फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने डाटा लीक मामले पर गलती मानी है. उन्होंने कहा है कि यूजर डाटा को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे. एक डाटा एनेलेटिक कंपनी के पास 5 करोड़ लोगों का डाटा जाने से फेसबुक विवादों में है.
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जकरबर्ग ने बुधवार को माना कि अपने यूजर्स का डाटा सुरक्षित रखना उन्हीं की कंपनी की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा, "अगर हम ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो हम आपके लायक नहीं हैं." अपने फेसबुक पेज पर उन्होंने लिखा, "अच्छी खबर यह है कि ऐसा फिर से ना हो, इसे रोकने के लिए कदम हमने सालों पहले ही उठा लिए थे. लेकिन हमसे गलती हुई है और ज्यादा कदम उठाने की जरूरत है और हम इस दिशा में कोशिशें तेज करेंगे."
आने वाले दिनों में फेसबुक जो कदम उठाएगा, उनकी जानकारी भी जकरबर्ग ने दी. इसमें यूजर्स को थर्ड पार्टी एप्स को डिलीट करने के लिए टूल देना, यूजर डाटा तक डिवेलपर की पहुंच को सीमित करना और ऐसे डिवेलपर्स को बैन करना शामिल है जिन्होंने निजी डाटा का दुरुपयोग किया.
फेसबुक का कहना है कि कैम्ब्रिज एनालिटिका नाम की कंपनी ने चालाकी से लाखों यूजर्स का डाटा ले लिया. ऐसा उसने 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की प्रचार मुहिम टीम के कहने पर किया. जकरबर्ग ने कहा, "हमें कैम्ब्रिज एनालिटिका पर भरोसा नहीं करना चाहिए था और हम यह गलती फिर से नहीं करेंगे."
डाटा बेचकर पैसा बनाता फेसबुक
दुनिया में तकरीबन 200 करोड़ लोग फेसबुक के एक्टिव यूजर्स हैं, लेकिन ये यूजर्स फेसबुक को एक रुपये का भुगतान नहीं करते. ऐसे में सवाल उठता है कि फेसबुक कंपनी चलाने के लिए पैसा कहां से लाती है. जानते हैं फेसबुक की कमाई का राज
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आइडिया बनी कंपनी
होस्टल से कमरे से शुरू हुआ एक छोटा आइडिया आज एक ग्लोबल प्रोजेक्ट बन गया है, दुनिया की लगभग एक चौथाई जनसंख्या आज फेसबुक की रजिस्टर्ड यूजर में शामिल है.रोजाना तकरीबन 200 करोड़ लोग फेसबुक पर लाइक, कमेंट के साथ-साथ तस्वीरें भी डालते हैं.
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कंपनी की आय
मोटा-मोटी फेसबुक पर औसतन हर एक यूजर दिन के करीब 42 मिनट बिताता है. पिछले कुछ सालों में कंपनी की कुल आय, तीन गुना तक बढ़ी है और आज की तारीख में इसकी नेट इनकम करीब 900 करोड़ यूरो तक पहुंच गई है.
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मुफ्त सेवायें
अब सवाल है कि जब फेसबुक की सारी सुविधायें यूजर्स के लिए फ्री हैं तो पैसा कहां से आता है. सीधे तौर पर बेशक फेसबुक अपने यूजर्स से पैसा नहीं लेता लेकिन ये यूजर्स के डाटा बेस को इकट्ठा करता है और उन्हें कारोबारी कंपनियों को बेचता है. आपका हर एक क्लिक आपको किसी न किसी कंपनी से जोड़ता है.
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डाटा के बदले पैसा
फेसबुक अपने यूजर डाटा बेचकर कंपनियों से पैसे कमाता है. मसलन कई बार आपसे किसी साइट या किसी कंपनी में रजिस्टर होने से पहले पूछा जाता है कि क्या आप बतौर फेसबुक यूजर ही आगे जाना चाहते हैं और अगर आप हां करते हैं तो वह साइट या कंपनी आपकी सारी जानकारी फेसबुक से ले लेती है.
