शहर के लियाकताबाद इलाके में अमजद साबरी की कार पर गोलियां दागी गईं. उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका. पुलिस एआईजी मुश्ताक मेहर ने डॉन अखबार को बताया कि दो बंदूकधारी एक मोटरसाइकल पर आए थे. उन्होंने साबरी की कार पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. 45 साल के साबरी तब अपने एक सहयोगी साथ कार में मौजूद थे. गोलियां लगने से दोनों लोग घायल हो गए. उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया जहां अमजद साबरी ने दम तोड़ दिया.
पुलिस अधिकारी ने कहा, "हत्यारों ने 30 बोर की पिस्तौलों का इस्तेमाल किया था. उन्होंने साबरी को पांच गोलियां मारीं. दो गोलियां तो उनके सिर पर लगीं और उनकी जान ले ली." एक चश्मदीद गुलाम अहमद ने स्थानीय टीवी चैनल समा टीवी को बताया कि उन्होंने दो लोगों को बाइक पर गोलियां चलाकर भागते हुए देखा. पहले उन्होंने कार की एक तरफ गोलियां चलाईं. फिर वे मुड़े और दूसरी तरफ भी चार गोलियां चलाईं. सिंध सेंसर बोर्ड के प्रमुख फाखरी आलम ने इस घटना के बाद ट्वीट किया है कि साबरी ने सुरक्षा की गुहार लगाई थी लेकिन उनकी अर्जी पर गृह विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया.
साबरी का अपराध क्या था?
अमजद साबरी पाकिस्तान के सबसे अच्छे कव्वालों में से एक थे. उनकी कव्वालियां पाकिस्तान ही नहीं भारत और पूरी दुनिया में मशहूर हैं. उन्होंने सूफियाना संगीत को नया मुकाम बख्शा है और सालोंसाल से एक परंपरा को आगे बढ़ाया. 2014 में उन पर ईशनिंदा के कुछ आरोप लगे थे. इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने अमजद साबरी और दो टीवी चैनलों को सुबह के वक्त एक कव्वाली चलाने के लिए नोटिस जारी किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कव्वाली में कुछ धार्मिक हस्तियों का जिक्र था जिसे कुछ लोगों ने ईश्वर का अपमान माना था. तब वकील तारिक असद ने इस ईशनिंदा के लिए कव्वाल अमजद साबरी और लिखने वाले दोनों पर आरोप लगाए थे और कव्वाली पर प्रतिबंध की मांग की थी. हालांकि हत्या के पीछे वही मामला है या कोई और, अभी नहीं कहा जा सकता.
क्या छोड़ गए साबरी?
अमजद साबरी मशहूर कव्वाल मकबूल साबरी के भतीजे थे. 2011 में अपने इंतकाल से पहले मकबूल साबरी ने अपने भाई मरहूम गुलाम फरीद साबरी के साथ मिलकर कव्वाली गायन में खूब नाम कमाया था. 1950 के दशक में उन्होंने एक ग्रुप बनाया था जिसने सूफियाना कव्वाली की एक ऐसी परंपरा शुरू की कि पूरी दुनिया झूम उठी. उसी परंपरा को मकबूल के भतीजे अमजद साबरी आगे बढ़ा रहे थे. वह पाकिस्तान के सबसे नामी कव्वाल बन चुके थे.
साबरी ब्रदर्स के नाम से मशहूर अमजद और उनके भाई के ग्रुप ने जो भी गाया, सुपरहिट रहा. भर दो झोली मेरी, ताजदार ए हरम और मेरा कोई नहीं तेरे सिवा जैसी उनकी कव्वालियों प्रसिद्धि का आलम यह है कि लोग कव्वाली जानते हैं, भले ही साबरी ब्रदर्स को जानें या नहीं.
