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गर्मी से यूरोप की हालत पस्त, गर्म लहर से हर साल हजारों मौतें

१४ जून २०२३

यूरोप में चरम मौसमी स्थितियों के कारण करीब दो लाख लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही, 56 हजार करोड़ यूरो से ज्यादा का आर्थिक नुकसान भी हुआ है. यूरोपियन एनवॉयरमेंट एजेंसी (ईईए) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.

2022 की गर्मी में कई बार गर्म लहर चलने के कारण यूरोप में सामान्य से ज्यादा मौतें हुईं.
2022 की गर्मी में कई बार गर्म लहर चलने के कारण यूरोप में सामान्य से ज्यादा मौतें हुईं. तस्वीर: Cristina Quicler/AFP

रिपोर्ट में बताया गया है कि 1980 से 2021 के बीच "बाढ़, तूफान, गर्म और शीत लहर, जंगल की आग और लैंडस्लाइड जैसी चरम मौसमी घटनाओं के कारण करीब एक लाख 95 हजार लोगों की जान जा चुकी है." 56 हजार करोड़ यूरो के आर्थिक नुकसान का केवल 30 फीसदी ही इंश्योर्ड था.

ईईए के विशेषज्ञ अलेक्सांद्रा केजमियरचक ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, "भविष्य में नुकसान से बचने के लिए हमें तत्काल चरम मौसमी घटनाओं पर प्रतिक्रिया की बजाए पहले से उनसे निपटने की तैयारी में जुटना होगा."

बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरा

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 81 फीसदी मौतों और 15 प्रतिशत आर्थिक नुकसान का कारण गर्म लहर है. ईईए ने कहा कि यूरोप को अपनी बूढ़ी हो रही आबादी की सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे क्योंकि बुजुर्ग चरम गर्मी के प्रति खासतौर पर संवेदनशील होते हैं.

ईईए के मुताबिक, "ज्यादातर राष्ट्रीय अनुकूलन नीतियां और स्वास्थ्य रणनीतियां कार्डियोवैस्कुलर और सांस से जुड़े सिस्टम पर गर्मी से होने वाले असर को मानती हैं. लेकिन इनमें से आधी से भी कम सीधे-सीधे गर्मी के असर से होने वाली परेशानियों - जैसे शरीर में पानी की कमी या हीट स्ट्रोक - को कवर करती हैं."

सितंबर 2022 की इस तस्वीर में एक स्विस माउंटेन पास का ग्लेशियर पूरी तरह पिघला दिख रहा है. यहां कम से कम रोमन काल से ही बर्फ की मोटी परत हुआ करती थी. तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images

पिछले साल के आंकड़े शामिल नहीं

2022 की गर्मी में कई बार गर्म लहर चलने के कारण यूरोप में सामान्य से ज्यादा मौतें हुईं. लेकिन ईईए के ताजा आंकड़ों में 2022 में हुई मौतों की संख्या शामिल नहीं की गई है. 2016-2019 के मासिक औसत के मुकाबले जुलाई 2022 में 53 हजार ज्यादा मौतें हुईं. यानी औसत से करीब 16 फीसदी ज्यादा. हालांकि सभी मौतों का संबंध सीधे-सीधे गर्मी से नहीं था.

जून, जुलाई और अगस्त 2022 में स्पेन में बेहद गर्मी के कारण 4,600 से ज्यादा मौतें दर्ज की गईं. अनुमान है कि भविष्य में और लंबी, ज्यादा तीव्र और ज्यादा नियमित गर्म लहरें चलेंगी.

भविष्य होगा भयावह

जलवायु परिवर्तन के कारण 2022 में सूखे का जोखिम पांच से छह गुना बढ़ गया. जंगलों की आग ने भी हालिया सालों के मुकाबले दोगुने बड़े हिस्से को उजाड़ दिया. अगर पृथ्वी डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक गर्म होती है, तो इस सदी के अंत तक आर्थिक नुकसान मौजूदा 900 करोड़ यूरो के सालाना स्तर से बढ़कर 2,500 करोड़ यूरो तक पहुंच जाएगा. तापमान में दो डिग्री या तीन डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होने पर नुकसान कहीं ज्यादा भीषण होगा.

