बड़े लोगों पर लागू नहीं होते फेसबुक के नियमः रिपोर्ट
१४ सितम्बर २०२१
एक रिपोर्टे के मुताबिक सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक कई मशहूर लोगों, राजनेताओं और अन्य बड़ी हस्तियों को अपने ही मंच के लिए बनाए गए नियमों से छूट दे देती है.
विज्ञापन
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने खबर छापी है कि गुणवत्ता पर नियंत्रण के लिए शुरू किए गए एक कार्यक्रम के तहत फेसबुक ने कई हस्तियों को अपने ही बनाए नियमों से छूट दे रखी है.
एक अंदरूनी रिपोर्ट के हवाले से अखबार ने लिखा है कि 'क्रॉस चेक' नाम का यह कार्यक्रम फेसबुक इस्तेमाल करने वाले लाखों 'बड़े लोगों को' उन नियमों से छूट दे देता है जिन्हें आम लोगों पर सख्ती से लागू किया जाता है.
अचूक नहीं है कार्यक्रम
फेसबुक प्रवक्ता ऐंडी स्टोन ने ट्विटर पर इस कार्यक्रम 'क्रॉस चेक' का बचाव किया है. हालांकि उन्होंने कहा है कि फेसबुक इस बात से वाकिफ है कि नियमों के लागू करने की प्रक्रिया 'अचूक नहीं' है.
तस्वीरों मेंः कौन है खबरों की दुनिया का बादशाह
अखबार, टीवी या इंटरनेट: कौन है खबरों की दुनिया का बादशाह
रॉयटर्स इंस्टीट्यूट द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में भारत में समाचारों की खपत को लेकर दिलचस्प नतीजे सामने आए हैं. आइए देखते हैं भारत में लोग किस माध्यम से खबरें देखना ज्यादा पसंद करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/P. Kumar
खबरों पर भरोसा कम
संस्थान ने पाया कि भारत में सिर्फ 38 प्रतिशत लोग खबरों पर भरोसा करते हैं. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर से नीचे है. पूरी दुनिया में 44 प्रतिशत लोग खबरों पर भरोसा करते हैं. फिनलैंड में खबरों पर भरोसा करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है (65 प्रतिशत) और अमेरिका में सबसे कम (29 प्रतिशत). भारत में लोग टीवी के मुकाबले अखबारों पर ज्यादा भरोसा करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/S. Pan
खोज कर खबरें देखना
45 प्रतिशत लोगों को परोसी गई खबरों के मुकाबले खुद खोज कर पढ़ी गई खबरों पर ज्यादा भरोसा है. सोशल मीडिया से आई खबरों पर सिर्फ 32 प्रतिशत लोगों को भरोसा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
इंटरनेट पसंदीदा माध्यम
82 प्रतिशत लोग खबरें इंटरनेट पर देखते हैं, चाहे मीडिया वेबसाइटों पर देखें या सोशल मीडिया पर. इसके बाद नंबर आता है टीवी का (59 प्रतिशत) और फिर अखबारों का (50 प्रतिशत).
तस्वीर: DW/P. Samanta
स्मार्टफोन सबसे आगे
खबरें ऑनलाइन देखने वाले लोगों में से 73 प्रतिशत स्मार्टफोन पर देखते हैं. 37 प्रतिशत लोग खबरें कंप्यूटर पर देखते हैं और सिर्फ 14 प्रतिशत टैबलेट पर.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
व्हॉट्सऐप, यूट्यूब की लोकप्रियता
इंटरनेट पर खबरें देखने वालों में से 53 प्रतिशत लोग व्हॉट्सऐप पर देखते हैं. इतने ही लोग यूट्यूब पर भी देखते हैं. इसके बाद नंबर आता है फेसबुक (43 प्रतिशत), इंस्टाग्राम (27 प्रतिशत), ट्विटर (19 प्रतिशत) और टेलीग्राम (18 प्रतिशत) का.
