क्रिप्टो स्कैमः भारतीय महिला खो बैठी ढाई करोड़ रुपये
२६ फ़रवरी २०२४
अमेरिका में रहने वाली भारतीय मूल की श्रेया दत्ता क्रिप्टो करंसी स्कैम का शिकार हुईं और अपनी सारी जमापूंजी खो बैठीं. लेकिन ऐसी वह अकेली नहीं हैं.
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उसने खुद को वाइन का व्यापारी बताया था. महीनों तक वह श्रेया दत्ता से इंटरनेट पर प्यार भरी बातें करता रहा. फिर एक दिन फिलाडेल्फिया में रहने वालीं 37 साल की श्रेया दत्ता को उसने झटका दिया. यह झटका 4.5 लाख डॉलर यानी लगभग ढाई करोड़ रुपये का था.
क्रिप्टोकरंसी के इस नई तरह के ‘रोमांस स्कैम' की शिकार बनीं श्रेया दत्ता की सारी उम्र की बचत तो गई ही, वह कर्जे में भी दब गईं. आधुनिक तकनीक के इस स्कैम में शिकारी डीपफेक वीडियो और अन्य तरीकों का ऐसा इस्तेमाल कर रहे हैं कि श्रेया कहती हैं, उन्हें लगा जैसे किसी ने "उनका दिमाग ही हैक कर लिया था.”
अमेरिका में इस तरह की धोखाधड़ी को "पिग बुचरिंग" यानी सुअर को काटना कहा जाता है. हालांकि तौर-तरीका इस धोखाधड़ी में भी वही है, जो पहले से इस्तेमाल होता आया है. पहले पीड़ित को प्यार-मोहब्बत के जाल में फांसा जाता है. उसके बाद उन्हें क्रिप्टो करंसी में फर्जी निवेश के लिए उकसाया जाता है.
अधिकारियों का माना जाता है कि यह स्कैम दक्षिण पूर्व एशिया के बड़े अपराध गिरोहों द्वारा चलाया जा रहा है जिसके कारण सिर्फ अमेरिका में लोगों के अरबों डॉलर ठगे जा चुके हैं और उस धन की वापसी की कोई गुंजाइश नहीं है.
कैसे हुई शुरुआत?
अपने जैसे बहुत सारे पीड़ितों की तरह श्रेया दत्ता की कहानी भी "हिंज" नाम की एक डेटिंग ऐप के जरिए शुरू हुई थी. इस ऐप पर पिछले साल जनवरी में वह आंसेल नाम के एक व्यक्ति से मिलीं, जिसने खुद को फिलाडेल्फिया में रहने वाला फ्रांसीसी वाइन व्यापारी बताया.
बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है
हाल में बिटकॉइन के मूल्य में काफी उतार चढ़ाव देखे गए हैं, जिसकी वजह से निवेशकों को संदेह हो गया है कि इसमें अपना पैसा डालें या नहीं. डीडब्ल्यू कोई सलाह नहीं देता लेकिन आइए आपको बताते हैं कि आखिर बिटकॉइन काम कैसे करता है.
डिजिटल मुद्रा
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है क्योंकि यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ही उपलब्ध है. यानी इसका कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है. यह एन्क्रिप्ट किए हुए एक ऐसे नेटवर्क के अंदर होती है जो व्यावसायिक बैंकों या केंद्रीय बैंकों से स्वतंत्र होता है. इससे बिटकॉइन को पूरी दुनिया में एक जैसे स्तर पर एक्सचेंज किया जा सकता है. एन्क्रिप्शन की मदद से इसका इस्तेमाल करने वालों की पहचान और गतिविधियों को गुप्त रखा जाता है.
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एक रहस्यमयी संस्थापक
बिटकॉइन को पहली बार 2008 में सातोशी नाकामोतो नाम के व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था. यह आज तक किसी को नहीं मालूम कि यह एक व्यक्ति का नाम है या कई व्यक्तियों के एक समूह का. 2009 में एक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किए जाने के बाद यह मुद्रा लागू हो गई.
