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शुभांशु शुक्ला के साथ अंतरिक्ष की ओर भारत की नई उड़ान

११ जून २०२५

कैप्टन राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा के 40 साल बाद एक भारतीय अंतरिक्ष में जा रहा है. भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने वाले दल में शामिल हैं.

भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टेन शुभांशु शुक्ला
ग्रुप कैप्टेन शुभांशु शुक्ला आइएसएस के लिए जा रहे अगले मिशन का हिस्सा हैं.तस्वीर: AXIOM SPAC/AFP

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में शामिल होने वाले पहले भारतीय शुभांशु शुक्ला के साथ भारत की अंतरिक्ष की महत्वाकांक्षाएं भी ऊंची उड़ान भरेंगी. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पले बढ़े 39 साल के शुक्ला अमेरिका की एक प्राइवेट कंपनी एक्सिओम स्पेस के चार सदस्यों वाले मिशन का हिस्सा हैं. इसे 11 जून को स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन कैप्सूल के जरिए फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाना है.

शुभांशु शुक्ला आईएसएस में शामिल होने वाले पहले और पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय होंगे. शुक्ला की यह यात्रा 1984 में कैप्टन राकेश शर्मा के रूसी सोयूज यान में उड़ान भरने के चार दशक बाद हो रही है. भारतीय अंतरिक्ष विभाग के अनुसार, "शुक्ला का मिशन प्रतीकात्मकता से आगे बढ़कर रणनीतिक महत्व रखता है. इस बार ध्यान संचालन क्षमता और वैश्विक एकीकरण पर है."

शुक्ला ने 2020 में रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में तीन दूसरे भारतीयों के साथ प्रशिक्षण लिया, और फिर बेंगलुरु के इसरो केंद्र में आगे की ट्रेनिंग की. इस मिशन को भारत अपनी मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मान रहा है. शुक्ला ने हाल ही में 'द हिंदू' अखबार से बातचीत में कहा था, "मैं सच में मानता हूं कि भले ही मैं व्यक्तिगत रूप से अंतरिक्ष की यात्रा कर रहा हूं, लेकिन यह 1.4 अरब लोगों की यात्रा है."

शुभांशु शुक्ला केवल दूसरे ऐसे भारतीय हैं जो अंतरिक्ष में जा रहे हैंतस्वीर: AXIOM SPACE/AFP

शुभांशु शुक्ला ने उम्मीद जताई कि यह मिशन भारत में एक पूरी पीढ़ी की जिज्ञासा को जगाएगा और भविष्य में ऐसे कई मिशनों के लिए प्रेरित करेगा. वायुसेना में ग्रुप कैप्टन (जो सेना में कर्नल या नौसेना में कैप्टन के समकक्ष होता है) शुक्ला इस कमर्शियल मिशन के पायलट होंगे. यह मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष और अनुसंधान एजेंसी (नासा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की साझेदारी में हो रहा है.

गगनयान की दिशा में एक कदम और

भारत के अंतरिक्ष विभाग ने इस मिशन को अपनी महत्वाकांक्षाओं का "एक निर्णायक अध्याय" बताया है. विभाग ने शुक्ला को 2027 में प्रस्तावित भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान "गगनयान" के लिए "शीर्ष दावेदारों में से एक" बताया है.

विभाग ने लॉन्च से पहले कहा, "उनकी यात्रा सिर्फ एक उड़ान नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के एक नए युग में साहसिक कदम रख रहा है." भारतीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस मिशन के लिए भारत ने 6 करोड़ डॉलर से अधिक का भुगतान किया है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही 2040 तक मानव को चंद्रमा पर भेजने की योजना की घोषणा कर चुके हैं. इसरो ने मई में कहा कि वह इस साल के अंत तक एक मानवरहित कक्षीय मिशन लॉन्च करेगा, जिसके बाद 2027 की शुरुआत में पहला मानवयुक्त मिशन भेजा जाएगा.

एक्सियोम मिशन 4 के तहत शुक्ला की यात्रा और आईएसएस पर करीब 14 दिन का प्रवास भारत के लिए "अमूल्य" अनुभव लेकर आएगा. मिशन की कमान नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन के हाथ में होगी. उनके साथ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के पोलैंड के स्लावोश उजनांस्की-विस्निवस्की और हंगरी के टिबोर कापू भी होंगे.

शुक्ला एक अनुभवी फाइटर पायलट हैं, जो रूसी सुखोई और मिग विमानों को उड़ाने का अनुभव रखते हैं. अगर किसी कारण से वह उड़ान नहीं भर पाए, तो उनकी जगह लेने के लिए 48 साल के ग्रुप कैप्टन प्रसांत बालकृष्णन नायर को भी ट्रेन किया गया है और इस मिशन पर भेजा जा सकता है.

शुभांशु शुक्ला समेत चार लोगों को इस यात्रा के लिए ट्रेन किया गया हैतस्वीर: AXIOM SPACE/AFP

तेजी से बढ़ता भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम

पिछले एक दशक में भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम तेजी से बढ़ा है. कम लागत में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में अपनी जगह बनाई है. अगस्त 2023 में भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चंद्रमा पर यान उतारने वाला चौथा देश बना.

शुक्ला की पत्नी और बेटे समेत सभी भारतवासी उनकी वापसी का इंतजार करेंगे. शुक्ला के परिवार में उनके माता पिता के अलावा दो बहनें हैं. उनकी बड़ी बहन शुची एक स्कूल टीचर हैं. अंग्रेजी दैनिक 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से बातचीत में उन्होंने कहा, "सिर्फ यह सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि मेरा भाई जल्द ही अंतरिक्ष में होगा."

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