महाराष्ट्र के विरार स्थित कोविड अस्पताल में आग लगने से 13 कोरोना मरीजों की मौत हो गई. राज्य इस वक्त कोरोना वायरस की दूसरी लहर की चपेट में है और संक्रमण पूरे राज्य में तेजी से फैला हुआ है.
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महाराष्ट्र के विरार स्थित विजय बल्लभ अस्पताल के इंटेसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में शुक्रवार तड़के आग लग गई, जिसमें कोरोना के 13 मरीजों की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि आग अस्पताल के आईसीयू के एयर कंडिशनिंग यूनिट के पास लगी और देखते ही देखते तेजी से फैल गई. हादसे के वक्त 17 मरीज आईसीयू में भर्ती थे, जिनमें कुछ महिला मरीज भी शामिल थीं. आग लगने की सूचना के पांच मिनट के भीतर ही दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंच चुकी थी. आग को काबू करने के बाद अस्पताल में मौजूद बाकी के मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया गया. वसई विरार नगर निगम के दमकल कर्मचारियों ने करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया.
विजय बल्लभ कोविड मरीजों के लिए समर्पित अस्पताल था और यहां पर कोरोना के मरीजों का ही इलाज हो रहा था. विजय बल्लभ अस्पताल के सीईओ दिलीप शाह ने पत्रकारों से कहा, "हादसे के वक्त 90 मरीज अस्पताल में भर्ती थे." आग की घटना के तुरंत बाद अस्पताल परिसर में चीख-पुकार मच गई. अस्पताल के कर्मचारी मरीजों को बाहर लाते दिखाई दिए और मरीजों के रिश्तेदार और करीबी जो अस्पताल के बाहर थे, वे भी मदद के लिए दौड़ पड़े. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विरार के अस्पताल में हुए हादसे पर दुख जताया है और मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है.
वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्ध ठाकरे ने अस्पताल के आईसीयू में लगी आग की जांच के आदेश दिए हैं. महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंडे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "यह एक बड़ा हादसा है. जो लोग इस हादसे के लिए दोषी पाए जाएंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. सरकार मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपये का मुआवजा देगी."
महाराष्ट्र में दो दिन पहले भी एक बड़ा हादसा हुआ था. नासिक के एक अस्पताल में ऑक्सीजन रिसाव की घटना के कारण 24 मरीजों की मौत हो गई थी. यह हादसा नासिक के जाकिर हुसैन म्युनिसिपल अस्पताल में हुआ था, जहां केवल कोविड मरीजों का इलाज चल रहा है. अस्पताल में करीब 150 ऐसे मरीज भर्ती थे, जिन्हें या तो ऑक्सीजन लगातार दी जा रहा थी, या वे वेंटिलेटर पर थे. मरने वाले सभी मरीज वेंटीलेटर पर थे.
भारत में कोरोना का कोहराम
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर अपने चरम पर है और हर रोज संक्रमित मरीजों के नए नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. देश में लगातार दूसरे दिन तीन लाख से ज्यादा और अब तक के सर्वाधिक नए कोरोना संक्रमित मिले. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में 3,32,730 नए कोरोना केस आए और 2,263 संक्रमितों की जान गई. दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में पिछले 24 घंटे में 25 सबसे गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हो गई है. अस्पताल ने अपने बयान में कहा है कि 60 अन्य मरीजों की जान अभी भी खतरे में है. अस्पताल ने ऑक्सीजन की सप्लाई की अपील की है.
कोविड आलिंगन को मिला बेहतरीन प्रेस तस्वीर पुरस्कार
विश्व प्रेस फोटो पुरस्कार पूरी दुनिया में पत्रकारों द्वारा ली गई तस्वीरों को सम्मान देते हैं. पिछला साल सिर्फ महामारी ही नहीं, बल्कि जलवायु संकट और दुनिया द्वारा भुला दिए गए संघर्षों का भी साल रहा.
तस्वीर: Gabriele Galimberti
महामारी में दुर्लभ हुआ आलिंगन
प्रथम पुरस्कार जीतने वाली यह तस्वीर ब्राजील के साओ पाउलो में विवा बेम देखभाल केंद्र की है. तस्वीर में एक नर्स एक तरह की प्लास्टिक की चादर के पीछे से एक 85 वर्ष की महिला को गले लगा रही है. महिला को महीनों बाद आलिंगन का अहसास हुआ था. निर्णायक समिति का कहना था, "यह कोविड युग की एक दुर्लभ सकारात्मक तस्वीर है." तस्वीर मैड्स निस्सेन ने ली थी.
तस्वीर: Mads Nissen/Politiken/Panos Pictures
इस्राएली जेलों में फलस्तीनी कैदी
अंटोनिओ फाचिलोंगो को इस तस्वीर के लिए दो पुरस्कार मिले - साल की सबसे अच्छी कहानी और लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट्स श्रेणी में पहला पुरस्कार. उनका प्रोजेक्ट "हबीबी" इस्राएली जेलों में कैद फलस्तीनी लोगों की जिंदगी पर है. इसके लिए उन्होंने तीन सालों तक कई तस्वीरें खींचीं. यह तस्वीर उन कैदियों के महिला रिश्तेदारों की है जो उनसे मिलने के लिए एक इस्राएली नाके की तरफ बढ़ रही हैं.