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कैसे मिलता है बिटकॉइन
इसे हासिल करने के कई तरीके हैं. पहला, आप इसे कॉइनबेस या बिटफाइनेंस जैसे ऑनलाइन एक्सचेंजों से डॉलर, यूरो इत्यादि जैसी मुद्राओं में खरीद सकते हैं. दूसरा, आप इसे अपने उत्पाद या अपनी सेवा के बदले भुगतान के रूप में पा सकते हैं. तीसरा, आप खुद अपना बिटकॉइन बना भी सकते हैं. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है.
डिजिटल बटुए की जरूरत
बिटकॉइन खरीदने से पहले आपको अपने कंप्यूटर में वॉलेट सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पड़ता है. इस वॉलेट में एक 'पब्लिक' चाभी होती है जो आपका पता होता है और एक निजी चाभी भी होती है जिसकी मदद से वॉलेट का मालिक क्रिप्टो मुद्रा को भेज सकता है या पा सकता है. स्मार्टफोन, यूएसबी स्टिक या किसी भी दूसरे डिजिटल हार्डवेयर का इस्तेमाल वॉलेट के रूप में किया जा सकता है.
अब बिटकॉइन से कुछ खरीदा जाए
आइए जानते हैं भुगतान के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. मान लीजिए मिस्टर एक्स मिस वाई से एक टोपी खरीदना चाहते हैं. इसके लिए सबसे पहले मिस वाई को मिस्टर एक्स को अपना पब्लिक वॉलेट पता भेजना होगा, जो एक तरह से उनके बिटकॉइन बैंक खाते की तरह है.
ब्लॉकचेन
मिस वाई से उनके पब्लिक वॉलेट का पता पा लेने के बाद, मिस्टर एक्स को अपनी निजी चाभी से इस लेनदेन को पूरा करना होगा. इससे यह साबित हो जाता कि इस डिजिटल मुद्रा को भेजने वाले वही हैं. यह लेनदेन बिटकॉइन से रोजाना होने वाले हजारों लेनदेनों की तरह बिटकॉइन ब्लॉकचेन में जमा हो जाता है.
डिजिटल युग के खनिक
अब मिस्टर एक्स द्बारा किए हुए लेनदेन की जानकारी ब्लॉकचेन नेटवर्क में शामिल सभी लोगों को पहुंच जाती है. इन लोगों को नोड कहा जाता है. मूल रूप से ये निजी कम्प्यूटर होते हैं, जिन्हें 'माइनर' या खनिक भी कहा जाता है. ये इस लेनदेन की वैधता को सत्यापित करते हैं. इसके बाद बिटकॉइन मिस वाई के पब्लिक पते पर चला जाता है, जहां से वो अपनी निजी चाभी का इस्तेमाल कर इसे हासिल कर सकती हैं.
बिटकॉइन मशीन रूम
सैद्धांतिक तौर पर ब्लॉकचेन नेटवर्क में कोई भी खनिक बन सकता है. लेकिन अधिकतर यह प्रक्रिया बड़े कंप्यूटर फार्मों में की जाती है जहां इसका हिसाब रखने के लिए आवश्यक शक्ति हो. इस प्रक्रिया में लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए नए लेनदेनों को तारीख के हिसाब से जोड़ कर एक कतार में रखा जाता है.
एक विशाल सार्वजनिक बही-खाता
हर लेनदेन को एक विशाल सार्वजनिक बही-खाते में शामिल कर लिया जाता है. इसी को ब्लॉकचेन कहा जाता है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन एक ब्लॉक की तरह जमा कर लिए जाते हैं. जैसे जैसे सिस्टम में नए ब्लॉक आते हैं, सभी इस्तेमाल करने वालों को इसकी जानकारी पहुंच जाती है. इसके बावजूद, किसने किसको कितने बिटकॉइन भेजे हैं, यह जानकारी गोपनीय रहती है. एक बार कोई लेनदेन सत्यापित हो जाए, तो फिर कोई भी उसे पलट नहीं सकता है.
