फिजी की सत्ताधारी फिजी फर्स्ट पार्टी आम चुनाव में विजय की ओर बढ़ रही है.
विज्ञापन
16 साल पहले तख्तापलट कर सत्ता पर काबिज होने वाले फ्रैंक बेनीमारामा एक बार फिर फिजी के प्रधानमंत्री बनने के करीब हैं. लोकतांत्रिक चुनावों में उनकी यह तीसरी लगातार जीत होगी. 2013 में संविधान में बदलाव किया गया था जिसके बाद देश के मूल निवासियों और आप्रवासी भारतीय मूल के लोगों के मतों के बीच का अंतर खत्म कर दिया गया था. तब से बेनीमारामा लगातार चुनाव जीत रहे हैं.
वैसे बेनीमारामा को इस बार सीतिवेनी राबुका से कड़ी टक्कर मिल रही है. पीपल्स अलायंस पार्टी के राबुका भी एक बार तख्तापलट कर प्रधानमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने फिजी की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी नेशनल फेडरेशन पार्टी से गठजोड़ किया था.
फिजी फर्स्ट की बढ़त
बुधवार को फिजी फर्स्ट पार्टी 45.88 प्रतिशत मतों के साथ सबसे आगे चल रही है जबकि पीपल्स अलायंस पार्टी 32.66 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर है. नेशनल फेडरेशन पार्टी को 9.29 फीसदी मत मिले हैं जबकि 2017 में से 1238 मतदान केंद्रों पर ही गिनती पूरी हुई है. फिजी में अनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था है, जिसके आधार पर बेनीमारामा 31.4 प्रतिशत मतों से आगे चल रहे हैं जबकि राबुका को 16.34 प्रतिशत मत मिले हैं. पूरे नतीजे तो रविवार तक ही मिल पाएंगे.
भारतीय मूल के नेता जो विश्व भर में छाए
अब तक कई भारतीय मूल के लोग दुनिया भर की सरकारों में तमाम अहम पद संभाल चुके हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा से लेकर मॉरीशस, फिजी, गुयाना जैसे देशों में भी भारतवंशी नेताओं का लंबा इतिहास रहा है.
तस्वीर: Kirsty Wigglesworth/AP/dpa
ऋषि सुनक
ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बन रहे हैं जो भारतीय मूल के हैं. कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य ऋषि सुनक फरवरी 2020 से ब्रिटिश कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे हैं. इसके पहले वह ट्रेजरी के मुख्य सचिव थे. ऋषि सुनक 2015 में रिचमंड (यॉर्क) से संसद सदस्य के रूप में चुने गए थे. सुनक भारत की कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और लेखिका सुधा मूर्ति के दामाद हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/S. Rousseau
कमला हैरिस
अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में डेमोक्रैट पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार चुनी गई हैं कमला हैरिस. वह डेमोक्रैट पार्टी की ओर से अमेरिकी कांग्रेस में पांच सीटों पर काबिज भारतीय मूल के सीनेटरों में से एक हैं. कमला हैरिस की मां का नाम श्यामला गोपालन है. किशोरावस्था तक कमला हैरिस अपनी छोटी बहन माया हैरिस के साथ अकसर तमिलनाडु के अपने ननिहाल में आया करती थीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Kaster
निक्की हेली
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की दूत रह चुकीं निक्की हेली का नाम बचपन में निमरता निक्की रंधावा था. 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन में जगह पाने वाली वह भारतीय मूल की पहली राजनेता बनीं. इससे पहले वह दो बार साउथ कैरोलाइना की गवर्नर रह चुकी थीं. उनके पिता अजीत सिंह रंधावा और मां राजकौर रंधावा का संबंध पंजाब के अमृतसर जिले से है. शादी के बाद उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R.Pal Singh
बॉबी जिंदल
भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक के रूप में सबसे पहले बॉबी जिंदल लुइजियाना के गवर्नर बने थे. इस तरह निक्की हेली अमेरिका में किसी राज्य की गवर्नर बनने वाली भारतीय मूल की दूसरी अमेरिकी नागरिक हुईं. जिंदल एक बार रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी भी पेश कर चुके हैं. उनके माता पिता भारत से अमेरिका जाकर बसे थे.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Press
प्रीति पटेल
ब्रिटेन की पहली भारतीय मूल की गृह मंत्री बनीं पटेल हिंदू गुजराती प्रवासियों के परिवार से आती हैं. माता-पिता पहले अफ्रीका के युगांडा जाकर बसे थे जहां उनका जन्म हुआ. 1970 के दशक में उनका परिवार ब्रिटेन आकर बसा. 2010 में कंजर्वेटिव पार्टी से चुनाव जीतकर ब्रिटिश संसद पहुंची प्रीति पटेल खुद बाहर से आकर देश में शरण लेने के इच्छुकों के प्रति काफी सख्त रवैया रखती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/PA Wire/S. Rousseau
अनीता आनंद
कनाडा की कैबिनेट में भारतीय मूल के लोगों की भरमार है. पब्लिक सर्विसेज एंड प्रोक्योरमेंट की केंद्रीय मंत्री अनीता इंदिरा आनंद कनाडा की कैबिनेट में शामिल होने वाली पहली हिंदू महिला हैं. इससे पहले वह टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर थीं. भारत से आने वाले इनके माता पिता मेडिकल पेशे से जुड़े रहे. मां स्वर्गीया सरोज राम अमृतसर से और पिता एसवी आनंद तमिलनाडु से आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/A. Wyld
नवदीप बैंस
ट्रूडो कैबिनेट में साइंस, इनोवेशन एंड इंडस्ट्री मंत्री नवदीप बैंस कनाडा के ओंटारियो प्रांत में जन्मे थे. सिख धर्म के मानने वाले इनके माता पिता भारत से वहां जाकर बसे थे. 2004 में केवल 26 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला चुनाव जीता और कनाडा की संसद में लिबरल पार्टी के सबसे युवा सांसद बने. अपने राजनीतिक करियर में बैंस ने हमेशा इनोवेशन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने की दिशा में काम किया है.
