वैज्ञानिकों ने एक ऐसे नए ग्रह की खोज की है जो अभी तक पृथ्वी के सौरमंडल के बाहर देखे गए ग्रहों में से सबसे छोटा है. इसका घन धरती के घन के आधे के बराबर है लेकिन क्या यहां जीवन का पनपना संभव है?
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यह कम घन वाला एक पथरीला ग्रह है और इसका नाम जी7 367बी रखा गया है. इसका रेडियस धरती के रेडियस के 72 प्रतिशत के बराबर है और घन धरती के 55 प्रतिशत के बराबर. यह धरती से 31 प्रकाश वर्ष से भी कम दूरी पर स्थित है और एक लाल बौने सितारे जीजे 367 की परिक्रमा करता है. यह सितारा पृथ्वी के सूर्य के आधे आकार का है.
इस सितारे की परिक्रमा ग्रह आठ ही घंटों में पूरी कर लेता है, यानी उस ग्रह पर एक दिन सिर्फ आठ घंटे लंबा होता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि यह "आज लगभग जिन 5000 एक्सोप्लैनेटों के बारे में हम जानते हैं उनमें से सबसे हलके ग्रहों में से है."
क्या यह दूसरी पृथ्वी हो सकता है?
यह खोज जर्मन ऐरोस्पेस सेंटर (डीएलआर) इंस्टीट्यूट ऑफ प्लैनेटरी रिसर्च के वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने की. शोधकर्ता जिलार्ड सिज्माडिया ने कहा, "इसकी सघनता ज्यादा है जिससे यह संकेत मिलता है कि इस ग्रह का कोर लोहे का है."
सिज्माडिया के साथ इस टीम का नेतृत्व करने वालीं डीएलआर की क्रिस्टीन लैम ने कहा, "ऐसा लगता है कि इसकी विशेषताएं बुध ग्रह के जैसी हैं. इस वजह से इसे पृथ्वी से कम आकार के टेरेस्ट्रियल ग्रहों में रखा जा सकता है." उन्होंने यह भी कहा, "इससे 'दूसरी पृथ्वी' की तलाश में शोध एक कदम और आगे बढ़ा है."
हालांकि सिज्माडिया ने कहा कि इस ग्रह को "दूसरी पृथ्वी" नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इसे काफी ज्यादा रेडिएशन का सामना करना पड़ता है जो "उस रेडिएशन से 500 गुना ज्यादा है जिसका सामना पृथ्वी करती है."
जीवन के लिए बहुत गर्म
उन्होंने बताया कि इसकी सतह का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है और इस तापमान पर सभी पत्थर और धातु पिघल जाते हैं. इस खोज के बारे में जानकारी विज्ञान की पत्रिका 'साइंस' में छपी है. इस तरह के ग्रहों को एक्सोप्लैनेट कहा जाता है और वैज्ञानिक इन्हें खोजने के लिए उत्सुक रहते हैं क्योंकि संभावना रहती है कि इन पर शायद जीवन मिले.
इस नए ग्रह में तो ये संभावनाएं नहीं दिख रही हैं लेकिन दूसरे एक्सोप्लैनेटों में ये संभावनाएं हो सकती हैं. क्रिस्टीन लैम ने बताया, "बृहस्पति के जैसे गैस के बड़े गोले रहने लायक नहीं हैं क्योंकि उन पर ज्यादा कठिन तापमान, मौसम और दबाव होता है और जीवन के लिए जरूरी तत्वों की कमी होती है."
उन्होंने यह भी कहा, "उनके विपरीत पृथ्वी जैसे छोटे ग्रह ज्यादा नरम होते हैं और उन पर तरल पानी और ऑक्सीजन जैसे जीवन के लिए जरूरी तत्त्व होते हैं." शोधकर्ता सोच रहे हैं कि क्या जीजे 367बी के पास कभी एक बाहरी सतह भी थी जो अपने सितारे के इतने पास होने की वजह से धीरे धीरे पिघल गई या फट गई.
