प्लेन में नहीं जा सकते तो क्या, प्लेन का खाना तो खा सकते हैं
१५ अक्टूबर २०२०
फिनलैंड की एयरलाइंस फिनएयर ने अपने विमानों में मिलने वाले खाने को सुपरमार्केट में बेचने का फैसला किया है. यात्रियों से ज्यादा यह फैसला कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है.
विज्ञापन
फिनएयर के बिजनेस क्लास का खाना अब लोग देश के सुपरमार्केट में खरीद पाएंगे. एयरलाइंस को उम्मीद है कि महामारी के दौरान जो लोग विमान यात्रा नहीं कर पा रहे हैं उनके लिए यह आकर्षक होगा. साथ ही इस तरह से यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि केटरिंग स्टाफ की नौकरियां ना जाएं. "टेस्ट ऑफ फिनएयर" नाम से लोग 10 यूरो में एक पैकेट खरीद सकेंगे.
फिनएयर किचेन की मरीका निएमिनेन ने इस बारे में कहा, "अब जब यात्राओं पर पाबंदियां लगी हुई हैं तो हम लोगों को घर बैठे ही फिनएयर की लग्जरी का अहसास करने का मौका देना चाहते हैं. साथ ही ऐसे वक्त में जब फिनएयर किचेन के ज्यादातर कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा चुका है, हम कम से कम अपने सभी शेफ को इस काम में व्यस्त रख सकते हैं. इस नए प्रयोग के तहत हम अपने कर्मचारियों को काम दिला सकते हैं."
विज्ञापन
वर्क फ्रॉम होम से फायदा
कोरोना महामारी के कारण फिनएयर में 7,000 लोगों की नौकरियां गई हैं. पिछले साल सितंबर के मुकाबले इस साल सितंबर में 91 फीसदी कम उड़ानें उड़ीं. इस वक्त देश के 60 फीसदी कामकाजी लोग घर से काम कर रहे हैं. पश्चिमी देशों में लोगों को अकसर दफ्तर की कैंटीन में खाना खाने की आदत होती है. घर में बैठ कर काम करना और खाना भी पकाना लोगों को तनावपूर्ण लगता है. ऐसे में फिनएयर को उम्मीद है कि लोग 10 यूरो के खाने के पैकेट को खरीदना पसंद करेंगे और घर बैठे ही उन्हें एयरलाइन के बिजनेस क्लास वाला अहसास भी होगा.
शुरुआत राजधानी हेलसिंकी के एक स्टोर से होगी और फिर अगर लोगों ने इसमें रुचि दिखाई तो इसे देश भर के स्टोर में बेचा जाएगा. इस पहले स्टोर के-सिटीमार्केट के स्टोर मैनेजर कीमो सिवोनेन का कहना है, "मुझे लगता है इन दिनों हर कोई अपने हवाई यात्राओं को याद कर रहा है. हम उनकी जरूरतों को अब कुछ हद तक पूरा कर सकेंगे." सिवोनेन ने बताया कि प्लेन में मिलने वाले खाने की तुलना में इस खाने में नमक और मसाले कम होंगे. दरअसल ऊंचाई पर जा कर स्वाद की कोशिकाएं कम सक्रीय होती हैं. इसलिए प्लेन में मिलने वाले खाने में नमक मसाला ज्यादा डाला जाता है.
ऐसी दिखेगी लॉकडाउन के बाद की हवाई यात्रा
यह तो तय है कि हवाई जहाज से यात्रा कोरोना संकट के पहले के दिनों से काफी अलग होने और दिखने वाली है. देखिए एयरपोर्ट पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने से लेकर सीटों का डिजाइन कैसे बदलने वाला है.
