
घरेलू स्तर पर उन पर राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया था. नेताओं का कहना है कि उन्होंने 2018 में इमरान खान को प्रधानमंत्री बनने में मदद की. इस साल की शुरुआत में इमरान खान ने जनरल बाजवा पर उनकी सरकार के पतन में भूमिका निभाने का आरोप लगाया था.
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सेना प्रमुख की नियुक्ति कैसे की जाती है?
इस महीने रिटायर होने वाले सेना प्रमुख देश के प्रधानमंत्री को वरिष्ठ जनरलों की एक सूची देंगे, जिसके बाद प्रधानमंत्री उनमें से किसी एक को चुनेंगे. कई दुर्लभ मौकों पर सेना में शीर्ष चार सबसे वरिष्ठ अधिकारियों को नजरअंदाज करके के किसी जूनियर को सेना का प्रमुख बनाया जा चुका है. पाकिस्तान में सेना प्रमुख का कार्यकाल तीन साल का होता है, लेकिन अक्सर बढ़ाया जाता है, जैसा कि जनरल बाजवा के मामले में हो चुका है.
पाकिस्तान में कितने लंबे टिके सारे प्रधानमंत्री
पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री आज तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है. एक नजर 1947 से अब तक पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बनने वालों और उनके कार्यकाल पर.
तस्वीर: STF/AFP/GettyImages
लियाकत अली खान: 4 साल दो महीने
15 अगस्त, 1947 को लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने, लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा न कर सके. 16 अक्टूबर, 1951 को रावलपिंडी में लियाकत अली खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
तस्वीर: Wikipedia/US Department of State
ख्वाजा नजीमुद्दीन: डेढ़ साल
लियाकत अली खान की हत्या के बाद अक्टूबर 1951 में ख्वाजा नजीमुद्दीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. वह पूर्वी पाकिस्तान (आज के बांग्लादेश) से ताल्लुक रखते थे. 17 अप्रैल, 1953 को गवर्नर जनरल ने नजीमुद्दीन को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया.
तस्वीर: Douglas Miller/Keystone/Hulton Archive/Getty Images
मोहम्मद अली बोगरा: 2 साल 4 महीने
पूर्वी पाकिस्तान में पैदा हुए मोहम्मद अली बोगरा को देश का तीसरा पीएम नियुक्त किया गया. 17 अप्रैल, 1953 को ख्वाजा नजीमुद्दीन की छुट्टी के साथ बांग्ला भाषी बोगरा पीएम नियुक्त किए गए. लेकिन 12 अगस्त, 1955 को उन्हें भी पीएम पद से हटा दिया गया.
तस्वीर: gemeinfrei/wikipedia
चौधरी मोहम्मद अली: 13 महीने
12 अगस्त, 1955 को बोगरा की छुट्टी के साथ ही चौधरी मोहम्मद अली को पाकिस्तान का चौथा प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. 1956 के संविधान में उनकी भूमिका अहम मानी जाती है. लेकिन पार्टी के सदस्यों के साथ मतभेदों के कारण 12 सितंबर, 1956 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: akg images/picture alliance
हुसैन शहीद सुहरावर्दी: 13 महीने
सुहरावर्दी 12 सितंबर, 1956 को प्रधानमंत्री बने. सुहरावर्दी की मातृभाषा बांग्ला थी. उनका 13 महीने का कार्यकाल पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा के साथ अनबन में गुजरा. आखिरकार सुहरावर्दी ने 16 अक्टूबर, 1956 को इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: gemeinfrei/Wikipedia
इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर: 55 दिन
गुजरात के गोधरा में पैदा हुए और मुंबई में कानून की पढ़ाई करने वाले चुंदरीगर 16 अक्टूबर, 1956 को पाकिस्तान के छठे प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए. लेकिन जल्द ही उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया. 16 दिसंबर, 1956 को चुंदरीगर इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: gemeinfrei/wikimedia
फिरोज खान नून: 10 महीने से कम
16 दिसंबर, 1958 को फिरोज खान नून को राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री नियुक्त किया. उनके कार्यकाल में ही ग्वादर पाकिस्तान का हिस्सा बना. 6 अक्टूबर, 1956 को आर्मी चीफ जनरल अयूब खान ने मार्शल लॉ लागू करने के साथ ही सरकार को बर्खास्त कर दिया.