बिटकॉइनों का विवादास्पद खनन
खनिक जब नए लेनदेन को प्रोसेस करते हैं तो इस प्रक्रिया में वे विशेष डिक्रिप्शन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर नए बिटकॉइन बनाते हैं. डिक्रिप्ट होते ही श्रृंखला में एक नया ब्लॉक जुड़ जाता है और उसके बाद खनिक को इसके लिए बिटकॉइन मिलते हैं. पूरे बिटकॉइन नेटवर्क में चीन सबसे बड़ा खनिक है. वहां कोयले से मिलने वाली सस्ती बिजली की वजह से वो अमेरिका, रूस, ईरान और मलेशिया के अपने प्रतिद्वंदी खनिकों से आगे रहता है.
बिजली की जबरदस्त खपत
क्रिप्टो माइनिंग और प्रोसेसिंग के लिए जो हिसाब रखने की शक्ति चाहिए, उसकी वजह से बिटकॉइन नेटवर्क ऊर्जा की काफी खपत करता है. यह प्रति घंटे लगभग 120 टेरावॉट ऊर्जा लेते है. कैंब्रिज विश्वविद्यालय के बिटकॉइन बिजली खपत सूचकांक के मुताबिक इस क्रिप्टो मुद्रा को इस नक्शे में नीले रंग में दिखाए गए हर देश से भी ज्यादा ऊर्जा चाहिए. - गुडरून हाउप्ट
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दत्ता बताती हैं कि वह बहुत जल्द उस व्यक्ति के आकर्षण का शिकार हो गईं और बातचीत डेटिंग ऐप से वॉट्सऐप पर आ गई. एक्सरसाइज के लिए उत्साही और सपनीली मुस्कुराहट वाले "आंसेल" ने दत्ता पर ही पूरा ध्यान देने के लिए अपनी हिंज प्रोफाइल भी डिलीट कर दी. दत्ता कहती हैं कि ऑनलाइन रिश्तों के जमाने में यह बहुत ताजा अनुभव था.
उन्होंने एक-दूसरे को सेल्फी और तस्वीरें तो भेजी ही, कई बार वीडिया पर भी बात की. उन वीडियो कॉल्स में आंसेल अपने कुत्ते के साथ रहने वाला एक शर्मीला इंसान नजर आया. लेकिन बाद में पता चला कि वह एआई से बनाया गया डीपफेक था.
आंसेल बातचीत में दत्ता की छोटी-छोटी चीजों में दिलचस्पी लेता था, जैसे उन्होंने खाना खाया या नहीं. अपने तलाक के बाद इस तरह की तवज्जो मिलने से दत्ता आकर्षण से बंध गई थीं. लेकिन व्यक्तिगत रूप से मिलने की योजना हमेशा टलती रही. पिछले साल वैलंटाइंस डे पर उन्हें फूलों का गुलदस्ता भी मिला था. जब दत्ता ने उन फूलों के साथ अपनी सेल्फी वॉट्सऐप पर भेजी तो जवाब में चुंबनों की बौछार मिली.
उसके बाद आंसेल ने दत्ता को एक सपना बेचना शुरू किया. उसकी शुरुआत कुछ इस तरह हुई, "मैं जल्दी रिटायर हो रहा हूं. ठीकठाक पैसा कमा लिया है. तुम्हारे क्या प्लान हैं?”
भारत से अमेरिका में बसीं एक प्रवासी दत्ता बताती हैं, "उसने बताया कि उसने निवेश से इतना पैसा कमाया है. वह पूछता था कि क्या वाकई मैं 65 साल की उम्र तक काम करती रहना चाहती हूं.”
...और फिर आघात
आंसेल ने दत्ता को एक क्रिप्टो ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड करने के लिए लिंक भेजा. इसमें टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का फीचर भी था, जिससे सब ठीक लगा. उसके बाद उसने निवेश करने के लिए कुछ टिप्स भी दिए.
बिटकॉइन किंग, लेकिन ये भी कम नहीं..