तस्वीर: Javed Sultan/AA/picture alliance
साझा भी करते हैं खबरें
48 प्रतिशत लोग इंटरनेट पर पढ़ी जाने वाली खबरों को सोशल मीडिया, मैसेज या ईमेल के जरिए दूसरों से साझा भी करते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
सीमित सर्वेक्षण
यह ध्यान देने की जरूरत है कि ये तस्वीर मुख्य रूप से अंग्रेजी बोलने वाले और इंटरनेट पर खबरें पढ़ने वाले लोगों की है. सर्वेक्षण सामान्य रूप से ज्यादा समृद्ध युवाओं के बीच किया गया था, जिनके बीच शिक्षा का स्तर भी सामान्य से ऊंचा है. इनमें से अधिकतर शहरों में रहते हैं. इसका मतलब इसमें हिंदी और स्थानीय भाषाओं बोलने वालों और ग्रामीण इलाकों में रहने वालों की जानकारी नहीं है.
तस्वीर: R S Iyer/AP/picture alliance
7 तस्वीरें1 | 7
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के जवाब में स्टोन ने ट्विटर पर लिखा, "न्याय की दो व्यवस्थाएं नहीं है. यह गलतियों के खिलाफ एक सुरक्षाकवच बनाने की कोशिश है. हम जानते हैं कि हमारा यह अमल अचूक नहीं है और गति व शुद्धता में ऊंच नीच होती रहती है."
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कुछ मशहूर लोगों द्वारा साझी की गईं पोस्ट का हवाला भी दिया है. इनमें फुटबॉल खिलाड़ी नेमार की एक पोस्ट है जिसमें उन्होंने एक महिला की नग्न तस्वीरें साझा की थीं. इस महिला ने नेमार पर बलात्कार का आरोप लगाया था. फेसबुक ने बाद में यह पोस्ट हटा दी थी.
फेसबुक पर क्या पोस्ट किया जाना चाहिए, इसे लेकर विवाद निपटाने के वास्ते एक स्वतंत्र बोर्ड स्थापित किया गया है. फेसबुक ने उस बोर्ड को भरोसा दिला रखा है कि कॉन्टेंट मॉडरेशन को लेकर दोहरी नीति नहीं अपनाई जाती. लेकिन वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में किए गए दावे यदि सच हैं तो फेसबुक द्वारा दिलाया गया भरोसा गलत साबित होगा.
बोर्ड के प्रवक्ता जॉन टेलर ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "फेसबुक के कॉन्टेंट मॉडरेशन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को लेकर ओवरसाइट बोर्ड कई बार चिंता जता चुका है. खासकर मशहूर लोगों के खातों के बारे में कंपनी की नीति को लेकर."
विज्ञापन
व्हाइट लिस्ट
वॉल स्ट्रीट जर्नल कहता है कि कुछ यूजर ‘व्हाइट लिस्ट' में रखे गए हैं. उन्हें नियम लागू करने से सुरक्षा दी गई है जबकि कुछ मामलों में विवादास्पद सामग्री की समीक्षा ही नहीं होती.
जानेंः भारत में डिजिटल मीडिया के नियम
भारत: क्या हैं डिजिटल मीडिया के नए नियम
सरकार ने समाचार वेबसाइटों, सोशल मीडिया और ओटीटी सेवाओं के लिए नए दिशा निर्देश बनाए हैं. इनसे इन तीनों क्षेत्रों में बड़े बदलाव होने की संभावना है, लेकिन जानकार सवाल उठा रहे हैं कि नए नियमों के दुरूपयोग को कैसे रोका जाएगा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Qadri
बड़े बदलाव
यह पहली बार है जब भारत में समाचार वेबसाइटों, सोशल मीडिया और ओटीटी सेवाओं के लिए दिशा-निर्देश बनाए गए हैं. सरकार का कहना है कि इन नियमों के पीछे मंशा इंटरनेट पर आम लोगों को और सशक्त बनाने की है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
सोशल मीडिया पर जो चीजें नहीं जानी चाहिए
10 तरह के कॉन्टेंट को सोशल मीडिया के लिए वर्जित बना दिया गया है. इसमें शामिल है वो सामग्री जिस से भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा होता हो, जिससे मित्र देशों से भारत के संबंधों पर खतरा होता हो, जिस से पब्लिक ऑर्डर को खतरा होता हो, जो किसी जुर्म को करने के लिए भड़काती हो या जो किसी अपराध की जांच में बाधा डालती हो.