ईईए ने अपनी समीक्षा में यह भी बताया कि यूरोपीय शहरों के तकरीबन आधे स्कूल और अस्पताल शहरी गर्म इलाकों में है. लगभग 46 प्रतिशत अस्पताल और 43 प्रतिशत स्कूल ऐसे इलाकों में हैं, जहां तापमान क्षेत्रीय औसत से करीब दो डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म है. इसकी वजह है, अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट. इसमें इमारतों की सघनता और सड़क जैसे बुनियादी ढांचे के कारण ज्यादा गर्मी अवशोषित होती है और ये हरे-भरे इलाकों की तुलना में ज्यादा गर्मी सोखते हैं. 

जलवायु परिवर्तन के कारण खेती पर बड़ा संकट मंडरा रहा है. तस्वीर: Martin Meissner/AP Photo/picture alliance

जर्मनी लाएगा गर्मी से निपटने की राष्ट्रीय नीति

जर्मनी में भी गर्मी चिंता का विषय है. स्वास्थ्य मंत्री कार्ल लाउटरबाख ने 13 जून को चेताया कि बढ़ते तापमान का सामना करने के लिए जर्मनी की तैयारी कमजोर है. उन्होंने स्थिति से निपटने के लिए नीति बनाने का भी वादा किया. लाउटरबाख ने कहा कि जल्द ही विशेषज्ञों से सलाह ली जाएगी, ताकि इसी साल कदम उठाए जा सकें.

लाउटरबाख ने कहा कि जलवायु संकट के कारण भविष्य में जर्मनी गर्म लहर से ज्यादा गंभीर तौर पर प्रभावित होगा. ऐसे में फ्रांस समेत बाकी प्रभावित देशों से सबक सीखने की जरूरत है. लाउटरबाख ने बताया कि हर साल 5,000 से 20, 000 जर्मन गर्मी से जुड़ी वजहों से मर रहे हैं और ऐसी मौतों को रोका जा सकता है.

उन्होंने कहा, "अगर हम कुछ नहीं करेंगे, तो हर साल बेबात हजारों जानें जाएंगी." उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि सीधे-सीधे गर्मी के कारण हो रही मौतें तो समूचे असर का एक छोटा हिस्सा भर हैं. 

कहां गया हरा भरा यूरोप

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क्या है गर्मी से निपटने का फ्रेंच मॉडल

माना जा रहा है कि जर्मनी, फ्रेंच मॉडल पर आधारित हीट प्रोटेक्शन प्लान ला सकता है. फ्रांस का "प्लान कैनिक्यूल," यानी हीटवेव एक्शन प्लान एक विस्तृत योजना है. इसमें मौसमी घटनाओं के घटने पर उनका सामना करने की प्रतिक्रियात्मक नीति की जगह पहले से कदम उठाने पर ध्यान दिया गया है.

2003 में भीषण गर्म लहर और उसके कारण देशभर में हुई हजारों मौतों के बाद यह योजना लागू की गई थी. इसमें जन जागरूकता अभियान, ठंड के लिए सार्वजनिक ढांचा बनाना, स्वास्थ्यसेवा में समुचित तैयारी और डेटा मॉनिटरिंग जैसे उपाय शामिल हैं. 

जर्मनी के रुख में आया बदलाव इस बात से स्पष्ट होता है कि पिछले साल संघीय सरकार ने कहा था कि नेशनल हीट एक्शन प्लान लाने की जरूरत नहीं है. गर्मी का सामना करने की व्यवस्था को नगरपालिकाओं की जिम्मेदारी बताई गई थी. हालांकि अभी तक कुछ ही नगरपालिकाओं के पास ऐसी कोई योजना है. कई अस्पतालों के पास भी संबंधित रणनीति नहीं है.

एसएम/सीके (एएफी, रॉयटर्स)

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