जापान ने सर्वाइकल कैंसर से बचाने वाली एचपीवी वैक्सीन को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना शुरू कर दिया. करीब एक दशक से टीके के खिलाफ दुष्प्रचार की वजह से लड़कियां टीका नहीं ले पा रही थीं.
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सर्वाइकल कैंसर पूरी दुनिया में महिलाओं में सबसे ज्यादा पाए जाने वाली बीमारियों में चौथे नंबर पर है. यह लगभग हमेशा ही एचपीवी नाम के वायरस की वजह से होता है जो यौन संबंधों के दौरान संचारित होता है.
जापान में हर साल करीब 10,000 महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर हो जाता है और इससे लगभग 3,000 महिलाओं की मौत हो जाती है. इसी वजह से देश में किशोरावस्था में लड़कियों को यह टीका आम रूप से दिया जाता था, लेकिन 2013 में इसके कुछ दुष्परिणामों को लेकर देश में ऐसी घबराहट मची कि सरकार ने इसका प्रोत्साहन करना बंद कर दिया.
टीकाकरण ही है उपाय
करीब एक दशक के दुष्प्रचार और कमजोर नीति की वजह से टीकाकरण दर बेहद नीचे आ गई है, लेकिन एक अप्रैल से सरकार सक्रिय रूप से इसके बारे में जानकारी देना और इसे बढ़ावा देना शुरू करेगी.
टीका 12-16 साल की उम्र की लड़कियों के लिए निशुल्क है और इस पर कई परीक्षण भी किए जा चुके हैं जिनमें इसे सुरक्षित पाया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है और इसका इलाज भी किया जा सकता है.
संगठन ने इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए एक रणनीति बनाई है, जिसके तहत 2030 तक 15 साल तक की लड़कियों में से 90 प्रतिशत को यह टीका लग जाना चाहिए. 2013 के फैसले की वजह से तब से लेकर अब तक टीका लेने वाली लड़कियों का प्रतिशत शून्य के करीब है.
"हम अब जा कर युवा महिलाओं की जिंदगियां बचा सकते हैं", सत्तारूढ़ पार्टी की राजेनता जुंको मिहारा ने यह कहा. मिहारा उप स्वास्थ्य मंत्री रह चुकी हैं और खुद सर्वाइकल कैंसर से भी जूझ चुकी हैं. उन्होंने अफसोस व्यक्त किया कि "हम पिछले आठ सालों की वजह से कई जिंदगियां खो देंगे."
बचाई जा सकती थीं हजारों जाने
आज दुनिया में 100 से भी ज्यादा देशों में इस टीके का इस्तेमाल होता है. इनमें ब्रिटेन भी शामिल हैं जहां लांसेट पत्रिका में हाल ही में छपे एक शोध के मुताबिक टीका ले चुकी महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामलों में काफी गिरावट आई है.
लांसेट में 2020 में छापे एक शोध में पूर्वानुमान लगाया गया था कि जापान के "एचपीवी टीका संकट" की वजह से 1994 और 2007 के बीच जन्मी लड़कियों में सर्वाइकल कैंसर की वजह से 5,000 अतिरिक्त लड़कियों की मृत्यु हो सकती है.
स्वास्थ्य मंत्रालय इस नुकसान को कम करने की कोशिश कर रहा है. टारगेट उम्र की महिलाओं में जो महिलाएं पिछले नौ सालों में टीका नहीं ले पाईं उन्हें टीका मुफ्त दिया जा रहा है. वैक्सीन को प्रोत्साहन देने में अभी भी कुछ समस्याएं हैं, विशेष रूप से उन महिलाओं का विरोध जिनका कहना है कि उन्हें टीका लगने के बाद दर्द, थकान और दूसरी समस्याएं पेश आई थीं.
दुष्परिणामों को लेकर 2016 से सरकार और दवा कंपनियों के खिलाफ कई मुकदमे भी दायर किए गए हैं, लेकिन अभी तक उनमें से किसी में भी फैसला नहीं आया है.
सीके/एए (एएफपी)
कहां कहां महिलाएं करवा सकती हैं अपने अंडाणु फ्रीज
अपने शरीर से जुड़े निर्णय लेना दुनिया की आधी आबादी से लिए आज भी आसान नहीं. हाल में एक ट्यूनीशियाई गायिका ने अपने अंडाणु फ्रीज करवाने के फैसला लिया तो तीखी बहस छिड़ गई. जानिए अंडाणु फ्रीज कराने के नियम कैसे हैं.