तस्वीर: Manish Swarup/AP/picture alliance
मानहानि, अश्लीलता पर प्रतिबंध
इस तरह की सामग्री को भी वर्जित कर दिया गया है जिससे किसी की मानहानि होती हो, जिसमें अश्लीलता हो, जिससे दूसरों की निजता का हनन होता हो, लिंग के आधार पर अपमान होता हो, जो नस्ल के आधार पर आपत्तिजनक हो और जिससे हवाला या जुए को प्रोत्साहन मिलता हो.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Swarup
शिकायत पर कार्रवाई
सोशल मीडिया कंपनियों को आम लोगों से शिकायत मिलने पर 24 घंटों में उसे दर्ज करना होगा और 15 दिनों के अंदर उस पर कार्रवाई करनी होगी. इसके लिए सोशल मीडिया कंपनियों को एक शिकायत निवारण अधिकारी और एक अनुपालन अधिकारी भारत में ही नियुक्त करना होगा.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
वर्जित सामग्री को हटाना होगा
किसी अदालत या किसी सरकारी संस्था से वर्जित सामग्री को हटाने का आदेश जारी होने के 36 घंटों के अंदर सोशल मीडिया कंपनी को उस सामग्री को हटाना होगा.
तस्वीर: Twitter
मासिक रिपोर्ट
सोशल मीडिया कंपनियों को हर महीने एक रिपोर्ट भी छापनी होगी जिसमें उन्हें बताना होगा कि उन्हें कितनी और कौन सी शिकायतें मिलीं, उन पर क्या कार्रवाई की गई और कंपनी ने खुद भी किसी वर्जित सामग्री को हटाया या नहीं.
तस्वीर: Imago-Images/ZUMA Press/A. Das
संदेश भेजने वाले की पहचान
सोशल मीडिया पर फैले रहे उपद्रवी संदेश या पोस्ट को सबसे पहले किसने भेजा या डाला इसकी पहचान सोशल मीडिया कंपनी को करनी होगी और उसके बारे में जांच एजेंसियों को बताना होगा.
तस्वीर: Santarpan Roy/ZUMA/picture alliance
जुर्माना और जेल
सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा नियमों का पालन ना करने पर तीन साल से सात साल तक की जेल और दो लाख से 10 लाख रुपयों तक के जुर्माने का प्रावधान है.
तस्वीर: ROBERTO SCHMIDT/AFP/GettyImages
ओटीटी सेवाओं के लिए नियम
नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी सेवाओं को अपने कार्यक्रमों को उम्र के आधार पर पांच श्रेणियों में डालने के लिए, अपने यूजरों की उम्र मालूम करने के लिए और एडल्ट कार्यक्रमों को बच्चों की पहुंच से परे कर देने के लिए कहा गया है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/J. Porzycki
समाचार वेबसाइटों के लिए नियम
समाचार वेबसाइटों को प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए पहले से बने हुए नियमों का पालन करना होगा. इसे सुनिश्चित करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय एक समिति भी बनाएगा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Qadri
10 तस्वीरें1 | 10
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ‘व्हाइट लिस्ट' में रखे गए खातों से ऐसी ऐसी सूचनाएं साझा की गई थीं, जैसे हिलेरी क्लिंटन 'बाल यौन शोषण का गिरोह चलाती हैं' या फिर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने शरणार्थियों को जानवर कहा था.
रिपोर्ट का संकेत है कि 2020 में 'क्रॉस चेक' कार्यक्रम में 58 लाख यूजर थे. फेसबुक ने तीन साल एक पोस्ट में कहा था कि 'क्रॉस चेक' कार्यक्रम किसी को भी प्रोफाइल, पेज या सामग्री हटाए जाने से बचाता नहीं है, बस यह इतना सुनिश्चित करता है कि "जो फैसला किया गया है, वह सही है."