बिटकॉइन को अब किसी परिचय की जरूरत नहीं है. यह क्रिप्टो करंसी की दुनिया का किंग बन चुका है. लेकिन ऐसी कई और करंसी हैं जिसमें लोग पैसा लगा रहे हैं. चलिए डालते हैं टॉप10 क्रिप्टो करंसियों पर नजर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Kalaene
बिटकॉइन (BTC)
2017 में बिटकॉइन का जलवा रहा और उसकी कीमत में 12 हजार प्रतिशत का उछाल देखने को मिला. इस दौरान एक बिटकॉइन की कीमत 16 हजार डॉलर तक जा पहुंची. हालांकि बाद में उसमें कुछ गिरावट दर्ज की गई. लेकिन अब भी एक बिटकॉइन का ट्रेडिंग प्राइस लगभग 15 हजार डॉलर है. बिटकॉइन क्रिप्टो करंसी की दुनिया का बादशाह है.
तस्वीर: Reuters/D. Ruvic
रिपल (XRP)
रिपल को 2012 में लॉन्च किया गया. 91.79 अरब डॉलर के मार्केट कैप के साथ यह बिटकॉइन के बाद दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टो करंसी है. 2017 में इसमें 35 हजार प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. यानि जिस व्यक्ति ने जनवरी 2017 में रिपल में 100 डॉलर लगाए, उसकी रकम जनवरी 2018 में लगभग 35 हजार डॉलर हो गई. एक रिपल लगभग 2.73 डॉलर के बराबर है.
तस्वीर: ripple.com
नेम (XEM)
नेम को 2015 में शुरू किया गया था. यह पिअर टू पिअर क्रिप्टोकरंसी प्लेटफॉर्म है. इसका इस्तेमाल वित्तीय संस्थान और निजी कंपनियां मिजिन कही जाने वाली एक व्यवसायिक ब्लॉक चेन में करती हैं. 2017 में नेम के मूल्य में 29 हजार प्रतिशत का इजाफा हुआ. एक नेम लगभग 1.27 डॉलर के बराबर है.
तस्वीर: DW/F. Hofmann
स्टेलर (XLM)
इसे 2014 के शुरुआत में रिलीज किया गया. स्टेलर 2017 में ग्रोथ के मामले में नंबर तीन पर आता है जो लगभग 14 हजार प्रतिशत की रही. अक्टूबर 2017 में स्टेलर और आईबीएम ने एक समझौता किया जिसका मकसद ग्लोबल पेमेंट्स की स्पीड को बढ़ाना था. एक स्टेलर की कीमत लगभग 0.76 डॉलर है.
तस्वीर: Getty Images/L. Neal
डैश (DASH)
बुनियादी तौर पर इसे 2014 में एक्सकॉइन के नाम से जारी किया गया. मार्च 2015 में इसे डैश नाम दिया गया. यह इंस्टैंट ट्रांजेक्शन की सुविधा देता है. इससे होने वाले ट्रांजेक्शंस चंद सेकंडों में कन्फर्म हो जाते हैं जबकि बिटकॉइन के ट्रांजेक्शन में दस मिनट तक भी लग जाते हैं. 2017 में इसमें 9,300 प्रतिशत का इजाफा हुआ और एक डैश लगभग 1,162.84 के बराबर है.
एथेरियम (ETH)
बिटकॉइन से उलट एथेरियम का मकसद 'स्मार्ट कॉन्टैक्ट्स' को ऑपरेट करना है ना कि मुद्रा के तौर पर चलन में रहना. स्मार्ट कॉन्टैक्ट्स कोड की स्क्रिप्ट्स हैं जिन्हें एथेरियम ब्लॉकचेन में डिप्लोय किया जा सकता है. 2017 में इसकी कीमतों में 9,200 प्रतिशत का उछाल आया. एक एथेरियम की कीमत 879.91 डॉलर के आसपास है. साल 2017 में इथेरियम गूगल की टॉप 10 सर्चों में शामिल रही.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/J. Arriens
लाइटकॉइन (LTC)
2011 में जारी किया गया लाइटकॉइन बहुत हद तक बिटकॉइन जैसा ही है. कॉइनमार्केटकैप के अनुसार मार्केट कैप के मामले में यह छठे नंबर पर आता है. 2017 में इसके दामों में 48,00 प्रतिशत की वृद्धि हुई. अगर आप एक लाइटकॉइन खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपको लगभग 250 डॉलर खर्च करने होंगे.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/M. Romano
कारडानो (ADA)
कारडानो को 2014 में स्थापित किया गया था और अक्टूबर 2017 में इसकी ट्रेडिंग बिट्रिक्स एक्सचेंज में शुरू हुई. तीन महीने के भीतर इसने लगभग 18.6 अरब डॉलर का मार्केट कैप हासिल कर लिया. इस तरह यह मार्केट कैप के मामले में पांचवें नंबर पर आ गया. 2017 में इसके मूल्य में तीन हजार प्रतिशत का इजाफा हुआ. एक कारडानो की कीमत 0.99 डॉलर है.
