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राजनीतिसूडान

दो जनरलों की लड़ाई में लहुलुहान हुआ सूडान

१७ अप्रैल २०२३

सूडान की राजधानी खारतूम में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच संघर्ष सोमवार को तीसरे दिन भी जारी है. अब तक 94 लोगों की मौत हुई है. एक भारतीय ने भी इस संघर्ष में अपनी जान गंवाई है.

सूडान में अशांति
सूडान की ताजा हिंसा में आम नागरिकों की मौत हो रही हैतस्वीर: Planet Labs PBC/AP/picture alliance

2021 के तख्तापलट के बाद सूडान की सत्ता पर काबिज होने वाले दो जनरलों के वर्चस्व की लड़ाई में सूडान लहुलुहान हो रहा है. ये दो जनरल हैं सूडान के सेना प्रमुख अब्देल फतह अल बुरहान और उनके डिप्टी मोहम्मद हमदान दागलो. दागलो सूडान की ताकतवर अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज यानी आरएसएफ के प्रमुख हैं.

खारतूम और सूडान के दूसरे शहरों के घनी आबादी वाले इलाके में चल रहे संघर्ष में आसमान से हवाई हमलों के साथ ही सड़कों पर टैंकों से हमला हो रहा है और भारी हथियारों से गोलीबारी हो रही है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तुरंत संघर्षविराम की मांग की है.

सोमवार सुबह सूडान में डॉक्टरों के यूनियन ने कहा, "शनिवार को शुरू हुए संघर्ष में आम लोगों की मौत 97 तक पहुंच गई है." इसके साथ ही यह भी कहा गया कि इसमें मारे गये सारे लोगों की संख्या शामिल नहीं है क्योंकि बहुत से लोग सड़कों पर चल रही लड़ाई की वजह से अस्पताल नहीं पहुंच सके हैं. सेंट्रल कमेटी ऑफ सूडान डॉक्टर्स एक अलग लोकतंत्र समर्थक संगठन है. उसने खबर दी है कि सुरक्षा बल के दर्जनों लोगों की मौत हुई है. सैनिक और आम नागरिकों को मिलाकर कुल 942 लोग घायल हुए हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि खारतूम के जिन 9 अस्पतालों में घायलों का इलाज चल रहा है वहां "खून, ट्रांसफ्यूजन उपकरण, इंट्रावेनस फ्लुइड और दूसरी जरूरी चीजों की कमी है."

हिंसा की वजह से डरे हुए सूडानी लोग अपने घरों में दुबके हुए हैं और यह आशंका तेज हो गयी है कि लंबे समय से चला आ रहा संघर्ष देश को गहरे संकट में उतार देगा साथ ही लोकतंत्र की बहाली की आशा भी धूमिल हो गयी है.

रैपिड सपोर्ट फोर्स के सिपाही तस्वीर: Hussein Malla/AP/picture alliance

सूडान में संघर्ष का कारण

आरएसएफ को पूर्व तानाशाह राष्ट्रपति ओमर अल बशीर के शासन के दौरान 2013 में गठित किया गया था. इसमें ज्यादातर जंजावीड मिलिशिया के लोग थे. इन्हें बशीर की सरकार ने गैरअरब जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ दशक भर पहले इस्तेमाल किया था.मिलिशिया पर युद्ध अपराध के आरोप भी लगे थे.

इसी आरएसएफ को नियमित सेना में शामिल करने को लेकर हुए मतभेद की वजह से दोनों जनरल आपस में भिड़ गये हैं. 2021 में दोनों जनरलों ने साथ मिलकर तख्तपलट किया था और तब जो करार हुआ था उसमें आरएसएफ को सेना में शामिल करने की बात थी. दोनों जनरल एक दूसरे पर लड़ाई शुरू करने और प्रमुख ठिकानों पर अपने नियंत्रण के दावों के साथ खुद को ज्यादा मजबूत बताने में जुटे हैं. इन ठिकानों में एयरपोर्ट और राष्ट्रपति भवन भी शामिल है लेकिन स्वतंत्र रूप से इन दावों की पुष्टि नहीं हो सकी है.

बेकसूर लोग बन रहे निशाना

वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के लिए काम कर रहे संयुक्त राष्ट्र के तीन लोगों ने सूडान के ताजा संघर्ष में जान गंवाई है. ये लोग दारफुर इलाके में काम कर रहे थे. इनकी मौत के बाद वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने देश में अपनी सारी गतिविधियां बंद कर दी हैं. सूडान के एक तिहाई लोग अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.