तस्वीर: Fox Photos/Hulton Archive/Getty Images
नूरुल अमीन: 13 दिन
पाकिस्तान के अंतिम बंगाली प्रधानमंत्री नूरुल अमीन सिर्फ 13 दिन प्रधानमंत्री रहे. वे पाकिस्तान के इतिहास में सबसे कम समय तक पीएम बनने वाले नेता है. दूसरे नंबर पर चुंदरीगर (55 दिन) आते हैं. अमीन 7 दिसंबर, 1971 से 20 दिसंबर, 1971 तक सत्ता में रहे, उसी दौरान पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ.
तस्वीर: gemeinfrei/wikipedia
जुल्फिकार अली भुट्टो: 3 साल 11 माह
जुल्फिकार अली भुट्टो 14 अगस्त, 1973 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के संस्थापक जुल्फिकार अली भुट्टो 5 जुलाई, 1977 तक प्रधानमंत्री रहे. 5 जुलाई, 1977 को आर्मी चीफ जिया उल हक ने सैन्य तख्तापलट कर भुट्टो सरकार को बर्खास्त कर दिया. 24 मार्च, 1979 को रावलिपिंडी के जेल में भुट्टो को फांसी दे दी गई.
तस्वीर: imago/ZUMA/Keystone
मुहम्मद खान जुनेजो: 3 साल 2 महीने
सिंध के कद्दावर नेता मुहम्मद खान जुनेजो को 1985 में चुनाव जीतने के बाद जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान का 10वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया. रावलपिंडी कैंट में भीषण विस्फोट में 100 लोगों की मौत के बाद उन्होंने जांच का आदेश दिया. राष्ट्रपति और जनरल जिया को यह बात पसंद नहीं आई और संविधान संशोधन कर संसद को भंग कर दिया गया.
तस्वीर: Sven Simon/IMAGO
बेनजीर भुट्टो: दो अधूरे कार्यकाल
जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो 2 दिसंबर, 1988 को पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. लेकिन 6 दिसंबर, 1990 को राष्ट्रपति ने उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया.
तस्वीर: ZUMA Wire/IMAGO
नवाज शरीफ: तीन अधूरे कार्यकाल
पंजाब के दिग्गज नेता नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के पीएम बने. उनका पहला कार्यकाल नवंबर 1990 से अप्रैल 1993 तक रहा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. M. Chaudary
नवाज शरीफ: पार्ट 2
पंजाब के दिग्गज नेता नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के पीएम बने. उनके दूसरे कार्यकाल (फरवरी 1997 से अक्टूबर 1999) का अंत जनरल परवेज मुशर्रफ ने इमरजेंसी लगा कर किया.
तस्वीर: K.M. Chaudary/AP/dpa/picture alliance
जफरुल्लाह खान जमाली: 1 साल 6 महीने
नवंबर 2002 में जफरुल्लाह खान जमाली को सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. यह पारी 26 जून, 2004 को खत्म हो गई.
तस्वीर: Aamir Qureschi/AFP
चौधरी सुजात हुसैन: दो महीने
शौकत अजीज के अगला प्रधानमंत्री बनने तक चौधरी सुजात हुसैन को पाकिस्तान का 16वां पीएम बनाया गया. उनका कार्यकाल 30 जून, 2004 को शुरू हुआ 26 अगस्त, 2004 को खत्म.
तस्वीर: Bilawal Arbab/dpa/picture alliance
शौकत अजीज: 3 साल दो महीने
शौकत अजीज को 26 अगस्त, 2004 को प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया. संसद का कार्यकाल पूरा होने के कारण 15 नवंबर, 2006 को अजीज ने इस्तीफा दे दिया. अजीज पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने संसद का कार्यकाल पूरा होने के कारण इस्तीफा दिया.
तस्वीर: Yu Jie/HPIC/picture alliance
यूसुफ रजा गिलानी: 4 साल 1 माह
दिसंबर 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद फरवरी 2008 में पाकिस्तान में आम चुनाव हुए. इन चुनावों में बेनजीर की पार्टी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को बहुमत मिला. पार्टी के नेता यूसुफ रजा गिलानी पीएम बने. बाद में अदालत की अवमानना के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण 2012 में उन्हें पीएम पद छोड़ना पड़ा.
तस्वीर: AP
राजा परवेज अशरफ: 9 महीने
गिलानी के पद से हटने के बाद सरकार के मंत्री राजा परवेज अशरफ ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी सरकार के पीएम के रूप में कार्यकाल संभाला. वह 22 जून, 2012 से 24 मार्च, 2013 तक इस पद पर रहे.
तस्वीर: dapd
नवाज शरीफ: पार्ट 3
नवाज शरीफ तीसरी बार जून 2013 से अगस्त 2017 तक पीएम रहे. इस बार मुकदमे का कारण उन्हें पद के लिए अयोग्य करार दिया गया.