तस्वीर: Cardanohub.org/t3n.de
बिटकॉइन कैश (BCH)
बिटकॉइन से जन्मे बिटकॉइन कैश को 1 अगस्त 2017 को जारी किया गया. इसे तेजी से ट्रांसजेक्शन करने के लिए जारी किया गया ताकि ब्लॉकसाइज लिमिट को 8 एमबी तक बढ़ाया जा सके. 2017 में इसके मूल्य में लगबग 500 प्रतिशत का इजाफा हुआ. एक बिटकॉइन कैश के लिए आपको 2,748.33 चुकाने होंगे. इसे बिटकाइन का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी माना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/M. Romano
आयोटा (IOTA)
आयोटा को जून 2016 में शुरू किया गया और बिटफिनेक्स पर इसकी ट्रेडिंग जून 2017 में शुरू हुई. 11.19 अरब मार्केट कैप के साथ यह नौवें पायदान पर है. 2017 में इसके दामों में 450 प्रतिशत का उछाल आया. एक आयोटा की कीमत 4.03 डॉलर के आसपास है.
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दत्ता ने अपनी बचत में से कुछ धन को क्रिप्टोकरंसी में कन्वर्ट कर लिया. उस फर्जी ऐप पर शुरुआत में उन्हें मुनाफा हुआ जो उन्होंने वापस डॉलर में कन्वर्ट भी कर लिया. इससे उनका हौसला बढ़ गया था.
दत्ता कहती हैं, "जब ट्रेडिंग में भारी-भरकम मुनाफा होता है तो आपकी खतरा उठाने क्षमता हिल जाती है. आपको लगता है कि यह तो गजब है, मैं और भी कमा सकती हूं.”
आंसेल ने दत्ता को और निवेश करने के लिए उकसाया. उसने कर्ज लेने और अपना रिटायरमेंट फंड भी निवेश कर देने को कहा. पिछले साल मार्च तक दत्ता करीब साढ़े चार लाख डॉलर का निवेश कर चुकी थीं और ऐप में यह धन दोगुना हो चुका था. लेकिन खतरे की घंटी तब बजी जब उन्होंने अपना पैसा वापस निकालना चाहा. तब ऐप ने टैक्स देने की मांग की.
तब दत्ता ने लंदन में रहने वाले अपने भाई से संपर्क किया. भाई ने आंसेल की फोटो का रिवर्स इमेज सर्च किया और पाया कि वह फोटो जर्मनी में रहने वाले एक फिटनेस इंफ्लुएंसर की थी. वह बताती हैं, "जब मुझे अहसास हुआ कि यह सब एक स्कैम था और सारा पैसा जा चुका है, तब मुझे पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण नजर आने लगे. मैं ना सो पा रही थी, ना खा पा रही थी. कुछ भी ठीक से नहीं कर पा रही थी. यह बहुत पीड़ादायक था.”
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हजारों शिकार, अरबों की ठगी
श्रेया दत्ता जैसा अनुभव इतने लोगों को हो चुका है कि अब फेसबुक पर ऐसे पीड़ितों के ग्रुप्स बने हुए हैं. ‘टिंडर स्विंडलर डेटिंग स्कैम' और ‘आर वी डेटिंग द सेम गाई?' जैसे इन ग्रुप्स में एआई से बनाई गई तस्वीरों के जरिए स्कैम के खिलाफ आवाज उठ रही है.
अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के मुताबिक पिछले साल 40 हजार से ज्यादा लोगों ने ठगे जाने की शिकायत की थी. ठगी का कुल धन लगभग साढ़े तीन अरब डॉलर था, जो क्रिप्टोकरंसी के जरिए ठगा गया था. हालांकि अधिकारी कहते हैं कि ठगी का धन इससे कहीं ज्यादा हो सकता है क्योंकि बहुत से लोग शर्म के कारण सामने नहीं आते.