विवेक कुमार
पाकिस्तान के पेशावर शहर में जिस स्कूल पर मंगलवार को तालिबान ने आतंकवादी हमला किया था, बुधवार को उसकी शक्ल किसी भूतहे घर की तरह लग रही थी. रिपोर्टरों ने स्कूल जाकर वहां का जायजा लिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpaपाकिस्तानी सेना का एक जवान स्कूल के मुख्य द्वार पर पहरा देता हुआ. आलीशान दरवाजे से उस खतरनाक चेहरे का अंदाजा भी नहीं लग पा रहा है, जो आने वाली तस्वीरों में दिखने वाला है. कैसे बच्चों के एक स्कूल को तालिबान ने श्मशान में बदल दिया.
तस्वीर: AFP/Getty Images/F. Naeemनोटिस बोर्ड के आस पास दहशत के निशान मौजूद हैं. सेना के जवान उन जगहों को देख रहे हैं, जहां तालिबान के हमले से भारी नुकसान हुआ है. दीवार की ईंटें निकल चुकी हैं. गमले उलटे पड़े हैं. यह तस्वीर किसी स्कूल की तो नहीं लगती.
तस्वीर: AFP/Getty Images/A Majeedस्कूल की इस दीवार पर कभी ब्लैकबोर्ड लगा होता होगा. लेकिन अब यह गोलियों से छलनी है. एक स्थानीय रिपोर्टर जब इस दीवार के पास से गुजरी, तो कुछ ऐसी तस्वीर बनी. मालूम पड़ता है कि मानो कोई जलजला आया हो.
तस्वीर: Reuters/F. Azizकिताबें बिखरी पड़ी हैं, छात्रों का कोई नामोनिशान नहीं. गोलियां और बम खाकर पीछे की जख्मी दीवार काली पड़ चुकी है. इस सैनिक को बिखरी हुई किताबों के बीच रास्ता निकालना मुश्किल हो रहा है. सिर्फ 24 घंटे पहले यहां बच्चों से रौनक थी.
तस्वीर: AFP/Getty Images/A Majeedपीछे की दीवार पर शायद स्कूल के प्रिंसिपलों की लिस्ट लगी है. लेकिन नजर उसके चारों ओर ज्यादा जा रही है, जो गोलियों से भुन चुका है. बोर्ड के चारों ओर के सुर्ख लाल धब्बे वो सब कुछ कह रहे हैं, जो मंगलवार को इस स्कूल में हुआ.
तस्वीर: Reuters/F. Azizकराची के एक स्कूल में दुआओं में खड़ा यह छात्र शायद अपने उन साथियों के अहसास को महसूस करने की कोशिश कर रहा है, जो तालिबान के कायराना हमले में मारे गए. पूरे पाकिस्तान के स्कूलों में मासूम बच्चों को श्रद्धांजलि दी गई.
तस्वीर: Reuters/A. Soomroमुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट की महिला सदस्यों ने भी मंगलवार की रात मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि दी और उनकी याद में मोमबत्तियां जलाईं. हमले में कम से कम 140 लोगों की मौत हो गई और तालिबान ने कई महिला टीचरों को जिंदा जला दिया.
तस्वीर: AFP/Getty Images/R. Tabassumहमले की जगह पहुंचते हुए एक महिला अपनी सिसकियों को नहीं रोक पाई. हमले के वक्त स्कूल में कम से कम 500 बच्चे थे. इनमें से लगभग 125 बच्चे मारे गए, जबकि इतने ही और घायल हो गए. पाकिस्तान के इतिहास में यह सबसे क्रूर हमलों में गिना जा रहा है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/A. Majeedपेशावर की इस घटना ने हंगू के युवा छात्र एहतेजाज की भी याद ताजा कर दी, जिसने जनवरी में अपने स्कूल में घुस रहे एक आत्मघाती हमलावर को गेट के बाहर दबोच लिया था. हमलावर ने विस्फोटक को उड़ा दिया, जिससे उसकी और एहतेजाज की मौत हो गई. लेकिन स्कूल में मौजूद सैकड़ों बच्चे बच गए.
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