तस्वीर: Reuters/F. Mahmood
शाहिद खाकान अब्बासी: एक साल
2013 के चुनावों में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की जीत हुई और नवाज शरीफ तीसरी बार 4 साल 53 दिन तक पीएम बने. कोर्ट केस के कारण नवाज को पद छोड़ना पड़ा, लेकिन संसद के शेष कार्यकाल के दौरान उन्हीं की पार्टी शाहिद खाकान अब्बासी प्रधानमंत्री रहे.
तस्वीर: Reuters/J. Moon
इमरान खान: 3 साल 6 महीने
नया पाकिस्तान बनाने का नारा देकर 2018 के चुनावों में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने सबसे ज्यादा सीटें जीती. गठबंधन ने इमरान खान को पीएम चुना. लेकिन 9 और 10 अप्रैल की रात इमरान अविश्वास प्रस्ताव हार गए.
तस्वीर: Anjum Naveed/AP/dpa/picture alliance
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फिलहाल देश राजनीतिक और आर्थिक संकटों से जूझ रहा है और ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है.
लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर, पूर्व खुफिया प्रमुख साहिर शमशाद, अजहर अब्बास और नौमान महमूद के नाम जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लेने वाले संभावित सैन्य अधिकारियों में शामिल हैं.
पाकिस्तान के सेना प्रमुख अपनी पूर्वी सीमा पर परमाणु शक्ति वाले प्रतिद्वंद्वी भारत के साथ संघर्ष के जोखिमों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसी तरह से पश्चिमी सीमा पर अफगानिस्तान के साथ संभावित अस्थिरता और तनाव से निपटने में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है.
पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति और क्षेत्र में अस्थिर स्थिति के कारण वॉशिंगटन और बीजिंग सहित दुनिया के कई देशों की सरकारों का पाकिस्तानी सेना के साथ सीधा संबंध है.
कई देशों ने समय-समय पर पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं. एक तरफ पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार और लंबी दूरी की मिसाइलें हैं, तो दूसरी तरफ उसे आईएमएफ से बार-बार बेलआउट पैकेज लेने पड़ते हैं और देश में पश्चिम और भारत के खिलाफ चरमपंथी समूह हैं.
इसके अलावा पश्तून और बलूच क्षेत्रों में चरमपंथ के कारण आंतरिक सुरक्षा भी एक निरंतर समस्या रही है. तमाम जोखिमों के बावजूद पाकिस्तानी सरकार और सेना ने अपने परमाणु हथियारों की कमान,नियंत्रण और सुरक्षा के बारे में विदेशी चिंताओं को खारिज कर दिया है.
पाकिस्तान की सेना पर लंबे समय से अपना आधिपत्य बनाए रखने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया जाता रहा है. पाकिस्तान के 30 प्रधानमंत्रियों में से 19 लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए थे, लेकिन उनमें से किसी ने भी अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.
हाल के दिनों में राजनीति में अपने पिछले हस्तक्षेप को स्वीकार करने के बाद सेना ने कहा है कि वह अब हस्तक्षेप नहीं करेगी. नया सेना प्रमुख इस प्रतिबद्धता पर कायम रहेगा या नहीं यह मामला पाकिस्तान के लोकतांत्रिक विकास के संबंध में महत्वपूर्ण है.
इस बीच पाकिस्तान एक और राजनीतिक अनिश्चितता का सामना कर रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर जल्द चुनाव कराने को लेकर विरोध मार्च शुरू किया है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
भारत-पाक: कौन कितना ताकतवर
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं. दोनों एक दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी हैं और दोनों के बीच बहुत तनाव रहता है. देखिए, किसके पास कितनी ताकत है. ये आंकड़े ग्लोबलफायरपावर नामक संस्था के हैं.
तस्वीर: AP
सैनिक
भारत के पास 13 लाख 25 हजार सैनिक हैं. पाकिस्तान के पास हैं 6 लाख 20 हजार.
तस्वीर: S. Rahman/Getty Images
सुरक्षित बल
भारत ने 21 लाख 43 हजार सैनिक रिजर्व बलों में भर्ती कर रखे हैं जबकि पाकिस्तान के पास रिजर्व बलों की संख्या 5 लाख 15 हजार है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Singh
विमान
भारत के पास हैं 2086 विमान. पाकिस्तान के पास, 923.
तस्वीर: picture-alliance/Yu Ming Bj
हेलीकॉप्टर
भारत के बेड़े में 646 हेलीकॉप्टर हैं, पाकिस्तान के 306 से दोगुने से भी ज्यादा.