सर्वे: तीन साल में 42 फीसदी भारतीय वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार
'लोकल सर्कल्स' की ओर से किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि पिछले तीन सालों में 42 फीसदी भारतीयों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी हुई. जिन लोगों के साथ धोखाधड़ी हुई उनमें से 74 फीसदी लोग पैसे वापस पाने में विफल रहे.
तस्वीर: Artur Widak/NurPhoto/picture alliance
वित्तीय धोखाधड़ी का खतरा बढ़ा
अधिक से अधिक लोग पैसे भेजने के लिए डिजिटल मोड का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इसी के साथ वित्तीय धोखाधड़ी का जोखिम भी बढ़ रहा है. लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक लगभग 42 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि वे या उनके परिवार में कोई व्यक्ति पिछले तीन वर्षों में वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हुआ है.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि ठगी के शिकार लोगों में से 74 फीसदी ने कहा है कि उन्हें उनका पैसा वापस नहीं मिला.
तस्वीर: Artur Widak/NurPhoto/picture alliance
17 फीसदी को वापस मिला पैसा
सर्वेक्षण में पाया गया कि पिछले 3 वर्षों में बैंकिंग धोखाधड़ी में अपना पैसा गंवाने वालों में से केवल 17 प्रतिशत ही अपना पैसा वापस पाने में सक्षम थे. बाकी 74 फीसदी लोगों का पैसा फंस गया.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Kachroo
साझा करते अहम जानकारी
सर्वेक्षण से पता चला है कि 29 प्रतिशत लोग अपने एटीएम या डेबिट कार्ड पिन विवरण करीबी परिवार के सदस्यों के साथ साझा करते हैं, जबकि 4 प्रतिशत इसे अपने घरेलू और कार्यालय कर्मचारियों के साथ साझा करते हैं. सर्वे ने यह भी दिखाया कि 33 प्रतिशत लोग अपने बैंक खाते, डेबिट या क्रेडिट कार्ड और एटीएम पासवर्ड, आधार और पैन नंबर ईमेल या कंप्यूटर में रखते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
60,414 करोड़ की धोखाधड़ी
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक 2021-22 में 60,414 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी. हालांकि ऐसा अनुमान है कि कई मामले की रिपोर्ट नहीं की गई होगी. माइक्रोसॉफ्ट 2021 ग्लोबल टेक सपोर्ट स्कैम रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक भारत में उपभोक्ताओं ने 2021 में 69 प्रतिशत की ऑनलाइन धोखाधड़ी की उच्च दर का अनुभव किया.
तस्वीर: Punit Paranjpe/Getty Images/AFP
सर्वे में कौन शामिल
सर्वे में 301 जिलों के 32 हजार लोगों ने हिस्सा लिया. उनमें 62 प्रतिशत पुरुष और 38 फीसदी महिलाएं थीं.
तस्वीर: Andreas Haas/imago images
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कैलिफॉर्निया स्थित वकील एरिन वेस्ट कहती हैं कि वह रोज ऐसे पीड़ितों मिलती हैं. उन्होंने कहा, "इस अपराध के बारे में सबसे भयानक बात यह है कि शिकारी का मकसद शिकार का एक-एक पैसा छीन लेना होता है.”
ऐसी ठगी का शिकार होने वाले लोगों की खुद को नुकसान पहुंचाने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है क्योंकि अधिकतर लोग अपना पैसा वापस नहीं पा सकते. कई लोग तो पैसा वापस पाने के दौरान भी फर्जी रिकवरी एजेंटों का शिकार हो जाते हैं.
दत्ता अब एक छोटे घर में रहने लगी हैं ताकि कर्ज चुका सकें. वह कहती हैं कि उन्होंने एफबीआई से शिकायत तो कर दी है लेकिन पैसा वापस पाने की उम्मीद ना के बराबर है. इस पूरी पीड़ा से उबरने के लिए वह थेरेपी ले रही हैं.