संघर्ष के दौरान गोलीबारी में एक भारतीय की भी मौत हुई है. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक छिटक कर आई गोली लगने से उसकी मौत हुई. मरने वाले की पहचान 48 साल के अल्बर्ट ऑगस्टीन के रूप में हुई है. वह केरल के कन्नूर जिले के एक गांव का रहने वाला था.

खारतूम के एक बड़े हिस्से में बिजली की सप्लाई कट गई है और राशन की बहुत कम दुकानें ही खुल पा रही हैं. इन दुकानों तक सामान पहुंचाने वाली सप्लाई लाइन भी बाधित है और लोगों को रोजमर्रा के सामान की भारी समस्या हो सकती है.

सेनाप्रमुख अब्दुलफतेह अल बुरहान तस्वीर: Sudan Sovereignty Council Press Office/AA/picture alliance

संघर्ष खत्म करने की अपील

संघर्ष खत्म करने के लिए इलाके और दुनिया के दूसरे हिस्सों से लगातार अपील की जा रही है. अफ्रीकन यूनियन, अरब लीग और पूर्वी अफ्रीकी देशों के गुट आईजीएडी ने संघर्ष विराम की अपील की है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने चेतावनी दी है कि संघर्ष बढ़ने से "पहले से ही बदहाल मानवीय स्थिति और ज्यादा बुरे हाल में पहुंच जायेगी." अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने दोनों पक्षों से आग्रह किया है कि वो "तुरंत हिंसा बंद करने पर रजामंद हों" और बातचीत शुरू करें.

इन अपीलों के बावजूद दोनों जनरल फिलहाल संघर्षविराम या बातचीत के मूड में नहीं दिख रहे हैं. दोनों ने एक दूसरे को "अपराधी" कहा है. रविवार की शाम दोनों घायलों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रास्ता देने के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर सहमत हुए लेकिन गोलीबारी उस दौरान भी नहीं थमी. स्वास्थ्यकर्मी एंबुलेंसों के लिए सुरक्षित रास्ता और घायलों के इलाज के लिए संघर्ष विराम की मांग कर रहे हैं. गोलीबारी के बीच घायलों को सड़क मार्ग से अस्पताल ले जाना बहुत खतरनाक है.

सूडान का संघर्ष

आजादी के बाद से ही सूडान लगातार गृहयुद्धों, तख्तपलट और विद्रोह में घिरा रहा है. हालांकि सूडानी विश्लेषक खोलूद खैर का कहना है कि इस समय जिस तरह की लड़ाई राजधानी में चल रही है वह "अभूतपूर्व" है. खैर का कहना है, "सूडान के इतिहास में पहली बार निश्चित रूप से आजादी के बाद खारतूम के केंद्र में इस स्तर पर हिंसा हो रही है." खैर ने बताया कि आरएसएफ ने "रणनीतिक" रूप से पहले ही "घनी आबादी वाले इलाकों" में अपने अड्डे बना लिए था ताकि संघर्ष की स्थिति में "आम नागरिकों की बड़ी संख्या में मौत" को बचाव के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके. खैर ने कहा, "निश्चित  रूप से अब हम जानते है कि वे लोग संपूर्ण वर्चस्व के लिए इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश में हैं और ऐसे में आम लोगों की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं है."

शहर पर हवाई हमले हो रहे हैं और टैंकों से गोले बरसाये जा रहे हैंतस्वीर: MOHAMED NURELDIN ABDALLAH/REUTERS

संघर्ष ने सूडान के दूसरे इलाकों को भी अपनी चपेट में ले लिया है, इनमें पश्चिमी दारफुर का इलाका और पूर्वी सीमा पर कसाला राज्य में संघर्ष तेज है. 2021 में जनरलों ने तख्तापलट कर नागरिक शासन की तरफ बढ़ते कदमों पर विराम लगा दिया था. यह प्रक्रिया 2019 में बशीर के सत्ता से हटने के बाद शुरू हुई थी. इसके नतीजे में अंतरराष्ट्रीय सहायता में कटौती बंद हो गई थी और साप्ताहिक विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया था जिसे क्रूर तरीके से दबाने की भी कोशिशें हुई थीं.

अब जेल में बंद बशीर के शासन में धीरे धीरे सफलता की सीढ़ियां चढ़े बुरहान ने तख्तापलट को शासन व्यवस्था में ज्यादा धड़ों को शामिल करने के लिए जरूरी बताया था. दागलो ने बाद में तख्तपलाट को "भूल" बताया जो बदलाव लाने में नाकाम रहा और बशीर की सत्ता के बचे खुचे लोगों को दोबारा शासन व्यवस्था में मजबूत कर गया. बशीर की सत्ता को 2019 में भारी प्रदर्शनों के बाद सेना ने हटाया था.

एनआर/एडी (एएफपी)

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