क्या COP30 के लिए हाईवे बनाने के लिए काटे गए वर्षावन?
२० नवम्बर २०२५
इस साल दुनिया भर के नेता, नीतिनिर्माता और पर्यावरण विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन पर 10 से 21 नवंबर तक चर्चा करने के लिए ब्राजील के बेलेम शहर में जुटे हैं. लेकिन दूसरी ओर इस सम्मेलन यानी कॉप30 को लेकर एक गंभीर आलोचना सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई.
दावा: कॉप30 सम्मेलन के लिए हाईवे बनाने के लिए अमेजन वर्षावन को काटा गया है.
डीडब्ल्यू फैक्ट चेक: यह दावा भ्रमित करने वाला है.
पिछले आठ महीनों से ही यह दावा फैल रहा था. लेकिन जब से सम्मेलन शुरू हुआ है, तब से तो यह कुछ ज्यादा ही तेजी से वायरल हो रहा है. यह दावे करने वाले कुछ सोशल मीडिया पोस्ट को तो दस लाख से भी ज्यादा लोग देख चुके हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी इस दावे का शिकार बने हैं. जिसे साझा करते हुए उन्होंने अपने सोशल मीडिया साइट 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा, "उन्होंने ब्राजील के वर्षावन को बुरी तरह काटकर पर्यावरणवादियों के आने-जाने के लिए चार-लेन का हाईवे बनाया है. यह एक बहुत बड़ा घोटाला है!”
ऑस्ट्रेलिया के स्काई न्यूज के रूढ़िवादी टिप्पणीकर्ता क्रिस केनी जैसे लोगों ने भी इस दावे का इस्तेमाल करके संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन को लेकर चल रही "हड़बड़ाहट और नैतिक घबराहट” की आलोचना की है. हालांकि, इस वायरल दावे के पीछे की सच्चाई काफी अलग है.
यह सच है कि बेलेम के पास लगभग 13.2 किलोमीटर लंबी चार-लेन की एक सड़क बनाने के लिए वर्षावन के कुछ हिस्सों को काटा गया था. इस हाईवे का नाम आवेनद लिबरदाद है. लेकिन स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, यह केवल कॉप30 के लिए ही नहीं किया गया है. बल्कि इस हाईवे का निर्माण करने की योजना 2012 से ही बनी हुई थी, जो कि उससे भी बहुत पहले की बात है, जब बेलेन को इस साल के कॉप30 सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए चुना गया था. लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों ने इस हाईवे को इस साल के सम्मेलन से जोड़ दिया.
इन बारीकियों पर ध्यान देना क्यों जरूरी है?
हाईवे कॉप30 के लिए बनाया गया या नहीं, इस पर बात करना बेकार लग सकता है. लेकिन इस पर बात करना जरूरी है क्योंकि इस तरह की आलोचना को अकसर जलवायु कार्रवाई के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है.
यूरोपीय ब्रॉडकास्टिंग यूनियन के साथ मिलकर बना फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क, यूरोविजन न्यूज स्पॉटलाइट की एक हालिया जांच में सामने आया कि आवेनद लिबरदाद (हाईवे) का निर्माण उन मुद्दों में से एक बन गया है, जिन्हें जलवायु सम्मेलनों में "ऑथेन्टिसिटी गैप” कहा जाता है यानी जब दावा कुछ और किया जाता है और व्यवहार कुछ और किया जाता है. जिससे लोगों में अविश्वास पैदा होता है.
एक्स (यानी पूर्व ट्विटर) पर 70,000 पोस्ट का अध्ययन करने के बाद स्पॉटलाइट के शोधकर्ताओं ने बताया, "यह नजरिया उन नकारात्मक छवियों पर आधारित होता है, जो मीडिया में आसानी से दिखाई दे जाती हैं. जैसे प्रतिनिधियों का निजी विमानों से आना, लग्जरी होटलों में ठहरना और बड़ी गाड़ियों का काफिला लेकर घूमना. यह सब वास्तविक बातचीत और उस जटिल प्रक्रिया को ढक देता है, जो अक्सर धीमी होता है और उतने साफ तौर पर मीडिया में दिखाई नहीं देता है.” आगे कहा गया, "कॉप जैसे अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन संरचनात्मक रूप से संवेदनशील होते हैं क्योंकि ऐसे सम्मेलनों के आयोजन के लिए हाई-कार्बन लॉजिस्टिक्स की आवश्यकता पड़ती है.”