तस्वीर: picture-alliance/empics/The Canadian Press/D. Kawai
हरजीत सज्जन
भारत के पंजाब के होशियारपुर में जन्मे हरजीत सज्जन इस समय कनाडा के रक्षा मंत्री हैं. कनाडा की सेना में लेफ्टिनेंट-कर्नल के रूप में सेवा दे चुके सज्जन इससे पहले 11 सालों तक पुलिस विभाग में भी काम कर चुके हैं. पंजाब में ही जन्मे नेता हरबंस सिंह धालीवाल 1997 में कनाडा की केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य बनने वाले पहले भारतीय-कनाडाई थे.
तस्वीर: Reuters/C. Wattie
महेन्द्र चौधरी
दक्षिणी प्रशांत महासागर क्षेत्र में बसे द्वीपीय देश फिजी में भारतीय मूल के लोग ना केवल सांसद या मंत्री बल्कि देश के प्रधानमंत्री तक बने हैं. यहां की 38 फीसदी आबादी भारतीय मूल की ही है. लेबर पार्टी के नेता चौधरी को 1999 में देश का प्रधानमंत्री चुना गया. लेकिन एक साल के बाद ही एक सैन्य तख्तापलट से सरकार गिर गई. एक बार फिर 2006 के संसदीय चुनाव जीत कर वह वित्त मंत्री बने.
तस्वीर: Getty Images/R. Land
लियो वरादकर
2017 में आयरलैंड के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने लियो वरादकर कंजरवेटिव फिन गेल पार्टी से आते हैं. डब्लिन में पैदा हुए और पेशे से डॉक्टर वरादकर 2007 में पहली बार सांसद बने. 2015 में समलैंगिक विवाह पर आयरलैंड में हुए जनमत संग्रह के दौरान उन्होंने सार्वजनिक तौर पर घोषित किया कि वे खुद समलैंगिक हैं. उनके पिता अशोक मुंबई से आए एक डॉक्टर थे और आयरलैंड में मिरियम नाम की एक नर्स के साथ शादी कर वहीं बस गए.
तस्वीर: DW/G. Reilly
एंतोनियो कॉस्ता
पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंतोनियो कॉस्ता भारत में गोवा से ताल्लुक रखते हैं. 2017 में वह प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजे गए थे. खुद सोशलिस्ट विचारधारा के समर्थन कॉस्ता ज्यादा से ज्यादा प्रवासियों के अपने देश में आने का स्वागत करते हैं. पहले उनके पिता गोआ से मोजाम्बिक गए और फिर उनका परिवार पुर्तगाल में बसा.
तस्वीर: Getty Images/AFP/K. Tribouillard
11 तस्वीरें1 | 11
इस बार फिजी में 60 प्रतिशत से भी कम मतदान हुआ है जो एक दशक में सबसे कम है. चुनावों की निगरानी के लिए 90 चुनाव पर्यवेक्षक फिजी में मौजूद रहे. इन पर्यवेक्षकों का नेतृत्व भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया के अधिकारी कर रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने कहा, "फिजी में चुनाव शांतिपूर्ण और कानून सम्मत" हुए हैं. हालांकि विपक्षी दलों ने धांधली के आरोप लगाए हैं.
विज्ञापन
भारत के लिए फिजी की अहमियत
फिजी के चुनावों के नतीजे भारत के लिए अहमयित रखते हैं क्योंकि वहां की कुल नौ लाख की आबादी का एक बड़ा हिस्सा भारतीय मूल के उन लोगों का है जो 19वीं सदी के दौरान अंग्रेजों द्वारा भारत से खेती कराने के लिए ले जाए गए थे.
देश की करीब 56 प्रतिशत आबादी वहां की मूल निवासी है जबकि लगभग 37 फीसदी भारतीय मूल के लोग हैं. 1970 में फिजी को आजादी मिलने से पहले 1948 से ही वहां एक भारतीय कमिश्नर रहता था जो भारतीय मूल के लोगों के हितों का ख्याल करता था. आजादी के बाद यह जिम्मेदारी भारतीय उच्चायोग को दे दी गई.
1999 में भारतीय मूल के महेंद्र चौधरी फिजी के प्रधानमंत्री बने थे. साल 2000 में बेनीमारामा ने उनकी सरकार का तख्तापलट दिया और खुद प्रधानमंत्री बन गए. उसके बाद से फिजी की राजनीति में भारतीय मूल के लोगों की प्रतिभागिता और प्रभाव लगातार घटता गया है. 2006 में बेनीमारामा ने एक बार फिर तख्तापलट किया और सत्ता संभाल ली.
वैसे बेनीमारामा के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों देशों के संबंधों में सुधार हुआ है. बेनीमारामा कई बार भारत की यात्रा कर चुके हैं. भारत ने बाढ़ और कोविड महामारी के दौरान भी फिजी को काफी मदद पहुंचाई. इसके अलावा चुनाव में भी भारत ने फिजी की मदद की है. उसने फिजी के चुनाव आयोग को स्याही की 5,500 बोतल और चार गाड़ियां दी थीं.