अमेरिकी चुनाव: फेसबुक ने गलत सूचना वाले विज्ञापन बैन किए
१ अक्टूबर २०२०
फेसबुक ने अमेरिकी चुनाव को गलत तरीके से पेश करने के लिए राजनीतिक विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाकर, अपने मंच पर गलत सूचना से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से ठीक एक महीने पहले प्रमुख सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने अपने सभी प्लेटफार्मों पर ऐसे कोई भी राजनीतिक विज्ञापन पोस्ट नहीं करने का फैसला किया है जो चुनाव की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं और उनमें व्यापक तौर पर धोखाधड़ी की चर्चा होती हो. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप खासतौर पर पोस्टल वोटिंग पर सवाल उठाते रहे हैं.
फेसबुक ने बुधवार को घोषणा की कि वह इंस्टाग्राम समेत अपनी सभी वेबसाइटों पर विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा रहा है, जो कथित रूप से चुनाव में धांधली का दावा कर रहे थे. फेसबुक ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, "हमने इस साल के चुनावों की अखंडता की रक्षा के लिए एहतियाती उपाय के रूप में यह फैसला लिया है."
फेसबुक के प्रोडक्ट मैनेजमेंट के डायरेक्टर रॉब लिएथर्न ने एक बयान में कहा कि चुनाव के दृष्टिकोण से कंपनी अपनी नीतियों को स्पष्ट करना जारी रखती है जिसका पहले ही उल्लेख किया जा चुका है. उन्होंने कहा, ”फेसबुक उन सभी विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाएगा जो चुनाव परिणामों को अमान्य करने की मांग करते हैं. ये नियम फेसबुक के साथ-साथ इंस्टाग्राम पर भी लागू होंगे और इन्हें तुरंत लागू किया जाएगा.”
फेसबुक का फैसला राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के इस दावे के एक दिन बाद आया है कि उन्होंने डाक मतदान के बारे में संदेह व्यक्त किया था. राष्ट्रपति चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन के साथ बहस के दौरान ट्रंप ने बिना किसी सबूत के दावा किया कि मेल द्वारा मतदान में धांधली होगी. इस मौके पर ट्रंप ने एक बार फिर इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि अगर चुनाव में वे हार जाते हैं तो क्या वे आसानी से सत्ता छोड़ देंगे.
राजनीतिक विज्ञापनों में तथ्यों की जांच और निगरानी करने में विफल रहने, चुनाव और अन्य राजनीतिक मुद्दों के बारे में गलत जानकारी अपने मंच पर देने के लिए फेसबुक की व्यापक रूप से आलोचना की जा चुकी है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक पिछले हफ्ते ही कंपनी ने ऐसे सभी विज्ञापनों को रोकने का फैसला किया था, जो मतदान और चुनाव परिणामों से पहले ही जीत का दावा कर रहे हैं.
इन चिंताओं के बीच ही फेसबुक ने फैसला किया है कि इस तरह के विज्ञापन पर बैन लगाए जा रहे हैं. फेसबुक को चिंता है कि ट्रंप कहीं सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर अपने मतदाताओं को समझाने के लिए कर सकते हैं कि वे नतीजों से पहले ही विजयी हो गए हैं.
कोरोना महामारी शुरू होने के महीनों बाद भी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद पड़ी हैं. भारत ने 13 देशों के साथ समझौता किया है. भारत और इन देशों के बीच कुछ सीमित उड़ानें चल रही हैं. सूची में और देशों को जोड़ने पर बात चल रही है.
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क्या होता है एयर बबल?
एयर बबल बनाने का मकसद किन्ही दो देशों में अटके वहां के नागरिकों को सुरक्षित वापस लाना होता है. अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस के साथ जुलाई से ही भारत ने एयर बबल शुरू कर दिया था.
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वंदे भारत मिशन
कोरोना महामारी शुरू होने पर उन लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा जिनका वीजा खत्म हो रहा था या जिन्हें नौकरी या पढ़ाई के लिए दूसरे देश में जाना था. शुरू में वंदे भारत मिशन के तहत भारत ने कुछ स्पेशल उड़ानें चलाईं और दुनिया भर से भारतीयों को देश वापस लाया गया. फिर धीरे धीरे एयर बबल की शुरुआत हुई.
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ठोस वजह जरूरी
वंदे भारत मिशन से अलग एयर बबल के तहत एक व्यक्ति किसी देश में जा कर वहां से लौट भी सकता है. इसके तहत नियमित रूप से उड़ानें चल रही हैं लेकिन यात्री को ठोस वजह देने के बाद ही सफर की अनुमति मिलती है.
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यूं हुई शुरुआत
कोरोना काल में यूरोप के तीन छोटे छोटे बाल्टिक देशों - एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया ने सबसे पहले एयर बबल बनाए थे. इसकी सफलता के बाद बाकी देशों ने भी ऐसा करना शुरू किया.
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कौन से हैं 13 देश?
अमेरिका, जापान, कनाडा, कतर, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, इराक, नाइजीरिया, बहरीन. इन 13 देशों के साथ भारत ने एयर बबल समझौता किया है.
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लुफ्थांसा के साथ विवाद
जर्मनी की लुफ्थांसा एयरलाइंस ने भारत और जर्मनी के बीच उड़ान भरने से मना कर दिया है. उसका आरोप है कि उसे तय उड़ानें नहीं भरने दी जा रही हैं, जबकि भारत का कहना है कि एयर इंडिया की तीन से चार उड़ानों की तुलना में लुफ्थांसा हफ्ते में 20 उड़ानें भर रहा था.
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कौन जा सकता है?
मौजूदा समझौते के तहत भारतीय नागरिक, ओसीआई कार्ड होल्डर और भारत का वीजा रखने वाले विदेशी भारत आ सकते हैं. इसी तरह भारत में रहने वाले विदेशी नागरिक या उस देश का वीजा रखने वाले भारतीय भी यात्रा कर सकते हैं.
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क्वॉरंटीन जरूरी
भारत पहुंचने पर यात्रियों को 14 दिन का क्वॉरंटीन करना अनिवार्य है. इसमें 7 दिन सरकार द्वारा निर्धारित जगह पर और 7 दिन घर में क्वॉरंटीन किया जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति ने यात्रा से 96 घंटे पहले तक अपना कोविड टेस्ट कराया हो, तो वह क्वॉरंटीन से बच सकता है. इस तरह की उड़ानों में एयर हॉस्टेस आपको खाना देने या सामान बेचने के लिए नहीं आती हैं.
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व्यापार को फायदा
जहां जुलाई से अक्टूबर के बीच गर्मियों के मौसम में भारत से बड़ी संख्या में लोग यूरोप घूमने आया करते थे, वहीं इस साल टूरिज्म उद्योग बिलकुल ही ठप रहा. एयर बबल समझौते देशों के लिए व्यापार और कुछ हद तक टूरिज्म के दरवाजे भी खोलते हैं जिन पर कोरोना महामारी के कारण काफी बुरा असर हुआ है.
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और 13 देश मुमकिन
इस वक्त कुल 13 देशों के साथ एयर बबल चल रहे हैं लेकिन 13 और देशों के साथ भी बात चल रही है. इनमें इटली, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इस्राएल, कीनिया, फिलीपींस, रूस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड शामिल हैं.