तस्वीर: Aviointeriors
बजट एयरलाइंस
दुनिया भर में ज्यादा से ज्यादा लोगों को हवाई यात्रा का मौका और सुविधा देने वाली बजट एयरलाइंस खास तौर पर कोरोना महामारी के लॉकडाउन के बाद के हालातों को लेकर चिंता में हैं. ये पूरी तरह भर के चलने वाली एयरलाइंस होतीं थीं जो बमुश्किल कुछ मिनटों के लिए जमीन पर ठहरती थीं और फिर से यात्रियों से भरा विमान लेकर हवा में उड़ जाती थीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/epa/Airbus
जमीन पर ज्यादा वक्त
जब से भी ऐसे कमर्शियल प्लेन उड़ना शुरु करेंगे, उन्हें एक उड़ान से दूसरे के बीच काफी देर तक जमीन पर रहना होगा. उड़ानों के बीच इस लंबे ‘ब्रेक’ के दौरान विमान की अच्छी तरह सफाई और उसे सैनिटाइज करना (जैसे तस्वीर में अस्पताल को किया जा रहा है) अनिवार्य होगा. हालांकि कोविड संकट के दौरान किसी विमान में वायरस संक्रमण होने का कोई मामला सामने नहीं आया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H.A.Q. Perez
धीमी बोर्डिंग प्रक्रिया
इसके अलावा एयरपोर्ट पर यात्रियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए उन्हें दूर दूर रहना होगा और बोर्डिंग की प्रक्रिया बहुत धीरे धीरे पूरी हो पाएगी. इस कारण भी विमानों को दूसरी उड़ान भरने के लिए तैयार होने में ज्यादा वक्त लगेगा.
तस्वीर: imago images/F. Sorge
विमान की हवा गंदी?
एविएशन इंडस्ट्री के अनुसार, केबिन की हवा उतनी ही साफ होती है जितनी किसी ऑपरेशन थिएटर की. वहां हाई परफॉर्मेंस फिल्टर लगे होते हैं जो हवा के कणों को साफ करते रहते हैं. इसके अलावा केबिन की हवा का प्रवाह नीचे की ओर होने से भी सफाई में मदद मिलती है.
यह साबित नहीं हुआ है कि बीच वाली कतार की सीटें खाली छोड़ने से संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा. फिर भी यूरोविंग्स चलाने वाला लुफ्थांजा समूह फिलहाल इन्हें बुक करने का विकल्प नहीं दे रहा. एक और बजट एयरलाइन ‘इजीजेट’ भी शुरु में यात्रियों से उनके बगल वाली सीट खाली रखने का वादा कर रही है.
तस्वीर: Aviointeriors
इम्युनिटी पासपोर्ट की जरूरत
एविएशन कंसलटेंसी ‘सिंप्लिफाइंग’ का मानना है कि सुरक्षा जांच के अलावा भविष्य में यात्रियों को सैनिटाइज करने का एक चरण भी जोड़ा जा सकता है. अपनी हाल की रिपोर्ट में कंपनी ने बताया कि चेक-इन से पहले यात्रियों से उनका इम्युनिटी पासपोर्ट अपलोड करने के लिए कहा जा सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Soeder
एयरपोर्ट पर लंबा समय
यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय उड़ान से कम से चार घंटे पहले एयरपोर्ट पर पहुंचना पड़ सकता है. चेक इन एरिया में पहुंचने से पहले भी लोगों को एक डिसइंफेक्टेंट टनेल और थर्मल स्कैनर से गुजरना पड़ सकता है. इस बारे में एक नवगठित ट्रांसपोर्ट हेल्थ एथॉरिटी विश्व भर के एयरपोर्टों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर नए मानक तय करने में लगी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Marks
बैगेज की भी चिंता
ऐसा मुमकिन है कि यात्रियों के अलावा उनके चेक-इन और केबिन वाले बैग को भी अल्ट्रावायलेट किरणों से डिसइंफेक्ट किया जाएगा. लैंड करने के बाद एक बार फिर यात्रियों को थर्मल स्कैनर से गुजरना होगा, इम्युनिटी पासपोर्ट फिर से वैरिफाई होगा और बैग्स को कन्वेयर बेल्ट पर रखने से पहले एक बार फिर से सैनिटाइज किया जाएगा.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Leal-Olivas
विमान में भी मास्क
जर्मन एयरलाइन लॉबी बीडीएल ने अपने कॉन्सेप्ट पेपर में सलाह दी है कि विमान में सभी के लिए नाक और मुंह को ढकने वाला मास्क पहनना अनिवार्य किया जा सकता है. लुफ्थांजा ने भी इसे जरूरी कर दिया है. कनाडा और अमेरिका की जेटब्लू जैसी एयरलाइन ने इसे अनिवार्य कर भी दिया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Stolyarova
नई तरह की सीटें
विमान की सीटें बनाने वाले नए नए विकल्प पेश कर रहे हैं. इटली की ‘एविओइंटीरियर्स’ का “ग्लाससेफ" डिजायन ऐसा होगा जिसमें कंधों से लेकर सिर के हिस्से में प्लेक्सिग्लास हुड बने हों. इससे आसपास बैठे लोगों को एक दूसरे से उड़ान के दौरान भी अलग रखा जा सकेगा.