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विज्ञापनों का खेल
दूसरा तरीका है विज्ञापन, अपने गौर किया होगा कि आपको अपने पसंदीदा उत्पादों से जुड़े विज्ञापन ही फेसबुक पर नजर आते होंगे. मसलन अगर आपने पसंदीदा जानवर में बिल्ली डाला तो आपके पास बिल्लियों के खाने से लेकर उनके स्वास्थ्य से जुड़े तमाम विज्ञापन आयेंगे
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ऑडियंस टारगेटिंग
सारा खेल इन विज्ञापनों की प्लेसिंग का है. इस प्रक्रिया को टारगेटिंग कहते हैं. फेसबुक मानवीय व्यवहार से जुड़ा ये डाटा न सिर्फ कंपनियों को उपलब्ध कराता है बल्कि तमाम राजनीतिक समूहों को भी उपलब्ध कराता है. मसलन ब्रेक्जिट के दौरान उन लोगों की टारगेटिंग की गई थी जो मत्स्य उद्योग से जुड़े हुए हैं.
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कौन होता प्रभावित
इन सब के बीच ये अब तक साफ नहीं हुआ है कि कौन किसको कितना प्रभावित कर रहा है और कंपनियों को फेसबुक के साथ विज्ञापन प्रक्रिया में शामिल होकर कितना लाभ मिल रहा है. साथ ही डाटा खरीदने-बेचने की इस प्रक्रिया में कितने पैसे का लेन-देन होता है.
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कोई जिम्मेदारी नहीं
फेसबुक किसी डाटा की जिम्मेदारी नहीं लेती और न ही इसकी सत्यता की गारंटी देता हैं. डिजिटल स्पेस की यह कंपनी अब तक दुनिया का पांचवा सबसे कीमती ब्रांड बन गया है. कंपनी ने कई छोटी कंपनियों को खरीद कर बाजार में अपनी एक धाकड़ छवि बना ली है.
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ब्रिटेन के एक चैनल के मुताबिक, कैम्ब्रिज एनालिटिका दुनिया के 200 चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के लिए काम कर चुकी है. यह कंपनी राजनीतिक दलों को चुनावी रणनीतियां बनाने में मदद करती है. इसमें भारत भी शामिल है. एक भारतीय अखबार ने कंपनी की बेवसाइट का हवाला देते हुए कहा है कि इसे साल 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान भी कॉन्ट्रैक्ट मिला था.
जकरबर्ग ने कहा, "मैंने फेसबुक को शुरू किया, और जो कुछ हमारे प्लेटफॉर्म पर होता है, आखिरकार उसकी जिम्मेदारी मेरी ही है. जो कुछ कम्युनिटी को सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी होगी, मैं वह सब करूंगा."
डाटा लीक विवाद सामने आने के बाद फेसबुक के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई है जिसकी वजह से एक समय उसके मूल्य में 50 अरब डॉलर तक की कमी आई. निवेशक इस विवाद की वजह से कंपनी की प्रतिष्ठा को होने वाले दीर्घकालीन नुकसान को लेकर चिंतित हैं. साथ ही सोशल मीडिया नेटवर्कों को लेकर कानून कड़े किए जा सकते हैं.
एके/आईबी (एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स)
फेसबुक के 11 राज
क्या बता सकते हैं फेसबुक का रंग नीला क्यों है? या उस अकाउंट के बारे में जिसे कभी ब्लॉक नहीं कर सकते. अगर कोई मर जाए तो उस अकाउंट का क्या होगा? जानिए फेसबुक के बारे में ऐसी 11 बातें जो आमतौर पर किसी को नहीं मालूम होतीं.
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फेसबुक का नीला रंग
दुनिया में इतने रंग है लेकिन फेसबुक का रंग नीला ही क्यों? दरअसल फेसबुक का रंग नीला है क्योंकि फेसबुक चीफ मार्क जुकरबर्ग सबसे ठीक तरह से नीला रंग ही देख सकते हैं. मार्क जुकरबर्ग को रेड-ग्रीन कलर ब्लाइंडनेस है. एक रशियन टेलिविजन टॉक शो में बात करते हुए उन्होंने कहा था कि उन्हें कलर ब्लाइंडनेस है और नीला ही वह रंग है जिसे वे सबसे बेहतर ढंग से देख सकता हूं. इसीलिए उन्होंने फेसबुक का रंग नीला रखा है.
