जर्मन सेना बुंडेसवेयर के एक अधिकारी की गिरफ्तारी का मामला बड़े कांड में तब्दील होता जा रहा है. वह सीरियाई शरणार्थी की पहचान के साथ हमलों की योजना बना रहा था. जर्मन सेना में दुर्व्यवहार के मामले भी सामने आये हैं.
विज्ञापन
जर्मन रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लाएन द्वारा सेना की आलोचना के बाद बड़ा विवाद शुरू हो गया है. उन्होंने हाल में सेना में यौन दुर्व्यवहार और मानसिक यातना के मामले सामने आने और कथित नस्लवादी मामले में सेना के एक अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद बुंडेसवेयर में "नजरिये और नेतृत्व की समस्याओं" जिक्र किया था. इसकी वजह से वे सेना के आम जवानों के निशाने पर आ गई हैं जो उन पर व्यक्तिगत जिम्मेदारी न लेने का आरोप लगा रहे हैं. फॉन डेय लाएन के लिए यह एक खतरनाक राजनीतिक संघर्ष है. वह देश की पहली महिला रक्षा मंत्री हैं और उन्हें अक्सर चांसलर अंगेला मैर्केल का राजनीतिक उत्तराधिकारी बताया जाता है.
सारे मामले की शुरुआत हफ्ता भर पहले सेना के एक 28 वर्षीय लेफ्टिनेंट की गिरफ्तारी से शुरू हुई जो श्ट्रासबुर्ग में जर्मन फ्रेंच टुकड़ी में तैनात था. अधिकारियों की नजर में वह तब चढ़ा जब ऑस्ट्रिया की पुलिस ने उसे वियना हवाई अड्डे पर एक हैंडगन के साथ गिरफ्तार किया. बाद में हुई जांच में पता चला कि 2015 में शरणार्थी लहर के दौरान उसने दमिश्क के फल कारोबारी डेविड बेंजामिन की जाली पहचान से शरणार्थी के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया था. अरबी न जानने के बावजूद उसे शरण मिल गई और सरकारी भत्ता भी मिलने लगा.
जर्मन सेना में लगी स्कैंडलों की झड़ी
जर्मन रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लाएन के लिए साल 2017 बहुत बुरा जा रहा है. बुंडेसवेयर से जुड़े कई स्कैंडल सामने आ रहे हैं और उन पर सेना के साथ खड़े ना होने के आरोप भी लग रहे हैं. देखिए सेना से जुड़े विवादास्पद कांड.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Sauer
बुरी फंसी रक्षा मंत्री
उर्सुला फॉन डेय लाएन दिखाना चाहती थीं कि वे सेना के भीतर हो रहे कांडों से वाकिफ हैं. लेकिन इसके लिए उन्होंने खुलेआम सेना के उच्च नेतृत्व की आलोचना कर दी. उनका कहना था कि बुंडेसवेयर का "रवैया गलत" है, कि सेना के अधिकारियों को यह नागवार गुजरा. जबाव मिला: "नेतृत्व ऊपर से ही नीचे पहुंचता है."
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Fischer
सैनिक बना झूठा सीरियन रिफ्यूजी
हाल में सामने आये जर्मन सेना के लेफ्टिनेंट फ्रांको ए. पर आतंकी हमले की साजिश रचने के आरोप से सेना के विवादों ने तूल पकड़ा है. वह खुद सीरियाई रिफ्यूजी के रूप में रजिस्टर हुआ और संदेह है कि वह खुद कोई हमला कर उसकी जिम्मेदारी सीरियाई शरणार्थियों पर डालना चाहता था. सेना को 2014 से उसके दक्षिणपंथी झुकाव का पता था, लेकिन कुछ किया नहीं गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Rumpenhorst
माउंटेन रेंजर यूनिट में दुर्व्यवहार
बाड राइशेनहाल माउंटेन रेंजर्स यूनिट में हुए दुर्व्यवहार के 275 मामलों की जांच चल रही है. यह सब दक्षिणपंथी कट्टरवाद के मामले थे. इसके अलावा मार्च 2017 में पता चला कि एक लांस कॉरपोरल को बवेरिया की रेंजर यूनिट में कई महीने तक दुर्वयवहार झेलना पड़ा. पीड़ित ने डराये धमकाये जाने और यौन उत्पीड़न का शिकार बनाये जाने की शिकायत की. 14 लोगों की जांच हुई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Hoppe
महिला सैनिकों से जबरन पोल डांस कराना