तस्वीर: Aviointeriors
कार्गो वाले केबिन का डिजायन
एशियाई कंपनी हायको का प्रस्ताव है कि केबिन में ही सीटों की एक कतार की जगह कार्गो का बक्सा लगाया जाए. अब तक किसी एयरलाइन ने ऐसी केबिन वाली सीटें ऑर्डर नहीं की हैं. इस समय यात्री सीटों से अधिक कार्गो की मांग देखने को मिल रही है.
तस्वीर: Haeco
केबिन क्रू के साथ अलग अनुभव
क्रू प्रोटेक्टिव कपड़ों में होंगे, यात्री भी दस्ताने और मास्क पहनेंगे और क्रू हर आधे घंटे पर हैंड सैनिटाइजर बांटेगा. बिजनेस और फर्स्ट क्लास में पैकेज्ड और सील खाने के पैकेट मिलेंगे. फ्लाइट के दौरान भी स्टाफ टॉयलेट की सफाई का ख्याल रखेगा. कुल मिला कर हवाई यात्रा का अनुभव काफी बदलने वाला है. (रिपोर्ट: आंद्रेयास श्पेथ/आरपी)
तस्वीर: picture-alliance/AA/S. Karacan
12 तस्वीरें1 | 12
सिंगापुर एयरलाइन का आइडिया
जहां फिनएयर सुपरमार्केट में खाना पहुंचाने की योजना बना रहा है, वहीं सिंगापुर एयरलाइंस ने तो लोगों को विमान में ही बिठा कर खाना खिलाने का फैसला किया है. दुनिया के सबसे बड़े पैसेंजर विमान ए380 में लोग 470 डॉलर की टिकट खरीद कर खाना खाने आ सकते हैं. जहां इतने की टिकट में लोग भारत से सिंगापुर हो कर लौट आया करते थे, वहां यह टिकट सिर्फ खाना खाने के लिए है और कमाल की बात तो यह है कि ये टिकटें हाथों हाथ बिक भी गई हैं.
24 और 25 अक्टूबर को लोगों को सिंगापुर के चंगी एयरपोर्ट पर यह मौका मिलेगा. सोमवार को जब इसके लिए इंटरनेट में टिकट काउंटर खुला तो आधे घंटे के अंदर ही सभी 900 टिकटें बिक गईं. 470 डॉलर में फर्स्ट क्लास का फोर कोर्स मील मिलेगा लेकिन अगर आप इतना पैसा खर्च नहीं करना चाहते तो 53 डॉलर में इकॉनोमी क्लास का थ्री कोर्स मील भी ले सकते हैं. इस डबल डेकर विमान में लोगों को एक एक सीट छोड़ कर बैठाया जाएगा ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा जा सके.