इस कारण ही यह हाईवे भी आलोचना का केंद्र बन गया. चूंकि, यह सम्मेलन के मुख्य उद्देश्य यानी ग्लोबल उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य के बिल्कुल उलट नजर आता है. साथ ही, इस विश्लेषण में यह भी पाया गया कि जलवायु कार्रवाई का विरोध करने वाले लोग "इन लॉजिस्टिक कमियों को उजागर कर इसे नेताओं की घोटालेबाजी के प्रतीक के रूप में पेश करते हैं.”
इस हाईवे से जुड़े दावों को साझा करने वाले लोग अक्सर 'पाखंड', 'धोखा' या 'घोटाला' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. इस कारण ही इस दावे के पीछे छुपी बड़ी तस्वीर को समझना बेहद जरूरी है.
इस हाईवे के निर्माण की टाइमलाइन
ब्राजीलियन राज्य पारा की राजधानी बेलेन को अकसर अमेजन के निचले क्षेत्र का द्वार कहा जाता है. जहां अटलांटिक महासागर से मिलने से पहले अमेजन नदी की गति धीमी पड़ जाती है. बेलेन में प्रवेश करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मार्गों में से एक है, BR-316. यह एक प्रमुख हाईवे है, जो अकसर भारी ट्रैफिक जाम का सामना करता है. जिस कारण बेलेम तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाने की योजना लगभग एक दशक से भी पहले बनाई गई थी. जिसने आगे चलकर आवेनद लिबरदाद परियोजना का रूप ले लिया.
साल 2020 में आधिकारिक रूप से इस हाईवे परियोजना को घोषित किया गया. जिसके बाद यह कई सालों तक विवाद, विरोध और मुकदमों का विषय बना रहा. लेकिन आखिरकार जून 2024 में इसका निर्माण शुरू हो गया.
इससे इतना तो साफ है कि इस हाईवे का विचार कॉप30 के कारण नहीं शुरू हुआ था. जैसा कि फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ पारा के शहरी अध्ययन विशेषज्ञ प्रोफेसर आना क्लाउडिया कार्दोसो ने मार्च में समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "इस परियोजना पर पिछले 20 सालों से बात हो रही थी. लेकिन इसके खिलाफ काफी विरोध था.” उन्होंने आगे कहा, "शहर को एक बड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए तैयार करने की जरूरत ने इसे एक आवश्यक कारण दे दिया.”
वर्षावन संरक्षित जरूर है, लेकिन पूरी तरह अछूता नहीं
पारा राज्य की सरकार के अनुसार आवेनद लिबरदाद हाईवे एक सस्टेनेबल (टिकाऊ) परियोजना है, जिसका उद्देश्य यात्रा समय कम करके कार्बन उत्सर्जन को घटाना है. इसमें वन्यजीवों के लिए क्रॉसिंग, साइकिल लेन और सोलर-पावर वाली लाइटिंग भी शामिल होगी ताकि पर्यावरण पर कम से कम असर पड़े. जिस इलाके में यह हाईवे बन रहा है, वह क्षेत्र संरक्षित अवश्य है लेकिन पूरी तरह अछूता नहीं है. ब्राजील में इस तरह के क्षेत्र को स्टेट एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन एरिया (एपीए) कहा जाता है. ऐसे क्षेत्र में सीमित, टिकाऊ उपयोग और नियंत्रित मानव गतिविधि की अनुमति होती है.
पारा सरकार के अनुसार, हाईवे का मार्ग पहले से मौजूद पावर केबल लाइन के साथ-साथ ही बनाया जा रहा है, जहां हाईवे का निर्माण शुरू होने से काफी पहले ही वनस्पति को साफ किया जा चुका था. यानी हाईवे के निर्माण के लिए कोई नया जंगल नहीं काटा गया है. यह सैटेलाइट तस्वीरों में भी साफ देखा जा सकता है. इस क्षेत्र में फेडरल रूरल यूनिवर्सिटी ऑफ अमेजोनिया जैसी बड़ी इमारतें और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे भी मौजूद हैं.
