यूक्रेन की आंच हिंद-प्रशांत तक जरूर आएगीः ऑस्ट्रेलिया
७ मार्च २०२२ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री पीटर डटन ने संकेत दिए हैं कि चीन यदि ताइवान की ओर आक्रामक होता है तो उनका देश हथियारों से ताइवान की मदद कर सकता है. यह कुछ वैसा ही होगा, जैसे फिलहाल यूक्रेन को हथियारों द्वारा मदद की जा रही है. यह चीन द्वारा ताइवान पर नियंत्रण के लिए बल प्रयोग की आशंकाएं बढ़ने की ओर बड़ा संकेत है.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने साफ कहा है कि यूक्रेन विवाद की आंच का हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पहुंचना तय है. उनका इशारा चीन द्वारा ताइवान पर हमला करने की संभावना की ओर था. उन्होंने कहा कि दुनिया की नियम-आधारित व्यवस्था खतरे में है और उस पर हमला हो रहा है.
‘बदल रही है दुनिया की व्यवस्था'
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा, "हम एक ऐसी दुनिया बनने के खतरे से जूझ रहे हैं जहां सिद्धांत, जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए कोई जगह नहीं होगी और सिर्फ मोलभाव चलेगा. जहां दादागीरी और धमकियों या फिर आर्थिक प्रलोभनों के जरिए संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता को झुकाया जाएगा."
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इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री ने ताइवान को हथियारों से मदद का संकेत देते हुए कहा कि हम वो सब करेंगे जो चीन को हमारे इलाके में आक्रामक होने से रोकने के लिए जरूरी है. जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या ऑस्ट्रेलिया ताइवान को उसी तरह हथियार देगा, जैसे यूक्रेन को दे रहा है, तो पीटर डटन ने कहा, "मैं साफ कर दूं कि हम चाहते हैं हमारे क्षेत्र में शांति रहे. लेकिन अगर आप कमजोर हैं और शांति के लिए आग्रह कर रहे हैं तो शांति नहीं मिलेगी." पीटर डटन ने कहा कि चीन परमाणु हथियार बना रहा है और वे विशाल फौज जुटा रहा है.
ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल ही ब्रिटेन और अमेरिका के साथ मिलकर एक सैन्य संगठन बनाया है जिसके तहत उसे परमाणु पनडुब्बियां मिलेंगी. 2040 तक ये पनडुब्बियां ऑस्ट्रेलिया में तैनात होने की संभावना है. ऑस्ट्रेलिया ने अपने पूर्वी तट पर, यानी सिडनी के पास इनके लिए एक नया बेस बनाने का भी ऐलान किया है.
‘विदेशी दखल बर्दश्त नहीं होगा'
शनिवार को एक संबोधन में चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग ने कहा था कि देश राष्ट्रपति शी जिनपिंग के उस सपने को पूरा करेंगे कि सेना को नए युग की सैन्य रणनीति के लिए तैयार करना है. हालांकि उन्होंने ताइवान के लेकर चीन की रणनीति में किसी तरह के बदलाव का संकेत नहीं किया.
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ली ने कहा, "चीन ताइवान खाड़ी में विकास और चीनी एकीकरण की दिशा में शांतिपूर्ण कदम बढ़ाएगा. हम ताइवान की आजादी जैसे अलगाववादी गतिविधियों का सशक्त विरोध करते हैं और किसी भी तरह की विदेशी दखलअंदाजी का विरोध करते हैं.”
चीन ने शनिवार को ही ऐलान किया था कि वह अपने रक्षा बजट में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि कर 2022 में उसे 229 अरब डॉलर यानी लगभग 1756 अरब रुपये कर रहा है. अमेरिका के बाद चीन का रक्षा बजट दुनिया में सबसे ज्यादा है. पिछले साल ही उसने इस बजट में 6.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी.
इस साल अमेरिका ने अपने रक्षा बजट में सिर्फ दो प्रतिशत की वृद्धि की है और वह 768.2 अरब डॉलर रक्षा मद में खर्च कर रहा है. चीन की सरकार का कहना है कि उसका खर्च अपने सैनिकों की भलाई के लिए होगा.
चीन के हमले का खतरा
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद दुनिया के कूटनीतिक और रणनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि चीन भी इसी तर्ज पर ताइवान पर हमला कर सकता है. पिछले महीने जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी तो उनके द्वारा नाटो प्रसार के विरोध का समर्थन किया था.
24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया था और उसी दिन ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में आठ चीनी जेट लड़ाकू विमान ने उड़ान भरी थी. ऐसा चीन पिछले साल भी कई बार कर चुका है, जिसका ताइवान ने विरोध किया था और हमले की आशंका जताई थी.
पिछले महीने जर्मनी के म्यूनिख में हुए सुरक्षा सम्मेलन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक ज्यादा दुस्साहसी चीन के प्रति दुनिया को आगाह किया था. 19 फरवरी को, यानी यूक्रेन पर हमले से पहले जॉनसन ने कहा था, "अगर यूक्रेन खतरे में है, तो उसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देगी. यह गूंज पूर्वी एशिया में भी सुनाई देगी. यह गूंज ताइवान में भी सुनाई देगी. लोग इस नतीजे पर पहुंचेंगे कि आक्रामकता फलदायी होती है और जिसकी लाठी होगी, उसी की भैंस होगी.”
रिपोर्टः विवेक कुमार (एपी)