सीके/एए (डीपीए/रॉयटर्स)
क्या यहां एलियंस हो सकते हैं
क्या एलियंस हैं? कौन जाने. या हो सकता है कि कोई जानता भी हो लेकिन हम आमजन को न बताया गया हो. हमें जो बताया गया है वह इतना है कि कुछ ऐसे ग्रह हैं जो एकदम पृथ्वी जैसे हैं.
तस्वीर: Ohio State illustration/Lauren Fanfer/Reuters
केपलर 22बी
यह पृथ्वी से 600 प्रकाश वर्ष दूर है. काम शुरू करने के सिर्फ तीन दिन के भीतर केपलर ने इसे खोज लिया था. वैज्ञानिक मानते हैं कि इसकी सतह पानी से पटी है. इसलिए इसे समुद्री ग्रह भी कहते हैं.
तस्वीर: AP
ग्लीज 667सी
धरती से 22 प्रकाश वर्ष दूस यह ग्रह पृथ्वी से साढ़े चार गुना भारी है. वैज्ञानिकों को नहीं पता कि यहां की जमीन चट्टानी है या नहीं लेकिन यह है एकदम धरती जैसा.
तस्वीर: ESO/L. Calçada
केपलर 62
केपलर टेलीस्कोप के द्वारा खोजे गए बाहरी सौरमंडलों में से पानी होने की सबसे ज्यादा संभावना इसी ग्रह पर है.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
केपलर 452बी
यह अपने तारे से इतनी दूर है कि वहां जीवन संभव है, ठीक वैसे ही जैसे पृथ्वी पर. इसका आकार पृथ्वी से कुछ ही बड़ा है. यह छह अरब साल पुराना ग्रह है और इसका तापमान इतना है कि वहां पानी हो सकता है.
तस्वीर: NASA/Ames/JPL-Caltech/T. Pyle via AP
केपलर 62एफ
यह ग्रह भी अपने तारे से बहुत सुरक्षित दूरी पर है और यहां पानी भी है. पृथ्वी से यह 1200 प्रकाश वर्ष दूर है.
तस्वीर: NASA Ames/JPL-Caltech
ग्लीज 581डी
यह पृथ्वी से सात गुना भारी है. हमारे सौरमंडल से 20.3 प्रकाश वर्ष दूर यह ग्रह एक छोटे से तारे का चक्कर लगाता है. माना जाता है कि इस पर पानी भी है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/L. Cook
केपलर 62ई
इसका आकार भी पृथ्वी जितना ही है और यह भी अपने तारे से इतनी दूर है कि वहां जीवन संभव है. यह भी एक समुद्री ग्रह है यानी यहां समुद्र जितनी विशाल मात्रा में पानी है.
तस्वीर: NASA Ames/JPL-Caltech
केपलर 186एफ
केपलर ने जितने ग्रह खोजे, उनमें से यह सबसे अहम है. इसका आकार तो पृथ्वी जितना है ही, यह अपने तारे से बहुत सुरक्षित दूरी पर है. इस पर चट्टानें भी हैं जिनमें सिलिकेट और आयरन हो सकता है. हालांकि इसका तारा उतना चमकीला नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
केपलर 69सी
इसका आकार पृथ्वी से करीब 70 फीसदी बड़ा है. हमसे 2700 प्रकाश वर्ष दूर इस ग्रह को सुपर अर्थ भी कहा जाता है. लेकिन इसका वातावरण शुक्र ग्रह से ज्यादा मिलता जुलता है.
तस्वीर: NASA Ames/JPL-Caltech
केपलर की करामात
2009 से 2013 के बीच अपनी चार साल की छोटी सी जिंदगी में केपलर नाम की दूरबीन ने दर्जनों ग्रह खोजे जो पृथ्वी जैसे थे. इस दूरबीन का नाम जर्मन एस्ट्रोनॉमर योहानेस केपलर के नाम पर रखा गया. इसके खोजे किसी भी ग्रह पर जीवन हो सकता है. रिपोर्ट: आरजे/वीके