हालांकि, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इसके पास स्थित उटिंगा स्टेट पार्क और आसपास के वन्यजीव सड़क के कारण बढ़ने वाले शोर, प्रदूषण और शहरी विस्तार से प्रभावित हो सकते हैं. लेकिन सरकार का दावा है कि उन्होंने इससे संबंधित समुदायों से परामर्श लिया था. चूंकि, वहां विरोध प्रदर्शन हुए थे. अक्टूबर 2024 में निर्माण को कुछ समय के लिए रोक दिया गया था, जब स्थानीय समुदायों ने उनसे परामर्श लेने की मांग रखी थी. इसके बाद, जुलाई 2025 में इन समुदायों ने फिर से निर्माण को रुकवा दिया था. इस बार उन्होंने अपने कब्जे वाली भूमि के लिए मुआवजा और उन एक्सेस रोड्स (आसन मार्गों) की मरम्मत की मांग की थी, जिन्हें भारी मशीनरी के कारण नुकसान पहुंचा था.
यह दावा आया कहां से?
सोशल मीडिया पर जो लोग इस दावे को फैला रहे हैं. उनमें से कई लोग इस दावे का स्रोत बीबीसी को बताते हैं. इस साल मार्च में बीबीसी ने एक लेख प्रकाशित किया था, जिसकी हेडलाइन थी, "जलवायु सम्मेलन के लिए सड़क बनाने के लिए काटा गया अमेजन वन को.” जिसके साथ कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अलग-अलग भाषाओं में वीडियो भी जारी किए गए हैं. लेख में लिखा था, "ब्राजील के बेलेम शहर में कॉप30 जलवायु सम्मेलन के लिए दसियों हजार एकड़ संरक्षित अमेजन वर्षावन को काटते हुए एक नई चार-लेन सड़क बनाई जा रही है.”
हालांकि, बीबीसी की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद ही ब्राजील के अधिकारियों ने हाईवे के निर्माण और कॉप30 के जुड़े होने के दावे को खारिज कर दिया था. इस सम्मेलन के आयोजकों ने कहा कि बीबीसी की हेडलाइन गलत संकेत देती है. वह दर्शाती है कि यह हाईवे निर्माण परियोजना कॉप30 की तैयारियों का हिस्सा है. उनके अनुसार यह हाईवे कॉप30 के लिए बनाए जा रहे 33 आधिकारिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का हिस्सा नहीं है.
पारा राज्य सरकार ने भी यह बयान दोहराया, "यह सड़क परियोजना 2020 में शुरू हुई थी यानी उस समय जब बेलेम को कॉप की मेजबानी के लिए चुना भी नहीं गया था.”
जब डीडब्ल्यू ने बीबीसी से इस मामले पर प्रतिक्रिया मांगी. बीबीसी के एक प्रवक्ता ने कहा, "बीबीसी की रिपोर्ट राज्य सरकार के दस्तावेजों और एक सरकारी अधिकारी के इंटरव्यू पर आधारित है. जिनमें से दो दस्तावेज इस परियोजना को सीधे कॉप30 से जोड़ते हैं.”
बीबीसी के लेख के अनुसार, राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर सचिव आदेल सिल्वेरा ने आवेनद लिबरदाद (हाईवे) को उन परियोजनाओं में शामिल बताया था, जो कॉप30 की तैयारी के तहत शहर में चल रही थी और उन्होंने कहा था कि यह सड़क "जनता के लिए एक स्थायी लाभ” भी होगी. बीबीसी ने डीडब्ल्यू के साथ इंटरव्यू का एक लंबा अंश भी साझा किया, जो कि इस दावे का समर्थन करता है. बीबीसी ने पारा सरकार की पिछले साल नवंबर की एक प्रेस रिलीज की ओर भी इशारा किया, जिसका शीर्षक था, "कॉप30 के लिए राज्य सरकार की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं बेलेन में आगे बढ़ रही हैं.”
इस प्रेस रिलीज में आवेनद लिबरदाद (हाईवे) के निर्माण की प्रगति पर भी एक अंश शामिल था. हालांकि, बाद में इस प्रेस रिलीज को बदल दिया गया और वर्तमान में इसके ऑनलाइन संस्करण से वह अंश हटा दिया गया है. वेबसाइट के अर्काइव (पुराने संरक्षित) संस्करण दिखाते हैं कि इस पैराग्राफ को 13 और 14 मार्च के बीच हटाया गया यानी बीबीसी की रिपोर्ट प्रकाशित होने के तुरंत बाद इसे हटा दिया गया था.
डीडब्ल्यू ने इस मामले के बारे में जानने के लिए पारा सरकार से भी संपर्क किया, लेकिन लेख प्रकाशित होने तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला था.