इसे रक्षा मंत्री के कार्यकाल का सबसे बड़ा स्कैंडल कहा जा सकता है. फुलेनडॉर्फ के स्टाउफर आर्मी बेस में जनवरी में कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने महिला रिक्रूटों के कपड़े उतरवाये और उनसे कई तरह के सेक्सुअल एक्शन करवा कर सब कुछ कैमरे में रिकॉर्ड किया. महिलाओं से जबरदस्ती पोल डांस भी करवाया गया. इसके लिए बुंडेसवेयर के टॉप ट्रेनिंग कमांडर को बर्खास्त किया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Warnack
दक्षिणपंथी कट्टरवाद के कई मामले
बुंडेसवेयर के लिए जर्मन संघीय संसदीय आयुक्त हंस-पेटर बार्टेल्स ने अपनी रिपोर्ट में साल 2016 को भी सेना के लिए बुरा साल बताया. इस साल कम से कम 60 तथाकथित दक्षिणपंथी कट्टरवाद के मामले सामने आये. सैनिकों के बीच यहूदी विरोधी तस्वीरों और संगीत का लेन देन हुआ और नाजी सैल्यूट भी हुए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Sauer
नेवी शिप पर मौत
ऐसा नहीं है कि दिसंबर 2013 में फॉन डेय लाएन के आने के बाद से ही सेना में कांड हुए हैं. 2010 में नेवी की एक ट्रेनिंग वेसेल पर 25 साल की एक रिक्रूट की मौत पर भी खूब शोर शराबा हुआ था. बताया गया कि एक जहाज की रस्सियों पर चढ़ने की एक्सरसाइज के दौरान वह महिला गिर गयी. फिर बाकी कैडेट्स ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और शिप पर ट्रेनिंग स्थगित कर दी गयी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Rehder
बुंडेसवेयर का जन्म
दूसरे विश्व युद्ध के ठीक बाद जर्मनी को सेना रखने की अनुमति नहीं थी. 1955 में जाकर पश्चिम जर्मनी में बुंडेसवेयर की नींव पड़ी. फिर पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के एकीकरण के बाद बुंडेसवेयर में पूर्वी जर्मनी के 20,000 सैनिकों की भर्ती हुई 1999 में पहली बार बुंडेसवेयर को कोसोवो युद्ध के अंतरराष्ट्रीय विवाद में हिस्सा लेने का मौका मिला. इसके पहले इन्हें केवल शांति मिशन में भेजा जाता था.
तस्वीर: picture alliance/akg-images
सेना में सर्विस अनिवार्य नहीं रही
आज जर्मन सेना में करीब 178,200 सक्रिय सैनिक हैं. मार्च 2017 तक इनमें से लगभग 11.4 फीसदी महिलाएं थीं. साल 2011 तक सभी पुरुषों के लिए सेना में सर्विस अनिवार्य होती थी, जो कि 9 से 18 महीने तक लंबी होती. अब सेना युवाओं से सेना में शामिल होने की अपील करती है. इन कांडों के कारण अपील थोड़ी कम आकर्षक हो गयी है. (कार्ला ब्लाइकर/आरपी)
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Sauer
8 तस्वीरें1 | 8
जांच अधिकारियों का आरोप है गिरफ्तार संदिग्ध उग्र दक्षिणपंथी विचारों का समर्थक है और कम से कम एक साथी के साथ विदेशियों को बदनाम करने के लिए हमले की योजना बना रहा था. मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि उसके पास एक लिस्ट थी जिसमें पूर्व राष्ट्रपति योआखिम गाउक और वामपंथी नाजीविरोधी सांसदों सहित कुछ प्रमुख राजनीतिज्ञों के नाम थे. वे हमलों का लक्ष्य थे. चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के रक्षा प्रवक्ता हेनिंग ऑटे का कहना है कि गिरफ्तार लेफ्टिनेंट उग्र दक्षिणपंथी विचारों वाले सैनिकों के एक ग्रुप का हिस्सा हो सकता है. "इस बात की गंभीरता से जांच होनी चाहिए कि वहां उग्र दक्षिणपंथी ढांचे किस तरह विकसित हुए हैं."
एएफपी के अनुसार गिरफ्तार लेफ्टिनेंट ने 2014 में अपनी मास्टर थिसिस में उग्र दक्षिणपंथी विचार व्यक्त किए थे और दलील दी थी कि आप्रवासन पश्चिमी यूरोप में "नरसंहार" ला रहा है और "यह गणितीय तथ्य" है. इस थिसिस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. रक्षा मंत्री ने इसे "पलटन की भावना की गलत समझ" बताया था. रक्षा मंत्री ने इन मामलों की वजह से सेना के अनुशासन नियमों में संशोधन करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि वे जानना चाहती हैं कि मॉबिंग और यौन अपमान के मामलों की जानकारी मंत्रालय को क्यों नहीं दी गई.