दुनियाभर में विमान सेवाएं ठप्प हैं. कोरोना वायरस महामारी के कारण विमानन क्षेत्र अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रहा है. विमान जितनी देर खड़े रहेंगे कंपनियों को उतना नुकसान होगा. एक नजर डालते हैं इस क्षेत्र की चुनौतियों पर.
तस्वीर: Reuters/L. Wasson
विशाल चुनौती
विमानन क्षेत्र एक ऐसे संकट से गुजर रहा है जिससे उबर पाना उसके लिए फिलहाल नामुमकिन है. देशों में लॉकडाउन के कारण हवा में उड़ने वाले विमान जमीन पर खड़े हैं. अंतरराष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के मुताबिक एयरलाइंस को वैश्विक स्तर पर 113 अरब डॉलर का नुकसान कोरोना वायरस महामारी के कारण हो सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Roessler
नौकरी पर खतरा
ब्रिटिश कारोबारी रिचर्ड ब्रैनसन ने चेतावनी दी है कि अगर कोरोनो वायरस संकट का सामना करने के लिए ब्रिटेन सरकार से वित्तीय सहायता नहीं मिलती है तो उनकी कंपनी वर्जिन अटलांटिक बंद हो जाएगी. वर्जिन अटलांटिक में हजारों लोग काम करते हैं. भारत में भी बजट एयरलाइंस अपने कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज चुकी है. गो एयर ने 90 फीसदी कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज दिया है.
तस्वीर: picture-alliance/empics/S. Parsons
भविष्य की चिंता
अंतरराष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के 290 एयरलाइंस सदस्य हैं. आईएटीए का कहना है कि गुजरते दिनों के साथ "उद्योग की संभावना और अधिक खराब नजर आ रही है." आईएटीए की मांग है कि सरकारें विमान कंपनियों को आर्थिक सहायता दें नहीं तो कंपनियां इस संकट को पार नहीं कर पाएंगी.
तस्वीर: imago images/photonews.at
उड़ानें ठप्प
आईएटीए के मुताबिक 2019 की तुलना में अप्रैल 2020 में 80 फीसदी उड़ानें दुनियाभर में रद्द हुईं. जनवरी के अंत में विमानन क्षेत्र के लिए संकट शुरू हुआ जब कंपनियों ने कोविड-19 के कारण चीन जाने वाली उड़ानें बंद करनी शुरू कर दी.
तस्वीर: Reuters/M. Blake
पर्यटन-विमानन पर गहरा असर
जानकारों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण नौकरियां पतझड़ की तरह जा सकती हैं. कई विमान कंपनियां लीज पर विमान लेती हैं और उन्हें उसके बदले पैसे चुकाने होते हैं. विमानों के नहीं उड़ने से कंपनियां टिकट नहीं बेच पाएंगी और लीज का पैसा नहीं चुका पाएंगी.
तस्वीर: AFP/O. Panagiotou
भारतीय विमानन क्षेत्र का दर्द
भारत में विमानन कंपनियां पहले से ही बहुत अच्छी हालत में नहीं है और अगर कोरोना वायरस का संकट और चलता है तो भारत में सबसे ज्यादा नौकरियां जाने का खतरा है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो कंपनियों को मजबूरी में लोगों को नौकरी से निकालना होगा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. Frayer
विमान खड़े हैं तो भी खर्च
अगर विमान खड़े हैं तो भी खर्च होते हैं. विमान की देखरेख के लिए इंजीनियर होते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 16,000 यात्री विमान खड़े हैं. 2020 में इन खड़े विमानों की देखरेख भी बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. जब विमान खड़े होते हैं तो उन्हें पक्षियों से भी बचाना होता है क्योंकि वे उन में घोंसला बना सकते हैं.
तस्वीर: Getty Images/A. Pretty
पार्किंग फीस
विमान को एयरपोर्ट पर खड़ा रखने का भी शुल्क लगता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अगर कोई विमान खड़ता करता है तो उसे एक दिन के लिए एक हजार डॉलर देने पड़ते हैं.