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जिसे ब्लॉक नहीं किया जा सकता
फेसबुक पर एक ऐसा शख्स भी है जिसे कभी भी ब्लॉक नहीं किया जा सकता है. जी हां, ऐसा बिल्कुल संभव है. कोई हैरत की बात नहीं है कि वह प्रोफाइल खुद मार्क जुकरबर्ग की है. फेसबुक पर कोई भी व्यक्ति उन्हें ब्लॉक नहीं कर सकता. कोशिश करके देखिए.
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जुकरबर्ग को खोजना इतना आसान
अगर आप फेसबुक पर लॉग इन करके अपने होम पेज पर हैं तो उस वक्त आपका यूआरएल होता है https://www.facebook.com और दिलचस्प बात यह है कि अगर आप अपने इसी url के आगे बस /4 जोड़ देंगे तो आप सीधे मार्क जुकरबर्ग की वॉल पर पहुंच जाएंगे.
तस्वीर: Facebook/Mark Zuckerberg
दो देशों में फेसबुक बैन भी है
फेसबुक पर अरबों यूजर्स हैं जिनमें दुनिया के लगभग हर देश के लोग हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प बात है कि फेसबुक चीन और उत्तर कोरिया दो देशों में बैन है.
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कोई मर जाए तो अकाउंट का क्या होता है?
यदि हमारी जान पहचान में कोई किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो हम फेसबुक पर इस बात की रिपोर्ट कर सकते हैं. फेसबुक ऐसी प्रोफाइल्स को एक तरह का स्मारक (memorialized account) बना देता है. इस अकाउंट में कोई भी व्यक्ति लॉग इन नहीं कर सकता है. इस तरह के अकाउंट में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता.
हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर
फेसबुक के जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाते हैं. फेसबुक पर हर रोज लगभग 30 करोड़ तस्वीरें अपलोड की जाती हैं. हर 60 सेकंड में 50 हजार कमेंट्स और लगभग 3 लाख स्टेटस लिखे जाते हैं. वहीं दूसरी ओर फेसबुक पर लगभग 9 करोड़ फेक प्रोफाइल्स हैं.
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लाइक की जगह था ये नाम
फेसबुक पर हर जगह लाइक का ऑप्शन दिखता है. वैसे फेसबुक पर इस ऑप्शन के बारे में काफी विवाद रहा. सबसे पहले इसका नाम 'AWESOME' रखा गया था. लेकिन इसे बाद में LIKE किया गया था.
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ये पोक क्या बला है?
फेसबुक पर एक फीचर है पोक. किसी की प्रोफाइल पर जाकर आप उसे पोक कर सकते हैं. लेकिन इसका मतलब क्या है? दरअसल कोई मतलब नहीं है. ये बस जैसे खेल के लिए है. यहां तक कि फेसबुक हेल्प सेंटर में भी आप पूछेंगे कि 'poke' का क्या मतलब है तो आपको कभी पता नहीं चलेगा. इस बारे में मार्क जुकरबर्ग कह चुके हैं कि उन्होंने सोचा था कि वे फेसबुक पर एक ऐसा फीचर बनाएंगे जो बेमतलब होगा. ये बस मस्ती के लिए बनाया गया है.
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फेसबुक एक बीमारी
फेसबुक का एडिक्शन इन दिनों एक बीमारी का रूप लेता जा रहा है. दुनियाभर में हर उम्र के लोग फेसबुक एडिक्शन डिसऑर्डर यानी फेसबुक की लत से जूझ रहे हैं. इस बीमारी का संक्षिप्त नाम FAD है. इस वक्त दुनिया में लगभग कई करोड़ लोग FAD से ग्रसित हैं.
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खरीदा इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को
9 फेसबुक 2004 मार्च में शुरू हुआ और एक साल के भीतर ही इसने दस लाख यूजर्स जुटा लिए थे. जून 2009 तक यह इतना बढ़ चुका था कि यह अमेरिका की नंबर वन सोशल नेटवर्किंग साइट बन गयी. अप्रैल 2012 में फेसबुक ने इंस्टाग्राम और 2014 में वॉट्सऐप को भी खरीद लिया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Hase
कब क्या लॉन्च हुआ
फेसबुक ने सितंबर 2004 में "वॉल", सितंबर 2006 में "न्यूज फीड", फरवरी 2009 में "लाइक" बटन और सितंबर 2011 में टाइमलाइन फीचर लॉन्च किया.