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एचपीवी वैक्सीन को लेकर जापान की जंग

३१ मार्च २०२२

जापान ने सर्वाइकल कैंसर से बचाने वाली एचपीवी वैक्सीन को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना शुरू कर दिया. करीब एक दशक से टीके के खिलाफ दुष्प्रचार की वजह से लड़कियां टीका नहीं ले पा रही थीं.

जापान
जापानतस्वीर: Kunihiko Miura/AP/picture alliance

सर्वाइकल कैंसर पूरी दुनिया में महिलाओं में सबसे ज्यादा पाए जाने वाली बीमारियों में चौथे नंबर पर है. यह लगभग हमेशा ही एचपीवी नाम के वायरस की वजह से होता है जो यौन संबंधों के दौरान संचारित होता है.

जापान में हर साल करीब 10,000 महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर हो जाता है और इससे लगभग 3,000 महिलाओं की मौत हो जाती है. इसी वजह से देश में किशोरावस्था में लड़कियों को यह टीका आम रूप से दिया जाता था, लेकिन 2013 में इसके कुछ दुष्परिणामों को लेकर देश में ऐसी घबराहट मची कि सरकार ने इसका प्रोत्साहन करना बंद कर दिया.

टीकाकरण ही है उपाय

करीब एक दशक के दुष्प्रचार और कमजोर नीति की वजह से टीकाकरण दर बेहद नीचे आ गई है, लेकिन एक अप्रैल से सरकार सक्रिय रूप से इसके बारे में जानकारी देना और इसे बढ़ावा देना शुरू करेगी.

पापिलोमा वायरस, जिससे होता है सर्वाइकल कैंसरतस्वीर: Cavallini/BSIP/picture alliance

टीका 12-16 साल की उम्र की लड़कियों के लिए निशुल्क है और इस पर कई परीक्षण भी किए जा चुके हैं जिनमें इसे सुरक्षित पाया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है और इसका इलाज भी किया जा सकता है.

संगठन ने इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए एक रणनीति बनाई है, जिसके तहत 2030 तक 15 साल तक की लड़कियों में से 90 प्रतिशत को यह टीका लग जाना चाहिए. 2013 के फैसले की वजह से तब से लेकर अब तक टीका लेने वाली लड़कियों का प्रतिशत शून्य के करीब है.

"हम अब जा कर युवा महिलाओं की जिंदगियां बचा सकते हैं", सत्तारूढ़ पार्टी की राजेनता जुंको मिहारा ने यह कहा. मिहारा उप स्वास्थ्य मंत्री रह चुकी हैं और खुद सर्वाइकल कैंसर से भी जूझ चुकी हैं. उन्होंने अफसोस व्यक्त किया कि "हम पिछले आठ सालों की वजह से कई जिंदगियां खो देंगे."

बचाई जा सकती थीं हजारों जाने

आज दुनिया में 100 से भी ज्यादा देशों में इस टीके का इस्तेमाल होता है. इनमें ब्रिटेन भी शामिल हैं जहां लांसेट पत्रिका में हाल ही में छपे एक शोध के मुताबिक टीका ले चुकी महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामलों में काफी गिरावट आई है.

चीन में इस्तेमाल की जाने वाली एचपीवी वैक्सीनतस्वीर: Luo Yunfei/China News Service/VCG/MAXPPP/picture alliance

लांसेट में 2020 में छापे एक शोध में पूर्वानुमान लगाया गया था कि जापान के "एचपीवी टीका संकट" की वजह से 1994 और 2007 के बीच जन्मी लड़कियों में सर्वाइकल कैंसर की वजह से 5,000 अतिरिक्त लड़कियों की मृत्यु हो सकती है.

स्वास्थ्य मंत्रालय इस नुकसान को कम करने की कोशिश कर रहा है. टारगेट उम्र की महिलाओं में जो महिलाएं पिछले नौ सालों में टीका नहीं ले पाईं उन्हें टीका मुफ्त दिया जा रहा है. वैक्सीन को प्रोत्साहन देने में अभी भी कुछ समस्याएं हैं, विशेष रूप से उन महिलाओं का विरोध जिनका कहना है कि उन्हें टीका लगने के बाद दर्द, थकान और दूसरी समस्याएं पेश आई थीं.

दुष्परिणामों को लेकर 2016 से सरकार और दवा कंपनियों के खिलाफ कई मुकदमे भी दायर किए गए हैं, लेकिन अभी तक उनमें से किसी में भी फैसला नहीं आया है.

सीके/एए (एएफपी)

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