तस्वीर: Antonio Faccilongo
जलवायु संकट में महामारी का योगदान
कैलिफोर्निया के रैल्फ पेस द्वारा ली गई इस तस्वीर में एक सी लायन पानी में गिरते हुए एक मास्क की तरफ बढ़ रहा है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के बीच हर महीने उपयोग करके फेंक देने वाले करीब 129 अरब मास्क और 65 अरब दस्तानों का उपयोग हो रहा है. यह तस्वीर दिखाती है कि किस तरह प्रकृति की गोद में गिरने वाला यह कचरा जीव-जंतुओं के लिए खतरा बन गया है.
तस्वीर: Ralph Pace
ब्राजील के जंगलों की त्रासदी
ब्राजील का पैंटानाल इलाका एक यूनेस्को विश्व जीवमंडल रिजर्व है. यहां दुनिया के सबसे बड़े ट्रॉपिकल जलमय भूमि और जलमय चरागाह पाए जाते हैं. 2020 में यह इलाका आग में जल कर पूरी तरह से बर्बाद हो गया था. फोटो-पत्रकार लालो दे अल्माइदा ने कई तस्वीरों के जरिए इस बर्बादी को दिखाने की कोशिश की है.
तस्वीर: Lalo de Almeida
"साखावुड" फिल्मों की दुनिया
रूसी डॉक्यूमेंटरी फोटोग्राफर एलेक्सी वसिल्येव ने रूस के साखा प्रांत में बनने वाली कई फिल्मों की शूटिंग का दौरा किया. साखा का स्थानीय फिल्म उद्योग छोटा ही है लेकिन उसे "साखावुड" के नाम से जाना जाता है. कला साखा संस्कृति, परंपराओं और कहानियों को बचा कर रखने का एक तरीका है.
तस्वीर: Alexey Vasilyev
नागोरनो-काराबाख का दर्द
वालेरी मेलनिकोव की "खोया हुआ स्वर्ग" के नाम से तस्वीरें नागोरनो-काराबाख इलाके पर विवाद के आर्मेनिया और अजरबैजान के लोगों पर असर को तस्वीरों में कैद करती हैं. नवंबर 2020 की शांति संधि के बाद जो इलाके अजरबैजान के नियंत्रण में जाने वाले थे, वहां इस तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति की तरह कई लोगों ने अपने घरों को छोड़ने से पहले खुद जला दिया था.
तस्वीर: Valeriy Melnikov
जिराफ की सुरक्षा
फोटोग्राफर, लेखक और फिल्मकार एमी विताले की यह तस्वीर पश्चिमी केन्या के बरिंगो तालाब में स्थित बाढ़ग्रस्त लोंगिचारो द्वीप से बचाए जा रहे एक जिराफ की है. इसके बारे में निर्णायक समिति के सदस्य केविन डब्ल्यू वाई ली का कहना था, "प्रकृति की ही तरह यह जिराफ भी प्रताप से भरा हुआ है लेकिन साथ ही वह संकट में है, यह भी दिख रहा है. इसे, इस तस्वीर में सुंदरता के साथ दिखाया गया है."
तस्वीर: Ami Vitale/CNN
विजेताओं के निजी लम्हे
कनाडा के डॉक्यूमेंटरी फोटोग्राफर क्रिस डोनोवन को "जो जमे रहे वो ही चैम्पियन होंगे" सीरीज की तस्वीरों के लिए खेलों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला. निर्णायक समिति का कहना था कि ये तस्वीरें "काले और सफेद फ्रेमों में सुंदरता से खींची गई" हैं और ये "आंदोलनों के परे अमेरिका में अश्वेत लोगों के जीवन को एक और सूक्ष्म नजर" से दिखाती हैं.
तस्वीर: Chris Donovan
जब बेरूत हिल गया था
इटली के फोटोग्राफर लोरेंजो तुनियोली की बेरूत में हुए धमाके की इस तस्वीर को स्पॉट न्यूज श्रेणी में पहला पुरस्कार मिला. निर्णायक समिति के सदस्य गुरुंग कक्षापति के मुताबिक ये तस्वीरें "उस स्थिति के दर्द" को अपने में समेटे हुए हैं.
तस्वीर: Lorenzo Tugnoli/Contrasto for The Washington Post
रूस में एलजीबीटी प्लस होना
फ्रीलांस फोटोग्राफर ओलेग पोनोमारेव की यह पोर्ट्रेट रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक ट्रांसजेंडर पुरुष और उसकी गर्लफ्रेंड की है. रूस में एलजीबीटी प्लस समुदाय के लोग एकदम हाशिए पर हैं. निर्णायक समिति के सदस्य आंद्रेयी पोलिकानोव का कहना था, "मुझे इस तस्वीर को पहली बार देख कर प्रेम और सम्मान महसूस हुआ."
तस्वीर: Oleg Ponomarev
ब्लैक रैम्बो
इटली के फोटोग्राफर गेब्रिएल गालिम्बर्टी की इस पुरस्कार जीतने वाली तस्वीर में तोरेल्ल यास्पर अपनी बंदूकों के साथ नजर आ रहे हैं. यास्पर को अपनी बंदूकों की वजह से ब्लैक रैम्बो के नाम से भी जाना जाता है. "अमेरीगन्स" नाम की इस सीरीज में अमेरिका में हथियार रखने वाले लोगों को दिखाया गया है. दुनिया भर में सेना इस्तेमाल को छोड़ कर नागरिकों के पास जितने हथियार हैं, उनमें से आधे अमेरिका में हैं.