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क्या है ऐग फ्रीजिंग
महिलाओं के अंडाणु फ्रीज करने की तकनीक 80 के दशक में ही आ गई थी. लेकिन अब केवल बीमारी या इनफर्टिलिटी जैसी वजहों से ही नहीं, बल्कि पढ़ाई, करियर जैसे कारणों से भी महिलाएं अपने अंडाणु फ्रीज करवा रही हैं ताकि बड़ी उम्र में भी उनके मां बनने की संभावना बनी रहे.
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ट्यूनीशिया में बहस
31 साल की एक गायिका नर्मीन सफार ने कहा कि वह अपने अंडाणु फ्रीज करवाएंगी. नर्मीन सफार की अपील से देश में महिलाओं के प्रजनन अधिकारों पर तीखी बहस छिड़ गई है. यहां सिंगल महिलाएं केवल कीमोथैरपी जैसे मेडिकल कारणों से ही अंडाणु फ्रीज कर सकती हैं.
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जर्मनी
यहां चिकित्सीय कारणों से महिलाओं को अंडाणु फ्रीज करवाने की अनुमति है. मसलन, उनका कैंसर जैसी बीमारी का इलाज होने वाला हो, जिसके चलते उनकी फर्टिलिटी के प्रभावित होने की आशंका हो. इसके अलावा महिलाएं करियर, पढ़ाई या अन्य सामाजिक कारणों से 'सोशल ऐग फ्रीजिंग' भी करवा सकती हैं. यहां अंडाणु फ्रीज करवाने की कोई उम्र सीमा भी नहीं है.
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ब्रिटेन
यहां महिलाओं को 10 साल तक अंडाणु फ्रीज करके रखवाने की इजाजत थी. केवल उन महिलाओं को 55 की उम्र तक अंडाणु फ्रीज करने की अनुमति थी, जिनकी फर्टिलिटी किसी बीमारी के चलते प्रभावित हो. सितंबर 2021 में नियम बदलने की घोषणा हुई, ताकि सब लोगों को यह तय करने का अधिकार मिले कि वे परिवार कब शुरू करना चाहते हैं. अब कोई भी महिला 55 की उम्र तक अंडाणु फ्रीज करवा सकती है.
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इस्राएल
यहां महिलाओं को मेडिकल और नॉन-मेडिकल, दोनों तरह से अंडाणु फ्रीज करवाने की अनुमति है. लेकिन केवल 30 से 41 साल की महिलाएं ही ऐसा कर सकती हैं. फ्रीज किए गए अंडाणु को 54 साल की उम्र तक इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा अंडाणु फ्रीज करने के लिए महिलाएं ज्यादा-से-ज्यादा चार बार ही एग-रीट्रिवल करवा सकती हैं. अधिकतम 20 अंडाणु फ्रीज किए जा सकते हैं.
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मोरक्को
यहां छह साल तक धार्मिक और नैतिक पक्षों पर चली बहस के बाद 2019 में 'मेडिकली असिस्टेड रिप्रोडक्शन' कानून पास किया गया. इसमें इनफर्टिलिटी का इलाज करवा रही शादीशुदा महिलाओं को अंडाणु फ्रीज करवाने की अनुमति दी गई. सिंगल महिलाओं में से केवल वही ऐसा कर सकती हैं, जिन्हें कैंसर जैसी बीमारियां हैं.
तस्वीर: imago images/Science Photo Library
कनाडा
यहां करीब डेढ़ दशक से महिलाओं को चिकित्सीय कारणों से अंडाणु फ्रीज करवाने की इजाजत है. सोशल ऐग फ्रीजिंग भी कानूनी है. मगर कई दूसरे देशों में सामाजिक और कानूनी दायरे के चलते महिलाओं की चॉइस का यह सवाल अब भी बहस का मुद्दा है.
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फ्रांस
इस यूरोपीय देश में 30 की उम्र में पहुंची महिलाओं को अपने अंडाणु फ्रीज करने की कानूनी अनुमति है. पहले यह इजाजत केवल उन्हीं महिलाओं को थी, जो कीमो या रेडियो थेरेपी जैसा कोई ऐसा इलाज करवा रही थीं जिसमें उनकी फर्टिलिटी प्रभावित होने का खतरा था.