जर्मनी का नाटो मिशन
नाटो से जुड़ने के समय से ही जर्मनी ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन के कई ऑपरेशनों में हिस्सा लेती रही है. 1990 में जर्मन एकीकरण के बाद से तो जर्मन सेना बुंडेसवेयर को कई बार नाटो की सीमा के बाहर तैनात मिशनों में भी लगाया गया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Hanschke
नाटो में जर्मनी की भूमिका
आधिकारिक तौर पर पश्चिमी जर्मनी 1955 में ट्रांस-अटलांटिक सैनिक संधि में शामिल हुआ. लेकिन 1990 में पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के एकीकरण के बाद से ही जर्मन सेना को नाटो के नेतृत्व में "आउट ऑफ एरिया" मिशनों के लिए भेजा गया. नाटो के कई साथी देशों की मदद के लिए जर्मन सेना ने शांति स्थापना से लेकर शक्ति संतुलन बनाने तक के मिशन पूरे किए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Hanschke
बोसनिया: जर्मनी का पहला नाटो मिशन
सन 1995 में जर्मनी ने नाटो के पहले "आउट ऑफ एरिया" मिशन में हिस्सा लिया. दक्षिण पूर्वी यूरोप के बोसनिया हेर्त्सेगोविना में यूएन शांति मिशन में. बोसनिया युद्ध के इस मिशन में जर्मन सैनिकों को पहली बार नाटो की सीमा के बाहर तैनात किया गया. इस पीस कीपिंग मिशन में नाटो देशों और सहयोगियों के करीब 60,000 सैनिक तैनात थे.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/H. Delic
कोसोवो में शांति स्थापना
कोसोवो में नाटो की अगुआई वाले पीस कीपिंग मिशन के शुरु होने के साथ ही करीब 8,500 जर्मन सैनिकों को नये नवेले देश में तैनात किया गया. सन 1999 में नाटो ने यहां सर्बियाई सेना के खिलाफ हवाई हमले करने शुरु किये. सर्बिया की सेना पर यहां के अल्बेनियाई अलगाववादियों और उनके सहयोगियों के साथ बड़े स्तर पर हिंसा करने का आरोप था. आज भी कोसोवो में कुछ 550 जर्मन सैनिक तैनात हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/V.Xhemaj
एजियन सी में गश्त
2016 से एजियन सी में जर्मन सेना का एक जहाज यूरोप की ओर से नाटो मिशन की अगुआई कर रहा है. शरणार्थी संकट के चरम पर इस जहाज ने ग्रीस और तुर्की की सीमा वाले जलक्षेत्र में "टोही, निगरानी और अवैध क्रॉसिंग की निगरानी" करना शुरु किया. जर्मनी, ग्रीस और तुर्की ने शरणार्थियों के बड़ी संख्या में आवाजाही को लेकर ट्रांस-अटलांटिक अलायंस से मदद ली है.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/M.Schreiber
लिथुआनिया में जर्मन टैंक
बॉल्टिक देशों में अपनी उपस्थिति बढ़ाते हुए नाटो ने 2017 में अब तक करीब 450 जर्मन सैनिकों को तैनात किया है. जर्मनी, कनाडा, यूके और अमेरिका जैसे कई देशों के बटालियन वहां तैनात हैं. नाटो ने कहा है कि सैनिक सहबंध के पूर्वी छोर पर संयुक्त रक्षा दीवार को मजबूत करने का यह मिशन "अलायंस के सामूहिक रक्षा के सुदृढ़ीकरण का सबसे बड़ा मिशन" होगा.
तस्वीर: picture alliance/dpa/M. Kul
अफगानिस्तान में एक दशक से भी लंबा
सन 2003 में जर्मन संसद ने नाटो की अगुआई वाली अंतरराष्ट्रीय सेना (ISAF) की मदद के लिए जर्मन सेना को अफगानिस्तान भेजने का निर्णय लिया. जर्मनी ने तीसरी सबसे बड़ी टुकड़ी भेजी और उत्तर में क्षेत्रीय कमांड का नेतृत्व किया. इस मिशन में 50 जर्मन सैनिकों की जान भी चली गयी. करीब एक हजार सैनिक अब भी वहां तैनात हैं. (लुई सैंडर्स IV/आरपी)
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/A.Niedringhaus
6 तस्वीरें1 | 6
बुधवार को फॉन डेय लाएन ने स्ट्रासबुर्ग में उस चौकी का दौरा किया जहां लेफ्टिनेंट तैनात था. वहां कॉमनरूम में रखे नाजी सेना की यादगार निशानियों की आलोचना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध की जर्मन सेना का आज के बुंडेसवेयर से कुछ भी लेना देना नहीं है. रक्षा मंत्री ने सेना में भर्ती के समय अपमानजनक और उत्पीड़क परंपराओं और महिला सैनिकों को पोल डांस के लिए मजबूर करने जैसी घटनाओं की भी आलोचना की. "अंधेरे में रोशनी लाने" का वादा करने वाली रक्षा मंत्री सेना की समस्याओं पर करीब 100 जनरलों और एडमिरलों से चर्चा कर रही हैं. सेना की खुफिया सेवा करीब उग्र दक्षिणपंथ के करीब 280 मामलों की जांच कर रही है.